धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक

पूर्वोत्तर भारत में मध्यकाल की दार्शनिक धारा के सिद्धान्त प्रतिपादक निबन्धकार परमहंस विष्णुपुरी भक्ति-दर्शन के गौरवमय पुरुष हैं। इन्होंने श्रीमद्भागवत से श्लोकों का संकलन कर उन्हीं श्लोकों की व्याख्या ‘कान्तिमाला’ के द्वारा नवधा भक्ति का विवेचन प्रस्तुत कर भक्ति-दर्शन को परिभाषित एवं समृद्ध करते हुए एक दार्शनिक अवधारणा प्रस्तुत की।