धर्मायण

Top Menu

  • धर्मायण पत्रिका
    • पुस्तक प्रकाशन
    • शोध आलेख
      • लेखकों के लिए तकनीकी सहायता
      • शोधपरक लेखों में संदर्भ (Reference) देने की पद्धति
    • मीडिया
  • हमारे रचनाकार
    • Dr. Shashinath Jha
    • डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू
    • Dr. Mamata mishra
    • Arun Kumar Upadhyay
    • Dr. Dhirendra Jha
    • Dr. Kashinath Mishra
    • Dr. Sushant Kumar
    • Dr. Sudarshan Shrinivas Shandilya
    • Dr. Shriranjan Suridev
    • Dr. S.N.P. Sinha
    • Dr. Jitendra Kumar Singh Sanjay
    • Dr. Kashinath Mishra
    • हमारे रचनाकार
  • अंक 81-90
    • Dharmayan vol. 81
    • Dharmayan vol. 82
    • Dharmayan vol. 83
    • Dharmayan vol. 84
    • Dharmayan vol. 85
    • Dharmayan vol. 86
    • Dharmayan vol. 87
    • Dharmayan vol. 88
    • Dharmayan vol. 89
    • Dharmayan vol. 90
  • अंक 91-100
    • dharmayan vol.100 Surya-Upasana Ank
    • Dharmayan vol. 99 Valmiki Ramayana Ank
    • Dharmayan vol. 98 Krishna-bhakti Ank
    • Dharmayan vol. 97 Nag-puja Ank
    • Dharmayan vol. 96
    • Dharmayan vol. 95 Ganga Ank
    • Dharmayan, vol. 93
    • Dharmayan, vol. 94
    • Dharmayan vol. 92
    • Dharmayan vol. 91
  • अंक 101-110
    • Dharmayan vol. 110 Saptarshi Ank
    • Dharmayan vol. 109 Brahma Ank
    • Dharmayan vol. 108 Bhagawan Jagannath Ank
    • Dharmayan vol. 107 Jala-vimarsha-Ank
    • Dharmayan vol. 106 Shakti-vimarsha Ank
    • Dharmayan vol. 105 Ramanavami Ank
    • Dharmayan vol. 104 Sant Ravidas Ank
    • Dharmayan vol. 103 Ramanandacharya Ank
    • Dharmayan vol. 102 Khara-masa Ank
    • Dharmayan vol. 101 Vaishnava-upasana Ank
  • अंक 111- 120
    • धर्मायण, अंक संख्या 120, चातुर्मास्य-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 119, व्रत-विधि-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 118, वैशाख-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 117, भरत-चरित विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 116 शिव-तत्त्व अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 115, सरस्वती-अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 113, हनुमान अंक, 2
    • धर्मायण, अंक संख्या 112, कार्तिक 2078 वि.सं., हनुमद्-विशेषांक, भाग 1
    • धर्मायण, अंक संख्या 111, आश्विन मास का अंक
  • अंक 121-130
    • धर्मायण, अंक संख्या 129, रामचरितमानस अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 128, संवत्सर-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 127, वायु-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 126, आगम विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 125, अगहन मास अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 124, यम विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 123, ब्राह्म-मुहूर्त अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 122, कुश-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 121, रक्षाबंधन-विशेषांक
  • वेद-पाठ
  • सम्पर्क

Main Menu

  • धर्मायण पत्रिका
    • पुस्तक प्रकाशन
    • शोध आलेख
      • लेखकों के लिए तकनीकी सहायता
      • शोधपरक लेखों में संदर्भ (Reference) देने की पद्धति
    • मीडिया
  • हमारे रचनाकार
    • Dr. Shashinath Jha
    • डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू
    • Dr. Mamata mishra
    • Arun Kumar Upadhyay
    • Dr. Dhirendra Jha
    • Dr. Kashinath Mishra
    • Dr. Sushant Kumar
    • Dr. Sudarshan Shrinivas Shandilya
    • Dr. Shriranjan Suridev
    • Dr. S.N.P. Sinha
    • Dr. Jitendra Kumar Singh Sanjay
    • Dr. Kashinath Mishra
    • हमारे रचनाकार
  • अंक 81-90
    • Dharmayan vol. 81
    • Dharmayan vol. 82
    • Dharmayan vol. 83
    • Dharmayan vol. 84
    • Dharmayan vol. 85
    • Dharmayan vol. 86
    • Dharmayan vol. 87
    • Dharmayan vol. 88
    • Dharmayan vol. 89
    • Dharmayan vol. 90
  • अंक 91-100
    • dharmayan vol.100 Surya-Upasana Ank
    • Dharmayan vol. 99 Valmiki Ramayana Ank
    • Dharmayan vol. 98 Krishna-bhakti Ank
    • Dharmayan vol. 97 Nag-puja Ank
    • Dharmayan vol. 96
    • Dharmayan vol. 95 Ganga Ank
    • Dharmayan, vol. 93
    • Dharmayan, vol. 94
    • Dharmayan vol. 92
    • Dharmayan vol. 91
  • अंक 101-110
    • Dharmayan vol. 110 Saptarshi Ank
    • Dharmayan vol. 109 Brahma Ank
    • Dharmayan vol. 108 Bhagawan Jagannath Ank
    • Dharmayan vol. 107 Jala-vimarsha-Ank
    • Dharmayan vol. 106 Shakti-vimarsha Ank
    • Dharmayan vol. 105 Ramanavami Ank
    • Dharmayan vol. 104 Sant Ravidas Ank
    • Dharmayan vol. 103 Ramanandacharya Ank
    • Dharmayan vol. 102 Khara-masa Ank
    • Dharmayan vol. 101 Vaishnava-upasana Ank
  • अंक 111- 120
    • धर्मायण, अंक संख्या 120, चातुर्मास्य-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 119, व्रत-विधि-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 118, वैशाख-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 117, भरत-चरित विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 116 शिव-तत्त्व अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 115, सरस्वती-अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 113, हनुमान अंक, 2
    • धर्मायण, अंक संख्या 112, कार्तिक 2078 वि.सं., हनुमद्-विशेषांक, भाग 1
    • धर्मायण, अंक संख्या 111, आश्विन मास का अंक
  • अंक 121-130
    • धर्मायण, अंक संख्या 129, रामचरितमानस अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 128, संवत्सर-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 127, वायु-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 126, आगम विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 125, अगहन मास अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 124, यम विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 123, ब्राह्म-मुहूर्त अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 122, कुश-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 121, रक्षाबंधन-विशेषांक
  • वेद-पाठ
  • सम्पर्क
  • धर्मायण पत्रिका
    • पुस्तक प्रकाशन
    • शोध आलेख
      • लेखकों के लिए तकनीकी सहायता
      • शोधपरक लेखों में संदर्भ (Reference) देने की पद्धति
    • मीडिया
  • हमारे रचनाकार
    • Dr. Shashinath Jha
    • डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू
    • Dr. Mamata mishra
    • Arun Kumar Upadhyay
    • Dr. Dhirendra Jha
    • Dr. Kashinath Mishra
    • Dr. Sushant Kumar
    • Dr. Sudarshan Shrinivas Shandilya
    • Dr. Shriranjan Suridev
    • Dr. S.N.P. Sinha
    • Dr. Jitendra Kumar Singh Sanjay
    • Dr. Kashinath Mishra
    • हमारे रचनाकार
  • अंक 81-90
    • Dharmayan vol. 81
    • Dharmayan vol. 82
    • Dharmayan vol. 83
    • Dharmayan vol. 84
    • Dharmayan vol. 85
    • Dharmayan vol. 86
    • Dharmayan vol. 87
    • Dharmayan vol. 88
    • Dharmayan vol. 89
    • Dharmayan vol. 90
  • अंक 91-100
    • dharmayan vol.100 Surya-Upasana Ank
    • Dharmayan vol. 99 Valmiki Ramayana Ank
    • Dharmayan vol. 98 Krishna-bhakti Ank
    • Dharmayan vol. 97 Nag-puja Ank
    • Dharmayan vol. 96
    • Dharmayan vol. 95 Ganga Ank
    • Dharmayan, vol. 93
    • Dharmayan, vol. 94
    • Dharmayan vol. 92
    • Dharmayan vol. 91
  • अंक 101-110
    • Dharmayan vol. 110 Saptarshi Ank
    • Dharmayan vol. 109 Brahma Ank
    • Dharmayan vol. 108 Bhagawan Jagannath Ank
    • Dharmayan vol. 107 Jala-vimarsha-Ank
    • Dharmayan vol. 106 Shakti-vimarsha Ank
    • Dharmayan vol. 105 Ramanavami Ank
    • Dharmayan vol. 104 Sant Ravidas Ank
    • Dharmayan vol. 103 Ramanandacharya Ank
    • Dharmayan vol. 102 Khara-masa Ank
    • Dharmayan vol. 101 Vaishnava-upasana Ank
  • अंक 111- 120
    • धर्मायण, अंक संख्या 120, चातुर्मास्य-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 119, व्रत-विधि-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 118, वैशाख-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 117, भरत-चरित विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 116 शिव-तत्त्व अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 115, सरस्वती-अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 113, हनुमान अंक, 2
    • धर्मायण, अंक संख्या 112, कार्तिक 2078 वि.सं., हनुमद्-विशेषांक, भाग 1
    • धर्मायण, अंक संख्या 111, आश्विन मास का अंक
  • अंक 121-130
    • धर्मायण, अंक संख्या 129, रामचरितमानस अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 128, संवत्सर-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 127, वायु-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 126, आगम विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 125, अगहन मास अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 124, यम विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 123, ब्राह्म-मुहूर्त अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 122, कुश-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 121, रक्षाबंधन-विशेषांक
  • वेद-पाठ
  • सम्पर्क

logo

Header Banner

धर्मायण

  • धर्मायण पत्रिका
    • पुस्तक प्रकाशन
    • शोध आलेख
      • लेखकों के लिए तकनीकी सहायता
      • शोधपरक लेखों में संदर्भ (Reference) देने की पद्धति
    • मीडिया
  • हमारे रचनाकार
    • पुस्तक समीक्षा- ‘भारतीय संकृति और गकार के प्रतीक।’

      पुस्तक समीक्षा- ‘भारतीय संस्कृति और गकार के प्रतीक।’ लेखक- डा. बिन्देश्वरी प्रसाद ...

      November 17, 2022
      0
    • Dharmayana Article Index

      धर्मायण के सभी अंकों में प्रकाशित आलेखों की सूची- खोज करें

      June 29, 2022
      0
    • पं. वंशदेव मिश्र

      धर्मायण के पूर्व संपादक पं. वंशदेव मिश्र का संक्षिप्त परिचय

      February 21, 2022
      0
    • Dr. Nagendra Kumar Sharma

      डा. नागेन्द्र कुमार शर्मा

      October 20, 2021
      1
    • डा. रामकिशोर झा विभाकर

      डॉ० रामकिशोर झा ‘विभाकर’

      October 13, 2021
      1
    • Mahesh Prasad Pathak

      श्री महेश प्रसाद पाठक

      October 2, 2021
      1
    • डा. सुन्दरनारायण झा

      डा. सुन्दरनारायण झा

      September 21, 2021
      1
    • डा. विजय विनीत

      डॉ० विजय विनीत

      September 21, 2021
      2
    • प. शम्भुनाथ शास्त्री वेदान्ती

      शत्रुघ्नश्रीनिवासाचार्य पंडित शम्भुनाथ शास्त्री ‘वेदान्ती’

      September 21, 2021
      2
    • Dr. Shashinath Jha
    • डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू
    • Dr. Mamata mishra
    • Arun Kumar Upadhyay
    • Dr. Dhirendra Jha
    • Dr. Kashinath Mishra
    • Dr. Sushant Kumar
    • Dr. Sudarshan Shrinivas Shandilya
    • Dr. Shriranjan Suridev
    • Dr. S.N.P. Sinha
    • Dr. Jitendra Kumar Singh Sanjay
    • Dr. Kashinath Mishra
    • हमारे रचनाकार
  • अंक 81-90
    • Dharmayan vol.88 cover

      Dharmayan vol. 88

      January 2, 2021
      0
    • Dharmayan vol. 89 cover

      Dharmayan vol. 89

      January 2, 2021
      1
    • धर्मायण अंक संख्या 85, माघ-चैत्र 2071 वि.सं., जनवरी-मार्च 2015 ई.

      Dharmayan vol. 85

      May 10, 2020
      1
    • Dharmayan vol. 84

      Dharmayan vol. 84

      May 10, 2020
      0
    • धर्मायण अंक संख्या 83

      Dharmayan vol. 83

      May 10, 2020
      0
    • “धर्मायण” की अंक संख्या 82

      Dharmayan vol. 82

      May 10, 2020
      1
    • Dharmayan vol. 81

      May 10, 2020
      0
    • Dharmayan vol. 87

      May 9, 2020
      1
    • Dharmayan vol. 81
    • Dharmayan vol. 82
    • Dharmayan vol. 83
    • Dharmayan vol. 84
    • Dharmayan vol. 85
    • Dharmayan vol. 86
    • Dharmayan vol. 87
    • Dharmayan vol. 88
    • Dharmayan vol. 89
    • Dharmayan vol. 90
  • अंक 91-100
    • धर्मायण अंक संख्या 100 का मुखपृष्ठ

      dharmayan vol.100 Surya-Upasana Ank

      October 30, 2020
      4
    • धर्मायण अंक 97

      Dharmayan vol. 97 Nag-puja Ank

      July 5, 2020
      6
    • Dharmayan vol. 96

      June 12, 2020
      0
    • आवरण धर्मायण, अंक 95

      Dharmayan vol. 95 Ganga Ank

      May 7, 2020
      2
    • धर्मायण अंक संख्या 94, वैशाख 2077 वि.सं.

      Dharmayan, vol. 94

      April 20, 2020
      2
    • dharmayan vol.100 Surya-Upasana Ank
    • Dharmayan vol. 99 Valmiki Ramayana Ank
    • Dharmayan vol. 98 Krishna-bhakti Ank
    • Dharmayan vol. 97 Nag-puja Ank
    • Dharmayan vol. 96
    • Dharmayan vol. 95 Ganga Ank
    • Dharmayan, vol. 93
    • Dharmayan, vol. 94
    • Dharmayan vol. 92
    • Dharmayan vol. 91
  • अंक 101-110
    • Dharmayan, vol. 110 Saptarshi Ank

      धर्मायण अंक संख्या 110, सप्तर्षि अंक

      August 22, 2021
      1
    • Dharmayan, vol. 110 Saptarshi Ank

      धर्मायण अंक संख्या 110, सप्तर्षि विशेषांक

      August 22, 2021
      1
    • Dharmayan, vol. 110 Saptarshi Ank

      Dharmayan vol. 110 Saptarshi Ank

      August 16, 2021
      1
    • pdf free book

      धर्मायण अंक संख्या 109 पी.डी.एफ

      July 24, 2021
      1
    • फ्लिक बुक पढें

      धर्मायण अंक 109 फ्लिप बुक

      July 24, 2021
      1
    • Dharmayan vol. 109 Brahma Ank

      Dharmayan vol. 109 Brahma Ank

      July 20, 2021
      2
    • धर्मायण का जगन्नाथ विशेषांक

      Dharmayan Jagannath Ank download pdf

      July 5, 2021
      1
    • धर्मायण का जगन्नाथ विशेषांक

      Dharmayan vol. 108 Bhagawan Jagannath Ank

      July 5, 2021
      0
    • Dharmayan vol. 107 Jala-vimarsha-Ank

      May 18, 2021
      1
    • Dharmayan vol. 110 Saptarshi Ank
    • Dharmayan vol. 109 Brahma Ank
    • Dharmayan vol. 108 Bhagawan Jagannath Ank
    • Dharmayan vol. 107 Jala-vimarsha-Ank
    • Dharmayan vol. 106 Shakti-vimarsha Ank
    • Dharmayan vol. 105 Ramanavami Ank
    • Dharmayan vol. 104 Sant Ravidas Ank
    • Dharmayan vol. 103 Ramanandacharya Ank
    • Dharmayan vol. 102 Khara-masa Ank
    • Dharmayan vol. 101 Vaishnava-upasana Ank
  • अंक 111- 120
    • धर्मायण, अंक संख्या 120, चातुर्मास्य-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 119, व्रत-विधि-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 118, वैशाख-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 117, भरत-चरित विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 116 शिव-तत्त्व अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 115, सरस्वती-अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 113, हनुमान अंक, 2
    • धर्मायण, अंक संख्या 112, कार्तिक 2078 वि.सं., हनुमद्-विशेषांक, भाग 1
    • धर्मायण, अंक संख्या 111, आश्विन मास का अंक
  • अंक 121-130
    • धर्मायण, अंक संख्या 129, रामचरितमानस अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 128, संवत्सर-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 127, वायु-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 126, आगम विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 125, अगहन मास अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 124, यम विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 123, ब्राह्म-मुहूर्त अंक
    • धर्मायण, अंक संख्या 122, कुश-विशेषांक
    • धर्मायण, अंक संख्या 121, रक्षाबंधन-विशेषांक
  • वेद-पाठ
  • सम्पर्क
  • धर्मायण, अंक संख्या 129, रामचरितमानस अंक

  • धर्मायण, अंक संख्या 128, संवत्सर-विशेषांक

  • धर्मायण, अंक संख्या 127, वायु-विशेषांक

  • धर्मायण के सभी विशेषांक

  • धर्मायण, अंक संख्या 126, आगम विशेषांक

अंक 111- 120धर्मायण पत्रिका
Home›अंक 111- 120›धर्मायण, अंक संख्या 112, कार्तिक 2078 वि.सं., हनुमद्-विशेषांक, भाग 1

धर्मायण, अंक संख्या 112, कार्तिक 2078 वि.सं., हनुमद्-विशेषांक, भाग 1

By सम्पादक-धर्मायण पत्रिका-महावीर मन्दिर, पटना
October 20, 2021
819
0
Share:
धर्मायण अंक संख्या 112 आवरण

महावीर मन्दिर पटना के द्वारा प्रकाशित धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका ‘धर्मायण’ का कार्तिक मास का अंक।

प्रधान सम्पादक- आचार्य किशोर कुणाल। सम्पादक- पंडित भवनाथ झा।

महावीर मन्दिर के द्वारा वर्तमान में पत्रिका का केवल ऑनलाइन डिजटल संस्करण ई-बुक के रूप में निःशुल्क प्रकाशित किया जा रहा है। प्रस्तुत अंक से कागज पर मुद्रण की भी व्यवस्था हो गयी है। शीघ्र मुद्रित होने के बाद हम सूचनाओं को अद्यतन करेंगे।

प्रस्तुत अंक हनुमानजी से सम्बन्धित प्रामाणिक विवेचनात्मक शोधपरक आलेखों से भरे हुए हैं। देश भर के विभिन्न विद्वानों ने अपना आलेख देकर इस अंक को समृद्ध किया है। सभी लेखकों के प्रति आभार!

यह अंक “सकल अमंगल-मूल निकंदन” यानी सभी विघ्न-बाधाओं की जड़ को ही उखाड़ फेंकने वाले महावीर हनुमानजी को अर्पित है। हनुमानजी के देवत्व स्वरूप की सबसे बड़ी विशेषता है कि वे न केवल शास्त्रों में बल्कि लोक-जन-जीवन में गहराई तक फैले हुए हैं, अतः उनके स्वरूप में व्यापकता है। हम उनके चरित पर यदि लोक तथा शास्त्र से विवरणों का संग्रह करते हैं तो उसका आयाम विशाल हो जाता है। इसी दृष्टि से हमने यथासम्भव शोधपरक आलेखों के संग्रह का प्रयास किया है। इनमें कतिपय आलेख इस अंक में प्रकाशित हैं, शेष अगले अंक में समाविष्ट किये जायेंगे।

अंक संख्या 112 का विवरण : ध्वनि- श्री राजीव नन्दन मिश्र ‘नन्हें’
  • (Title Code- BIHHIN00719),
  • धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका,
  • मूल्य : पन्द्रह रुपये
  • प्रधान सम्पादक  आचार्य किशोर कुणाल
  • सम्पादक भवनाथ झा
  • पत्राचार : महावीर मन्दिर, पटना रेलवे जंक्शन के सामने पटना- 800001, बिहार
  • फोन: 0612-2223798
  • मोबाइल: 9334468400
  • सम्पादक का मोबाइल- 9430676240 (Whtasapp)
  • E-mail: dharmayanhindi@gmail.com
  • Web: www.mahavirmandirpatna.org/dharmayan/
  • पत्रिका में प्रकाशित विचार लेखक के हैं। इनसे सम्पादक की सहमति आवश्यक नहीं है। हम प्रबुद्ध रचनाकारों की अप्रकाशित, मौलिक एवं शोधपरक रचनाओं का स्वागत करते हैं। रचनाकारों से निवेदन है कि सन्दर्भ-संकेत अवश्य दें।

इस अंक से मुद्रण की व्यवस्था हो गयी है। शीघ्र मुद्रित प्रति उपलब्ध करायी जायेगी।

इस अंक के आलेखों के शीर्षक तथा उनके विवरण इस प्रकार हैं-

1.गुरुओं के गुरु श्रीहनुमान- शत्रुघ्नश्रीनिवासाचार्य प. शम्भुनाथ शास्त्री ‘वेदान्ती’

ज्ञानियों में अग्रगण्य, सभी विद्याओं में पारङ्गत महावीर हनुमान श्रेष्ठ गुरु माने गये हैं। वे रामोपासना के तो परम गुरु हैं। अयोध्या में भगवान् श्रीराम ने स्वयं उन्हें श्रीरामतत्त्व का उपदेश किया था। वाल्मीकि-रामायण में उनके कल्याणकारी उपदेशों का वर्णन आया है तथा अध्यात्म रामायण में उनके मुख से ब्रह्मतत्त्व का गम्भीर प्रतिपादन हुआ है। संस्कृत के कतिपय आर्ष-ग्रन्थों के आधार पर हनुमानजी का परम-गुरुत्व यहाँ सिद्ध किया गया है।

2.पराशर-संहिता और सुदर्शन-संहिता में श्रीहनुमान् पूजा की अवतारणा- डा. ममता मिश्र ‘दाशʼ 

किसी ग्रन्थ की प्रामाणिकता तथा प्राचीनता तभी सिद्ध हो सकती है जब या तो उसकी प्राचीन पाण्डुलिपियाँ उपलब्ध हों या वह किसी प्रामाणिक ग्रन्थ में उल्लिखित हो। पाण्डुलिपियों की प्राप्ति-क्षेत्र से उस मान्यता के प्रचार-प्रसार का क्षेत्र निरूपण भी हो जाता है। इस दृष्टि से हनुमत्-उपासना की दो संहिताओं की प्रामाणिकता तथा प्रसार-क्षेत्र के विवेचन के लिए यहाँ पाण्डुलिपि-शास्त्र की विदुषी द्वारा प्रामाणिक विमर्श प्रस्तुत है।

3. श्रीहनुमान के मन्दिर और विग्रह : कतिपय नवज्ञात सन्दर्भ- डा. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’

आदि शंकराचार्य की चौथी पीढ़ी के शिष्य गीर्वाणेन्द्र सरस्वती ने प्रपंचसार की टीका में हनुमानजी के देवत्व का विस्तार से उल्लेख किया है तथा उपासना की विशिष्ट पद्धति का विवरण दिया है। इसके बाद शारदातिलक में लक्ष्मण देशिकेन्द्र तथा उसके व्याख्याकार राघव भट्ट-जैसे आगमशास्त्रियों ने हनुमदुपासना पर पर्याप्त सामग्री दी है। मेरुतुङ्गाचार्य ने प्रबन्ध चिन्तामणि में धारा नगरी में हनुमान मन्दिर का उल्लेख किया है। ऐसे कुछ प्रामाणिक ऐतिहासिक तथ्य यहाँ मिलेंगे।

4. कविता-कुसुम में श्री घनश्यामदास ‘हंस’ के दो गीत

5.संगीत-विद्या के परम गुरु हनुमान्- डा. रामकिशोर झा ‘विभाकर’

हमारे सभी शास्त्र पवित्र हैं, क्योंकि वे किसी न किसी देवता के द्वारा प्रतिपादित हैं। हमारे शास्त्रकारों में “इदन्न मम”– यह मेरा नहीं है– इस भावना से अनुप्राणित होकर किसी न किसी देवता को शास्त्रों के प्रवर्तन का श्रेय दिया है। यह उस देवता का ही ‘कीर्तन’ है कि उनके नाम पर किन-किन शास्त्रों का लेखन हमारे पूर्वजों ने किया है। संगीत-शास्त्र में देसी रागों के निर्धारण को महावीर हनुमानजी से जोड़ा गया है, इसका अर्थ है कि हनुमानजी के व्यक्तित्व को जन-सामान्य से जोड़ा गया है। आधुनिक काल में हनुमानजी को बंदर मानने की भ्रान्ति को भी दूर करता हुआ यह आलेख प्रस्तुत है।

6.    वेङ्कटकवि की संस्कृत-कृतियों में आञ्जनेय हनुमान्- श्री रवि ओझा

ऊत्तक्काड़ वेङ्कट सुब्बैयर 18वीं शती में तमिल साहित्य के महान् सन्त कवि हुए हैं, जिनके कर्णाटक शैली के संस्कृत गीतों के माध्यम से उत्तर तथा दक्षिण भारत का विशिष्ट समन्वय हुआ है। उन्होंने अपने संस्कृत गीतों में, राधा-कृष्ण, गंगा, यमुना, राम-सीता, विष्णु, आदि देवों की कथाओं का सुन्दर सामंजस्य प्रस्तुत किया है। इनकी रचनाओं की विशेषता है कि हमें इनमें अखण्ड भारत की झलक दिखायी देती है। यहाँ कवि के संस्कृत गीतों में वर्णित हनुमान् के प्रसंगों की विवेचना प्रस्तुत है।

7. जन-जन के उपास्य देव हनुमान्- श्री महेश प्रसाद पाठक

रामकथा की मणिमाला के रत्न महावीर हनुमान् हर विघ्न-बाधा को पछाड़कर कार्य सिद्ध करने-कराने वाले हनुमान्, अनन्त बलशाली, असम्भव के भी सम्भव कर देने वाले हनुमान् -ये विरुद तो वाल्मीकि के शब्दों में भी हैं। यही कारण है कि भय, विघ्न, बाधा, चाहे वह व्यक्त से हो या अव्यक्त से, पीड़ित साधारण जनता हनुमानजी को अपने सर्वाधिक निकट पाती रही है। आगम. तन्त्र, यहाँ तक कि शाबर-मन्त्रों में भी हर कार्य की सिद्ध के लिए हनुमानजी स्मरण किये गये हैं। भूत-प्रेत-पिशाच सबसे रक्षा करने में समर्थ हनुमानजी जन-जन के देवता बन चुके हैं, और इनका विविध रूप हो गया है।

8. आगमों में हनुमान्-तत्त्व- श्री अरुण कुमार उपाध्याय

भारतीय चिन्तन का एक धारा देवत्व के साथ ब्रह्मत्व को जोड़ती रही है और उसकी दार्शनिक व्याख्या करती रही है। दार्शनिक व्याख्या करने के क्रम में नाम के साम्य से अथवा नाम के एक अंश के भी साम्य से गुणसाम्य का सिद्धान्त प्रभावी हो जाता है। अतः चिन्तन की यह परम्परा सभी देवताओं को वैदिक देवता मान लेती है और इतिहास गौण हो जाता है। इतिहास जहाँ चरितश्रुति को आधार मानता है वहाँ दार्शनिक विवेचना केवल नामश्रुति को। इस दृष्टि से हनुमानजी का विवेचन यहाँ गम्भीरतापूर्वक किया गया है।

9.    ‘सुन्दरकाण्ड’ में हनुमान का अर्थतात्त्विक अध्ययन- डा. विजय विनीत

मोटे तौर पर हम कह देते हैं कि ये दोनों शब्द एक-दूसरे के पर्याय हैं। लेकिन जब हम शब्दों का सूक्ष्म विवेचन करते हैं, तो सभी शब्द अपना-अपना पृथक् विशिष्ट अर्थ देते दिखाई पड़ते हैं। यह शाब्दबोध हर शब्द का अलग होता है। रामचरितमानस के सुन्दरकाण्ड हनुमानजी के लिए जितने शब्द पर्याय के रूप में व्यवहृत हैं उनके स्वतन्त्र शाब्दबोध की क्या विशेषता है, इस पर यह आलेख प्रस्तुत है।

10. ‘श्रीरामचरितमानस’ में हनुमानजी के उपदेशात्मक वचन- डा. नागेन्द्र कुमार शर्मा

अनेक आगम-ग्रन्थों के अवलोकन से यह सिद्ध हो चुका है कि महावीर हनुमान् आध्यात्मिक रूप से ऋषियों तथा मुनियों को रामोपासना का उपदेश करनेवाले परम गुरु हैं। उनकी आज्ञा के विना श्रीराम की शरण में प्रवेश नहीं हो सकता। साथ ही, हनुमानजी हमेशा सबको कल्याणकारी उपदेश देते रहे हैं। चाहे व रावण ही क्यों न हो, जब वे रावण के दरबार में पहुँचते हैं तो वहाँ भी वे उपदेष्टा बन जाते हैं। सत्परामर्श देते हुए हनुमानजी रामचरितमानस में सर्वत्र दिखाई पड़ते हैं। उनके इसी उपदेशक स्वरूप को यहाँ प्रस्तुत किया गया है।

11. श्रीकृष्ण बाललीला अवस्था विमर्श- शत्रुघ्नश्रीनिवासाचार्य प. शम्भुनाथ शास्त्री ‘वेदान्ती’

भगवान् श्रीकृष्ण की लीलाओं के समय उनकी क्या अवस्था थी, इस पर पिछले अंक में हमने उनके जन्म की पृष्ठभूमि का रसास्वादन किया। तीन अंकों में समाप्य इस कृष्ण कथा में इस अंक में जन्म, गोकुल गमन, अगले दिन गोकुल में महोत्सव तथा पूतनावध के समय उनकी अवस्था का वर्णन किया गया है। वर्तमान में रासलीला के समय श्रीकृष्ण की छवि युवावस्था की दिखायी जाती है तथा शृंगारमय चित्रण किया जाता। लेकिन भागवत की कथा से प्रमाणित होता है कि आठ वर्ष की उम्र से पूर्व ही उनकी गोकुल-लीला सम्पन्न हो गयी है।

12. सामाजिक सौहार्द की पताका : महावीरी झंडा- श्री लक्ष्मीकान्त मुकुल

महावीर हनुमान् रामकथा की व्यापकता के कारण तथा अपनी लोकरक्षा शक्ति के कारण जन-जन के देवता बन चुके हैं। वे केवल रामकथा में नहीं, आगम-साहित्य, लोकगाथा, यहाँ तक कि शाबर मन्त्रों में भी सबकी रक्षा करनेवाले, सबका विघ्न हरण करनेवाले देवता बन चुके हैं। अतः जहाँ हनुमानजी हैं, वहाँ सारे सामाजिक, धार्मिक तथा साम्प्रदायिक भेद-भाव समाप्त हो जाते है और सामाजिक सौहार्द की धारा बह जाती है। महावीरी झंडा की परम्परा आज भी इसका उदाहरण है। लेखक ने एक रिपोर्ताज प्रस्तुत किया है।

13. धरोहर– पारम्परिक छठ-गीत, संकलनकर्ता- श्री राजीव नन्दन मिश्र ‘नन्हें’

हम सब इस बात का अनुभव करते हैं कि हमारी प्राचीन संस्कृति जो अनेक शतीब्दियों से लोककण्ठ में सुरक्षित थी, टी.वी., सिनेमा आदि मनोरंजन के साधनों से लुप्त होती जा रही है। अब पारम्परिक लोकगीतों के स्थान पर सिनेमा के गीत गाये जा रहे हैं। अतः 60 वर्ष से ऊपर की वृद्धा महिलाओं के मुँह से सुनकर पारम्परिक गीतों के संकलन आज अपेक्षित हो गया है। इस कड़ी में पढिये छठ-गीत।

14. पुस्तक समीक्षा “नदीश्वरी गंगा”, लेखिका- श्रीमती पद्मिनी श्वेता सिंह, समीक्षक- श्री अरुण कुमार उपाध्याय

15. महावीर मन्दिर समाचार (अक्टूबर, 2021ई.)

इस स्थायी स्तम्भ के अंतर्गत आश्विन मास में महावीर मन्दिर के द्वारा जनहित में किये गये कार्यों का विवरण है। इसी अवधि में महावीर इन्स्टिट्यूट ऑफ गैस्ट्रो इन्ट्रोलाजी का उद्घाटन हुआ है तथा महावीर हार्ट हास्पीटल में डायलिसिस की सुविधा भी शुरू की गयी है। मन्दिर में सम्पन्न शारदीय नवरात्र के पूजा-पाठ एवं उत्सव का भी सचित्र समाचार प्रकाशित है।

16. व्रत-पर्व कार्तिक, 2078 वि. सं. (21 अक्टूबर–19 नवम्बर 2021ई.)

17.  रामावत संगत से जुड़ें

महावीर मन्दिर, पटना के द्वारा जगद्गुरु रामानन्द के सामाजिक समरसता के सिद्धान्त पर रामावत संगत की स्थापना 2014 ई. में की गयी है। इसके अंतर्गत दीक्षा के द्वारा समाज को जोड़ने का एक आन्दोलन आरम्भ किया गया है। इस दीक्षा की विशेषता है कि इसमें दीक्षा-गुरु स्वयं हनुमानजी होते हैं। इस रामावत संगत से कैसे जुडें, इसके लिए निर्देश भी यहाँ प्रकाशित किया गया है।

18. स्वामी बालानन्द जी और महावीर मन्दिर, पटना- आचार्य किशोर कुणाल

आचार्य किशोर कुणाल ने महावीर मन्दिर पटना की स्थापना के इतिहास पर प्रामाणिक स्रोतों के द्वारा विवेचन किया है तथा इसकी स्थापना से सम्बन्धित भ्रान्तियों को दूर किया है।

अंक 111- 120, धर्मायण पत्रिका
Dharmayan, Dharmayana, Mahavir Mandir, धर्मायण अंक 112, मन्दिर का इतिहास, महावीर, महावीर मन्दिर पटना, शोध आलेख, हनुमान
March 11, 2023धर्मायण, अंक संख्या 129, रामचरितमानस अंक
आज इसी मशीन की शैली में रामचरितमानस की दुर्व्याख्याएँ हो रही हैं। …
February 5, 2023धर्मायण, अंक संख्या 128, <strong>संवत्सर</strong>-विशेषांक
अंक 128, फाल्गुन, 2079 वि. सं., 6 फरवरी, से 7 मार्च, 2023ई …
December 23, 2022धर्मायण, अंक संख्या 127, वायु-विशेषांक
व्यवहार में भी हम देखते हैं कि कुछ संकेंड के लिए यदि …
December 23, 2022धर्मायण के सभी विशेषांक
महावीर मन्दिर की पत्रिका धर्मायण का प्रकाशन इस वित्तीय वर्ष में मासिक …
  • लेखकों के लिए तकनीकी सहायता
  • सम्पर्क
  • हमारे रचनाकार
TagsDharmayanDharmayanaMahavir Mandirधर्मायण अंक 112मन्दिर का इतिहासमहावीरमहावीर मन्दिर पटनाशोध आलेखहनुमान
Previous Article

डॉ० रामकिशोर झा ‘विभाकर’

Next Article

डा. नागेन्द्र कुमार शर्मा

0
Shares
  • 0
  • +
  • 0
  • 0
  • 0
  • 0

सम्पादक-धर्मायण पत्रिका-महावीर मन्दिर, पटना

सम्पादक, धर्मायण पत्रिका

Related articles More from author

  • अंक 81-90धर्मायण पत्रिका

    Dharmayan vol. 81

    May 10, 2020
    By admin
  • articles, Dharmayan vol. 111
    शोध आलेख

    सम्पादकीय “आश्विन मास, इतिहास तथा पुराणों के सन्दर्भ में” पण्डित भवनाथ झा

    September 20, 2021
    By सम्पादक-धर्मायण पत्रिका-महावीर मन्दिर, पटना
  • articles, Dharmayan vol. 111
    शोध आलेख

    आलेख संख्या- 3. “यत् पिण्डे तद् ब्रह्माण्डे” लेखक डा. ललित मोहन जोशी

    September 20, 2021
    By सम्पादक-धर्मायण पत्रिका-महावीर मन्दिर, पटना
  • कार्तिक, 2078 मास
    अंक 111- 120धर्मायण पत्रिका

    लेखकों से निवेदन, शोधपरक आलेख आमन्त्रित, लेखकों को दी जाती है सम्मान-राशि।

    September 21, 2021
    By सम्पादक-धर्मायण पत्रिका-महावीर मन्दिर, पटना
  • articles, Dharmayan vol. 111
    शोध आलेख

    आलेख संख्या- 7. “आरोग्य धाम-अश्विनी कुमार” लेखक श्री महेश प्रसाद पाठक

    September 20, 2021
    By सम्पादक-धर्मायण पत्रिका-महावीर मन्दिर, पटना
  • “धर्मायण” की अंक संख्या 82
    अंक 81-90धर्मायण पत्रिका

    Dharmayan vol. 82

    May 10, 2020
    By admin

Leave a reply Cancel reply

  • शोध आलेख

    Sarasvati in Vedic Mythology

  • Dharmayan cover 114
    अंक 111- 120धर्मायण पत्रिका

    धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक

  • Research articles in Dharmayan vol.108
    शोध आलेख

    5.श्रीजगन्नाथ और भक्तकवि सालबेग- डा. ममता मिश्र ‘दाशʼ

धर्मायण में प्रकाशित आलेख खोज करें

धर्मायण अंक 1-120 तक

धर्मायण की अंक संख्या 1 से 120 तक के सभी आलेखों की सूची दी गयी है। आलेख के सामने लेखक का नाम तथा अंक संख्या का भी उल्लेख किया गया है।

आलेख खोजें

संरक्षक- आचार्य किशोर कुणाल

आचार्य किशोर कुणाल

आचार्य किशोर कुणाल, सचिव, महावीर मन्दिर पटना (बिहार)

सम्पादक- पं. भवनाथ झा

पं. भवनाथ झा, प्रकाशन प्रभारी, महावीर मन्दिर, पटना

पत्रिका का अंक खोजें

धर्मायण पत्रिका के लिए वितरक की आवश्यकता

धर्मायण पत्रिका के लिए विभिन्न शहरों में पत्रिका वितरकों की आवश्यकता है। इच्छुक वितरक dharmayanhindi@gmail.com पर सम्पर्क कर सकते हैं। धर्मायण चूँकि स्थायी महत्त्व की पत्रिका है अतः इसके पुराने अंक की भी बिक्री सम्भव है। दुकानदार/एजेंसी सम्पर्क कर सकते हैं।

यदि कोई स्थानीय मन्दिर-प्रबन्धन इसके वितरण हेतु इच्छुक हों, तो उनका स्वागत है।

नये पोस्ट की सूचना ईमेल से पायें!

Loading

धर्मायण पत्रिका

महावीर मन्दिर पटना से धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की मासिक पत्रिका धर्मायण का प्रकाशन 1990 ई. से किया जा रहा है। इस पत्रिका में सनातन धर्म के उदात्त मानवीय मूल्यों का विवेचन किया जाता रहा है। इन आलेखों के माध्यम से सामाजिक समरसता, धार्मिक शुचिता तथा उदार प्रवृत्तियों का प्रकाशन किया जाता है।

  • 0
  • 1
  • 1,796
  • 22,144

धर्मायण के पुराने अंक

धर्मायण के पुराने अंकों के पी.डी.एफ. फाइल डाउनलोड  करने अथवा पढने हेतु यहाँ क्लिक करें।

कापीराइट



इस वेबसाइट के सर्वाधिकार सुरक्षित हैं। शैक्षणिक उद्देश्य से सन्दर्भ सहित उद्धरण के अतिरिक्त महावीर मन्दिर, पटना की लिखित अनुमति के विना इसके किसी भी अंश की फोटोकॉपी एवं रिकार्डिंग सहित इलेक्ट्रॉनिक अथवा मशीनी, किसी भी माध्यम से अथवा ज्ञान के संग्रहण एवं पुनः प्रयोग की प्रणाली द्वारा, किसी भी रूप में पुनरुत्पादित अथवा संचारित-प्रसारित नहीं किया जा सकता है।

संपर्क करें

महावीर मन्दिर
पटना रेलवे स्टेशन के समीप
पिन : 800001
दूरभाष : 09430676240
मोबाइल/व्हाट्सप्प : +91 9334468400
ईमेल : dharmayanhindi@gmail.com

  • Recent

  • Popular

  • Comments

  • धर्माय़ण अंक संख्या 129

    धर्मायण, अंक संख्या 129, रामचरितमानस अंक

    By सम्पादक-धर्मायण पत्रिका-महावीर मन्दिर, पटना
    March 11, 2023
  • धर्मायण, अंक संख्या 128, संवत्सर-विशेषांक

    By सम्पादक-धर्मायण पत्रिका-महावीर मन्दिर, पटना
    February 5, 2023
  • धर्मायण, अंक संख्या 127, वायु-विशेषांक

    By सम्पादक-धर्मायण पत्रिका-महावीर मन्दिर, पटना
    December 23, 2022
  • धर्मायण के सभी विशेषांक

    By सम्पादक-धर्मायण पत्रिका-महावीर मन्दिर, पटना
    December 23, 2022
  • Dharmayan cover 126

    धर्मायण, अंक संख्या 126, आगम विशेषांक

    By सम्पादक-धर्मायण पत्रिका-महावीर मन्दिर, पटना
    December 9, 2022
  • Dr. Sudarshan Shrinivas Shandilya

    By admin
    May 22, 2020
  • श्री राजीन नन्दन मिश्र नन्हें

    श्री राजीव नन्दन मिश्र ‘नन्हें’

    By सम्पादक-धर्मायण पत्रिका-महावीर मन्दिर, पटना
    April 27, 2021
  • Dr. Mamata Misgra Dash

    Dr. Mamata mishra

    By सम्पादक-धर्मायण पत्रिका-महावीर मन्दिर, पटना
    February 23, 2021
  • डा. लक्ष्मीकान्त विमल

    Dr. Lakshmikant Vimal

    By सम्पादक-धर्मायण पत्रिका-महावीर मन्दिर, पटना
    April 1, 2021
  • अरुण कुमार उपाध्याय

    Arun Kumar Upadhyay

    By admin
    May 7, 2020
  • is generic cialis available
    on
    December 11, 2022

    कबीर दास के गुरु कौन थे?

    Pretty! This has been ...
  • rocket league car hitboxes
    on
    October 25, 2022

    व्रत-पर्व, वैशाख, 2078 संवत्, 28 अप्रैल-26 मई, 2021ई

    Hello! I'm at work ...
  • generic cialis no prescription
    on
    October 14, 2022

    व्रत-पर्व, वैशाख, 2078 संवत्, 28 अप्रैल-26 मई, 2021ई

    We are a group ...
  • Aman Rai
    on
    July 3, 2022

    महावीर मन्दिर प्रकाशन

    Mandir ke book store ...
  • सम्पादक-धर्मायण पत्रिका-महावीर मन्दिर, पटना
    on
    March 21, 2022

    महावीर मन्दिर प्रकाशन

    सत्यनारायणपूजाप्रकाश की डिजिटल कापी ...

चित्र दीर्घा

धर्मायण अंक संख्या 104 आवरण
धर्मायण अंक 103 आवरण चित्र
विश्वस्य वृत्तान्तः धर्मायण समाचारः
Dharmayan vol. 101

धर्मायण अंक संख्या 100 का मुखपृष्ठ
धर्मायण अंक संख्या 99
धर्मायण अंक संख्या 98
धर्मायण अंक 97

Follow us

  • धर्मायण पत्रिका
  • हमारे रचनाकार
  • अंक 81-90
  • अंक 91-100
  • अंक 101-110
  • अंक 111- 120
  • अंक 121-130
  • वेद-पाठ
  • सम्पर्क
सर्वाधिकार © 2020 श्री महावीर स्थान न्यास समिति द्वारा सभी अधिकार सुरक्षित