Dharmayan vol. 97 Nag-puja Ank
वर्तमान में कोरोना संकट के कारण धर्मायण के ई-संस्करण ही प्रकाशित हो रहे हैं। तत्काल इसका निःशुल्क उपयोग करें। स्थित सामान्य होने पर इन्हें प्रकाशित किया जायेगा।
- (Title Code- BIHHIN00719),
- धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका,
- मूल्य : बीस रुपये
- प्रधान सम्पादक आचार्य किशोर कुणाल
- सम्पादक भवनाथ झा
- पत्राचार : महावीर मन्दिर, पटना रेलवे जंक्शन के सामने पटना- 800001, बिहार
- फोन: 0612-2223798
- मोबाइल: 9334468400,
- E-mail: mahavirmandir@gmail.com
- Web:www.mahavirmandirpatna.org,
- https://mahavirmandirpatna.org/dharmayan/
- पत्रिका में प्रकाशित विचार लेखक के हैं। इनसे सम्पादक की सहमति आवश्यक नहीं है। हम प्रबुद्ध रचनाकारों की अप्रकाशित, मौलिक एवं शोधपरक रचनाओं का स्वागत करते हैं। रचनाकारों से निवेदन है कि सन्दर्भ-संकेत अवश्य दें।
निःशुल्क डाउनलोड करें। स्वयं पढें तथा दूसरे को भी पढायें।
विषय-सूची
- नाग-पूजन की परम्परा एवं प्रवृत्ति – भवनाथ झा (सम्पादकीय आलेख)
- नागः देवत्व की अवधारणा और पूजा-परम्परा –डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू
- ‘नरपतिजयचर्या’ की एक पाण्डुलिपि में नागचक्रों का अंकन –संकलित
- बारह महीनों में विशेष है श्रावण मास -श्री जगन्नाथ करंजे
- विषहरापूजा –पं.शशिनाथ झा
- मगध की संस्कृति में नागपंचमी- श्री उदय शंकर शर्मा
- मिथिला में नाग-पूजा का लोकविधान- श्रीमती रंजू मिश्रा
- देश-विदेश में सर्प-पूजा- डा. वीरेन्द्र झा
- शेषत्व-समीक्षा- डा. सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य
- शिवतत्त्व-मीमांसा –श्री अरुण कुमार उपाध्याय
- शूर्पणखा प्रकरण का यथार्थ –आचार्य किशोर कुणाल
- अध्यात्म-रामायण से राम-कथा- आचार्य सीताराम चतुर्वेदी
- विश्वकवि तुलसीदास का लोक-समन्वय और जीवन-दृष्टि –डॉ. एस.एन.पी. सिन्हा
- भारतीय गुरु-शिष्य-परम्परा पर पाश्चात्य संस्कृति का आघात –डॉ काशीनाथ मिश्र
- वैशाली में ‘सावनी-घरी’ लोकपर्व – श्री अभिषेक राय
- मातृभूमि-वंदना, मन्दिर समाचार, व्रत-पर्व, रामावत संगत से जुड़िए आदि स्थायी स्तम्भ
लेखकों से निवेदन
‘धर्मायण’ का अगला अंक कृष्ण-भक्ति विशेषांक के रूप में प्रस्तावित है। बिहार प्रदेश में कृष्ण-भक्ति परम्परा का समन्वय हुआ है। यहाँ बंगाल एवं आसाम की भक्तिधारा तथा सांस्कृतिक व्रज-क्षेत्र की दोनों धारा मिश्रित होकर बिहार के साहित्य तथा परम्परा को प्रभावित करती रही है। इस प्रभावग्रहण के कारण बिहार की विशिष्ट कृष्णभक्ति-परम्परा पर यह अंक केन्द्रित प्रस्तावित है। सन्दर्भ के साथ शोधपरक आलेखों का प्रकाशन किया जायेगा। अपना टंकित अथवा हस्तलिखित आलेख हमारे ईमेल mahavirmandir@gmail.com पर अथवा whats App. सं. +91 9334468400 पर भेज सकते हैं। प्रकाशित आलेखों के लिए पत्रिका की ओर से पत्र-पुष्प की भी व्यवस्था है।
पाठकों से निवेदन
साथ ही, यह अंक आपको कैसा लगा, इसपर भी आपकी प्रतिक्रिया आमन्त्रित है, जिससे प्रेरणा लेकर हम पत्रिका को और उन्नत बना सकें। अपनी प्रतिक्रिया उपर्युक्त पते पर भेज सकते हैं। डाक से भेजने हेतु पता है- सम्पादक, धर्मायण, महावीर मन्दिर, पटना जंक्शन के निकट, पटना, 800001
Nice Ptrika
Nice Ptrika. Very eager to read it.
The proposed theme of 98th volume of the Dharmayan is very important because Krishna Bhakti is required in present day covid 19 calamity.
अद्भुत, ज्ञानदायिनी पत्रिका।
धर्मायण हिंदी जगत् में एक ख़ास मुकाम बनाए हुए है। धार्मिक, संस्कृति, साहित्य, और कला, जैसे विषयों पर सुरुचिपूर्ण आध्यात्मिक सामग्री की प्रभावी प्रस्तुति इसकी पहचान है। नाग पूजा अंक ज्ञानवर्धक है। धर्मायण’ का अगला अंक कृष्ण-भक्ति विशेषांक का इंतजार रहेगा। पत्रिका में धार्मिक सरोकार और स्वस्थ ज्ञानवर्धक आध्यात्मिक साहित्य की सुगंध के साथ-साथ अंतर्मन को बेहतर बनाने का हौसला है। इतनी अच्छी ज्ञानवर्धक आध्यात्मिक साहित्य के लिए संपादक-मंडल का आभार। धर्मायण नेट पर आ गई है यह देखकर बहुत प्रसन्नता हुई । धर्म, सेवा, और पूजा मन को शुद्धिकरण की ओर ले जाते हैं, जो सभी आध्यात्मिक प्रयासों का सार है । बहुत ही अद्धभुत पत्रिका है ।
बहुत सुंदर सार्थक पत्रिका,उत्कृष्ट सम्पादन।प्रेरणास्पद आलेखों के साथ रोचक ज्ञानवर्द्धक।नमन