धर्मायण पत्रिका
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धर्मायण अंक संख्या 134 शाप-विमर्श विशेषांक
शाप का विवेचन करते हुए हमारे मन में अकसर यह भावना बन जाती है कि इस शाप में शाप देने वाले की गलती है ... -
धर्मायण अंक संख्या 133 फलश्रुति विशेषांक
उपासना में फलश्रुति का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह मानव की प्रवृत्ति है कि “प्रयोजनमनुद्दिश्य मन्दोऽपि न प्रवर्तते” और वही प्रयोजन फल है और उसका ... -
धर्मायण अंक संख्या 132 योग विशेषांक
हमें विचार करना चाहिए कि क्या भारतीय योग की परम्परा इतनी ही है अथवा इससे कही अधिक व्यापक तथा उपादेय है? यदि हम पतंजलि ... -
धर्मायण, अंक संख्या 131, वनस्पति-उपासना अंक
आज जब विकास के नाम पर, बढ़ती जनसंख्या के कारण बढ़ते आवासीय क्षेत्र के नाम पर वनों को काटकर सड़कें चौड़ी की जातीं हैं, ... -
धर्मायण, अंक संख्या 130, रामलीला अंक
रामलीला रामकथा की रंगमंचीय प्रस्तुति है। यद्यपि वर्तमान काल में इलैक्ट्रॉनिक क्रान्ति के कारण इस परम्परा को बहुत आघात लगा है, पर इसकी जड़ें ... -
धर्मायण, अंक संख्या 129, रामचरितमानस अंक
आज इसी मशीन की शैली में रामचरितमानस की दुर्व्याख्याएँ हो रही हैं। उद्देश्य स्पष्ट है- समाज को तोड़ना। जिस रामचरितमानस ने मॉरिशस गये गिरमिटिया ... -
धर्मायण, अंक संख्या 128, संवत्सर-विशेषांक
अंक 128, फाल्गुन, 2079 वि. सं., 6 फरवरी, से 7 मार्च, 2023ई श्री महावीर स्थान न्यास समिति के लिए वीर बहादुर सिंह, महावीर मन्दिर, ... -
धर्मायण, अंक संख्या 127, वायु-विशेषांक
व्यवहार में भी हम देखते हैं कि कुछ संकेंड के लिए यदि प्राणी को प्राण-वायु मिलना बंद हो जाये तो उसकी मृत्यु हो जाती ... -
धर्मायण के सभी विशेषांक
महावीर मन्दिर की पत्रिका धर्मायण का प्रकाशन इस वित्तीय वर्ष में मासिक पत्रिका के रूप में जारी रहा। विगत वित्तीय वर्ष से ही यह ... -
धर्मायण, अंक संख्या 126, आगम विशेषांक
आगम की कुल छह शाखाओं वैष्णव, गाणपत्य, सौर, शाक्त, शैव एवं आग्नेय में यद्यपि सूर्य से सम्बन्धित सौर शाखा का पृथक् है। इस शाखा ...
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक