शिव में समाविष्ट शक्ति- श्री जगन्नाथ करंजे

शिव एवं शक्ति अर्थात् ब्रह्म एवं उनकी शक्ति के समन्वय की गाथा सम्पूर्ण भारत में आसेतु-हिमाचल समान है। अतः यदि काश्मीर के अद्वैत शैव दर्शन में हम इस भाव को पाते हैं तो सुदूर दक्षिण के शक्तिविशिष्टाद्वैत (वीरशैव) दर्शन में भी इसी एकात्म रूप की झलक हमें मिलती है। वीरशैव परम्परा में रेणुकाचार्य के द्वारा प्रवर्तित शक्तिविशिष्टाद्वैत सिद्धान्त में शक्ति के स्वरूप तथा शिव के साथ सम्बन्ध पर विमर्श यहाँ प्रस्तुत है।
- Karanje, Jagannath, “Shiv Mein Samaavisht Shakti”, 2021, Dharmayan, Mahavir mandir, Patna, vol. 106, pp. 21-24.
- करंजे, जगन्नाथ, “शिव में समाविष्ट शक्ति”, 2021, धर्मायण, महावीर मन्दिर पटना, अंक सं. 106, पृ. 21-24.
- (Title Code- BIHHIN00719),
- धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका,
- मूल्य : पन्द्रह रुपये
- प्रधान सम्पादक आचार्य किशोर कुणाल
- सम्पादक भवनाथ झा
- पत्राचार : महावीर मन्दिर, पटना रेलवे जंक्शन के सामने पटना- 800001, बिहार
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महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक