Author: सम्पादक-धर्मायण पत्रिका-महावीर मन्दिर, पटना
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धर्मायण के सभी अंकों में प्रकाशित आलेखों की सूची- खोज करें
धर्मायण के अंक संख्या 1 से 120 तक के सभी आलेखों की सूची दी गयी है। आलेख के सामने लेखक का नाम तथा अंक संख्या भी ... -
धर्मायण, अंक संख्या 120, चातुर्मास्य-विशेषांक
धर्म का प्रधान उद्देश्य मानव जीवन को स्वस्थ एवं प्रसन्न रखते हुए शान्ति की दिशा में ले जाना है। अतः जीवन में धर्म एवं स्वास्थ्य के ... -
धर्मायण, अंक संख्या 119, व्रत-विधि-विशेषांक
विभिन्न धर्मशास्त्रीय ग्रन्थों में व्रतों लिए फलश्रुतियाँ बढ़-चढ़ कर मिलती हैं। इन फलश्रुतियों का इतना ही कार्य है कि ये लोगों को आकृष्ट कर व्रत करने ... -
धर्मायण, अंक संख्या 118, वैशाख-विशेषांक
पौराणिक कथाओं में भगवान् विष्णु के जिन 10 अवतारों की चर्चा हुई है, वे सभी इस पृथ्वी पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले कहे गये हैं। कुछ ... -
धर्मायण, अंक संख्या 117, भरत-चरित विशेषांक
महावीर मन्दिर, पटना से प्रकाशित धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की शोधपरक हिन्दी मासिक पत्रिका 'धर्मायण' के सभी लेखकों तथा पाठकों को होली की शुभकामनाएँ। -
शिवरात्रि के दिन भगवान् शंकर को किस मंत्र से जल चढ़ायें
भगवान् शिव के वे कौन मन्त्र हैं, जिनसे हम जल चढ़ाकर खुद पूजा-पाठ कर सकते हैं? पाठ करने में आसान है, लेकिन बड़े-बड़े विद्वान् उसी से ... -
धर्मायण के पूर्व संपादक पं. वंशदेव मिश्र का संक्षिप्त परिचय
[सन् 1999ई. में मिथिला के प्रसिद्ध विद्वान् प. कृष्णमाधव झा का जन्मशतवार्षिकी समारोह मनाया गया था। पं. झा ग्राम- बिट्ठो, सरिसब-पाही, मधुबनी के थे। यह कार्यक्रम ... -
धर्मायण, अंक संख्या 116 शिव-तत्त्व अंक
‘धर्मायणʼ का अगला फाल्गुन मास का अंक इस बार भगवान् शिव को समर्पित है। फाल्गुन मास में कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि महापर्व मनाया जाता ... -
धर्मायण, अंक संख्या 115, सरस्वती-अंक
सनातन धर्म में विद्या की देवी के रूप में सरस्वती की पूजा प्राचीन काल से प्रचलित है। यद्यपि वैदिक वाङ्मय में जिस सरस्वती का उल्लेख है, ... -
दक्षिण बिहार के कुछ प्रसिद्ध विष्णु मंदिर-श्री रवि संगम
बिहार पर्यटन की दृष्टि से विविधताओं से भरा हुआ है। यहाँ बौद्ध, जैन, सिख, सूफी, तथा सनातन धर्म की भी विभिन्न शाखाओं के प्राचीन पर्यटन-स्थल हैं, ...
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक