शक्तिपूजा : मातृशक्ति का भावात्मक आधार- कुमारी संगीता

हर प्रकार के साधनों से सम्पन्न होकर भी युद्धभूमि में रावण क्यों मारा गया, वह अपने परिवार के साथ क्यों विनष्ट हुआ? उसके पास सेना थी, देवताओं से छीने गये सारे ऐश्वर्य थे, यहाँ तक कि देवादिदेव महादेव का दिया हुआ वरदान भी था, फिर भी साधन-हीन, वानर-भालुओं की सेना लेकर तपस्वी वेष में रहनेवाले श्रीराम से वह हार गया! इसी प्रश्न का उत्तर देता हुआ यह आलेख कहता है कि रावण के मन में मातृशक्ति के प्रति वासनात्मक बुद्धि थी- हथियाने की बुद्धि थी, वह गृहस्थ होता हुआ भी संन्यासी के छद्मवेष में सीता का अपहरण कर चुका था।1995 ई. में धर्मायण में प्रकाशित यह आलेख मुख्य रूप से निराला रचित राम की शक्तिपूजा काव्य पर आधारित एक ललित-निबन्ध है। इसकी भाषा का प्रवाह देखकर प्रस्तुत विशेषांक में पुनः प्रकाशित किया गया है।
- Kumari Sangita. “shaktipooja : maatrshakti ka bhaavaatmak aadhaar”, 2021, (Reprint) Dharmayan, Mahavir mandir, Patna, vol. 106, pp. 46-49.
- कुमारी संगीता, “शक्तिपूजा : मातृशक्ति का भावात्मक आधार”, (पुनर्मुद्रित) 2021, धर्मायण, महावीर मन्दिर पटना, अंक सं. 106, पृ. 46-49.
- (Title Code- BIHHIN00719),
- धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका,
- मूल्य : बीस रुपये
- प्रधान सम्पादक आचार्य किशोर कुणाल
- सम्पादक भवनाथ झा
- पत्राचार : महावीर मन्दिर, पटना रेलवे जंक्शन के सामने पटना- 800001, बिहार
- फोन: 0612-2223798
- मोबाइल: 9334468400
- E-mail: dharmayanhindi@gmail.com
- Web: www.mahavirmandirpatna.org/dharmayan/
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक