Tag: शोध आलेख
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आलेख संख्या- 8. “‘श्रीमद्भगवद्गीता’ में प्रयुक्त कृष्ण के नाम पर्यायों का शैलीगत अध्ययन” लेखक डॉ. विजय विनीत
श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान् कृष्ण के अनेक नाम आये हैं। इन नामों के यथास्थान प्रयोग का भी अपना विशिष्ट तात्पर्य है। -
आलेख संख्या- 7. “आरोग्य धाम-अश्विनी कुमार” लेखक श्री महेश प्रसाद पाठक
आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को अश्विनी नक्षत्र होता है। अश्विनी नक्षत्र में दो तारे होते हैं, वे अमृतमय माने गये हैं। इन्हें अश्विनीकुमारों की संज्ञा ... -
आलेख संख्या- 6. “गणपति अथर्वशीर्ष में गणेश-मन्त्रोद्धार विचार” लेखक- श्री अंकुर पंकजकुमार जोषी
भगवान् गणेश के मन्त्र को लेकर आज एक फैशन चल पड़ा है- गं गणपतये नमः। जबकि यह शास्त्र से प्रमाणित नहीं है। गणपति अथर्वशीर्ष में जो ... -
आलेख संख्या- 5. “कृष्ण-जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान कृष्ण के साथ दुर्गा की पूजा”- लेखक श्री गिरिजानन्द सिंह
कृष्णजन्म के ही काल में यशोदा के गर्भ से योगमाया भगवती का आविर्भाव हुआ था, जिसका संकेत दुर्गासप्तशती में भी है– नन्दगोपगृहे जाता यशोदागर्भसम्भवा। ततस्तौ नाशयिष्यामि ... -
आलेख संख्या- 4. “श्रीकृष्ण बाललीला अवस्था विमर्श” लेखक- शत्रुघ्नश्रीनिवासाचार्य पण्डित शम्भुनाथ शास्त्री ‘वेदान्ती’
आनन्दकन्द भगवान् श्रीकृष्ण की लीला यमुना के तट पर गोप-गोपियों के बीच हुई थी, जिसे लेकर अनेक भ्रान्तियाँ काव्यों, चित्रों तथा कथाओं के माध्यम से फैलाये ... -
आलेख संख्या- 2. “ऋषियों के द्वारा निर्दिष्ट धर्म के स्रोत” लेखक श्री राधा किशोर झा
सनातन परम्परा में धर्म अच्छी तरह परिभाषित है। वैदिक साहित्य, महाभारत, रामायण, पौराणिक साहित्य सब में धर्म पर विशद चर्चा है और जब हम सबको एकत्र ... -
10. ब्रह्मतत्त्व-विमर्श- डॉ. धीरेन्द्र झा
भारत ब्रह्मदर्शन का राष्ट्र रहा है। यहाँ हम चिन्तन के उस स्तर पर पहुँचे हुए हैं, जहाँ चराचर जगत् में सभी पदार्थों में एकता का भाव ... -
9. कालिदासकृत रघुवंश की रामायण-कथा- आचार्य सीताराम चतुर्वेदी
यह हमारा सौभाग्य रहा है कि देश के अप्रतिम विद्वान् आचार्य सीताराम चतुर्वेदी हमारे यहाँ अतिथिदेव के रूप में करीब ढाई वर्ष रहे और हमारे आग्रह ... -
8. बिहार में महर्षि विश्वामित्र के स्थल – श्री रवि संगम
यदि हमें रामायण-काल के विश्वामित्र बिहार में मिलते हैं तो इसका सीधा तात्पर्य है कि ऋग्वेद के तीसरे मण्डल की परम्परा भी इसी भू-खण्ड से जुड़ी ... -
7. ऋषि-तत्त्व- श्री अरुण कुमार उपाध्याय
भारतीय परम्परा में ऋषियों का विवेचन व्यावहारिक तथा सैद्धान्तिक दोनों रूपों में हुआ है। अतः ऋषियों के अनेक प्रकार हो जाते हैं। विभिन्न दृष्टिकोण से विवेचना ...
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक