पटना में तीन दिनों के वैदिक सम्मेलन का महामहिम ने किया उद्घाटन, वेद-पाठ के साथ भव्य शोभा यात्रा निकली
पटना में तीन दिनों के वैदिक सम्मेलन का महामहिम ने किया उद्घाटन, वेद-पाठ के साथ भव्य शोभा यात्रा निकली
महावीर मन्दिर और महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान का संयुक्त आयोजन
महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान, उज्जैन और महावीर मन्दिर, पटना के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिनों का वैदिक सम्मेलन गुरुवार को प्रारंभ हुआ। पटना के महाराणा प्रताप भवन में राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने वैदिक सम्मेलन का दीप प्रज्वलित कर विधिवत् उद्घाटन किया। उन्होंने चारों वेदों पर माल्यार्पण कर नमन किया। अपने उद्घाटन संबोधन में राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि भारत की आत्मा आध्यात्मिक है।
एक हजार साल की विदेशी गुलामी और आक्रमणों के बावजूद हमारी आध्यात्मिक चेतना जीवित है। महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान द्वारा वेदों के प्रचार-प्रसार के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए जा रहे हैं। राज्यपाल ने कहा कि बिहार की समृद्ध परंपरा रही है। महामहिम ने युवा पीढ़ी के बीच वेद के प्रचार-प्रसार की आवश्यकता पर जोर दिया। महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान के उपाध्यक्ष प्रफुल्ल कुमार मिश्र ने अपने संबोधन में कहा कि ज्ञान का मूल तत्व वेदों में है। उन्होंने बताया कि प्रतिष्ठान का बजट 50 करोड़ से बढ़कर 100 करोड़ कर दिया गया है। प्रतिष्ठान की ओर से वेद पर सालाना दो राष्ट्रीय सम्मेलन, 6 क्षेत्रीय सम्मेलन, 10-12 वेद महोत्सव, 100 से ज्यादा व्याख्यान आयोजित किए जा रहे हैं। प्रतिष्ठान द्वारा 125 संबद्ध वेद विद्यालयों और 250 गुरु-शिष्य परंपरा की इकाइयों में कुल लगभग 8 हजार वेद विद्यार्थियों को प्रतिमाह 5 हजार रुपये मानदेय दिया जा रहा है।
धर्म का आधार हैं वेद : किशोर कुणाल
उद्घाटन सत्र के दौरान अपने संबोधन में आचार्य किशोर कुणाल ने कहा कि वेद धर्म का आधार हैं। महर्षि सांदीपनी राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान वेदों के संवर्धन के लिए प्रशंसनीय कार्य कर रहा है। आचार्य किशोर कुणाल ने बिहार के वैशाली स्थित इस्माइलपुर या पूर्वी चंपारण स्थित कैथवलिया में वेद विद्यालय की स्थापना का प्रस्ताव रखा। उन्होंने कहा कि दोनों स्थानों में कहीं भी महर्षि सांदीपनि राष्ट्रीय वेद विद्या प्रतिष्ठान यदि संबद्धता देगा तो महावीर मन्दिर वहां वेद विद्यालय का निर्माण एवं उसकी स्थापना करेगा। इसके लिए दोनों स्थानों पर पर्याप्त जमीन उपलब्ध है।
आचार्य किशोर कुणाल ने 11 हजार रुपये सालाना से 10 लाख रुपये प्रतिदिन महावीर मन्दिर की आय होने के पीछे पारदर्शिता को आधार बताया। उन्होंने राम रसोई, सीता रसोई, गरीब मरीजों को सहायता समेत जनहित के कार्यों की जानकारी दी।
चारों वेदों के पाठ का दिखा अद्भुत नजारा
महाराणा प्रताप भवन में वैदिक सम्मेलन के पहले दिन सुबह उद्घाटन सत्र और दोपहर के सत्र में भी ॠग्वेद की एक शाखा, यजुर्वेद की तीन शाखा, सामवेद की तीन शाखा और अथर्ववेद की दो शाखाओं के वेद पाठ से अद्भुत नजारा दिखा। बिहार के अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उड़ीसा, बंगाल और मणिपुर राज्यों से आए 100 से अधिक वैदिक अध्यापकों ने वेद पाठ किया। वैदिक सम्मेलन में मणिपुर जैसे हिंसाग्रस्त राज्य से दो वेद अध्यापकों के आगमन की विशेष चर्चा हुई। इस अवसर पर पटना विश्वविद्यालय के संस्कृत के पूर्व विभागाध्यक्ष रामविलास चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान, नव नालंदा महाविहार के संस्कृत विभागाध्यक्ष प्रो विजय कुमार कर्ण, कार्यक्रम के संयोजक पं भवनाथ झा, प्राणशंकर मजूमदार आदि मौजूद थे। मंच संचालन राजकीय संस्कृत महाविद्यालय के सहायक प्राध्यापक डा शिवानन्द शुक्ल ने किया।
भव्य वेद सन्देश शोभा यात्रा निकली
वैदिक सम्मेलन के उद्घाटन के पूर्व गुरुवार को सुबह महावीर मन्दिर से भव्य वेद सन्देश शोभा यात्रा निकली। आचार्य किशोर कुणाल ने वेद भगवान की सवारी के साथ इसे रवाना किया। पशुपतिनाथ वेद विद्यालय के विद्यार्थियों और श्रद्धालुओं की लंबी कतार के साथ निकली यह शोभा यात्रा वेदों के सस्वर पाठ करते हुए कदमकुआं, नाला रोड होते हुए महाराणा प्रताप भवन पहुंची। रास्ते में नगरवासियों ने जगह-जगह पुष्पवर्षा कर शोभा यात्रा का स्वागत किया। शोभा यात्रा के जरिए वेदों के प्रति जन जागरुकता का सन्देश दिया गया।
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