प्रॉफे. डॉ. वसन्तकुमार मनुभाई भट्ट


नाम- प्रॉफे. डॉ. वसन्तकुमार मनुभाई भट्ट
- जन्म-तिथि – 21 फरवरी, 1953
- गृह-संकेत स्थान – ए – 2, सुरभि एपार्टमेन्ट्स, सुभाष सोसायटी, विजय क्रोस रोड (पूर्व), नवरंग पुरा, अहमदावाद – 380 009 (गुजरात)
संपर्क-सूत्र–
- चल-दूरभाष 094277 00064 एवं 09773127745
- ई-मेल – bhattvasant@yahoo.co.in , v.k.bhatt53@gmail.com
- यू-ट्युब चैनल – Vasantkumar Bhatt, (30 से अधिक वीडियो अद्यावधि अप-लोड किये हैं)
- ब्लॉग – www.vasantbhatt.blogspot.com, संस्कृत साहित्य – समीक्षा एवं नवीन अर्थ, 2009 से शूरु
शैक्षणिक उपाधियाँ
- M. A. with Sanskrit subject, Gujarat University, Ahmedabad, 1975, Distinction, First in First Class (Three Gold Medals)
- Ph. D. in the Paniniyan System of Sanskrit Grammar, Gujarat University, 1979
- P. G. Diploma in Linguistics, Gujarat University, Ahmedabad, 1982
शास्त्राभ्यास
वाराणसी के सुप्रसिद्ध वैयाकरणकेसरी गुरुवर्य पं. श्रीबालकृष्ण पञ्चोली जी के चरणकमलों की सन्निधि में पाणिनीय संस्कृत व्याकरण का पारम्परिक रीति से विशेष अध्ययन किया। (जिसमें वैयाकरण-सिद्धान्त-कौमुदी, व्याकरण-महाभाष्य एवं परिभाषेन्दुशेखर मुख्य ग्रन्थ थे।)
सेवा निवृत्ति
गुजरात युनिवर्सिटी से 15 जून, 2015 को सेवानिवृत्ति।
अध्यापन-कार्य का अनुभवः—
स्नातकोत्तर कक्षाओं में 36 वर्षों का अध्यापन।
पदभार –
आचार्य एवं अध्यक्ष, स्नातकोत्तर संस्कृत विभाग, भाषा-साहित्य भवन, गुजरात युनि., अहमदावाद
राजकीय सम्मान :
- भारत के महामहिम राष्ट्रपति ने सर्टिफिकेट ऑफ ऑनर से 2018 में पुरस्कृत किया।
- वेद-शास्त्र पारंगत पण्डित के रूप में गुजरात राज्य के महामहिम राज्यपालश्री प्रोफे. ओ. पी. कोहली जी ने सम्मान किया, दिनांक:- 5 जुलाई, 2016 ( संस्कृत-साहित्य अकादेमी)
- महाकवि कालिदास संस्कृत-व्रती के रूप में राष्ट्रिय पुरस्कार से कविकुलगुरु कालिदास संस्कृत विश्वविद्यालय, रामटेक, नागपुर के द्वारा सम्मानित, 29-03-2019.
निवृत्ति के बाद –
- अतिथि-प्राध्यापक के रूप में हेमचन्द्राचार्य उत्तर गुजरात युनि., पाटण में कार्य किया (जनवरी से मार्च, 2016 तक)
- शास्त्र-चूडामणि के रूप में संस्कृत विभाग, उत्तर गुजरात युनिवर्सिटी में नियुक्ति, (राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, दिल्ली के द्वारा 1 नवे. 2017 से 2019 तक, दो वर्ष के लिए नियुक्ति की गई थी। जिसमें कालिदास के अभिज्ञानशाकुन्तल नाटक की 75 देवनागरी पाण्डुलिपियाँ एकत्र करके, उनका विश्लेषण किया है। जिससे देवनागरी वाचना के विविध संस्करणों की अपूर्व जानकारियाँ हांसिल की है। यह शोध-कार्य पूर्ण करके, उसका विस्तृत रिपोर्ट एवं शोधकार्य की प्रति राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, दिल्ली में प्रस्तुत कर दिया है।
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक