श्रीरामनामलेखन की विधि- श्री अंकुर पंकजकुमार जोषी
कलियुग में रामनाम-लेखन एक विशिष्ट यज्ञ माना गया है। इसके लिए अनेक प्रकार की पुस्तिकाएँ प्रकाशित की गयी हैं। महावीर मन्दिर के परिसर में भी अनेक श्रद्धालु साधना के रूप में इस ‘लिखिता-जपʼ का अनुष्ठान करते हुए दिखाई देते हैं। इस रामनाम-लेखन की पारम्परिक विधि है, अनेक ग्रन्थों में तथा स्वतन्त्र रूप से भी इसका विधान किया गया है। समग्र भारत में इसकी सैकड़ों पाण्डुलिपियाँ भी मिलीं हैं। लेखक ने उन विधानों का सम्पादन किया है तथा स्वयं भी इसके साधक हैं। मेरे आग्रह पर उन्होंने इसकी सरल विधि यहाँ प्रस्तुत की है। -सम्पादक
Full citation:
- Joshi, Ankur Pankajkumar (2021), “shreeraamanaamalekhan kee vidhi”, Dharmayan, (Monthly periodical) Mahavir Mandir, Patna, pp. 42-43.
- जोषी, अंकुर पंकजकुमार. (2021), “श्रीरामनामलेखन की विधि”, धर्मायण, (मासिक पत्रिका), महावीर मन्दिर, पटना, पृ. सं.- 42-43.
- (Title Code- BIHHIN00719),
- धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका,
- मूल्य : पन्द्रह रुपये
- प्रधान सम्पादक आचार्य किशोर कुणाल
- सम्पादक भवनाथ झा
- पत्राचार : महावीर मन्दिर, पटना रेलवे जंक्शन के सामने पटना- 800001, बिहार
- फोन: 0612-2223798
- मोबाइल: 9334468400
- E-mail: dharmayanhindi@gmail.com
- Web: www.mahavirmandirpatna.org/dharmayan/
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक