13. श्रीपरशुरामकथामृत का आलोचनात्मक विश्लेषण- डॉ. जंग बहादुर पाण्डेय

धर्मायण की अंक संख्या 106, वैशाख मास के अंक में भगवान् परशुराम-जयन्ती के उपलक्ष्य पर भारतेंदु हरिश्चन्द के पिता गोपालचन्द की विशाल हिन्दी रचना “अवतारकथामृत” से परशुरामावतार का प्रसंग प्रकाशित किया गया था। आज हमारी पीढ़ी हिन्दी के इस विशाल महाकाव्य को भूल चुकी है, जो खेद का विषय है। इसी परशुरामावतार की कथा के अंश की समीक्षा हिन्दी के विद्वान् तथा यशस्वी प्राध्यापक की लेखनी में यहाँ प्रस्तुत है।