धर्मायण के सभी अंकों में प्रकाशित आलेखों की सूची- खोज करें
धर्मायण की अंक संख्या 1 से 120 तक के सभी आलेखों की सूची दी गयी है। आलेख के सामने लेखक का नाम तथा अंक संख्या का भी उल्लेख किया गया है।
लेखक का नाम | शीर्षक | अंक संख्या | ||
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A.R. Khan, Prof. | In the Name of History | अंक 01 | ||
अजय कुमार अलंकार | अयोध्या मन्दिर-मस्जिद विवाद इतिहास क्या कहता है | अंक 01 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | सागर भी प्यासा है | अंक 01 | ||
उमाशंकर वर्मा | पुस्तक समीक्षा- वीरवर कुंअर सिंह | अंक 01 | ||
एस.एस. झा, डा. | फिजियोथेरापी और स्वास्थ्य | अंक 01 | ||
कयासुद्दीन अहमद | इस्लाम और मुसलमान | अंक 01 | ||
कामेश्वर चौपाल | हनुमानजी का जन्म-स्थान: अंजन ग्राम - | अंक 01 | ||
काशीनाथ मिश्र | समन्वय का दिव्य संगीत-गीता | अंक 01 | ||
किशोर कुणाल | सीता-निर्वासन एक विश्लेषण | अंक 01 | ||
किशोर कुणाल | हम एक सौ पाँच भाई हैं | अंक 01 | ||
किशोर कुणाल | महावीर विनवउँ हनुमाना | अंक 01 | ||
किशोर कुणाल | कवष ऐलूष | अंक 01 | ||
किशोर कुणाल | इतिहास-लेखन | अंक 01 | ||
किशोर कुणाल | टीपू सुल्तान - देशभक्ति दूसरा नाम | अंक 01 | ||
गुणावन्त शाह | सच्चा चक्रवर्ती | अंक 01 | ||
जहीर नियाजी | हमार माटी के हमरे माटी दीह | अंक 01 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | भरत की सौगन्ध | अंक 01 | ||
जियालाल आर्य | जय बिरसा | अंक 01 | ||
देवेन्द्र नाथ शर्मा | महादेवी जी के सानिध्य में | अंक 01 | ||
प्रफुल्लचन्द्र ओझा | प्रथम स्पर्श | अंक 01 | ||
बलबीर सिंह भसीन | खालस मेरो रूप है खास | अंक 01 | ||
बाबू रघुवीर नारायण | बटोहिया | अंक 01 | ||
बी.पी. सिन्हा, प्रो. | महाभारत-रामायण बनाम पुरातत्व | अंक 01 | ||
मणिकान्त ठाकुर | सनातन धर्म की विकास-यात्रा में सिख पन्थ | अंक 01 | ||
महायोगी अरविन्द | हिन्दू धर्म और भारत का मिशन | अंक 01 | ||
रामधारी सिंह दिनकर | अमीर खुसरो की भारत-भक्ति | अंक 01 | ||
लक्ष्मीनारायण सिंह | धर्म और अध्यात्म | अंक 01 | ||
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक | सत्य-मीमांसा | अंक 01 | ||
विवाकानन्द वाणी | विश्व-धर्म-महासभा में विवेकानन्द का प्रवचन | अंक 01 | ||
विश्वनाथ प्रसाद वर्मा | स्वामी दयानन्द | अंक 01 | ||
विष्णु प्रभाकर | धर्म-निरपेक्षता मेरी नजर में | अंक 01 | ||
शंकर दयाल सिंह | तुलसी-भक्त एक ईसाई सन्त | अंक 01 | ||
शारदा प्रसादजी भण्डारी | खुदीराम बोस | अंक 01 | ||
शिवपूजन सहाय | वीर बालकों का बलिदान | अंक 01 | ||
संकलित | मातृभूमि-सूक्त | अंक 01 | ||
संकलित | शिव-स्तव | अंक 01 | ||
संकलित | भूखा भी भगवान् है | अंक 01 | ||
संकलित | भगवान् बुद्ध और अंगुलिमाल | अंक 01 | ||
संकलित | आध्यात्मिक जागरण | अंक 01 | ||
संकलित | सज्जनता का दण्ड | अंक 01 | ||
संकलित | महर्षि चरक की शपथ | अंक 01 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय सम्मति | अंक 01 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | हनुमानजी के सम्बन्ध में भ्रांति | अंक 01 | ||
सीताराम झा ‘श्याम’ | हनुमद् वन्दना | अंक 01 | ||
सीताराम झा ‘श्याम’ | पुस्तक समीक्षा मारुति शतकम् | अंक 01 | ||
हरिजन पत्रिका से संकलित | समग्र शिक्षा | अंक 01 | ||
हरिश्चन्द्र प्रसाद सौम्य | मानस महिमा | अंक 01 | ||
हीरानन्द शास्त्री | धर्म-एक सरल विश्लेषण | अंक 01 | ||
आभास कुमार चटर्जी | रामजन्म भूमि: कुछ और प्रमाण | अंक 02 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | मन्दिर के द्वार पर (कविता) | अंक 02 | ||
आल्हा काव्य से | देवी-सुमिरनी (कविता) | अंक 02 | ||
ए.आर.खाँ | इतिहास की वेदी पर | अंक 02 | ||
कल्हण किशोर | रामकथा की विकास यात्र | अंक 02 | ||
किशोर कुणाल | राम जासु जस आप बखाना | अंक 02 | ||
किशोर कुणाल | सन्त रविदास सामाजिक समता सन्देशवाहक | अंक 02 | ||
किशोर कुणाल | अमर शहीद राम प्रसाद ‘बिस्मिल’ | अंक 02 | ||
किशोर कुणाल | शूद्र राजा जानश्रुति एवं रैक्व ऋषि का उपाख्यान | अंक 02 | ||
किशोर कुणाल | इतिहास की गुहार: इतिहासकारों के नाम | अंक 02 | ||
कुमारी किरणजीत | श्रीगुरु ग्रन्थ साहिब: एकता का सूत्र | अंक 02 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | आदिकवि के राम | अंक 02 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | ज्योति प्रपात (कविता) | अंक 02 | ||
जियालाल आर्य | संताल विद्रोह के अमर नायक सीधू-कानू | अंक 02 | ||
देवेन्द्र नाथ शर्मा | रामचरित मानस में वीरतत्त्व | अंक 02 | ||
फादर कामिल बुल्के | परोपकार ( ईसा- जीवन और दर्शन से) | अंक 02 | ||
बृहदारण्यक उपनिषद् से | उपनिषत् कथा | अंक 02 | ||
महात्मा गाँधी | गीता की महिमा | अंक 02 | ||
याकूब मसीह | इस्लाम की नीति | अंक 02 | ||
राजेन्द्र राम | अयोध्या का ऐतिहासिक सर्वेक्षण | अंक 02 | ||
रामधारी सिंह दिनकर | हिन्दू पराधीन क्यों हुए? | अंक 02 | ||
विवेकानन्द वाणी | बौद्धधर्म: हिन्दूधर्म की निष्पत्ति | अंक 02 | ||
विश्वनाथ प्रसाद वर्मा | दयानन्द का सामाजिक और राजनीतिक दर्शन | अंक 02 | ||
विष्णु प्रभाकर | तीर्थाटन और मिथकीय परम्परा | अंक 02 | ||
शिवपूजन सहाय | तुलसीदास के पूर्णावतार राम | अंक 02 | ||
श्रीरंग शाही | साधक सन्त कवि कबीरदास | अंक 02 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | पुस्तक समीक्षा (श्यामा संगीत) | अंक 02 | ||
संकलित | मातृभूमि-सूक्त | अंक 02 | ||
संकलित | वासवदत्ता और उपगुप्त | अंक 02 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय सम्मति | अंक 02 | ||
सम्पादक-मण्डल | राम की अयोध्या और गोस्वामी तुलसीदास | अंक 02 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा | अंक 02 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | रामावतार (रघुवंश से) | अंक 02 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | ठुमुकि चलत रामचन्द्र | अंक 02 | ||
अप्पय दीक्षित कृत | शिव शरणागति | अंक 03 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | वरहा बाबा की पुण्य स्मृति में | अंक 03 | ||
आल्हा काव्य से | शिव विनय | अंक 03 | ||
किशोर कुणाल | लोकनायक तुलसीदास | अंक 03 | ||
किशोर कुणाल | श्रेष्ठ कौन | अंक 03 | ||
किशोर कुणाल | अयोध्या: समस्याएँ एवं समाधान | अंक 03 | ||
किशोर कुणाल | शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द रस्वती | अंक 03 | ||
कृष्णनन्दन प्रसाद ‘अभिलाषी’ | श्रीराम क्या हैं | अंक 03 | ||
कैलाशनाथ तिवारी | सर्वधर्मसमन्वय और श्रीरामकृष्ण देवद | अंक 03 | ||
जयकान्त मिश्र | वाल्मीकि रामायण में सीता | अंक 03 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | शङ्कर-स्तुति गीत | अंक 03 | ||
तुलसीदास | हनुमद्-बन्दीमोचन स्तुति | अंक 03 | ||
देवेन्द्र नाथ शर्मा | तुलसी के अध्ययन की पीठिका | अंक 03 | ||
नगेन्द्र, डा. | तुलसीदास की काव्य-भाषा | अंक 03 | ||
फादर कामिल बुल्के | जावा की अर्वाचीन राम-कथाएँ | अंक 03 | ||
महावीर प्रसाद द्विवेदी | शिवाष्टक | अंक 03 | ||
योगेन्द्र मिश्र | प्राचीन पाटलिपुत्र | अंक 03 | ||
रघुनाथ प्रसाद ‘विकल’ | अमर शहीद कर्तार सिंह सराभा | अंक 03 | ||
रामजी सिंह | महात्मा गाँधी के राम | अंक 03 | ||
रामधारी सिंह दिनकर | सिखधर्म | अंक 03 | ||
राममनोहर लोहिया | रामकथा और भारतीय संस्कृति | अंक 03 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | धनु-संस्कृति और वेणु-संस्कृति | अंक 03 | ||
लाल नारायण सिंह | रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद: सत्य के परिप्रेक्ष्य में | अंक 03 | ||
विविध कवियों की पंक्तियाँ | तुलसी प्रशस्ति | अंक 03 | ||
विष्णु प्रभाकर | समन्वय एवं संस्कृति | अंक 03 | ||
वीरेन्द्र झा | देश-विदेश में सर्प पूजा | अंक 03 | ||
शिवपूजन सहाय | तुलसी की भक्ति | अंक 03 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | पुस्तक समीक्षा आदि भागीरथी | अंक 03 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | वसुदेवहिण्डी की रामायण (अनुवाद) | अंक 03 | ||
संकलित | बौद्ध कथा | अंक 03 | ||
संकलित | कुरानशरीफ और बाइबिल से | अंक 03 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय सम्मति विविध धार्मिक प्रसंग | अंक 03 | ||
साधुशरण सिंह सुमन | मधुमय देश हमारा | अंक 03 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द सम्पदा | अंक 03 | ||
स्कन्दपुराण ब्रह्मोत्तर खण्ड से | शिव कवच | अंक 03 | ||
स्कन्दपुराण ब्रह्मोत्तर खण्ड से | दारिद्र्यदहन स्तोत्र | अंक 03 | ||
स्कन्दपुराण से | श्रीराम-जन्मभूमि-माहात्म्य | अंक 03 | ||
स्वामी दयानन्द सरस्वती | आत्म-कथा | अंक 03 | ||
अखिलेश झा | भारत-नेपाल-सौहार्द की सांस्कृतिक भूमि: जनकपुरधाम | अंक 04 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | श्रीकृष्ण-चेतना (कविता) | अंक 04 | ||
कोएन्राद एलस्त | राम-जन्मभूमि: परम्परा के साक्ष्य | अंक 04 | ||
गणेश, आचार्य | रामचरितमानस में भत्तप्रवर हनुमानजी | अंक 04 | ||
जगदीश गुप्त | कृष्णलीला के चित्रण में सान्तता और अनन्तता | अंक 04 | ||
जयकान्त मिश्र | वाल्मीकीय रामायण में सीता (समापन-किस्त) | अंक 04 | ||
जयकान्त मिश्र | पुस्तक-समीक्षा श्री भारतज्ञान पदावली | अंक 04 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | राम-कृष्ण | अंक 04 | ||
न. नागप्पा प्रो. | कन्नड़-साहित्य में वर्णित श्रीकृष्ण | अंक 04 | ||
नजीर मुहम्मद | उर्दू-काव्य में कृष्णकथा | अंक 04 | ||
निशान्तकेतु | पंचशील का शब्दार्थ-दर्शन और इतिहास-चक्र | अंक 04 | ||
प्रताप नारायण | ‘बटोहिया’ के गायक अमर कवि बाबू रघुवीर नारायण | अंक 04 | ||
फादर कामिल बुल्के | बाइबिल के अनमोल बोल: प्रार्थना ( ईशा जीवन और दर्शन से) | अंक 04 | ||
मनोरंजन प्रसाद सिंह | प्रथम भारतीय स्वाधीनता-संग्राम 1857 के सेनानी वीर कुँअर सिंह (कविता) | अंक 04 | ||
योगानन्द चौधरी | रामनाम सब धरम में | अंक 04 | ||
रघुनाथ प्रसाद ‘विकल’ | क्रान्तिवीर रासबिहारी बोस | अंक 04 | ||
रामनारायण मिश्र | जिन आँखिन में वह रूप बस्यो उन आँखिन सौ अब देखिये का | अंक 04 | ||
राहुल सांकृत्यायन | सूफी-सम्प्रदाय | अंक 04 | ||
लीलांशुक | कृष्णभक्त कवि लीलाशुक-कृत श्रीकृष्ण-स्तुति | अंक 04 | ||
विक्रमादित्य मिश्र | जीवन का चरम लक्ष्य: चरित्र-निर्माण | अंक 04 | ||
विजय विनीत | ‘हनुमान्’ शब्द की अर्थस्तरीय समतामूलक समान्तरता | अंक 04 | ||
विद्यासागर सिंह | धर्म का वास्तविक स्वरूप | अंक 04 | ||
शिवपूजन सहाय | श्रीकृष्ण की मुस्कान | अंक 04 | ||
श्यामसुन्दर घोष | तुलसी: लोहिया की दृष्टि में | अंक 04 | ||
श्रीमत्स्वामी जयेन्द्र सरस्वती | ब्रह्म-साक्षात्कार का मार्ग: कर्ममार्ग | अंक 04 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | भारत-भावपुरुष श्रीकृष्ण: वैष्णव और जैन चिन्तन | अंक 04 | ||
संकलित | मातृभूमि-सूक्त | अंक 04 | ||
संकलित | महाभारत का तत्त्वद्रष्टा: बर्बरीक | अंक 04 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय सम्मति | अंक 04 | ||
सूर्यदेव सिंह | भरत-चरित्र | अंक 04 | ||
स्वामी विवेकानन्द | हिन्दू धर्म (स्वामी विवेकानन्द का शिकागो-भाषण) | अंक 04 | ||
हरमहेन्दर सिंह वेदी | गुरु गोविन्द सिंहजी का जीवन-दर्शन | अंक 04 | ||
अरविन्द कुमार सिंह | गंगा और बनारस | अंक 05 | ||
आद्य शंकराचार्य | कल्याणवृष्टिस्तोत्र | अंक 05 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | शक्ति-संकल्प (कविता) | अंक 05 | ||
आशा कपूर | भारतीय संस्कृति की अवधारणा | अंक 05 | ||
ईश्वर दयाल | पारसी धर्म: वैदिक धर्म | अंक 05 | ||
उपेन्द्र ठाकुर | हिन्देशिया में सनातन धर्म | अंक 05 | ||
कमलाकान्त पाठक | तुलसी-साहित्य में भारतीय दर्शन | अंक 05 | ||
किशोर कुणाल | शब्द-सम्पदा | अंक 05 | ||
कृष्णगोपाल माथुर | प्रखर प्रज्ञा के प्रतिरूप पं. श्रीराम शर्मा आचार्य | अंक 05 | ||
जगदीश शुक्ल, आचार्य | गीता का भक्तियोग | अंक 05 | ||
जयकान्त मिश्र | आदिशक्ति | अंक 05 | ||
जयनारायण मल्लिक | प्रपत्ति का मार्ग | अंक 05 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | राम की शक्तिपूजा | अंक 05 | ||
परमानन्द पाण्डेय | भवानी-स्तव | अंक 05 | ||
प्रफुल्ल कुमार सिंह 'मौन' | नेपाल का रामकाव्य | अंक 05 | ||
बमबम सिंह नीलकमल | तुलसी-प्रयुक्त राम की ‘ब्रह्म’ संज्ञा का निरूपण | अंक 05 | ||
रघुनाथ प्रसाद ‘विकल’ | अमर शहीद वासुदेव बलवन्त फड़के | अंक 05 | ||
रमेश नीलमल | या देवी सर्वभूतेषु | अंक 05 | ||
रामजी पाण्डेय | आँखों की रक्षा कीजिए | अंक 05 | ||
रामधारी सिंह दिनकर | प्राचीन भारत और बाह्य विश्व | अंक 05 | ||
रामनरेश सिंह | जीव, जगत् और जगत्पति | अंक 05 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | श्रेय और प्रेय:जीवन के दो पक्ष | अंक 05 | ||
वालगंगाधर तिलक | धर्म-मीमांसा | अंक 05 | ||
विजय विनीत | ‘पार्वती’ का अर्थपरक अध्ययन | अंक 05 | ||
विश्वनाथ प्रसाद वर्मा | स्वामी विवेकानन्द | अंक 05 | ||
विष्णु प्रभाकर | दक्षिण-पूर्व एशिया में भारतीय संस्कृति | अंक 05 | ||
वीरेन्द्र झा | बुद्ध और उनके अन्तिम उपदेश | अंक 05 | ||
शिवपूजन सहाय | सन्त और गाय | अंक 05 | ||
श्यामनन्दन सहाय सेवक | माँ भवानी से | अंक 05 | ||
श्यामसुन्दर घोष | कबीर का 'देस' | अंक 05 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | पुस्तक-समीक्षा साहित्यिक पत्रकारिता की क्रोशशिला 'बेला' | अंक 05 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | जैन: बोधकथाएँ | अंक 05 | ||
सत्येन्द्र अरुण | तुलसीदास का आदर्श भारतीय समाज | अंक 05 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय सम्मति | अंक 05 | ||
साधुशरण सिंह सुमन | आर्यावर्त की समन्वयवादी संस्कृति के संवाहक कवि | अंक 05 | ||
अजय कुमार अलंकार | सन् सत्तावन का विद्रोह भारतीय स्वतन्त्रता का प्रथम संग्राम | अंक 06 | ||
अमरकान्त कुमार | मिथिला लोकचित्र में कृष्णलीला | अंक 06 | ||
आद्य शंकराचार्य | कनकधारा स्तोत्र | अंक 06 | ||
आनन्द नारायण शर्मा | स्वामी विवेकानन्द का शैक्षिक दृष्टिकोण | अंक 06 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | राम-नाम सत्य है | अंक 06 | ||
ईश्वर दयाल | पारसीधर्म और जरथुष्ट | अंक 06 | ||
किशोर कुणाल | सत्यकाम जाबाल | अंक 06 | ||
किशोर कुणाल | ईश्वरीय अनुभूति | अंक 06 | ||
कुणाल कुमार | परहित सरिस धरम नहिं भाई | अंक 06 | ||
जगदीश प्रसाद सिन्हा | मानस में वेद महिमा | अंक 06 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | कुन्द-माला | अंक 06 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | पुस्तक-समीक्षा श्रीमद्भागवत-स्तोत्रों के आधार -शास्त्रीय अनुशीलन | अंक 06 | ||
नन्दकुमार मिश्र | वाल्मीकीय रामायण में भक्ति का स्वरूप | अंक 06 | ||
नलिनविलोचन शर्मा | वेद में विष्णु | अंक 06 | ||
नागेश्वर सिंह ‘शशीन्द्र’ | राधाभावना का विकास | अंक 06 | ||
बहादुर मिश्र | हिन्दी काव्य में हनुमत्स्वरूप | अंक 06 | ||
मधुकरलालजी महाराज, आचार्य गोस्वामी | श्रीराधातत्त्व चिन्तन | अंक 06 | ||
रामकृष्ण प्रसाद मिश्र | अर्थगूढ़ भाषा के श्रेण्य कवि | अंक 06 | ||
रामधारी सिंह दिनकर | भक्ति आन्दोलन और इस्लाम | अंक 06 | ||
रामानन्द शुक्ल | कार्तिक मास का माहात्म्य दीपमालिका एवं अन्य पर्वों के सन्दर्भ में | अंक 06 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | श्रीकृष्ण की अवतार-लीला का प्रतीकार्थ | अंक 06 | ||
लालमोहर सिंह | गुरुमुखी लिपि में रामकाव्य | अंक 06 | ||
विजयानन्द त्रिपाठी, मानस-राजहंस पण्डित | मानस की तिथि-तालिका | अंक 06 | ||
शिवपूजन सहाय | राम नाम सुमिरन | अंक 06 | ||
शिववंश पाण्डेय | तुलसीदास की अहिंसा अवधारणा | अंक 06 | ||
श्यामसुन्दर घोष | कबीर: भेदक रचनाशील दृष्टि | अंक 06 | ||
श्रीरंग शाही | रूप की राधिका मीरा | अंक 06 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | शलाकापुरुष कृष्ण | अंक 06 | ||
संकलित | नीति-कथा | अंक 06 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय सम्मति कालचिरैया चुग रही निसदिन आयू खेत | अंक 06 | ||
सारंगधर, आचार्य | अन्तःस्थ वर्ण ‘र’ की प्रायोगिक विचित्रता | अंक 06 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | श्रीरामचरितमानस का तापस प्रसंग | अंक 06 | ||
सुदर्शन सिंह चक्र | पार्थ-पवनपुत्र का परस्पर परिचय | अंक 06 | ||
हरीन्द्रानन्द | आदिगुरु शिव | अंक 06 | ||
अजय कुमार अलंकार | अमर शहीद भगत सिंह | अंक 07 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | देवी-अर्चना (कविता) | अंक 07 | ||
किशोर कुणाल | वालि-वध की वैधता | अंक 07 | ||
कैलाशचन्द्र भाटिया | महाप्रभु वल्लभाचार्य के दार्शनिक पक्ष | अंक 07 | ||
कौशल कुमार सिंह | लक्ष्मण-चरित्र | अंक 07 | ||
जगदीश गुप्त | रामराज्य आदर्शो का आदर्श है | अंक 07 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | मानस का स्थापत्य | अंक 07 | ||
राम इकबाल सिंह ‘राकेश’ | जगदम्बा मैथिली (कविता) | अंक 07 | ||
रामजी सिंह | भारतीय-संस्कृति: समन्वय तीर्थ | अंक 07 | ||
रामधारी सिंह दिनकर | भक्ति-आन्दोलन | अंक 07 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | राष्ट्र-जीवन में शक्ति | अंक 07 | ||
विजय विनीत | कवितावली में प्रयुक्त राम | अंक 07 | ||
विवेकानन्द | हमारा राष्ट्र झोपड़ियों में बसता है | अंक 07 | ||
शिवपूजन सहाय | चरित्र-निर्माण | अंक 07 | ||
श्यामसुन्दर घोष | कबीर की दृष्टि में गुरु और गोविन्द | अंक 07 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | जैनधर्म: वैदिक धर्म के सन्दर्भ में | अंक 07 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | पुस्तक-समीक्षा, प्रो. डा. कैलाशचन्द्र भाटिया की पुस्तक "गिरिराज गोवर्द्धन" | अंक 07 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय कबीर सो धन संचिए जो आगे को होय | अंक 07 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा | अंक 07 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भक्तियोग के द्वारा ब्रह्म-साक्षात्कार | अंक 07 | ||
इन्द्रचन्द्र नारंग | वाल्मीकि-रामायण की तिथि-तालिका | अंक 08 | ||
ईश्वर करुण | दक्षिण भारत में हनुमान | अंक 08 | ||
गणेश कुमार पाठक, अंजनी कुमार सिंह | दक्षिण भारत के मन्दिर-नगर | अंक 08 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | मानस का स्थापत्य | अंक 08 | ||
जियालाल आर्य | पुष्प-मुकुट | अंक 08 | ||
दुधनाथधर दुबे | हनुमानः उपासक और उपास्य | अंक 08 | ||
रामधारी सिंह दिनकर | अमृत और हलाहल का संघर्ष | अंक 08 | ||
रामनरेश सिंह | सत हरिभजन जगत सब | अंक 08 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | प्रकाशवर्षी ऋषि-संस्कृति | अंक 08 | ||
विनय कुमार पत्रकार | परहित सरिस धरम नहिं भाई | अंक 08 | ||
शर्मन लाल अग्रवाल | सुनि केवट के बैन | अंक 08 | ||
शिशिर कुमार कर्ण | ‘भारत सिन्धु रश्मि’ का स्थापत्य | अंक 08 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | भारत की सांस्कृतिक यात्र के पड़ाव | अंक 08 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | पुस्तक समीक्षा रामनन्दन प्रसाद चौरसिया कृत विजयमन्त्र दर्शन | अंक 08 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | पुस्तक समीक्षा रामनन्दन प्रसाद चौरसिया कृत श्रीहनुमान-चालीसा मींमांसा | अंक 08 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय आचारहीनं न पुनन्ति वेदाः | अंक 08 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- समत्वं योग उच्यते | अंक 08 | ||
सारंगधर, आचार्य | अनुस्वार-अनुनासिक-विमर्श | अंक 08 | ||
सारंगधर, आचार्य | ईश्वरीय अनुभूति | अंक 08 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | गार्हस्थ्य-धर्म से भी परब्रह्म-प्राप्ति | अंक 08 | ||
स्वामी विवेकानन्द | कलह से बचो | अंक 08 | ||
अजय कुमार | अयोध्या की ऐतिहासिकता और पुरातात्त्विक साक्ष्यः | अंक 09 | ||
आनन्द नारायण शर्मा | वाल्मीकि और तुलसी के राम | अंक 09 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | परम आश्वासन (कविता) | अंक 09 | ||
किशोर कुणाल | शम्बूकवध की शव-परीक्षा | अंक 09 | ||
कौशल कुमार सिंह | भरत-चरित | अंक 09 | ||
गोवर्धन नाथ शुक्ल | तुलसी के गुरु | अंक 09 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | सुन्दरे किं न सुन्दरम्! | अंक 09 | ||
डी. आर. ब्रह्मचारी | हिन्दी के मुसलान भक्त कवि | अंक 09 | ||
महेन्द्रनाथ पाण्डेय | तुलसी का ‘क्वचिदन्यतोऽपि’ | अंक 09 | ||
रघुनाथ प्रसाद ‘विकल’ | अमर शहीद मदनलाल धींगरा | अंक 09 | ||
रामजी मिश्र ‘मनोहर’ | क्रान्तिकारी सन्त एवं साधक: गुरुनानक | अंक 09 | ||
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ | हिन्दू-नवोत्थान | अंक 09 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | राष्ट्र का मेरुदण्ड: संस्कृति | अंक 09 | ||
विजय विनीत | तुलसी के राम जीवेतर नहीं | अंक 09 | ||
श्यामसुन्दर घोष | वीरानियत या अकेलापन | अंक 09 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | भगवान बुद्ध और उनका मध्यम मार्ग | अंक 09 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | पुस्तक-समीक्षा आचार्य जानकी वल्लभ शास्त्री साहित्य-साधना | अंक 09 | ||
सत्येन्द्र अरुण | गीता: भारतीय जीवन के लिए वरदान | अंक 09 | ||
सम्पादक-मण्डल | जहि शत्रुं महाबाहो कामरूपं दुरासदम् | अंक 09 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | इहलोक और परलोक | अंक 09 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | शरणागति (कविता) | अंक 10 | ||
ईश्वर दयाल | अवेस्ता | अंक 10 | ||
किशोर कुणाल | दक्षिण की सरस्वती: अछूत कन्या औवे | अंक 10 | ||
कैलाशचन्द्र भाटिया | दक्षिणापथ में कृष्ण का अद्भुत धाम: गुरुवायूर | अंक 10 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | सुन्दरे किं न सुन्दरम्! | अंक 10 | ||
तमिल के कालजयी कवि: तिरुवल्लुवर | नारायण भक्त | अंक 10 | ||
नागेश्वर सिंह ‘शशीन्द्र’ | स्वामी विवेकानन्द की दृष्टि में भारत | अंक 10 | ||
परशुराम सिंह | सूर के सन्दर्भ में फाटक और हाटक | अंक 10 | ||
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र | वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति | अंक 10 | ||
रघुनाथ प्रसाद ‘विकल’ | अशफाकुल्लाह खाँ | अंक 10 | ||
राम इकबाल सिंह ‘राकेश’ | मैथिली लोकगीतों में हुनमान् | अंक 10 | ||
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ | वैदिक बनाम बौद्ध मत | अंक 10 | ||
रामसेवक मालवीय | शबरी-प्रेमाष्टक (कविता) | अंक 10 | ||
वासुदेव सिंह | तुलसी की लोकतात्त्विक द्रष्टि | अंक 10 | ||
विद्यासागर गुप्त | मारवाड की भक्ति देवी फूली बाई | अंक 10 | ||
शर्मनलाल अग्रवाल | बंदहु पवनकुमार | अंक 10 | ||
शिवनाथ | राष्ट्रीय भावना और रवीन्द्रनाथ | अंक 10 | ||
शिवाजी कैरे | ओंकारेश्वर में परमेश्वर ज्योतिर्लिंग | अंक 10 | ||
श्यामसुन्दर घोष | कबीर का ‘साधो’ | अंक 10 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | पुस्तक-समीक्षा | अंक 10 | ||
संस्कृत और संस्कृति | आचार्य सूर्यदत्त शास्त्री | अंक 10 | ||
सारंगधर, आचार्य | भक्ष्याभक्ष्य-विमर्श | अंक 10 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | हनुमानजी के स्वरूप के सम्बनध में भीषण भ्रम | अंक 10 | ||
स्वामी विवेकानन्द | भारतीय स्त्री की वर्तमान स्थिति और उसका भविष्य | अंक 10 | ||
हरिहर प्रसाद गुप्ता | रामचरितमानस का एक मार्मिक दोहा | अंक 10 | ||
आनन्द नारायण शर्मा | गुरु गोविन्द सिंह ओर उनका ‘रामावतार’ | अंक 11 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | ईश्वर हंसता है | अंक 11 | ||
किशोर कुणाल | उदार हिन्दू-परम्परा | अंक 11 | ||
कृष्णचन्द्र गुप्त | तुलसी की दृष्टि में पुरुषार्थ और भाग्य | अंक 11 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | सुन्दरे कि न सुन्दरम्! | अंक 11 | ||
देवेन्द्रनाथ ठाकुर | मानस का मंगलश्लोक | अंक 11 | ||
निशान्तकेतु | विश्व के प्रथम संन्यासी: महर्षि याज्ञवल्क्य | अंक 11 | ||
रघुनाथ प्रसाद ‘विकल’ | वीरांगना मैडम भीकाजी कामा | अंक 11 | ||
रत्नाकर पाण्डेय | अलौकिक काव्यपुरुष गोस्वामी तुलसीदास | अंक 11 | ||
रामाधारी सिंह दिनकर | धर्म के जीते-जागते स्वरूप परमहंस रामकृष्ण | अंक 11 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | श्रमण-संस्कृति के विकास में बिहार की देन | अंक 11 | ||
लक्ष्मीनारायण तिवारी | वैदिक वाङ्मय में रामकथा | अंक 11 | ||
विनोद कुमार सिन्हा | रामायण का श्रेष्ठ मानव-चरित्र: भारत | अंक 11 | ||
श्यामसुन्दर घोष | कबीर में भारतीय तत्त्व | अंक 11 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | पुजारी और महन्त की योग्यता | अंक 11 | ||
संजय पासवान | दलित के देवपुरुष | अंक 11 | ||
सत्यनारायण राम शर्मा | ईश्वरीय अनुभूति | अंक 11 | ||
सत्येन्द्र ‘अरुण’ | मातृका-शक्ति: त्रिपुरसुन्दरी | अंक 11 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- लखन कहेउ हँसि सुनहु मुनि क्रोधु पापकर मूल | अंक 11 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- बौद्धधर्म और दलित | अंक 11 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा | अंक 11 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | सम्पादकीय | अंक 12 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | सुन्दरे किं न सुन्दरम् | अंक 12 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | रामो विग्रहवान् धर्मः | अंक 12 | ||
स्वामी करपात्रीजी महाराज | लोकाभिराम श्रीराम | अंक 12 | ||
रामधारी सिंह दिनकर | रामकथा की ऐतिहासिकता | अंक 12 | ||
स्वानी विवेकानन्द | धर्म की आवश्यकता | अंक 12 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | श्रीकृष्ण संदेश (कविता) | अंक 12 | ||
राममनोहर लोहिया | समन्वय के प्रतीक श्रीराम | अंक 12 | ||
किशोर कुणाल | शबरी के फलनि की रुचि माधुरी न पाई | अंक 12 | ||
इकबाल अहमद | उर्दू में रामकथा | अंक 12 | ||
जगदीश शुक्ल | अवतार रहस्य | अंक 12 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | शास्त्र बनाम शस्त्र की संस्कृति | अंक 12 | ||
वेदप्रकाश गर्ग | रामायण के प्रणेता आदिकवि वाल्मीकि | अंक 12 | ||
बलवीर सिंह भसीन (अनु.) | गुरु गोविन्द सिंह विरचित रामावतार | अंक 12 | ||
आशा कपूर | तुलसी का सार्वभौम चिन्तन | अंक 12 | ||
रामजी मिश्र मनोहर | राष्ट्रीय स्वाभिमान के रक्षक गुरु तेग बहादुर- | अंक 12 | ||
निशान्तकेतु | विश्व के प्रथम संन्यासी महर्षि याज्ञवल्क्य- | अंक 12 | ||
हरिहरप्रसाद गुप्त | गई बहोर गरीबनिवाजू | अंक 12 | ||
अज्ञात | महिदास ऐतरेय | अंक 12 | ||
अज्ञात | पुस्तक समीक्षा | अंक 12 | ||
अज्ञात | पुजारी औऱ महन्त की योग्यता प्रत्यय और प्रतिक्रिया | अंक 12 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | स्वागत नवयुग-परिवर्तन | अंक 13 | ||
एस. आर. गोयल | बुद्ध और जाति-प्रथा | अंक 13 | ||
किशोर कुणाल | दशरथ-जातक और राम-कथा | अंक 13 | ||
किशोर कुणाल | केशव धृतबुद्धशरीर जय जगदीश हरे! | अंक 13 | ||
कैलाशनाथ तिवारी | भारतीय सन्तों की राष्ट्रीय उद्भावनाएं | अंक 13 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | सुन्दरे किं न सुन्दरम्! | अंक 13 | ||
धर्मानन्द कोसम्बी | बोधिसत्त्व का गृह-त्याग | अंक 13 | ||
नरेन्द्र कोहली | आदिवासियों के प्रथम रक्षक राम | अंक 13 | ||
महाकवि क्षेमेन्द्र | बुद्धावतार | अंक 13 | ||
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ | क्रान्ति की गंगा में शैवाल | अंक 13 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | आधुनिक सभ्यता: मूल्यहीन सभ्यता | अंक 13 | ||
श्यामसुन्दर घोष | रामकथा के रंग | अंक 13 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | भगवान् बुद्ध की दृष्टि में ब्राह्मण | अंक 13 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | पुस्तक-समीक्षा रामकथा स्रोतों के व्यापक परिशीलन, आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | अंक 13 | ||
संकलित | सिगाल-जातक | अंक 13 | ||
संकलित | भद्दसाल-जातक | अंक 13 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय चातुर्वर्ण्यं मया सृष्टं गुणकर्मविभागशः | अंक 13 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा | अंक 13 | ||
आनन्द | स्वामी विवेकानन्द का जीवन-दर्शन | अंक 14 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | सन्त-वसन्त (कविता) | अंक 14 | ||
आलोक | सूर्य-वन्दना (कविता) राग संयोजन के साथ | अंक 14 | ||
जगदीश गुप्त | अनेकमुखी प्रतिमाओं की परम्परा और पंचमुखी हनुमान् | अंक 14 | ||
जयन्त मिश्र | धर्म का आदर्श परिवार | अंक 14 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | सुन्दरे किं न सुन्दरम् | अंक 14 | ||
नगेन्द्र, डा. | नैतिक-सामाजिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से तुलसी-काव्य की सार्थकता | अंक 14 | ||
राधाकृष्णन्, सर्वपल्ली डा. | आध्यात्मिक पुनरुज्जीवन की आवश्यकता | अंक 14 | ||
रामदयाल पाण्डेय | राष्ट्र-ऐक्यसाधना | अंक 14 | ||
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ | भूमि का स्वर्गीकरण: महात्मा गांधी का प्रयोग | अंक 14 | ||
रामविलास चौधरी | ज्ञान एवं कर्म | अंक 14 | ||
लोकनाथ | मकरसंक्रान्ति | अंक 14 | ||
लोकनाथ | सन्ध्या-वन्दन स्वरूप एवं क्रियाविधि | अंक 14 | ||
विश्वनाथ प्रसाद वर्मा | पुस्तक-परिचय संसार को भारत सारस्वत अवदान, ले. डा. सीताराम झा श्याम | अंक 14 | ||
श्रीधर भास्कर वर्णेकर | भारत की राष्ट्रीय एकात्मता और संस्कृत भाषा | अंक 14 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | राम की शक्तिपूजा (नाट्य रूपान्तरण) | अंक 14 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा | अंक 14 | ||
सीताराम झा ‘श्याम’ | चित्रकूट | अंक 14 | ||
स्वामी विवेकानन्द | ईश्वर चरम एकत्व है | अंक 14 | ||
हजारी प्रसाद द्विवेदी | समाज-संस्कार पर विचार | अंक 14 | ||
आनन्द | ऋग्वेद में सरस्वती ज्ञान एवं संस्कृति की प्रतीक | अंक 15 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | प्रज्ञा-दीप जला दो (कविता) | अंक 15 | ||
आलोक | सरस्वती वंदना (संगीत संयोजन) | अंक 15 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | सुन्दरे किं न सुन्दरम् | अंक 15 | ||
यामिनी गौतम | भारतीय दर्शन में वैश्विक मूल्य: प्रसाद-काव्य के संदर्भ में | अंक 15 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | तुलसी के राम | अंक 15 | ||
लोकनाथ | सरस्वती-पूजा विधान | अंक 15 | ||
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक | गीता और महाभारत | अंक 15 | ||
वेदज्ञ आर्य | अपौरुषेय वाङ्मय: स्वरूप एवं अर्थ-विकास | अंक 15 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | या देवी सर्वभूतेषु दुर्गासप्तशती का नाट्य रूपान्तरण | अंक 15 | ||
संकलित | परा वाणी प्रतिनिधि संत रैदास विराट् व्यक्तित्व से अप्रकाशित | अंक 15 | ||
सत्येन्द्र | सद्गति | अंक 15 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय श्रुति और स्त्री | अंक 15 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा | अंक 15 | ||
सीताराम झा ‘श्याम’ | गुरुवायूर | अंक 15 | ||
आनंद चेलारामजी | गुरुवाणी | अंक 16 | ||
आनन्द कौसल्यायन का अनुवाद | बन्धनागार जातक | अंक 16 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | वीरभोग्या (कविता) | अंक 16 | ||
उपाध्याय अमर मुनिजी | श्रमण भगवान् महावीर | अंक 16 | ||
कैलाशचन्द्र भाटिया | शीलं परमभूषणम् | अंक 16 | ||
जनार्दन यादव | इन्द्र | अंक 16 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | सुन्दरे किं न सुन्दरम् | अंक 16 | ||
ठाकुर प्रसाद वर्मा | अकबर के राम-सीय प्रकार के सिक्के | अंक 16 | ||
बालगंगाधर तिलक | गीता और उपनिषद् | अंक 16 | ||
महाभारत से संकलित | निरामिष होने के गुण | अंक 16 | ||
रामसेवक मालवीय ‘सेवक’ | आदिकवि की वन्दना (कविता) | अंक 16 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | पृथ्वी-पुत्री सीता | अंक 16 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | पुस्तक समीक्षा- ब्रजनिधि वनश्री, लेखिका श्रीमती हर्षनंदिनी भाटिया | अंक 16 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- नायं धर्मकृतो यज्ञो न हिंसा धर्म उच्यते | अंक 16 | ||
सम्पादक-मण्डल | गृहनिर्माण का मन्त्र | अंक 16 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- महाबोधि मन्दिर और हिन्दू | अंक 16 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा | अंक 16 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा | अंक 16 | ||
स्वामी करपात्रीजी महाराज | वाल्मीकि-रामायण में श्रीसीता-राम यथार्थ वर्णन | अंक 16 | ||
अन्नपूर्णा देव | नवदुर्गा महाविद्या स्वरूपिणी मां तारा | अंक 17 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | जय श्री राम (कविता) | अंक 17 | ||
कामाख्या चरण मिश्र | विनय पत्रिका में आत्मनिवेदन | अंक 17 | ||
जगदीश शुक्ल | केवट की कठोरता में भक्तिभावना की रसमयता | अंक 17 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | सुन्दरे किं न सुन्दरम् | अंक 17 | ||
नगेन्द्र, डा. | भारतीय रामायण काव्य की परम्परा और रामचरितमानस | अंक 17 | ||
बालगंगाधर तिलक | गीता और ब्रह्मसूत्र | अंक 17 | ||
भदन्त आनन्द कौशल्यायन | भगवान् बुद्ध का जन्म | अंक 17 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | सेवापरक जीवन बनाम सत्तापरक जीवन | अंक 17 | ||
राष्ट्रकवि दिनकर | बोधिसत्त्व (कविता) | अंक 17 | ||
संकलित | दीर्घायु प्राप्त करने का मन्त्र | अंक 17 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा- परवल्लिंगं द्वन्द्वतत्पुरुषयोः | अंक 17 | ||
सी. ई. गोदकुम्बुरा | श्रीलंका में रामकथा | अंक 17 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा | अंक 17 | ||
सुरेश सिंघल ‘सागर’ | धर्मनिरपेक्षता और धर्म | अंक 17 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | स्वामी विवेकानन्द (कविता) | अंक 18 | ||
जनार्दन यादव | आर्य और आर्यावर्त | अंक 18 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | सुन्दरे किं न सुन्दरम् | अंक 18 | ||
भदन्त आनन्द कौशल्यायन | भगवान् बुद्ध का यौवन प्रवेश और वैराग्य | अंक 18 | ||
युगेश्वर | सन्त कबीर की पौराणिक चेतना | अंक 18 | ||
रामधारी सिंह दिनकर | हिन्दू नवोत्थान | अंक 18 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | सांस्कृतिक स्वतंत्रता और भारत | अंक 18 | ||
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक | भागवत धर्म का उदय और गीता | अंक 18 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- जहाँ बालमीकि भयो व्याध तें मुनिंदु साधु...... | अंक 18 | ||
सम्पादक-मण्डल | दारिद्र्यनिवारण मन्त्र, सुन्दरकाण्ड से | अंक 18 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- हरि समान को हितु हैं, हरिजन सम को जात | अंक 18 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा- मानस के सन्दर्भ में | अंक 18 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | रामचरितमानस और वाल्मीकि रामायण औऱ अध्यात्म रामायण | अंक 18 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 18 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | शबरी नाम साधना का (कविता) | अंक 19 | ||
कुबेरनाथ राय | लोकोत्तर बुद्ध : एक सूर्य प्रतीक भाग 1 | अंक 19 | ||
जनार्दन यादव | आर्य और आर्यावर्त्त | अंक 19 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | सुन्दरे किं न सुन्दरम् | अंक 19 | ||
धीरेन्द्र झा | वेदों में पृथ्वी तत्त्व | अंक 19 | ||
नागेश्वर सिंह | हिन्दी कवियों की गंगा-भक्ति | अंक 19 | ||
बालगंगाधर तिलक | भागवत धर्म का उदय और गीता | अंक 19 | ||
भदन्त आनन्द कौशल्यायन | गौतम का संन्यास | अंक 19 | ||
महाभारत से संकलित | महाभारत वचनामृत | अंक 19 | ||
रामधारी सिंह दिनकर | ब्राह्म-समाज | अंक 19 | ||
रामाधार दूबे | हनुमदात्मा की परमोज्ज्वलता | अंक 19 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | गावस्त्रैलोक्यमातरः | अंक 19 | ||
सम्पादक-मण्डल | उपयोगी मन्त्र | अंक 19 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा- मानस के सन्दर्भ में | अंक 19 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा | अंक 19 | ||
सूर्यदत्त शास्त्री ‘रक्ताभ’ | समन्वयवादी शाक्त दर्शन और ‘शक्ति’ तत्त्व | अंक 19 | ||
आनन्द नारायण शर्मा | स्वामी विेवेकानन्द की काव्य-साधना | अंक 20 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | प्रभु का द्वार प्रेम का (कविता) | अंक 20 | ||
कुबेरनाथ राय | लोकोत्तर बुद्ध: एक सूर्य प्रतीक | अंक 20 | ||
जनार्दन यादव | राधा उद्भव और विकास | अंक 20 | ||
देवेन्द्रनाथ ठाकुर | मानस का महानायक | अंक 20 | ||
बालगंगाधर तिलक | वर्तमान गीता का काल | अंक 20 | ||
राम नरेश सिंह | राम नाम कलि अभिमत दाता | अंक 20 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | गोस्वामी तुलसीदास का पीयूष स्मरण | अंक 20 | ||
वसीर अहमद ‘मयूख’ | हिन्दी से हमारा सांस्कृतिक रिश्ता है | अंक 20 | ||
वामनदास अग्रवाल | सिखः हिन्दू समाज के अभिन्न अंग | अंक 20 | ||
सम्पादक-मण्डल | उपयोगी मन्त्र | अंक 20 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- तुलसी तरुबर बिबिध सोहाए कहुऎ कहुऎ सिय कहुँ लन लगाए | अंक 20 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा | अंक 20 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा | अंक 20 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | मंगलायतन (कविता) | अंक 21 | ||
कामाख्या चरण मिश्र | लोचन ललित भरे जल सिय के | अंक 21 | ||
किशोरी लाल गुप्त | ‘कथा सो सूकरखेत’ के सूकरखेत का अभिज्ञान | अंक 21 | ||
जनार्दन यादव | श्रीकृष्ण: उद्भव और विकास | अंक 21 | ||
निजामुद्दीन | तुलसीकृत मानस भारतीय संस्कृति की पावन गंगा | अंक 21 | ||
भरत सिंह | तुलसी साहित्य में स्थापत्य कला | अंक 21 | ||
महाश्वेता चतुर्वेदी | गणेश लक्ष्मी-पूजा प्रतीक और प्रसार | अंक 21 | ||
रामधारी सिंह दिनकर | सामासिक संस्कृति के कुछ रूप | अंक 21 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | अयोध्या एवं लंका: एक तुलनात्मक विश्लेषण प्रतीक के आलोक में | अंक 21 | ||
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक | गीता और बौद्ध ग्रन्थ | अंक 21 | ||
संकलित महाभारत से | माता-पिता तथा गुरु सेवा का महत्त्व | अंक 21 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- हिन्दू दण्ड व्यवस्था में साम्य सिद्धान्त | अंक 21 | ||
सम्पादक-मण्डल | उपयोगी मन्त्र | अंक 21 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा- शब्द और अर्थ | अंक 21 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा- राजा अंगद कथा | अंक 21 | ||
आनन्द नारायण शर्मा | या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता | अंक 22 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | भूखे हैं भगवान् भाव के (कविता) | अंक 22 | ||
कामाख्या चरण मिश्र | दोहावली के दोहों की महिमा | अंक 22 | ||
जनार्दन यादव | गंगा: गंगोत्री से गंगासागर तक | अंक 22 | ||
नजीर मुहम्मद | आधुनिक सन्दर्भ में तुलसी-काव्य की उपादेयता | अंक 22 | ||
नागेश्वर सिंह ‘शशीन्द्र’ | मानस में वर्णित विजय-रथ का स्वरूप | अंक 22 | ||
राजेश्वर प्रसाद सिंह | वाल्मीकि की अयोनिजा सीता | अंक 22 | ||
रामधारी सिंह दिनकर | थियोसोफिकल सोसाइटी या ब्रह्मविद्या-समाज | अंक 22 | ||
रामनिरंजन परिमलेन्दु | बिहार में रामायण की परंपरा | अंक 22 | ||
रामानन्द शास्त्री | दुर्गार्चन-विधि | अंक 22 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | विलासिता विषधर से बचें | अंक 22 | ||
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक | गीता और बौद्ध ग्रंथ | अंक 22 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- आहारशुद्धौ सत्त्वशुद्धिः सत्त्वशुद्धौ ध्रुवा स्मृतिः | अंक 22 | ||
सम्पादक-मण्डल | उपयोगी मन्त्र | अंक 22 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा- शब्द और अर्थ | अंक 22 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा- पुरंजन की पहेली | अंक 22 | ||
सूर्यदत्त शास्त्री ‘रक्ताभ’ | नारी तेजस्विता का गाथा-ग्रन्थ: श्री दुर्गासप्तशती | अंक 22 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | सिन्धु और बिन्दु (कविता) | अंक 23 | ||
कुणाल कुमार | आरोह तमसो ज्योतिः | अंक 23 | ||
जनार्दन यादव | राष्ट्रीय प्रतीक : वन्दे मारतम् तथा जन-गण-मन | अंक 23 | ||
धीरेन्द्र झा | वेदों में विज्ञान | अंक 23 | ||
बालगंगाधर तिलक | गीता और बाइबल | अंक 23 | ||
माधव झा | शबरी की नवधा-भक्ति | अंक 23 | ||
रहसबिहारी द्विवेदी | वाल्मीकि का आश्रम | अंक 23 | ||
रामखेलावन राय | आचार्य शंकर द्वारा स्थापित मठ और दशनामी संन्यास सम्प्रदाय | अंक 23 | ||
रामाधार दूबे | हनुमानजी देवता कैसे बन गये? | अंक 23 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | हिन्दी-साहित्य एवं सामाजिक सद्भाव | अंक 23 | ||
विनोद कुमार सिन्हा | एक शती के बाद सर्वधर्म सम्मेलन की याद | अंक 23 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- नहि ज्ञानेन सदृशं पवित्रमिह विद्यते | अंक 23 | ||
सम्पादक-मण्डल | उपयोगी मन्त्र- सुरक्षितता की प्रार्थना | अंक 23 | ||
सिद्धेश्वर सिन्हा | तुलसी-साहित्य का मूल्यांकन | अंक 23 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा- राजा प्रियव्रत | अंक 23 | ||
अरविन्द मानव | श्रीकेशव कीर्ति वन्दन(कविता) | अंक 24 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | सर्व-समर्पण (कविता) | अंक 24 | ||
कुणाल कुमार | प्रसन्नता ही जीवन है | अंक 24 | ||
जनार्दन यादव | श्रीकृष्ण से सम्बद्ध ऐतिहासिक स्थल | अंक 24 | ||
बलबीर सिंह भसीन | श्रीराम जन्मभूमि- सिख-इतिहास में | अंक 24 | ||
राजेन्द्र झा | भगवान् श्रीराम का उत्तरचरित | अंक 24 | ||
रामधारी सिंह दिनकर | कर्मठ वेदान्त : स्वामी विवेकानन्द | अंक 24 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | एकं सद्विप्रा बहुधा वदन्ति | अंक 24 | ||
विद्यानन्द उपाध्याय | दक्षिण पूर्व एशिया की संस्कृति पर रामायण का प्रभाव | अंक 24 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | व्यावहारिक हिन्दी में गतानुगतिक प्रयोगों के पुनर्मूल्यांकन की समस्या | अंक 24 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- धर्म एवं हतो हन्ति | अंक 24 | ||
सम्पादक-मण्डल | उपयोगी मन्त्र- नारायण कवच | अंक 24 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा- महावैयाकरण हनुमान् | अंक 24 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा- अजामिल कहानी | अंक 24 | ||
हरिहरनाथ त्रिपाठी | श्रीराम का राजधर्म और वाली-वध | अंक 24 | ||
अजय कुमार अलंकार | वर्तमान अयोध्या ही वाल्मीकि रामायण की अयोध्या है | अंक 25 | ||
अमरकान्त कुमार | रसिक अनन्य स्वामी हरिदास | अंक 25 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | ईश्वर-दर्शन | अंक 25 | ||
कुणाल कुमार | चरैवेति चरैवेति | अंक 25 | ||
कुबेरनाथ राय | हिन्दू कर्मकाण्ड (भाग 1) | अंक 25 | ||
जनार्दन यादव | राष्ट्रीय प्रतीक : चक्रांकित तिरंगा और धर्मचक्र | अंक 25 | ||
धीरेन्द्र झा | वैदिक विज्ञान में ऋषि-तत्त्व | अंक 25 | ||
रामप्रताप त्रिपाठी शास्त्री | लिङ्गोद्भवस्तवः (संकलित (वायुपुराण से, अनु. | अंक 25 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | धर्म आज सन्दर्भ में | अंक 25 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | वैदिक संस्कृति में मानव-समन्वय की भावना | अंक 25 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादीय- यज्ञः कर्मसमुद्भवः | अंक 25 | ||
सम्पादक-मण्डल | हनुमत्कवचम् | अंक 25 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा | अंक 25 | ||
स्वामी विवेकानन्द | सभी वस्तुओं में ब्रह्मदर्शन | अंक 25 | ||
अजय कुमार अलंकार | अयाध्या और साकेत नगरी एक ही है | अंक 26 | ||
अरविन्द मानव | श्री सरस्वती वन्दना (कविता) | अंक 26 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | साक्षात्कार (कविता) | अंक 26 | ||
कुणाल कुमार | आचार: परमो धर्मः | अंक 26 | ||
कुबेरनाथ राय | हिन्दू कर्मकाण्ड (भाग 2) | अंक 26 | ||
जगदीश शुक्ल, आचार्य | श्रीरामचरितमानस के देवाधिदेव महादेव | अंक 26 | ||
जनार्दन यादव | राष्ट्रीय प्रतीक हिमालय | अंक 26 | ||
बहादुर मिश्र | वेद, कुरानशरीफ और बाइबल में ईश्वर का स्वरूप | अंक 26 | ||
भगवती प्रसाद सिंह | गोस्वामी तुलसीदास और हरिजन | अंक 26 | ||
रामाधार दूबे | आंजनेय की अज्वलनशीलता | अंक 26 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | ‘पदमावत’ में अभिव्यक्त सांस्कृतिक परम्परा | अंक 26 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | लेखन और हिन्दी-शब्दों की प्रायोगिक समस्याएँ | अंक 26 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- नासौ धर्म यत्र न सत्यमस्ति | अंक 26 | ||
सम्पादक-मण्डल | हनुमदष्टोत्तरशतनालावलिः | अंक 26 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा | अंक 26 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा- गज को ग्राह से बचा निकाला | अंक 26 | ||
अजय कुमार अलंकार | रामकथा की परम्परा अति प्राचीन है | अंक 27 | ||
अरविन्द मानव | श्री अच्युताष्टक (कविता) | अंक 27 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | शिव-शक्ति (कविता) | अंक 27 | ||
कुणाल कुमार | ब्रह्म राम तें नामु बड़ | अंक 27 | ||
कुबेरनाथ राय | हिन्दू-कर्मकाण्ड (भाग 3) | अंक 27 | ||
जनार्दन यादव | राष्ट्रीय प्रतीक : विक्रम संवत् | अंक 27 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | ‘सुन्दरे’ किं न सुन्दरम्? | अंक 27 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | आत्मानं विद्धि | अंक 27 | ||
शत्रुघ्न प्रसाद | शाक्त दर्शन और संस्कृति | अंक 27 | ||
शीलभद्र साहित्यरत्न | पुस्तक-समीक्षा- रामचरितमानस का सौन्दर्यतत्त्व, ले.-डा. कवीश्वर ठाकुर | अंक 27 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | हिन्दी-मुद्रण में एकरूपता | अंक 27 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- वेद पुरान कहै जगु जान, गुमान गोबिंदहि भावत नाही | अंक 27 | ||
सम्पादक-मण्डल | उपयोगी मन्त्र- रामकवचम् | अंक 27 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा | अंक 27 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा- वामन भगवान् | अंक 27 | ||
हरिशंकर पाण्डेय | भगवान् ऋषभदेव और उनका उपदेश | अंक 27 | ||
हरिहरनाथ त्रिपाठी | राजनीति और धर्म | अंक 27 | ||
अजय कुमार अलंकार | अयोध्या को तीर्थ के रूप में महत्ता | अंक 28 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | वैज्ञानिक अध्यात्मवाद (कविता) | अंक 28 | ||
कुणाल कुमार | भूमापुरुष भगवान महावीर | अंक 28 | ||
जनार्दन यादव | राम काव्य-कथा-परम्परा का विस्तार | अंक 28 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | ‘सुन्दरे’ किं न सुन्दरम्? | अंक 28 | ||
प्रभाकर त्रिवेदी | मर्यादा-पुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्रजी की ऐतिहासिकता एवं भगवत्ता | अंक 28 | ||
राममूर्ति त्रिपाठी | कबीर की भक्ति का अवलम्बन | अंक 28 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | राम-जनम सूखमूल- प्रतीकार्थ के साथ | अंक 28 | ||
वीतराग | जहर जब दूध बन गया | अंक 28 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | महावीर स्वामी के वचन और उनका अपरिग्रहवाद | अंक 28 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- परहित लागि तजै जो देही, संतत संत प्रशंसहि ते ही | अंक 28 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा | अंक 28 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा- राजा सुद्युम्न | अंक 28 | ||
अरविन्द मानव | स्तुति के दोहे (कविता) | अंक 29 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | सर्वात्म-दर्शन (कविता) | अंक 29 | ||
कुणाल कुमार | परमकारुणिक कल्याणमित्र : आचार्य शंकर | अंक 29 | ||
जनार्दन यादव | राम-काव्य-कथा-परम्परा का विस्तार | अंक 29 | ||
जयप्रकाश नारायण द्विवेदी | भारतीय चिन्तन में सूर्योपासना विषयक अवधारणा | अंक 29 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | सुन्दरे किं न सुन्दरम् | अंक 29 | ||
नरेन्द्र झा | विद्यापति की धार्मिक मान्यताएं | अंक 29 | ||
नागेश्वर सिंह ‘शशीन्द्र’ | तात्याटोपे का अनुपम बलिदान | अंक 29 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | आनृशंस्य परो धर्मः | अंक 29 | ||
वंशदेव मिश्र | भगवान् बुद्ध का अवतरण | अंक 29 | ||
वीतराग | रहीम की दानशीलता- तीन प्रेरक प्रसंग | अंक 29 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | मन का चिन्तन | अंक 29 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- पुच्छं विना तुच्छमिदे हि सर्वम् | अंक 29 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा | अंक 29 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा- त्रिशंकु और हरिश्चन्द्र | अंक 29 | ||
सुलोचना कुमारी | श्रीरामभक्त हनुमान् की सेवाभक्ति | अंक 29 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | हरि-शरणागति (कविता) | अंक 30 | ||
एक प्रार्थी | पा गया लुम्बिनी एक लूम (कविता) | अंक 30 | ||
कामाख्या चरण मिश्र | मारेसि मोहिं कुठाउं | अंक 30 | ||
कुबेरनाथ राय | सत्य और वास्तव भारतीय आर्षदृष्टि | अंक 30 | ||
कुमारी संगीता | शक्ति-पूजा: मातृशक्ति का भावात्मक आधार | अंक 30 | ||
कैलाशनाथ तिवारी | रामकथा की परम्परा और सांस्कृतिक मूल्यबोध | अंक 30 | ||
जनार्दन यादव | भारत भारतीयता और भारतमाता (भाग-1) | अंक 30 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | सुन्दरे किं न सुन्दरम् | अंक 30 | ||
धीरेन्द्र झा | गुरुतत्त्व मीमांसा | अंक 30 | ||
रमेश कुमार मिश्र | अभियांत्रिकी का आश्चर्य भगवान् बाहुबली की प्रतिमा | अंक 30 | ||
रामाधार दूबे | लंका दहन का अन्तर्वीक्षण | अंक 30 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | मानस में शिव परिवार और उसका प्रतीकार्थ | अंक 30 | ||
विनोदानंद झा | नया भारत जागे! | अंक 30 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- एहि कलिकाल न साधन दूजा, जोग जज्ञ जप तप व्रत पूजा | अंक 30 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा | अंक 30 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा- जमदग्नि और परशुराम | अंक 30 | ||
हरिहर गुप्त | जानत तुम्हहि तुम्हि होइ जाई | अंक 30 | ||
अरविन्द मानव | वेदना (कविता) | अंक 31 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | सुख की खोज (कविता) | अंक 31 | ||
गणेश दत्त | गोस्वामीजी का औपासनिक दृष्टिदान | अंक 31 | ||
जनार्दन यादव | भारत भारतीयता और भारतमाता भाग 2 | अंक 31 | ||
जयप्रकाश नारायण द्विवेदी | राष्ट्रीय एकता में संस्कृत का योगदान | अंक 31 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | सुन्दरे किं न सुन्दरम् | अंक 31 | ||
रामकुमार तिवारी | भूवैज्ञानिक एवं वैदिक काल मापनी का अध्ययन | अंक 31 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | युवा पीढ़ी : राष्ट्र की शक्ति का अक्षय स्रोत | अंक 31 | ||
विनय कुमार | विवेकानंद ने भारतीय जनमानस को नई दिशा दी | अंक 31 | ||
विभूतिनाथ झा | महाभारत में अर्जुन की शक्ति उपासना | अंक 31 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादीय- देवायतन में कामिनियों का क्या काम? | अंक 31 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा | अंक 31 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा- भगवान् श्रीकृष्ण | अंक 31 | ||
हरिहर प्रसाद गुप्त | जनपदीय बोली प्रयोग- थकना | अंक 31 | ||
हरिहरनाथ त्रिपाठी | श्री सीताराम | अंक 31 | ||
अरविन्द मानव | श्रीविष्णु-स्तुति | अंक 32 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | अद्वैतानन्द (कविता) | अंक 32 | ||
ईश्वर करुण | एशिया में सबसे ऊँची हनुमान मूर्ति | अंक 32 | ||
गोपीनाथ झा | श्रीकृष्ण के अविर्भाव का परम रहस्य | अंक 32 | ||
जनार्दन यादव | कैलास, अलका और कुबेर | अंक 32 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | रामः विविध आयाम | अंक 32 | ||
नरेन्द्र झा | कृष्ण-काव्य-परंपरा और विद्यापति | अंक 32 | ||
नरेशचन्द्र मिश्र | वसुधैव कुटुम्बकम् | अंक 32 | ||
निर्मल चन्द्र | राम-गीता | अंक 32 | ||
पशुपति नाथ उपाध्याय | माता अनसूया | अंक 32 | ||
प्रकाश ‘सूना’ | आओ ताप नसावन (कविता) | अंक 32 | ||
युगेश्वर | प्रज्ञा प्रतिष्ठिता | अंक 32 | ||
रामसेवक मालवीय | विष्णु का पौराणिक और वैदिक स्वरूप | अंक 32 | ||
रामाधार दूबे | हनुमानजी अविवाहित क्यों? | अंक 32 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | अभय औैर अहिंसा | अंक 32 | ||
संदीप कुमार | सुखिया कौन? | अंक 32 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- महावीर मन्दिर और तथाकथित अतिक्रमण | अंक 32 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा- शब्दशास्त्र की महत्ता | अंक 32 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा- भगवान् श्रीकृष्ण | अंक 32 | ||
हरिहर प्रसाद गुप्त | राम गवन साँचो किधौं सपनो | अंक 32 | ||
अरविन्द मानव | कामना (कविता) | अंक 33 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | मनोजय (कविता) | अंक 33 | ||
इन्द्रदेव, आचार्य | परिचय: अपनी पहचान | अंक 33 | ||
कैलाशनाथ तिवारी | बिहार की आध्यात्मिक मनीष: एक अल्पज्ञात पृष्ठ | अंक 33 | ||
जनार्दन यादव | रामगिरि और चित्रकूट | अंक 33 | ||
जयनन्दन पाण्डेय | योगवासिष्ठ के आलोक में ब्रह्म (परम तत्त्व) की अवधारणा | अंक 33 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | रामः विविध आयाम | अंक 33 | ||
निर्मल चन्द्र | राम-गीता (भाग 1) | अंक 33 | ||
परशुराम परमेश | धर्म और राजनीति पर गांधीजी | अंक 33 | ||
भुलन सिंह | अर्द्धनारीश्वर रूप | अंक 33 | ||
राजेन्द्र झा | गो-भक्ति से अभीष्ट फल की प्राप्ति | अंक 33 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | पर्यावरण, प्रकृति और पुरुष: सनातन संगी | अंक 33 | ||
विद्यानन्द गुप्त | आदर्श निष्काम कर्मयोगी: भीष्म पितामह | अंक 33 | ||
विनय कुमार | रामकृष्ण परमहंस देव की भारत को आध्यात्मिक देन | अंक 33 | ||
शत्रुघ्न प्रसाद | मगध: एक इतिहास-बोध | अंक 33 | ||
शिवनारायण | पुस्तक-समीक्षा, ऐतिहासिक उपन्यासों का स्वर्ण शिखर "कालिदास", ले. जानकीवल्लभ शास्त्री | अंक 33 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- भारत पर आर्य आक्रमण का सिद्धान्त कितना यथार्थ | अंक 33 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा | अंक 33 | ||
हरिहर प्रसाद गुप्त | हिंदी क्रिया घटना: संस्कृत में इस आशय का शब्द नहीं | अंक 33 | ||
अरविन्द मानव | गो-वंदन (कविता) | अंक 34 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | श्रीकृष्ण सखा (कविता) | अंक 34 | ||
गणेश दत्त | सीताजी की खोज | अंक 34 | ||
गोपीनाथ झा | श्रीकृष्ण का जन्म दिव्य: क्यों और कैसे? | अंक 34 | ||
चन्द्रमणि निशेश | भारत एवं भारतीयता के सिद्ध कवि: दिनकर | अंक 34 | ||
जनार्दन यादव | वैदिक नदी: सरस्वती | अंक 34 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | रामः विविध आयाम | अंक 34 | ||
जियालाल आर्य | रामेश्वरम् दर्शन | अंक 34 | ||
निर्मल चन्द्र | राम-गीता (भाग 2) | अंक 34 | ||
बिहारी लाल मिश्र | मानस की महिमा | अंक 34 | ||
रमेश कुमार मिश्र प्रेमी | मध्यकालीन सांस्कृतिक क्रान्ति का स्वरूप | अंक 34 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | पर्यावरण, प्रकृति और पुरुष: सनातन संगी | अंक 34 | ||
विनय कुमार | ‘मन ना रंगाये रंगाये जोगी कपड़ा’ | अंक 34 | ||
वीरेन्द्र झा | बिहार के दूसरे महामहोपाध्याय डॉ सर गंगानाथ झा | अंक 34 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- कहाँ थे, कहाँ हैं, किधर जायेंगे | अंक 34 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा | अंक 34 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा- | अंक 34 | ||
हरिहर नाथ त्रिपाठी | सगुण साकार श्रीरामभद्र | अंक 34 | ||
अमरकान्त कुमार | देवी की अवधारणा और आराधना की विकास-यात्रा | अंक 35 | ||
अरविन्द मानव | श्री दुर्गा-वंदन (कविता) | अंक 35 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | परम लक्ष्य कविता) | अंक 35 | ||
जनार्दन यादव | नर्मदा और भारतीय संस्कृति | अंक 35 | ||
जयनन्दन पाण्डेय | ज्ञान का स्वरूप | अंक 35 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | रामः विविध आयाम | अंक 35 | ||
दिवांशु कुमार | विष्णुसहस्रनाम-उद्भव, प्रतिपाद्य एवं महत्त्व | अंक 35 | ||
निर्मल चन्द्र | राम-गीता (भाग 3) | अंक 35 | ||
भुलन सिंह | प्रेम की ‘सुरा’ | अंक 35 | ||
युगेश्वर | आसुरी भक्ति का स्वरूप | अंक 35 | ||
राजेन्द्र झा | पुस्तक-समीक्षा ‘‘मारुतिचरितामृतम्’’: अनमोल कृति | अंक 35 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | शब्द और भारतीय लोक-मानस | अंक 35 | ||
विद्यासागर गुप्त | क्रोधी विश्वामित्र औऱ क्षमाशील वसिष्ठ | अंक 35 | ||
विश्वनाथ मिश्र | वह झांकी (कविता) | अंक 35 | ||
शिववंश पाण्डेय | धर्म का बहुवचन नहीं होता | अंक 35 | ||
श्रीरंग शाही | सन्त धरणीदास | अंक 35 | ||
सच्चिदानन्द पाठक | बिहार के एक अल्पज्ञात संत कवि | अंक 35 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- किसके मुँह पर तमाचा | अंक 35 | ||
सारंगधर, आचार्य | ईश्वरीय- अनुभूति | अंक 35 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा | अंक 35 | ||
सुदामा वती देवी | ‘निन्दक नियरे राखिए आंगन कुटी छवाय | अंक 35 | ||
अरविन्द मानव | विश्वेश-वंदन (कविता) | अंक 36 | ||
गणेश दत्त | कविवर आरसी प्रसाद सिंह के प्रति (कविता) | अंक 36 | ||
गणेश दत्त | आराधना में संगीत का स्थान | अंक 36 | ||
गोपनीनाथ कविराज, म.म. | सृष्टि का उन्मेष (शाक्तमत) | अंक 36 | ||
जनार्दन यादव | मानस का गुप्त तापस प्रसंग | अंक 36 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | रामः विविध आयाम | अंक 36 | ||
परमानन्द दोषी | बैकुंठ शुक्ल की शहादत की अमर कहानी | अंक 36 | ||
रमेश कुमार मिश्र | सन्त कवि आरसी बाबू (कविता) | अंक 36 | ||
राजेन्द्र प्रसाद द्विवेदी | ‘परमेश्वर से पलायन’ (भाग1) | अंक 36 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | वर्तमान शिक्षा- त्रिशंकु की स्थिति (भाग 1) | अंक 36 | ||
वरुण कुमार मिश्र | ‘‘अप्पदीपो भव’ के मंत्रक कवि सरहपा | अंक 36 | ||
विनय कुमार | ‘मंगल करनि कलिमन हरनि तुलसी कथा रघुनाथ की’ | अंक 36 | ||
वीरेन्द्र कुमार | नारी जाति का अपमान न करें! | अंक 36 | ||
वीरेन्द्र झा | ‘अलबेला रे बछेड़ा’ असवार कुंवर सिंह | अंक 36 | ||
शिवाजी कैरे | भक्ति की संक्षिप्त व्याख्या | अंक 36 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- लोकसेवा शंखनाद | अंक 36 | ||
सारंगधर, आचार्य | आरसी बाबू: स्मृति शेष | अंक 36 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा | अंक 36 | ||
अरविन्द मानव | विनय की कुण्डलियाँ (कविता) | अंक 37 | ||
आनन्द नारायण शर्मा | हिन्दी कविता के नायक- श्रीकृष्ण | अंक 37 | ||
आरसी प्रसाद सिंह | प्रभु ही परम आश्रय है (कविता) | अंक 37 | ||
एस. शंकर नारायण शास्त्री | महारुद्र यज्ञः कितना वरेण्य | अंक 37 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | रामः विविध आयाम | अंक 37 | ||
दीनानाथ झा ‘दिनकर’ | भक्ति की सर्वोच्च विधा शरणागति | अंक 37 | ||
नागेश्वर सिंह ‘शशीन्द्र’ | वेदों की दृष्टि में जीवन और जगत् | अंक 37 | ||
भुलन सिंह | आंजनेय के रुद्रावतार का रहस्य | अंक 37 | ||
भुवनेश्वर प्रसाद गुरुमैता | भारतीय अस्मिता और अखंडता का सारस्वत स्रोत पौराणिक साहित्य | अंक 37 | ||
रघुनाथ प्रसाद ‘विकल’ | अमर शहीद प्रफुल्लचन्द्र चाकी | अंक 37 | ||
राजेन्द्र झा | कश्मीरी कवि बिल्हण | अंक 37 | ||
राजेन्द्र प्रसाद द्विवेदी | ‘परमेश्वर से पलायन’ (भाग 2) | अंक 37 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | वर्तमान शिक्षा- त्रिशंकु की स्थिति (भाग 2) | अंक 37 | ||
विजय विनीत | ‘रामचरित मानस’ में प्रयुक्त सीता के नाम-पर्यायों का शैलीगत अध्ययन | अंक 37 | ||
विनय कुमार | गोस्वामी तलसीदास का काव्य और प्रगतिशील जीवन-मूल्य | अंक 37 | ||
श्यामसुन्दर घोष | रामकथा में निहित लोकदृष्टि | अंक 37 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- वसुधैक कुटुम्बकम् | अंक 37 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा- संस्कृत में द्विवचन की अनिवार्यता | अंक 37 | ||
सिद्धेश्वरधारी सिन्हा | हमारी संस्कृति का स्वरूप | अंक 37 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा | अंक 37 | ||
अरविन्द मानव | मारुति वन्दना (कविता) | अंक 38 | ||
ओम प्रकाश सिन्हा | धर्मग्रन्थों में संकीर्तन की महिमा | अंक 38 | ||
कामाख्या चरण मिश्र | श्वेत शतदल पर सुशोभित | अंक 38 | ||
कामेश्वर उपाध्याय | शिवसंकल्प | अंक 38 | ||
जनार्दन यादव | जलप्लावन की कथाएँ और मत्स्यावतार की भूमि | अंक 38 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | सुन्दरकाण्ड का अतिशयित सौन्दर्य | अंक 38 | ||
परमानन्द दोषी | महान् क्रान्तिकारी राजगुरु | अंक 38 | ||
भुवनेश्वर प्रसाद गुरुमैता | आज के सन्दर्भ में साहित्यकार का दायित्व | अंक 38 | ||
मिथिलेश झा | शिवावतार छत्रपति शिवाजी | अंक 38 | ||
युगेश्वर | भागवत, कबीर, तुलसी | अंक 38 | ||
राजेन्द्र प्रसाद द्विवेदी | ईशकृपा | अंक 38 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | रामचरितमानस और गार्हस्थ्य धर्म | अंक 38 | ||
विद्यासागर गुप्त | केशव धृतवामनरूप | अंक 38 | ||
विनय कुमार | तुलसीदास जी की समन्वय भावना | अंक 38 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- आपके कण आपके क्षण | अंक 38 | ||
सारंगधर, आचार्य | हिन्दी का सारल्य | अंक 38 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 38 | ||
हरिहर प्रसाद गुप्त | विनय-पत्रिका का एक पद | अंक 38 | ||
अरविन्द मानव | आरती हनुमत प्यारे की (कविता) | अंक 39 | ||
आचार्य गणेश | श्रीमद्भागवद्गीता में नैतिकता एवं सदाचार के सार्वजनीन तत्त्व | अंक 39 | ||
आर. डी. सिंह | प्रार्थना का आदर्श | अंक 39 | ||
गणेश दत्त मिश्र | पुस्तक-समीक्षा- सत्यायन, ले. परशुराम परमेश | अंक 39 | ||
जनार्दन प्रसाद ‘विकल्प’ | मानवाधिकार के रक्षक राम | अंक 39 | ||
जनार्दन यादव | जल-प्लावन की कथाएं और मत्स्यावतार की मूल भूमि | अंक 39 | ||
धीरेन्द्र झा | वेदों में विष्णु | अंक 39 | ||
नागेश्वर सिंह ‘शशीन्द्र’ | विन्ध्याचल-दर्शन | अंक 39 | ||
परमानन्द दोषी | साहस और शौर्य के प्रतीक शहीद बाघा जतीन | अंक 39 | ||
भुलन सिंह | हारे को हरि | अंक 39 | ||
युगल किशोर पाण्डेय | राम अज | अंक 39 | ||
युगेश्वर | भागवत, कबीर, तुलसी | अंक 39 | ||
रघुनाथ प्रसाद ‘विकल’ | 19वीं सदी के एक बिहारी कवि और उनका राम-काव्य | अंक 39 | ||
राजेन्द्र प्रसाद द्विवेदी | महाप्रयाण (कविता) | अंक 39 | ||
रामाशीष प्रसाद | संत कबीर का सुख-सागर | अंक 39 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | रामचरित मानस और गार्हस्थ्य धर्म | अंक 39 | ||
विजय विनीत | शिव का आर्थतात्त्विक अध्ययन | अंक 39 | ||
श्रीरंग शाही | सन्त रविदास | अंक 39 | ||
संजय कुमार झा | प्राणायाम के चमत्कारी परिणाम | अंक 39 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादीय- जयतु भारतं जयतु संस्कृतम् | अंक 39 | ||
सम्पादक-मण्डल | अर्जुन कृत दुर्गास्तवन | अंक 39 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा | अंक 39 | ||
अरविन्द मानव | विनय गीत (कविता) | अंक 40 | ||
कामाख्या चरण मिश्र | नींद न आई दरस लालसा | अंक 40 | ||
कृष्णनन्दन प्रसाद ‘अभिलाषी’ | श्री भरत का चरित्र | अंक 40 | ||
गणेश दत्त मिश्र | बिहार के विश्रुत विद्वान् की वैदिक धरोहर : सन्ध्याभाष्यम् | अंक 40 | ||
गणेश शंकर पाण्डेय | भारती-वन्दना (कविता) | अंक 40 | ||
गणेश, आचार्य | भारतीय धर्म एवं संस्कृति का अक्षय स्रोत : संस्कृत भाषा एवं साहित्य | अंक 40 | ||
जनार्दन यादव | विविध रूप-गुण सम्पन्न शिव | अंक 40 | ||
परमानन्द दोषी | सशक्त स्वतंत्रता-सेनानी: लाला हरदयाल | अंक 40 | ||
पृथ्वीपाल पाण्डेय | तुलसी काव्य में लोकमंगल विधान | अंक 40 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | आत्महन्ता कौन? | अंक 40 | ||
सत्य नारायण चतुर्वेदी | विश्वविभूति स्वामी विवेकानन्द की धार्मिक अवधारणा | अंक 40 | ||
सत्य नारायण चतुर्वेदी | पूर्वोत्तर भारत की संस्कृति पर श्रीकृष्ण की छाप | अंक 40 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- अहम् आवाम् वयम् | अंक 40 | ||
सम्पादक-मण्डल | निर्माण की नयी चेतना और साधु समाज का सक्रिय योगदान | अंक 40 | ||
सारंगधर, आचार्य | हिन्दी का सारल्य (अंक 38 से आगे) | अंक 40 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा | अंक 40 | ||
सूर्यदत्त शास्त्री ‘रक्ताभ’ | गीता का उद्देश्य- "कर्मयोग" | अंक 40 | ||
‘गणेश’ | जीवन की देहली (कविता) | अंक 41 | ||
अरविन्द मानव | श्रीकृष्णाष्टक (कविता) | अंक 41 | ||
कामेश्वर उपाध्याय | ज्योतिष शास्त्र का प्रयोजन | अंक 41 | ||
कौशल कुमार सिंह | मानस में मायावाद | अंक 41 | ||
जनार्दन यादव | कोशी: उद्गम से संगम तक | अंक 41 | ||
टी.वी. पहलजानी | धर्म क्या है? | अंक 41 | ||
दीनानाथ झा ‘दिनकर’ | पुराणों का आदि स्रोत रामायण | अंक 41 | ||
परमानन्द दोषी | मरण-विजयी शहीद यतीन्द्र नाथ दास | अंक 41 | ||
प्रदीप कुमार जैन | जब नेताजी समुद्र में मौत से खेले | अंक 41 | ||
मिथिलेश कुमारी राय | राधिका रूपी मीरा | अंक 41 | ||
रघुनाथ प्रसाद ‘विकल’ | चरण पादुका | अंक 41 | ||
राजेन्द्र राज | तुलसी और गांधी एक बिन्दु पर | अंक 41 | ||
रामचन्द्र पाण्डेय | पंतजी काव्य-दर्शन में मानवता | अंक 41 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | आत्महन्ता कौन ? (भाग 2) | अंक 41 | ||
वरुण कुमार मिश्र | पंचसखा- बलरामदास | अंक 41 | ||
विनोद कुमार सिन्हा | आध्यात्मिक सत्य के आविष्कारक तथाकथित ‘शूद्र’ | अंक 41 | ||
श्रीरंग शाही | वैशाली और भगवान महावीर | अंक 41 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- प्रतिभा अभिभावन और राष्ट्रनिर्माण | अंक 41 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत-कथा | अंक 41 | ||
हीरा नन्द सिंह | वेदों की अपौरुषेयताः विद्वानों के विचार | अंक 41 | ||
अरविन्द मानव | प्रभु प्रार्थना (कविता) | अंक 42 | ||
ए. रामास्वामी द्वारा संकलित | गर्भरक्षाम्बिका स्तोत्र | अंक 42 | ||
कामाख्या चरण मिश्र | माँ श्यामा के चरण अरुण | अंक 42 | ||
केदार नाथ त्रिपाठी | विद्या का वैभव | अंक 42 | ||
गणेश, आचार्य | नीति धर्म एवं व्यावहारिक जीवन पद्धति का मार्गदर्शक: ‘नीतिशतक’ | अंक 42 | ||
जनार्दन यादव | कोशीः उद्गम से संगम तक (भाग 2) | अंक 42 | ||
नरेन्द्र झा | विद्यापति की राधा | अंक 42 | ||
परमानन्द दोषी | वरेण्य बलिदानी भगवती चरण बोहरा | अंक 42 | ||
प्रदीप कुमार जैन | जब नेताजी समुद्र में मौत से खेले (भाग 2) | अंक 42 | ||
भुलन सिंह | ‘मानस’ में अन्तःकरण चतुष्टय का खेल | अंक 42 | ||
मधुसूदन चतुर्वेदी | प्रत्युत्पन्नमति महारथी हनुमान् | अंक 42 | ||
युगेश्वर | कर्मयोग (भक्ति) की उत्पत्तिकथा | अंक 42 | ||
राजेन्द्र नारायण शर्मा | जीवन लोहित क्षण जागो (कविता) | अंक 42 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | देवतात्मा हिमालय | अंक 42 | ||
विजय विनीत | ‘राम की शक्ति-पूजा’ में प्रोक्तिस्तरीय समांतरता | अंक 42 | ||
शत्रुघ्न प्रसाद | कबीर की रमैनी में राम | अंक 42 | ||
श्रीरंग शाही | भगवान् बुद्ध और वैशाली | अंक 42 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- रोग, रोगी और चिकित्सा | अंक 42 | ||
सारंगधर, आचार्य | हिन्दी: अस्तित्व का प्रश्न | अंक 42 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 42 | ||
अरविन्द मानव | गजेन्द्र मोक्ष (कविता) | अंक 43 | ||
गणेश दत्त मिश्र | ह्वाट आफ्टर नाइन? ह्वाट इज जीरो? | अंक 43 | ||
जनार्दन प्रसाद ‘विकल’ | राम बिना गति दूसर नाहीं | अंक 43 | ||
जनार्दन यादव | कालिदास: चारित्रिक लोकादर्श एवं चारित्रिक उद्भावनाओं के महाकवि | अंक 43 | ||
डी. आर. ब्रह्मचारी | वर्तमान संदर्भ और तुलसी की मूल्यवत्ता | अंक 43 | ||
परमानन्द दोषी | हिन्दुस्तान की आजादी का नायाब फरिश्ता: तात्या टोपे | अंक 43 | ||
ब्रज किशोर स्वाईं | काल, परमात्मा और हम | अंक 43 | ||
भुलन सिंह | ‘मानस’ में अन्तःकरण चतुष्टय का खेल (भाग 2) | अंक 43 | ||
भुवनेश्वर प्रसाद गुरुमैता | राष्ट्रीय अस्मिता और साहित्य | अंक 43 | ||
योगिराज अरविन्द | यत्न करो, जड़ता छँटेगी, प्रकाश मिलेगा | अंक 43 | ||
रघुनाथ प्रसाद ‘विकल’ | सर्वोच्च शिखर विजेत्री पद्मश्री बचेन्द्री पाल | अंक 43 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | देवतात्मा हिमालय (भाग 2) | अंक 43 | ||
रामाश्रय राय | पुरुषार्थ का आधुनिक निहितार्थ | अंक 43 | ||
वरुण कुमार मिश्र | ज्ञान और शील के प्रतिष्ठापक कण्हपा | अंक 43 | ||
विनय कुमार | मानस में पात्रों का प्रतीकात्मक विश्लेषण | अंक 43 | ||
शिवदत्तशर्मा चतुर्वेदी | सिंह की महिमा | अंक 43 | ||
श्रीनिवास तिवारी | राष्ट्रनिर्माण के प्रेरणा-स्रोत रामायण के हनुमान | अंक 43 | ||
सम्पादक-मण्डल | आद्य शंकराचार्य "नान-साइन्स" ? कैसे | अंक 43 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 43 | ||
अरविन्द मानव | भावार्पण (कविता) | अंक 44 | ||
कुमार विमल | ‘‘राम की शक्ति-पूजा’’ में रुद्रावतार हनुमान | अंक 44 | ||
गणेश दत्त मिश्र | पुस्तक-समीक्षा- भारत महारथी सुभाषचन्द्र बोस (यूरोप प्रवास), ले. डा. प्रदीप जैन | अंक 44 | ||
गोपनीनाथ कविराज, म.म. | षट्चक्र का भेद | अंक 44 | ||
जनार्दन यादव | विश्व माता गाय : अध्यात्म से विज्ञान तक | अंक 44 | ||
जय प्रकाश मिश्र | राम के अनन्य भक्त भरत | अंक 44 | ||
जसबीर कौर | रामावतार: एक परिचय | अंक 44 | ||
परमानन्द दोषी | क्रांतिदर्शी महायोगी महर्षि अरविन्द | अंक 44 | ||
प्रकाश ‘सूना’ | अनुचर बन जा श्रीचरणों का (कविता) | अंक 44 | ||
प्रफुल्ल कुमार सिंह 'मौन' | गण्डकी क्षेत्र की संस्कृति | अंक 44 | ||
बलबीर सिंह भसीन | मानवीय मूल्यों के प्रतीक गुरुनानक देवजी | अंक 44 | ||
मोहन दामोदर बालयोगी, परहंस स्वामी | सभी मानव योग के अधिकारी (देबरहबा बाबा और पूर्व राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद की वार्ता | अंक 44 | ||
रामस्वरूप पाण्डेय | अश्वमेध का आध्यात्मिक रहस्य | अंक 44 | ||
रामाशीष प्रसाद | अनासक्त श्री कृष्ण (कविता) | अंक 44 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | ज्योति भूमि भारत | अंक 44 | ||
रामाश्रय राय | पुरुषार्थ का आधुनिक निहितार्थ | अंक 44 | ||
विद्यासागर गुप्त | तपस्विनी रबिया | अंक 44 | ||
श्रीरंग शाही | कवियत्री रत्ना | अंक 44 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- आप और आपकी गंगा | अंक 44 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 44 | ||
अरविन्द मानव | शुभ दर्शन (कविता) | अंक 45 | ||
आचार्य गणेश | ‘‘श्रीरामकृष्णपरमहंसीयम्’’ एक उत्कृष्ट आधुनिक संस्कृत काव्य | अंक 45 | ||
गोपनीनाथ कविराज, म.म. | षट्चक्र का भेद (भाग 2) | अंक 45 | ||
जनार्दन यादव | आगम और निगम | अंक 45 | ||
नागेश्वर सिंह ‘शशीन्द्र’ | गीतोक्त ज्ञानामृतृ | अंक 45 | ||
परमानन्द दोषी | मुक्ति-संग्राम की धधकती ज्वाला : कल्पना दत्त जोशी | अंक 45 | ||
भुलन सिंह | मानस में सपनों का वैशिष्ट्य | अंक 45 | ||
राजेन्द्र झा | महाकवि कल्हण एवं उनकी राजतरङ्गिणी ऐतिहासिक एवं साहित्यिक विश्लेषण | अंक 45 | ||
राजेन्द्र राज | भारतीय स्वाभिमान के रक्षक स्वामी विवेकानंद | अंक 45 | ||
रामजी सिंह | विपदो नैव विपदः संपदो नैव संपदः | अंक 45 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | मर्यादा-पुरुषोत्तम श्रीरामचन्द्र | अंक 45 | ||
वरुण कुमार मिश्र | स्वतंत्रता का नया संदर्भ | अंक 45 | ||
विजय विनीत | रामचरित मानस में प्रयुक्त इन्द्र के नाम पर्याय | अंक 45 | ||
विद्यासागर गुप्त | समस्त भारत को एकता के सूत्र में बाँधने वाले आद्य शंकराचार्य | अंक 45 | ||
शिवदत्तशर्मा चतुर्वेदी | उदाहरण-परिशीलन | अंक 45 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- संस्कृत संजीवनी | अंक 45 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 45 | ||
अनन्त राम दीक्षितर् | श्रीदुर्गा-स्तव | अंक 46 | ||
अरविन्द मानव | आर्त निवेदन (कविता) | अंक 46 | ||
ओम प्रकाश सिन्हा | राष्ट्रभाषा हिन्दी का भविष्य : संकट और उपाय | अंक 46 | ||
कामाख्या चरण मिश्र | तब मारुत सुत मुठिका हन्यो | अंक 46 | ||
कृष्णदेव प्रसाद | महाकवि तुलसीदास और हनुमन्नाटक | अंक 46 | ||
कृष्णनन्दन प्रसाद ‘अभिलाषी’ | तुलसी की शैली | अंक 46 | ||
गणेश दत्त मिश्र | पुस्तक-समीक्षा- हमारे राष्ट्रोद्यान के सुरभित पुष्प (सप्तमूर्ति के व्यक्तित्वों परिचय), ले. परमानन्द दोषी | अंक 46 | ||
जनार्दन यादव | साहित्य में काम की अवधारणा | अंक 46 | ||
तारकेश्वर प्रसाद सिंह | महानायक श्रीकृष्ण: विराट् व्यक्तित्व | अंक 46 | ||
रघुनाथ प्रसाद ‘विकल’ | महावीरी ध्वज की जन्म-कथा | अंक 46 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | वेद कालीन आर्य स्त्रियाँ | अंक 46 | ||
शत्रुघ्न प्रसाद | निर्गुण-सगुण की द्वैधभूमि | अंक 46 | ||
श्यामजी मिश्र | राष्ट्रकवि डॉ. दिनकर की राष्ट्रीय चेतना एवं काव्य साहित्य की प्रेरणा-भूमि | अंक 46 | ||
श्रीरंग शाही | भारतीय संस्कृति की कीर्तिवाहिनी गंगा | अंक 46 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- भगवान् श्रीकृष्ण जन्म कहाँ हुआ था | अंक 46 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 46 | ||
अमरनाथ सिन्हा | संस्कृति और कल्चर: आवधारणिक आयाम एवं वैश्विकता | अंक 47 | ||
अरविन्द मानव | अभय (कविता) | अंक 47 | ||
आचार्य गणेश | महात्मा गांधी की धर्म-साधना | अंक 47 | ||
चन्द्रकला कुमारी | सूर-काव्य में राधा | अंक 47 | ||
जनार्दन यादव | विश्वमाता गाय : अध्यात्म से विज्ञान तक | अंक 47 | ||
जितेन्द्र कुमार सिंह | कैंसर संस्थान : वर्तमान विशेषता और भावी विकास | अंक 47 | ||
नरेन्द्र झा | साकेत के नवम सर्ग का काव्यवैभव | अंक 47 | ||
भुवनेश्वर प्रसाद गुरुमैता | भारतीय संस्कृति के विकास में हरियाणा और सरस्वती का योगदान | अंक 47 | ||
रामविलास चौधुरी | विश्व-संस्कृत-प्रतिष्ठानस्य बिहार प्रान्तीयाध्यक्ष : आचार्य रामानन्ददास | अंक 47 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | अनागस और अखण्ड बनें | अंक 47 | ||
विजय विनीत | कृष्ण का अर्थतात्त्विक अध्ययन | अंक 47 | ||
वैजनाथ | योग-वासिष्ठ में प्रतिपादित निर्वाण का स्वरूप | अंक 47 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- राम से राम सीया से सीया | अंक 47 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द सम्पदा | अंक 47 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 47 | ||
सीताराम सिंह ‘प्रभंजन’ | मध्यकाल और गोस्वामी तुलसीदास | अंक 47 | ||
अरविन्द मानव | बोध (कविता) | अंक 48 | ||
आद्याचरण झा | गो शब्द की व्युत्पत्ति और उसके विविध अर्थों के रहस्य | अंक 48 | ||
कृष्णदेव प्रसाद | ‘प्रतिमा’ नाटक और रामचरितमानस | अंक 48 | ||
जनार्दन यादव | भारतीय वाङ्मय में पंच महाभूत | अंक 48 | ||
डी. आर. ब्रह्मचारी | भक्ति की सांद्रता | अंक 48 | ||
नागेश्वर सिंह ‘शशीन्द्र’ | त्याग एवं साधना के आर्दश लक्ष्मण | अंक 48 | ||
प्रसाद, डा. | विद्या की महत्ता | अंक 48 | ||
भुलन सिंह | महाभागवत भरत | अंक 48 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | पुस्तक-समीक्षा- अक्षर भारती, ले. डा. श्रीरंजन सूरिदेव | अंक 48 | ||
रघुनाथ प्रसाद ‘विकल’ | उत्तंग-मेघ की जन्मकथा : मनुष्य-मनुष्य | अंक 48 | ||
राजेन्द्र झा | स्व. रामानन्ददासाय श्रद्धाञ्जलिपुष्पम् (संस्कृत काव्य) | अंक 48 | ||
राजेन्द्र नारायण शर्मा | जयति जननि भारती (कविता) | अंक 48 | ||
राजेन्द्र राज | अंग जनपद और शृंगी ऋषि | अंक 48 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | गांधी जीवन में चम्पारण की भूमिका | अंक 48 | ||
श्रीरंग शाही | सन्त कवि मँगनी राम | अंक 48 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- चेतना की संस्कृति | अंक 48 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा- क्या हम जो बोलते हैं, वही लिखते भी हैं? | अंक 48 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 48 | ||
अरविन्द मानव | अभय दान (कविता) | अंक 49 | ||
कामाख्या चरण मिश्र | ‘खसी माल मूरति मुसकानी’ | अंक 49 | ||
जनार्दन यादव | किस विराट नगर में पांडवों का अज्ञातवास? | अंक 49 | ||
नारायण झा | गंगा : भारतीय संस्कृति और जीवन की अमृतधारा | अंक 49 | ||
प्रफुल्ल कुमार सिंह 'मौन' | मँगनीराम झा की ‘द्रौपदी-पुकार' | अंक 49 | ||
युगेश्वर | दो अवतार दो पद्धति | अंक 49 | ||
रामजी सिंह | हिन्दू-धर्म और हिन्दुत्व | अंक 49 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | दायित्व-बोध और आज का भारत | अंक 49 | ||
विजय विनीत | ‘परिवर्तन’ में प्रोक्तिस्तरीय अग्रप्रस्तुति | अंक 49 | ||
विनोद कुमार सिन्हा | निराला और विवेकानन्द : चिंतन की एकरूपता | अंक 49 | ||
श्रीनिवास तिवारी ‘मधुकर’ | वाल्मीकीय रामायण के श्रीहनुमान् की उपादेयता | अंक 49 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- देवता और देवता और स्वत्वाधिकार | अंक 49 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द सम्पदा- क्या हम जो बोलते हैं वही लिखते भी हैं? (भाग 2) | अंक 49 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 49 | ||
सूर्यदत्त शास्त्री ‘रक्ताभ’ | खालसा पंथ का उदय अर्थात् हिन्दू धर्म का उर्ध्वगामी विकास | अंक 49 | ||
होमी डी. सेठना | जरथुष्ट्र ने हमें क्या दिया? | अंक 49 | ||
अरविन्द मानव | उद्गार गीत (कविता) | अंक 50 | ||
आचार्य गणेश | पंचतन्त्र एवं हितोपदेश: भारतीय मनीषा के गौरव ग्रन्थ | अंक 50 | ||
इन्दुभूषण मिश्र ‘देवेन्दु’’ | ‘राघवपाण्डवीयम्’ में श्रीराम का स्वरूप | अंक 50 | ||
इन्द्रदेव उपाध्याय | तुलसी का युगबोध (कविता) | अंक 50 | ||
कृष्णनन्दन प्रसाद ‘अभिलाषी’ | श्री हनुमान बड़े गुणवान | अंक 50 | ||
कौशल कुमार सिंह | मानस में अवतारवाद | अंक 50 | ||
गनौरी महतो | ‘श्रीवचनभूषणम्’ में प्रतिपादित भक्ति और प्रपत्ति | अंक 50 | ||
गोपनीनाथ कविराज, म.म. | महाशक्ति श्री श्री माँ | अंक 50 | ||
जनार्दन यादव | भारतीय साहित्य में नारी | अंक 50 | ||
दीनानाथ झा ‘दिनकर’ | मूर्ति-पूजा का रहस्य | अंक 50 | ||
परमानन्द दोषी | राजेन्द्र लिहाड़ी की शहादत की अमर कहानी | अंक 50 | ||
महन्त उद्धव दासजी | गोस्वामीजी की दृष्टि में भक्ति और ज्ञान का तारतम्य | अंक 50 | ||
राजेन्द्र प्रसाद द्विवेदी | वीरों की चिरनिद्रा | अंक 50 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | अनागस और अखण्ड बनें | अंक 50 | ||
वरुण कुमार मिश्र | हिन्दी और स्वदेशी : सारण प्रमण्डल की श्लाघ्य भूमिका | अंक 50 | ||
शिवदत्तशर्मा चतुर्वेदी | अलौकिकता का स्वरूप | अंक 50 | ||
शिववंश पाण्डेय | धर्मग्रंथों में गुरु का स्वरूप | अंक 50 | ||
श्यामजी मिश्र | राष्ट्रीय काव्यधारा के शिखर पुरुष : महाकवि बालकृष्ण शर्मा ‘नवीन’ | अंक 50 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- संयत आचरण और समाज | अंक 50 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 50 | ||
हीरालाल पाण्डेय | हिन्दुत्वः एक सनातन यात्रा | अंक 50 | ||
अनिल कुमार राय | रेकी में है अद्भुत उपचारकारी क्षमता | अंक 51 | ||
अरविन्द मानव | श्री हनुमत्स्तुति (कविता) | अंक 51 | ||
आद्याचरण झा | संस्कृति साहित्य में ‘शिव’ | अंक 51 | ||
आभा पूर्वे | अंगिका साहित्य में रामकथा | अंक 51 | ||
उद्धव दासजी शास्त्री | पूर्वजन्मकृतं कर्म तद्दैवमिति कथ्यते | अंक 51 | ||
ओम प्रकाश सिन्हा | पितरों का तृप्ति की शास्त्रीय विधि | अंक 51 | ||
कृष्णदेव प्रसाद | अनर्घराघव और तुलसी | अंक 51 | ||
जनार्दन यादव | वसंत पंचमी और श्रीपंचमी | अंक 51 | ||
परमानन्द दोषी | क्रान्तिवीर पं. गेंदालाल दीक्षित की संघर्ष-गाथा | अंक 51 | ||
युगेश्वर | तुलसी साहित्य में माया | अंक 51 | ||
राजेन्द्र झा | विक्रमाङ्कदेवचरित : सुभाषित एवं सन्देश | अंक 51 | ||
राजेन्द्र राज | इन्द्र दमनेश्वर महादेव मंदिर, अशोक धाम | अंक 51 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | हिन्दू-धर्म की जीवन्तता का रहस्य | अंक 51 | ||
विजय विनीत | ‘राम की शक्ति-पूजा’ में विपथनमूलक अग्रप्रस्तुति | अंक 51 | ||
श्याम सुन्दर प्रसाद यादव | प्रेम है जहां ईश्वर है वहां | अंक 51 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- सहस्राब्दी का संवेद | अंक 51 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 51 | ||
अरविन्द मानव | भीष्म प्रार्थना (कविता) | अंक 52 | ||
आचार्य गणेश | भगवान् श्रीकृष्ण की आकर्षणशीलता | अंक 52 | ||
उद्धव दासजी शास्त्री | भक्ति का रहस्य | अंक 52 | ||
ओम प्रकाश सिन्हा | भारतीय संस्कृति का आईना देववाणी: संस्कृत | अंक 52 | ||
कामाख्या चरण मिश्र | धूप तरी तिरती कुहरी की झील मे | अंक 52 | ||
गणेश दत्त मिश्र | पुस्तक समीक्षा- लक्ष्मणतत्त्व विमर्श, ले. डा. राधेश्याम रामायणी | अंक 52 | ||
जनार्दन यादव | संस्कृति: एक विश्लेषण | अंक 52 | ||
डी. आर. ब्रह्मचारी | मानस की रूपक योजना | अंक 52 | ||
फजलुर रहमान हाशमी | सवाल श्रीराम के मौलिक अवदान का | अंक 52 | ||
भुलन सिंह | संस्कार की महिमा | अंक 52 | ||
रघुनाथ प्रसाद ‘विकल’ | श्रीराम का सहायक अनार्य कबंध | अंक 52 | ||
रघुवंश प्रसाद रसिक | भाषा संवाहिका देवनागरी | अंक 52 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | वर्तमान भारत : एक अवलोकन | अंक 52 | ||
विनोद कुमार सिन्हा | धर्म के प्रसंग में संत कबीर | अंक 52 | ||
विश्वम्भर नाथ पाण्डेय | रामचरित मानस का स्वरूप-निरूपण | अंक 52 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- होली की भावभूमि | अंक 52 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा- क्या हम जो बोलते हैं, वही लिखते भी हैं? | अंक 52 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 52 | ||
अरविन्द मानव | देव-स्तुति (कविता) | अंक 53 | ||
अविनाश नागदंश | विश्व के इकलौते हिन्दू राष्ट्र के तुलसीदास: भानुभक्त आचार्य | अंक 53 | ||
आर. आर. प्रसाद | सांस्कृतिक संकट एवं एलेक्ट्रॉनिक मीडिया | अंक 53 | ||
उद्धव दासजी शास्त्री | श्री सीताजी में पुरस्कारत्व | अंक 53 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | कस्मै दवाय हविषा विधेम | अंक 53 | ||
तारकेश्वर प्रसाद सिंह | महायोगी अरविन्द | अंक 53 | ||
प्रफुल्ल कुमार सिंह 'मौन' | जानकी की उत्तर गाथा: ‘लवहरि-कुशहरि’ | अंक 53 | ||
भुवनेश्वर प्रसाद गुरुमैता | ‘‘श्री गुरु-पद-नख-मनिगन-जोती’’ | अंक 53 | ||
राजेन्द्र झा | मारुति स्तुति: एक भव्य संग्रह | अंक 53 | ||
राजेन्द्र राज | संत कवियों का योगदान | अंक 53 | ||
रामजी सिंह | क्या नारी नरक का द्वार है? | अंक 53 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | विश्व-वाङ्मय का सर्वश्रेष्ठ मंगल-काव्य | अंक 53 | ||
विजय विनीत | ‘भस्मांकुर’ में प्रयुक्त ‘कामदेव’ का अर्थतत्त्व | अंक 53 | ||
शत्रुघ्न प्रसाद | त्वं वैष्णवी शक्तिःअनन्तवीर्या | अंक 53 | ||
श्रीनिवास तिवारी ‘मधुकर’ | संस्कृत वाङ्मय में हनुमत् तत्त्व विवेचन | अंक 53 | ||
संकलन- श्री एन. रामास्वामी | राम-स्तुति (संस्कृत) | अंक 53 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय- हिन्दुत्व और राष्ट्रीय एकसूत्रता के तत्त्व | अंक 53 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा- क्या हम जो बोलते हैं, वही लिखते भी हैं? | अंक 53 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 53 | ||
सूर्यदत्त शास्त्री ‘रक्ताभ’ | वर्णाश्रम, हिन्दू जाति एवं सनातन धर्म | अंक 53 | ||
अरविन्द मानव | दीन याचना (कविता) | अंक 54 | ||
आद्याचरण झा | महाकवि कालिदास के काव्यों में मैथिली सीता | अंक 54 | ||
उमेश चन्द्र मिश्र | सांख्य-योगः एक आत्मकथा | अंक 54 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | ‘‘भवानी शंकरौ वन्दे श्रद्धाविश्वासरूपिणौ’’ | अंक 54 | ||
ओम प्रकाश सिन्हा | भारत के प्रसिद्ध मारुति मन्दिर | अंक 54 | ||
कृष्ण मोहन झा | संख्या दो एवं तीन के आधार पर संकलित कुछ तथ्य | अंक 54 | ||
कृष्णदेव प्रसाद | गोस्वामी तुलसीदास और प्रसन्नराघव | अंक 54 | ||
कृष्णनन्दन प्रसाद ‘अभिलाषी’ | ‘मानस’ तथा वाणी और विनायक | अंक 54 | ||
डी. आर. ब्रह्मचारी | कबीर-काव्य में संख्यामूलक प्रतीक | अंक 54 | ||
दीनानाथ झा ‘दिनकर’ | सम्पूर्ण सिद्धियों का मूल गुरु शरणागति | अंक 54 | ||
फजलुर रहमान हाशमी | गीता का जीवन दर्शन और श्रीकृष्ण | अंक 54 | ||
राजेन्द्र प्रसाद द्विवेदी | इक्कीसवीं शताब्दी में शिक्षा का स्वरूप | अंक 54 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | विकृति, प्रकृति और संस्कृति | अंक 54 | ||
वरुण कुमार मिश्र | लोक-साहित्य और लोक-भाषा | अंक 54 | ||
वीरेन्द्र कुमार वसु | साम्प्रदायिक सद्भाव के संदर्भ में मध्यकालीन काव्य | अंक 54 | ||
शोभा कान्त झा | ‘सर्वमङ्लमङ्गल्ये' | अंक 54 | ||
श्याम सुन्दर प्रसाद यादव | तुलसी की भक्ति-भावना | अंक 54 | ||
सम्पादक-मण्डल | सम्पादकीय-कर्म और प्रयोज्य तथा प्रयोजक | अंक 54 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 54 | ||
अरविन्द मानव | अशेषार्पण (कविता) | अंक 55 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | धर्म का अर्थ ही है सर्वधर्मसमभाव | अंक 55 | ||
कामाख्या चरण मिश्र | अशोक वन (एकांकी) | अंक 55 | ||
किशोर कुणाल | विप्रनारायण (कविता) | अंक 55 | ||
दशरथ पाण्डेय | ऐसे राम दीन-हितकारी | अंक 55 | ||
भुलन सिंह | हम वासी उस देश के, जहाँ ब्रह्म का खेल | अंक 55 | ||
भुवनेश्वर प्रसाद गुरुमैता | निराला साहित्य की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि | अंक 55 | ||
राजेन्द्र झा | आचार्य सोमदेव एवं यशस्तिलकचंपू | अंक 55 | ||
रामजी सिंह | स्वधर्म और स्वकर्म: विसंगतियाँ एवं प्रासंगिकताएँ | अंक 55 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | समुद्रमंथन और तुलसीदास जी की रूपकयोजना | अंक 55 | ||
विनोद कुमार सिन्हा | राम और कृष्ण के अनन्य उपासक कवि रहीम | अंक 55 | ||
श्रीकृष्ण पाण्डेय | आध्यात्मिक ग्रंथों में प्रकृति एवं पुरुष | अंक 55 | ||
श्रीरंग शाही | कृष्ण भक्त कवि रसखान की प्रेमसाधना | अंक 55 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | नवरात्र: नारीशक्ति के अभ्युदय का पर्व | अंक 55 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | सम्पादकीय- फलश्रुति | अंक 55 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 55 | ||
अरविन्द मानव | श्रीनृसिंहदेव स्तुति (कविता) | अंक 56 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | स्वामी विवेकानन्द का नव वेदान्त दर्शन: जीवसेवा-शिवसेवा | अंक 56 | ||
ओम प्रकाश सिन्हा | अतिथि-सेवा के रोमांचकारी चूड़ान्त निदर्शन | अंक 56 | ||
किशोर कुणाल | प्रकट हो गये विष्णु भगवान् (कविता) | अंक 56 | ||
दीनानाथ झा ‘दिनकर’ | शान्तिप्राप्ति का सहज साधन: कर्मयोग | अंक 56 | ||
परमानन्द दोषी | महान् मनीषी डॉ. काशी प्रसाद जायसवाल | अंक 56 | ||
महादेवी वर्मा | भारतीय संस्कृति की पृष्ठभूमि (सम्भाषण से साभार) | अंक 56 | ||
युगेश्वर | दास होना ही भक्ति है | अंक 56 | ||
रामकुमार वर्मा | श्रीलंका में अशोक वाटिका की खोज | अंक 56 | ||
रामधारी सिंह दिनकर | प्रवृत्ति का उत्थान : लोकमान्य तिलक | अंक 56 | ||
रामश्रय राय | आचार: प्रथमो धर्मः | अंक 56 | ||
वीरेन्द्र कुमार वसु | खड़ीबोली हिन्दी के बीच कवि: अमीर खुसरो | अंक 56 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | रुद्रावतार अतुलितबलधाम हनुमान् | अंक 56 | ||
संकलित | याज्ञवल्क्यकृत सरस्वती-स्तोत्र (ब्रह्मवैवर्त पुराण से) | अंक 56 | ||
संकलित | गुरुभक्ति का फल (बोधकथा) | अंक 56 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | सम्पादकीय- अक्षराणां अकारोऽस्मि | अंक 56 | ||
सारंगधर, आचार्य | वेदादि ग्रन्थों में विश्वबन्धुत्व एवं मानवसमन्वय की भावना | अंक 56 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 56 | ||
अरविन्द मानव | श्रीशिववन्दन | अंक 57 | ||
किशोर कुणाल | द्रोणाचार्य और एकलव्य | अंक 57 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | आध्यात्मिक चिन्तन में साम्यवाद | अंक 57 | ||
जनार्दन यादव | वैदिक शास्त्रों में शूद्र और स्त्रियाँ | अंक 57 | ||
डी. आर. ब्रह्मचारी | सीतानिर्वासन का सच | अंक 57 | ||
परमानन्द दोषी | ‘वन्दे मातरम्’ के अमर कवि बंकिमचन्द्र | अंक 57 | ||
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र | भक्तिसूत्र वैजयन्ती | अंक 57 | ||
राजीव रंजन गिरि ‘रविकर’ | कबीर का रहस्यवाद | अंक 57 | ||
रामधारी सिंह दिनकर | मुस्लिम कवियों को राष्ट्रीयता | अंक 57 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | श्रीरामकथा का वैशिष्ट्य | अंक 57 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | हिन्दीभाषाः प्रयोग और अपप्रयोग | अंक 57 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | सम्पादकीय- | अंक 57 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 57 | ||
हरिनन्दन कुमार | दुर्गावतारणाः समन्वित शक्तियोग | अंक 57 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | कृष्णस्तु भगवान् स्वयम् ( सम्पादकीय) | अंक 58 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 58 | ||
किशोर कुणाल | पशून् मे रक्ष चण्डिके | अंक 58 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | उत्तिष्ठ हे कापुरुष | अंक 58 | ||
एस.एन.पी.सिन्हा | भारतीय संस्कृति की भूमा दृष्टिः | अंक 58 | ||
हरिनन्दन कुमार | अनुपम प्रकाश पुंज-कृष्ण और बुद्धः | अंक 58 | ||
दीनानाथ झा ‘दिनकर’ | प्रत्येक द्वापर में अवतार लेते हैं व्यास | अंक 58 | ||
कामाख्या चरण मिश्र | पुराणों में वर्णित शिवमहिमा | अंक 58 | ||
संकलित | सविधि हरितालिका- व्रतकथा | अंक 58 | ||
अरविन्द मानव | जीव की प्रार्थना | अंक 58 | ||
कृष्णानन्द | वेद, रामायण और महाभारतयुग में विधवा की स्थिति : | अंक 58 | ||
कैलाश त्रिपाठी | मानस में रूपतत्त्व | अंक 58 | ||
भुलन सिंह | प्रारब्ध की प्रबलता | अंक 58 | ||
रामधारी सिंह दिनकर | आर्य और आर्येतर संस्कृतियों का मिलन | अंक 58 | ||
श्यामानन्द लाल दास | राष्ट्रीय अखण्डता और साहित्य | अंक 58 | ||
श्यामसुन्दर प्रसाद यादव | राष्ट्रीय भावनाओं के ओजस्वी कवि दिनकर | अंक 58 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | हिन्दी में नये प्रयोग | अंक 58 | ||
अमोघ नारायण झा | नारियों का स्नेह-पर्व सामा-चकेबा | अंक 59 | ||
अरविन्द मानव | श्रीकृष्णस्तुति (कविता) | अंक 59 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | भागवत कथा | अंक 59 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | मृत्युंजय है आत्मा | अंक 59 | ||
किशोर कुणाल | सन्त नाभादास | अंक 59 | ||
जनार्दन प्रसाद सिंह | गौरवशाली अंग जनपद | अंक 59 | ||
जयकान्त मिश्र | वन्दे मातरम् | अंक 59 | ||
डी. आर. ब्रह्मचारी | तुलसी का दाम्पत्य निरूपण | अंक 59 | ||
तारकेश्वर प्रसाद सिंह | श्री अरविन्द की सिद्धि और मूल दर्शन | अंक 59 | ||
प्रताप कुमार मिश्र | वाल्मीकि रामायण और मुसलमान | अंक 59 | ||
रामधारी सिंह दिनकर | महाराष्ट्र में नवोत्थान (संस्कृति के चार अध्याय से) | अंक 59 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | दीपो यत्नेन वार्यताम् | अंक 59 | ||
शिववंश पाण्डेय | धर्म का दर्शन: भारतीय अवधारणा | अंक 59 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | सांस्कृतिक पहचान का पर्व छठ | अंक 59 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | द्वन्द्वः सामासिकस्य च (सम्पादकीय) | अंक 59 | ||
सारंगधर, आचार्य | शब्द-सम्पदा | अंक 59 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | मुक्तिकोपनिषद् का हिन्दी अनुवाद | अंक 59 | ||
सूर्यदत्त शास्त्री ‘रक्ताभ’ | नारी तेजस्विता का गाथाग्रन्थ : दुर्गासप्तशती | अंक 59 | ||
अरविन्द मानव | भावगीत (कविता) | अंक 60 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | जै जै सियाराम | अंक 60 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | परम शान्ति का मूल मन्त्र: सर्वभूतहिते रताः | अंक 60 | ||
किशोर कुणाल | पशुबलि की निन्दा | अंक 60 | ||
दामोदर दत्त मिश्र ‘प्रसून’ | रास-पंचाध्यायी: एक विहगावलोकन | अंक 60 | ||
परमानन्द दोषी | स्वतन्त्रता-संग्राम के पुरोधा: महर्षि दयानन्द | अंक 60 | ||
प्रेमा तिवारी | एष धर्मः सनातन | अंक 60 | ||
भुलन सिंह | सन्त-माहात्म्य का रहस्य | अंक 60 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | गुरुदक्षिणा (नाटक) | अंक 60 | ||
राजेन्द्र झा | वामनपुराण : एक अध्ययन | अंक 60 | ||
रामविलास चौधरी | मानव-जीवन में सुख-प्राप्ति | अंक 60 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | प्रार्थना: स्वरूप और महत्त्व | अंक 60 | ||
श्यामसुन्दर प्रसाद यादव | सर्वसिद्धि-दायक हनुमान्-चालीसा | अंक 60 | ||
श्रीकृष्ण पाण्डेय | संसार वृक्ष की अवधारणा | अंक 60 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | हिन्दी-शब्दों की प्रायोगिक समस्याएं | अंक 60 | ||
सम्पादक-मण्डल | स्मृति-तर्पण, एक यशोधन व्यक्तित्व : देवेन्द्र प्रसाद सिंह | अंक 60 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | स वाच्यो भगवानिति (सम्पादकीय) | अंक 60 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | हिन्दू धर्मः महात्मा गांधी के विचार-दर्शन | अंक 61 | ||
किशोर कुणाल | लोकप्रचलित सत्यनारायण-कथा : आधारान्वेषण | अंक 61 | ||
कृष्णानन्द | बालविवाह : न धर्मसम्मत, न विधिसम्मत | अंक 61 | ||
कैलाश त्रिपाठी | गोपी-तत्त्व-मीमांसा | अंक 61 | ||
डी. आर. ब्रह्मचारी | बुद्धचरित और यशोधरा | अंक 61 | ||
दामोदर दत्त मिश्र ‘प्रसून’ | धर्म और श्रीराम | अंक 61 | ||
परमानन्द दोषी | भारतीय स्वातन्त्र्य-समर की अप्रतिम वीरांगना : दुर्गा भाभी | अंक 61 | ||
प्रताप कुमार मिश्र | योगवासिष्ठ और मुसलमान | अंक 61 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः (सम्पादकीय आलेख) | अंक 61 | ||
रामजी सिंह | धर्म और धर्म-परिवर्तन | अंक 61 | ||
रामधारी सिंह ‘दिनकर’ | विश्वधर्म के प्रवर्तकः सर्वपल्ली राधाकृष्णन | अंक 61 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | ऋषि-संस्कृति और कृषि-संस्कृति | अंक 61 | ||
वीरेन्द्र कुमार वसु | लोकसाहित्य के विविध आयाम | अंक 61 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | मनु की दृष्टि में नारी | अंक 61 | ||
सारंगधर, आचार्य | सत्य की अवधारणा | अंक 61 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | हर हर महादेव | अंक 61 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | धर्म में समन्वय की भावना | अंक 62 | ||
किशोर कुणाल | आदिपुरुष मनु महाराज और मनुस्मृति का रचयिता सुमति भार्गव | अंक 62 | ||
गोपालजी | बन्धन-दायक है आसुरी सम्पत्ति | अंक 62 | ||
जयकान्त मिश्र | सिद्धि माता | अंक 62 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | दान्तो भक्तवशोऽस्मि भोः (सम्पादकीय आलेख) | अंक 62 | ||
परमानन्द दोषी | हिन्दीसेवी विदेशी सन्त डा. कामिल बुल्के | अंक 62 | ||
भवनाथ झा | भ्रूण-पंचाशिका | अंक 62 | ||
भुवनेश्वर प्रसाद गुरुमैता | विश्वविख्यात विचारकों की दृष्टि में हिन्दुस्तान और हिन्दुत्व | अंक 62 | ||
महेश प्रसाद पाठक | राष्ट्रहितैषिणी वीरांगनाः माता कैकेयी | अंक 62 | ||
माखनलाल चतुर्वेदी | सद्धर्म, स्वातन्त्र्य, स्वदेश-सेवा | अंक 62 | ||
युगेश्वर | सूरसाहित्य में द्वन्द्व समास | अंक 62 | ||
राजनाथ झा | गोचर में सिंहराशिगत बृहस्पति का प्रभाव | अंक 62 | ||
रामविलास चौधरी | संस्कारों के लौकिक एवं पारलौकिक महत्त्व | अंक 62 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | वैराग्यरागरसिको भव भक्तिनिष्ठ | अंक 62 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | पाटलिपुत्र के राधावल्लभ-सम्प्रदाय की आचार्य-परम्परा | अंक 62 | ||
संकलित | आदिशंकराचार्य-कृत दशावतार-स्तोत्र | अंक 62 | ||
सम्पादक-मण्डल | यशःशेष परमहंस रामचन्द्रदासजी | अंक 62 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | हर हर महादेव | अंक 62 | ||
सूर्यदत्त शास्त्री ‘रक्ताभ’ | कबीर साहब की संवेदनशीलता | अंक 62 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | या देवी सर्वभूतेषु मातृ-रूपेण संस्थिता | अंक 63 | ||
किशोर कुणाल | गोस्वामी तुलसीदास | अंक 63 | ||
गोपालजी | आहार-शुद्धि से ब्रह्मानन्द की प्राप्ति | अंक 63 | ||
डी. आर. ब्रह्मचारी | सूर के उपालम्भ | अंक 63 | ||
दामोदर दत्त मिश्र ‘प्रसून’ | श्रीविद्योपासना | अंक 63 | ||
भवनाथ झा | भ्रूण-पंचाशिका | अंक 63 | ||
भुलन सिंह | देहाभिमान का मिट जाना ही मुक्ति है | अंक 63 | ||
भुवनेश्वर प्रसाद गुरुमैता | प्राचीन हिन्दू-वैज्ञानिक विचारों की वैश्विक श्रेष्ठता | अंक 63 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | देवदत्तो यथा कश्चित्पुत्राद्याह्वाननामतः (सम्पादकीय आलेख) | अंक 63 | ||
राजेन्द्र झा | ईश्वरगीताः एक अनुशीलन | अंक 63 | ||
रामविलास चौधरी | वनस्पतियों से मानवकल्याण | अंक 63 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | असमय के सखा | अंक 63 | ||
विद्यानन्द उपाध्याय | गीतासार : एक दृष्टि | अंक 63 | ||
श्यामानन्दलाल दास | राष्ट्रीय चेतना के अग्रदूत : स्वामी विवेकानन्द | अंक 63 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | ज्ञानगंज : गुप्त योगशिक्षा केन्द्र | अंक 63 | ||
सारंगधर, आचार्य | मृत्युकी अवधारणा | अंक 63 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | हर हर महादेव | अंक 63 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | परम शान्ति का मूल मन्त्र :”…सर्वभूतहिते रताः” | अंक 64-65 | ||
कमलेश नन्दिनी | वेदों में पशुबलि का विधान नहीं | अंक 64-65 | ||
किशोर कुणाल | श्रवणकुमार का उपाख्यान | अंक 64-65 | ||
कृष्णानन्द | सरस्वती-कृपा से ही साहित्य-सृजन सम्भव | अंक 64-65 | ||
कैलाश त्रिपाठी | मानस में मानवीय दृष्टियाँ | अंक 64-65 | ||
डी. आर. ब्रह्मचारी | कविवर रहीम की भक्तिभावना | अंक 64-65 | ||
तारकेश्वर नाथ सिन्हा | हिन्दी के प्रचार-प्रसार में धर्म-संवाहकों का योगदान | अंक 64-65 | ||
भवनाथ झा | भ्रूण-पंचाशिका | अंक 64-65 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | भवानी-शंकरौ वंदे श्रद्धाविस्वासरूपिणौ (सम्पादकीय आलेख ) | अंक 64-65 | ||
युगेश्वर | अवतार में अवतार | अंक 64-65 | ||
रामभवन सिंह | यशोदा के भाग्य | अंक 64-65 | ||
रामविलास चौधरी | शारदा-शतनाम उपनिषदों में प्रतिपादित आत्मा एवं ब्रह्म | अंक 64-65 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | धरती, संस्कृति और भाषाः राष्ट्रीयता की पहचान के तीन तत्त्व | अंक 64-65 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | सा विद्याया विमुक्तये मूलभाव | अंक 64-65 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | हर हर महादेव | अंक 64-65 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | भगवान् बुद्ध और उनके सन्देश | अंक 66 | ||
किशोर कुणाल | भरत और भरद्वाज के आख्यान | अंक 66 | ||
कृष्णानन्द प्रसाद ‘अभिलाषी’ | कवि तुलसी के भक्तिपरक विचार | अंक 66 | ||
कैलाशनाथ द्विवेदी | श्री रामानन्द का व्यक्तित्व एवं कृतित्व | अंक 66 | ||
जयकान्त मिश्र | परमाक्षर ‘एवं’ | अंक 66 | ||
ब्रजनन्दन प्रसाद सिंह | वैदिक संस्कृति : भारत की शाश्वत राष्ट्रीयता | अंक 66 | ||
भवनाथ झा | ‘पार्वती-मंगल’ की रचना का कालनिर्धारण | अंक 66 | ||
भारतेन्दु हरिश्चन्द्र | पुरुषोत्तममास-विधान | अंक 66 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | आचारहीनं न पुनन्ति वेदाः (सम्पादकीय आलेख) | अंक 66 | ||
युगेश्वर | तत्सुख-सुखिता | अंक 66 | ||
रामविलास चौधरी | सुखस्य मूलं धर्मः | अंक 66 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | आर्यजीवन-धारा के दो सुदृढ़ किनारे | अंक 66 | ||
विनोद कुमार सिन्हा | पन्थ और सम्प्रदाय : धर्म के निकट या दूर | अंक 66 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | वल्लभाचार्य का पुष्टिमार्ग | अंक 66 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | हर हर महादेव | अंक 66 | ||
अरविन्द मानव | श्रीनारायण स्तुति | अंक 67 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | जैन धर्म के प्रवर्तक : भगवान् आदिनाथ ऋषभदेव | अंक 67 | ||
कामाख्या चरण मिश्र | सुनु सुत तोहि उरिन मैं नाहीं | अंक 67 | ||
किशोर कुणाल | ब्राह्मण एवं श्रमण परम्परा का समन्वय | अंक 67 | ||
गोपालजी | भक्तिहि ज्ञानहि नहीं कछु भेदा | अंक 67 | ||
डी. आर. ब्रह्मचारी | ठसक छोरि रसखान | अंक 67 | ||
तारकेश्वर नाथ सिन्हा | प्राक्-स्वतन्त्रतायुगीन हिन्दी नाटकों की राष्ट्रीय चेतना | अंक 67 | ||
परमानन्द दोषी | दलितों के संन्यासी-स्वामी सहजानन्द सरस्वती | अंक 67 | ||
ब्रजनन्दन प्रसाद सिंह | कबीर की रामोपासना | अंक 67 | ||
भुलन सिंह | मन के जीतें जीत | अंक 67 | ||
भुवनेश्वर प्रसाद गुरुमैता | भारतीय साहित्य में शक्ति की अभिव्यंजना | अंक 67 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | परिपालय देवि विश्वम् (सम्पादकीय आलेख) | अंक 67 | ||
रामविलास चौधरी | कठोपनिषद् में नचिकेता के तीन वर | अंक 67 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | विजयादशमी का पावन पर्व : प्रतीकार्थ के साथ | अंक 67 | ||
श्यामसुन्दर घोष | मारिशस में रामायण | अंक 67 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | आदिकवि वाल्मीकि के इतिवृत्त में विविधता | अंक 67 | ||
सम्पादक-मण्डल | बौधायनकृत दुर्गार्चन-पद्धति | अंक 67 | ||
सम्पादक-मण्डल | छठ पर्व पर विशेष उपयोगी मन्त्र | अंक 67 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | हर हर महादेव | अंक 67 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | आत्मनो मोक्षार्थं जगद्धिताय च | अंक 68 | ||
कैलाश त्रिपाठी | गीता का भक्ति-योग | अंक 68 | ||
गोपालजी | उपनिषदों की सुगन्धि है गीता | अंक 68 | ||
जगदीश पाण्डेय ‘गौतम’ | इन्द्रभूति गौतम गणधर | अंक 68 | ||
जयकान्त मिश्र | प्लवगपुंगव हनुमान् | अंक 68 | ||
डी. आर. ब्रह्मचारी | सर्वोपरि धर्म : सेवा | अंक 68 | ||
तारकेश्वर नाथ सिन्हा | प्रसाद के नाटकों में राष्ट्रीय चेतना | अंक 68 | ||
परमानन्द दोषी | क्रान्तिकारी बाला प्रीतिलता वद्देदार | अंक 68 | ||
प्रणव देव | वियोगिनी वैदेही और ऊर्दू कविता में सीता | अंक 68 | ||
ब्रजनन्दन प्रसाद सिंह | गोस्वामी तुलसीदास अविवाहित थे | अंक 68 | ||
भवनाथ झा | वाग् वै सरस्वती (सम्पादकीय आलेख) | अंक 68 | ||
वासुदेव पाण्डेय | माया | अंक 68 | ||
शिववंश पाण्डेय | असुर-संहार की कारणभूत सीता | अंक 68 | ||
श्यामसुन्दर घोष | कालपुरुष की योजना | अंक 68 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | आर्य-संस्कृति और बिहार | अंक 68 | ||
अरविन्द मानव | नारायण कवच : अनुवाद (कविता) | अंक 69 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | भारतीय अध्यात्म-चिन्तन और सर्वधर्म समभाव | अंक 69 | ||
कमलेश नन्दिनी | सामवेद ज्ञान का भण्डार है | अंक 69 | ||
किशोर कुणाल | जगन्नाथस्वामी नयनपथगामी भवतु मे | अंक 69 | ||
चन्द्रकिशोर पाराशर | भारतीय कालगणना एवं नवसंवत्सरोत्सव | अंक 69 | ||
तीर्थ नाथ मिश्र | मैथिली साहित्य में राम-भक्ति-काव्य | अंक 69 | ||
भवनाथ झा | न ब्रूयात् सत्यमप्रियम् (सम्पादकीय आलेख) | अंक 69 | ||
रामजी सिंह | हिन्दू जीवन-शैली की वर्णमाला | अंक 69 | ||
रामविलास चौधरी | प्रकृति, विकृति एवं पर्यावरण | अंक 69 | ||
विनोद कुमार सिन्हा | माँ सीता की शाश्वत यात्राः सीतामढ़ी से सीतामढ़ी तक | अंक 69 | ||
शिवदत्त शर्मा चतुर्वेदी | आग्रह के विग्रह | अंक 69 | ||
श्री कान्त प्रसून | श्री अरविन्द : सावित्री एवं प्रकृति | अंक 69 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | परमार्थदर्शनम् : सप्तम भारतीय दर्शन | अंक 69 | ||
सम्पादक-मण्डल | जगन्नाथ-स्तुति (स्कन्दपुराण से) | अंक 69 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | हर हर महादेव | अंक 69 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | डॉ. राजेन्द्र प्रसाद और उनकी अंतिम इच्छा ‘कृष्णार्पणमस्तु’ | अंक 70 | ||
कामाख्या चरण सिंह | अबहिं मातु मैं जाऊँ लवाई | अंक 70 | ||
जगदीश झा | सांस्कृतिक और राष्ट्रीय चेतना के संवाहक वीर सावरकर | अंक 70 | ||
डी. आर. ब्रह्मचारी | हमारे जीवन-मूल्य | अंक 70 | ||
भवनाथ झा | पौराणिक सन्दर्भ में दीपावली (सम्पादकीय आलेख) | अंक 70 | ||
भवनाथ झा | व्रत-परिचय | अंक 70 | ||
भवनाथ झा | मालाबन्ध | अंक 70 | ||
भवनाथ झा | पुराण में वृक्षारोपण की महिमा | अंक 70 | ||
भवनाथ झा | विद्यापति के भोलेनाथ | अंक 70 | ||
भवनाथ झा | चण्डीस्तोत्रम् पृथ्वीधराचार्यविरचितम् | अंक 70 | ||
भवनाथ झा | रामतापिन्युपनिषद् में श्रीराम का दार्शनिक स्वरूप | अंक 70 | ||
रामजी सिंह | धर्म और साधनः सिद्धि | अंक 70 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | श्रुतवती भक्ति का वैशिष्ट्य | अंक 70 | ||
शिवदत्त शर्मा चतुर्वेदी | श्रीदुर्गासप्तशती की भूमिका | अंक 70 | ||
शिववंश पाण्डेय | वाल्मीकीय रामायण में वर्णित आदर्श राजा के लक्षण | अंक 70 | ||
श्री कान्त प्रसून | श्री अरविन्द और वेदान्त | अंक 70 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | रामकाव्य की वर्त्तमान धारा | अंक 70 | ||
अरविन्द मानव | सर्वस्व (कविता) | अंक 71 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | भगवान् बुद्ध के सप्त अपरिहानिया धम्मा | अंक 71 | ||
डी. आर. ब्रह्मचारी | तुलसीदास का देश-काल | अंक 71 | ||
तारकेश्वर नाथ सिन्हा | सांस्कृतिक चेतना से अनुस्यूत गया धाम | अंक 71 | ||
तारकेश्वर नाथ सिन्हा | हिन्दी के प्रचार प्रसार में धर्म संवाहकों का योगदान | अंक 71 | ||
नज़ीर मुहम्मद | आया शुभ त्योहार देश में होली का | अंक 71 | ||
नवीन चन्द्र झा | तपस्वी भक्तो वा भवति परतन्त्रः परचरः | अंक 71 | ||
भवनाथ झा | ब्रह्म और माया (सम्पादकीय आलेख) | अंक 71 | ||
भवनाथ झा | रामनवमी-व्रत निर्णय | अंक 71 | ||
रामविलास चौधरी | परनिन्दा सम अघ न गरीसा | अंक 71 | ||
विनोद कुमार सिन्हा | सांस्कृतिक कवयित्री महादेवी की रहस्यानुभूति | अंक 71 | ||
शिवदत्त शर्मा चतुर्वेदी | श्री ओझा का वैदिक चिन्तन | अंक 71 | ||
श्यामसुन्दर घोष | दिनकरजी की प्रथम काव्यकृति का नाम | अंक 71 | ||
श्रीकांत सिंह | रामचरितमानस‘ का शिव-सती प्रकरण | अंक 71 | ||
श्रीकान्त प्रसून | श्री अरविन्द और श्रीशंकर | अंक 71 | ||
श्रीकान्त व्यास | युगचेता तुलसी | अंक 71 | ||
संकलित | गङ्गादशहरा-स्तोत्र | अंक 71 | ||
संकलित | बुद्धावतार-स्तुति | अंक 71 | ||
संकलित | व्रत-त्योहार | अंक 71 | ||
सारंगधर, आचार्य | संस्कृत संभाषण का सरल स्वरूप | अंक 71 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | सबका मालिक एक | अंक 72 | ||
गोविन्द झा | एक प्रच्छन्न भक्त का पुण्य स्मरण | अंक 72 | ||
चन्द्र किशोर पाराशर | तुलसीदास की रचनाओं में मात्रिक समन्वय | अंक 72 | ||
जनार्दन यादव | पौराणिक शाप कथाएँ : भारतीय मिथक | अंक 72 | ||
डी. आर. ब्रह्मचारी | भारत : जायसी के मनोदर्पण में | अंक 72 | ||
भवनाथ झा | त्र्यम्बकं यजामहे (सम्पादकीय आलेख) | अंक 72 | ||
वासुदेव पाण्डेय | इक्ष्वाकु और निमि की वंशावली | अंक 72 | ||
विद्यानन्द उपाध्याय | दक्षिण पूर्व एशिया की संस्कृति पर रामायण का प्रभाव | अंक 72 | ||
विनोद कुमार सिन्हा | प्राचीन से अर्वाचीन तकः साहित्य की दृष्टि में ‘नारी’ | अंक 72 | ||
शिववंश पाण्डेय | रामकथा के ऋषि : नारद | अंक 72 | ||
श्रीकांत सिंह | तुलसीदास की गुरु-विषयक अवधारणा | अंक 72 | ||
श्रीकान्त प्रसून | श्री अरविन्द में वेदान्त-सी सृष्टि | अंक 72 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | तीर्थंकर महावीर की जन्मभूमि : वैशाली | अंक 72 | ||
सारंगधर, आचार्य | हिन्दी की स्वच्छन्दप्रियता | अंक 72 | ||
हरे कृष्ण तिवारी | रामचरितमानस में धर्म की अवधारणा | अंक 72 | ||
अरविन्द मानव | वेणुगीत | अंक 73 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | संतन में रैदास संत हैं | अंक 73 | ||
गंगा पीताम्बर शर्मा ‘श्यामहृदय’ | श्रीकृष्ण-क्रान्ति | अंक 73 | ||
चन्द्र किशोर पाराशर | डाक टिकटों में भारतीय संस्कृति आचार्य | अंक 73 | ||
जनार्दन यादव | पौराणिक शापकथाएँ: भारतीय मिथक | अंक 73 | ||
डी. आर. ब्रह्मचारी | तुलसी की अप्रस्तुत-योजना | अंक 73 | ||
श्यामसुन्दर घोष | सिंहासनबत्तीसी : कथाशिल्प का निहितार्थ | अंक 73 | ||
भवनाथ झा | सम्पादकीय- संस्कृत में बहुवचन का प्रयोग | अंक 73 | ||
राजनाथ झा | तिथियों का प्राचीन वर्णन | अंक 73 | ||
राजेन्द्र झा | विवाह संस्कार | अंक 73 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | श्रीरामचरितमानस में श्रीराम की शरीर-कान्ति | अंक 73 | ||
विनोद कुमार सिन्हा | रामचरितमानस में सगुणतथा निर्गुण के सन्धिस्थल | अंक 73 | ||
श्रीकान्त व्यास | शांति और आनंद | अंक 73 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | चक्रेश्वरी त्रिपुरसुन्दरी | अंक 73 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | शुक्लयजुर्वेदीय मुक्तिकोपनिषद् | अंक 73 | ||
Collected | Extract From District Gazetteer Sahabad | अंक 74 | ||
Collected | Extract From Antiquarian Remains in Bihar | अंक 74 | ||
Collected | A Note On Mundeshwari Temple | अंक 74 | ||
Collected | मूर्तियों के चित्र | अंक 74 | ||
Collected | लघु प्रस्तर-लेखों की नेत्र-प्रति | अंक 74 | ||
Krishna chandra Panigrahi | Temple of Mundeshwari in Sahabad | अंक 74 | ||
N. G. Majumadar. | The Mundeshwari Inscription of the Time of Udayasen:The Year 30. | अंक 74 | ||
P. C. Ray choudhary | Mundeshwari | अंक 74 | ||
R. D. Banarji | Mundeshwari Inscription of Udayasena | अंक 74 | ||
किशोर कुणाल | मुण्डेश्वरी भवानी : देश का प्राचीनतम मन्दिर | अंक 74 | ||
चक्रवर्ती श्री रामाधीन चतुर्वेदी | प्राचीनतम शक्तिपीठ मुण्डेश्वरी | अंक 74 | ||
दिवाकर पाठक | श्री मुण्डेश्वरी मन्दिर-अतीत और वर्तमान | अंक 74 | ||
प्रकाश चरण प्रसाद | मन्दिर का अवशिष्ट भाग एवं पुनर्निर्माण की भित्ति-योजना का प्रारूप मुण्डेश्वरी भवानी मन्दिर | अंक 74 | ||
भवनाथ झा | मुण्डेश्वरी भवानी : साहित्यिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि (सम्पादकीय आलेख) | अंक 74 | ||
सम्पादक | मुण्डेश्वरी शिलालेख शिलालेख का अनुवाद | अंक 74 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | चातक तुलसीदास | अंक 75 | ||
किशोर कुणाल | बिहार में रामायण-परिपथ का निर्धारण | अंक 75 | ||
किशोर कुणाल | Mundeshwari Edict of 108 A.D. | अंक 75 | ||
गोविन्द झा | कुछ धार्मिक शब्द और उनके आशय | अंक 75 | ||
तारानन्द वियोगी | तारा-तत्त्व-विमर्श | अंक 75 | ||
भवनाथ झा | सम्पादकीय आलेख) बिहार की गौरवमयी वैष्णव-धारा | अंक 75 | ||
युगल किशोर प्रसाद | श्रीकृष्णभक्त सूर की साधना | अंक 75 | ||
रामतवक्या शर्मा | कृष्ण-चरितात्मक प्रबन्ध एवं तुलसी-साहित्य | अंक 75 | ||
श्रीकान्त सिंह | बोधकथा रामचरितमानस में लोक-विश्वास | अंक 75 | ||
सम्पादक | कार्यक्रम समीक्षा— राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘मुण्डेश्वरी शिलालेख : काल एवं विषयवस्तु’ | अंक 75 | ||
अशोक कुमार ‘अंशुमाली’ | कीट्स-काव्य और कामायनी | अंक 76 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | सत्य साईं | अंक 76 | ||
किशोर कुणाल | मर्यादापुरुषोत्तम राम की ऐतिहासिकता | अंक 76 | ||
जयनन्दन पाण्डेय | राजा बलि की दानशीलता | अंक 76 | ||
डी. आर. ब्रह्मचारी | मैथिली भक्ति लोकगीतों में जीवन-दर्शन | अंक 76 | ||
तपेश्वर नाथ | राम, रामायण और राम-सेतु की पुरातनता | अंक 76 | ||
भवनाथ झा | सम्पादकीय- लोकरत्न ज्योतिर्विद् डाक | अंक 76 | ||
युगल किशोर प्रसाद | भक्त कवि नरोत्तम दास | अंक 76 | ||
राजेन्द्र झा | श्री पार्वती गीता : एक अनुशीलन | अंक 76 | ||
रामाश्रय प्रसाद सिंह | वाणी एवं चरित्र | अंक 76 | ||
शिववंश पाण्डेय | पुराणों में रामविषयक सन्दर्भ | अंक 76 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | संस्कृत-साहित्य में बाल-हितैषणा के तत्त्व | अंक 76 | ||
सीताराम झा ‘श्याम’ | भजन और श्रीमद्भागवत महापुराण | अंक 76 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | सांस्कृतिक समन्वयाचार्य : आदि शंकराचार्य | अंक 77 | ||
किशोर नाथ झा | मिथिला की वैष्णव धारा | अंक 77 | ||
कैलाश त्रिपाठी | जीवन का अन्तिम सोपान | अंक 77 | ||
गंगा पीताम्बर शर्मा ‘श्यामहृदय’ | श्रीकृष्णक्रान्ति (ललित-निबन्ध) | अंक 77 | ||
जटाधारी | विज्ञान एवं भक्ति का संगम | अंक 77 | ||
डी. आर. ब्रह्मचारी | कर्म का अध्यात्म और अध्यात्म का कर्म | अंक 77 | ||
धीरेन्द्र झा | वेदों में वैज्ञानिक शिल्प | अंक 77 | ||
भवनाथ झा | सम्पादकीय आलेख) मण्डन मिश्र का व्यक्तित्व | अंक 77 | ||
युगल किशोर प्रसाद | ‘पृथ्वीराज-रासो’ में देवोपासना एवं भक्ति के बीज | अंक 77 | ||
श्याम सुन्दर पाण्डेय | आदिकाव्य की प्रकृति का विभावगत वर्णन | अंक 77 | ||
श्यामसुन्दर घोष | ‘वेतालपचीसी’ का गूढार्थ-व्यंजक शिल्प | अंक 77 | ||
श्रीकांत सिंह | लोक-जीवन में रसे-बसे राम | अंक 77 | ||
श्रीकान्त प्रसून | कुण्डलिनी : पिण्ड से ब्रह्म तक | अंक 77 | ||
सत्या दयाल | महाकवि कालिदास का शिव-प्रेम | अंक 77 | ||
सम्पादक-मण्डल | रिपोर्ताज : दाहा नदी, पाण्डेय परसवनी एवं लक्ष्मण कुण्ड | अंक 77 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | शाश्वत सत्य का स्वरूप | अंक 78 | ||
गोविन्द झा | राष्ट्रीय पंचांग, जिसे हम भूल गये | अंक 78 | ||
घनश्याम दास ‘हंस’ | मुण्डेश्वरी चालीसा | अंक 78 | ||
जटाधारी | बिहार संस्कृति : मानव संस्कृति | अंक 78 | ||
भवनाथ झा | सम्पादकीय- सोमवती अमावस्या व्रत विधान | अंक 78 | ||
युगल किशोर प्रसाद | वैदिक सर्वात्मवाद की व्यापकता | अंक 78 | ||
शिववंश पाण्डेय | समकालीन हिन्दी कविता में लोक-चेतना | अंक 78 | ||
श्याम सुन्दर पाण्डेय | रामायण में पर्वत-वर्णन | अंक 78 | ||
श्रीकांत सिंह | बिहार के सिद्ध साहित्यकार | अंक 78 | ||
श्रीकान्त प्रसून | ब्रह्मतत्त्व एवं प्राण | अंक 78 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | बुद्ध-युग की वैशाली | अंक 78 | ||
सीताराम पाण्डेय | घोड़सेमर का ऐतिहासिक महत्त्व | अंक 78 | ||
किशोर कुणाल | वाल्मीकि रामायण के अनुसार समुद्र-मन्थन की कथा | अंक 79 | ||
किशोर कुणाल | सिमरिया में कार्तिक कल्पवास की मोक्षदायिनी परम्परा को बाधित न करें | अंक 79 | ||
ग्रिफिथ का अनुवाद | The Churning of the Ocean ( Extracted from the Mahabharata). | अंक 79 | ||
भवनाथ झा | हरिहर-क्षेत्र-माहात्म्य (सम्पादकीय आलेख) | अंक 79 | ||
भवनाथ झा | समुद्र मन्थन की कथा संकलन | अंक 79 | ||
भवनाथ झा | कुम्भपर्व का शास्त्रीय स्वरूप हिन्दी अनुवाद एवं प्रस्तुति | अंक 79 | ||
रामविलास चौधरी | पुस्तक-समीक्षा- अगस्त्य-संहिता का समीक्षात्मक विवरण | अंक 79 | ||
संकलित | ‘सूरसागर’ का समुद्र-मन्थन-प्रसंग | अंक 79 | ||
संकलित | सिमरिया में कुम्भ/अर्द्धकुम्भ के प्रश्न पर श्री चिदात्मन् स्वामी का पक्ष | अंक 79 | ||
संकलित | माननीय पटना उच्च न्यायालय द्वारा गठित समिति की सिमरिया में अर्द्ध-कुम्भ विषयक संस्तुति | अंक 79 | ||
संकलित | पर्व-निर्णय ग्रन्थ के भूमिका लेखक श्री नगेन्द्र कुमार शर्मा के द्वारा भूमिका में कुम्भपर्वनिर्णय निबन्ध का अंग्रेजी में प्रस्तुत संक्षिप्त विवेचन | अंक 79 | ||
सीताराम झा ‘श्याम’ | श्रीमद्भगवद्गीता की प्रासंगिकता | अंक 79 | ||
अशोक कुमार ‘अंशुमाली’ | जीवन का दर्शन : आरसी एवं टेनिसन की दृष्टि में | अंक 80 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | हस्ती मिटती नहीं हमारी | अंक 80 | ||
कृष्णानन्द झा | दानमानविमर्श | अंक 80 | ||
गंगा पीताम्बर शर्मा ‘श्यामहृदय’ | श्रीकृष्ण-क्रान्ति | अंक 80 | ||
गनौरी महतो | ‘मानस’ का पुष्पवाटिका- प्रसंग | अंक 80 | ||
भवनाथ झा | दान की गयी भूमि के अपहरण का पाप (सम्पादकीय आलेख) | अंक 80 | ||
भवनाथ झा | कर्म एवं ज्ञान के बीच सम्बन्ध | अंक 80 | ||
युगल किशोर प्रसाद | संत सूरजदास-कृत रामजन्म‘ काव्य-कृत्ति’ | अंक 80 | ||
राजेश्वर प्रसाद | रामचरितमानस में नगर-वर्णन | अंक 80 | ||
रामविलास चौधरी | वैदिक साहित्य में त्रयी-एक विश्लेषण | अंक 80 | ||
शिववंश पाण्डेय | ‘रामायण’ में ‘सुन्दरकाण्ड’ का महत्त्व | अंक 80 | ||
श्रीकांत सिंह | ‘मानस’ में वर्णित शाप तथा उनकी दिशाएँ | अंक 80 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | कौमुदी-महोत्सव की परम्परा और पाटलिपुत्र | अंक 80 | ||
गोपाल | सन्त पलटू दास और उनका दर्शन | अंक 81 | ||
भवनाथ झा | सम्पादकीय आलेख) जानकी-स्तवराज | अंक 81 | ||
राजेश्वर नारायण सिन्हा | भारतीय श्रीरामचरितमानस में जग-दर्शन | अंक 81 | ||
शशिनाथ झा | मण्डन मिश्र का निवास | अंक 81 | ||
सम्पादक-मण्डल | मन्दिर समाचार परिक्रमा | अंक 81 | ||
सम्पादक-मण्डल | विराट् रामायण मन्दिर के मॉडल का अनावरण | अंक 81 | ||
सम्पादक-मण्डल | महावीर मन्दिर में लोकसभा स्पीकर माननीया मीरा कुमार का कार्यक्रम | अंक 81 | ||
सम्पादक-मण्डल | भगवान् बुद्ध का चरित अब अधूरा नहीं रहा | अंक 81 | ||
सम्पादक-मण्डल | रामावत संगत | अंक 81 | ||
सम्पादक-मण्डल | सीताराम विवाहोत्सव का द्विदिवसीय कार्यक्रम आयोजित | अंक 81 | ||
सम्पादक-मण्डल | गीता-जयन्ती का समारोह | अंक 81 | ||
सुरेशचन्द्र मिश्र | परिक्रमा/प्रदक्षिणा | अंक 81 | ||
गौरीशंकर मिश्र | समानोत्थानवादी संत कवि कबीर | अंक 82 | ||
जितेन्द्र कुमार सिंह | स्वस्थ जीवन शैली अपनायें और नीरोग रहें | अंक 82 | ||
पण्डित विनय कुमार | महाकाव्य-चिन्तनः आलोचक एवं रचनाकार के विचार | अंक 82 | ||
पवन कुमार | भारत में सौर उपासना की प्राचीनता | अंक 82 | ||
भवनाथ झा | सूर्य के विभिन्न प्रकार की मूर्तियों का उल्लेख | अंक 82 | ||
भवनाथ झा | लक्ष्मीहृदयस्तोत्रम् | अंक 82 | ||
मोना बाला | त्याग के प्रतीक- महात्मा भरत | अंक 82 | ||
संकलित | श्रीनारायणहृदयस्तोत्र (मूलमात्र) | अंक 82 | ||
सपना, श्रीमती | विस्मयकारी है स्वप्नों का संसार | अंक 82 | ||
सुरेशचन्द्र मिश्र | रघुवंश में दिव्यानुभूतियों की एक झलक | अंक 82 | ||
अशोक कुमार ‘अंशुमाली’ | जयशंकर प्रसाद की कामायनी के श्रद्धा-मनु एवं प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन | अंक 83 | ||
आलोक कुमार | “तुलसी-साहित्य पर संस्कृत के अनार्ष प्रबन्धों की छाया” एक दृष्टि | अंक 83 | ||
किशोर कुणाल | बिहार के पर्यटन विकास में हिन्दू-विरासत की भूमिका | अंक 83 | ||
जयनन्दन पाण्डेय | राजर्षि अम्बरीष एवं दुर्वासा की कथा | अंक 83 | ||
भवनाथ झा | शारदा-तिलक में रामोपासना का स्वरूप (सम्पादकीय आलेख) | अंक 83 | ||
भुवनेश्वर प्रसाद गुरुमैता | व्यावहारिक वेदान्त के प्रतिष्ठाताः स्वामी विवेकानन्द | अंक 83 | ||
युगल किशोर प्रसाद | ‘रामलला नहछू’ का काव्य-सौन्दर्य | अंक 83 | ||
राजेश्वर नारायण सिन्हा | ‘विनय-पत्रिका’ की हरि-शंकरी | अंक 83 | ||
लक्ष्मीकान्त मुकुल | सामाजिक सद्भाव का दृष्टान्त : सिमरी का महावीरी झण्डा | अंक 83 | ||
विनय कुमार सिंह | धर्म, संस्कृति, सम्प्रदाय और लोक-जीवन | अंक 83 | ||
संकलित | मन्दिर समाचार परिक्रमा | अंक 83 | ||
सुरेशचन्द्र मिश्र | मगध-क्षेत्र में सूर्य-उपासना की प्राचीनता | अंक 83 | ||
ओम प्रकाश सिन्हा | हिमालय से गंगासागर तक गंगा की यात्रा | अंक 84 | ||
कृष्णानन्द झा | नववर्षोत्सवविमर्शः | अंक 84 | ||
गिरिजानन्दन पाण्डेय | कठोपनिषद् में प्रतिपादित दान एवं अतिथि सत्कार का महत्त्व | अंक 84 | ||
घनश्याम दास ‘हंस’ | अथ माँ शबरी स्तुति (कविता) | अंक 84 | ||
भवनाथ झा | सम्पादकीय- श्रीराममानस-पूजा | अंक 84 | ||
मगनदेव नारायण सिंह | गुरु दसमेस | अंक 84 | ||
शिवचन्द प्रसाद | महर्षि पाणिनि और उनका अष्टाध्यायी | अंक 84 | ||
सम्पादक-मण्डल | मन्दिर समाचार-परिक्रमा | अंक 84 | ||
सम्पादक-मण्डल | महावीर आरोग्य संस्थान के बढ़ते कदम | अंक 84 | ||
सर्वेशचन्द्र मिश्र | आपदर्थे धनं रक्षेत् | अंक 84 | ||
सुरेशचन्द्र मिश्र | उपासना | अंक 84 | ||
गोपाल भारतीय | लोकदेवता महात्मा गणिनाथ एवं योगेश्वर गोविन्दजी | अंक 85 | ||
जयनन्दन पाण्डेय | गर्भस्थ परीक्षित पर भगवान् श्रीकृष्ण की कृपा | अंक 85 | ||
नीरज कुमार मिश्र | अद्भुत है हमारा शरीर | अंक 85 | ||
भवनाथ झा | श्रीराम-स्तुति (सात्वत-तन्त्र से) (सम्पादकीय आलेख) | अंक 85 | ||
भवनाथ झा | देवी-पूजन में सर्वोत्तम नैवेद्य का विवेचन | अंक 85 | ||
भवनाथ झा | योग की परिभाषा | अंक 85 | ||
भवनाथ झा | बोध-कथाएँ | अंक 85 | ||
भवनाथ झा | संस्कृत-पाठ | अंक 85 | ||
मगनदेव नारायण सिंह | रुद्राक्ष के धार्मिक अनुप्रयोग | अंक 85 | ||
मोना बाला | रामायणकालीन-राजव्यवस्था | अंक 85 | ||
राकेश चन्द्र मिश्र ‘विराट’ | तुलसी का युगबोध एवं सामाजिक आदर्श | अंक 85 | ||
राजनाथ झा | ज्योतिष की दृष्टि में मानसिक रोग एवं अस्थमा रोग | अंक 85 | ||
राजेश्वर नारायण सिन्हा | वैष्णव सन्त तुलसीदास की अन्तर्यात्रा | अंक 85 | ||
रामविलास चौधरी | मूर्ख के लक्षण | अंक 85 | ||
सम्पादक-मण्डल | मन्दिर समाचार-परिक्रमा | अंक 85 | ||
सम्पादक-मण्डल | महावीर मन्दिर में विभिन्न पूजन मदों में निर्धारित शुल्क | अंक 85 | ||
सुरेश चन्द्र मिश्र | हनुमत्-स्तुति | अंक 85 | ||
उद्धव दासजी शास्त्री | प्रवचन | अंक 86 | ||
ओम प्रकाश सिन्हा | हिन्दी धार्मिक फिल्मों का स्वर्णिम अतीत | अंक 86 | ||
किरण कुमारी | ऋक्-संहिता में सूर्य | अंक 86 | ||
किशोर कुणाल | शास्त्राध्ययन-परम्परा का संरक्षण | अंक 86 | ||
गोपाल भारतीय, अनु. | शिवताण्डव स्तोत्र (हिन्दी पद्यानुवाद) | अंक 86 | ||
घनश्याम दास ‘हंस’ | श्रीगुप्तधाम की यात्रा | अंक 86 | ||
चन्द्रशेखर द्विवेदी ‘भारद्वाज’ | चरैवेति | अंक 86 | ||
जय नन्दन पाण्डेय | राजा परीक्षित् को शृङ्गी ऋषि का शाप | अंक 86 | ||
भवनाथ झा | सम्पादकीय आलेख) धर्म का शून्य स्तर | अंक 86 | ||
युगल किशोर प्रसाद | भारतीय वाङ्मय में माँ का स्वरूप | अंक 86 | ||
राजनाथ झा | ज्योतिष की दृष्टि से कैंसर का विश्लेषण | अंक 86 | ||
राजेश्वर नारायण सिन्हा | वैष्णव-सन्त तुलसीदास की अन्तर्यात्रा (गतांक से आगे) | अंक 86 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | हिन्दी के प्रचार-प्रसार में धर्मसंवाहक सन्तों की भूमिका | अंक 86 | ||
सम्पादक | देवस्तुति | अंक 86 | ||
सम्पादक | मन्दिर समाचार-परिक्रमा | अंक 86 | ||
सम्पादक | संस्कृत-शिक्षा आदि | अंक 86 | ||
आलोक कुमार | राष्ट्रीय अस्मिता और हिन्दी— | अंक 87 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | विष्णुपद मन्दिर का दर्शन और पूर्वजों का भाव-तर्पण— | अंक 87 | ||
किरण कुमारी शर्मा | ऋग्वेद में सविता का स्वरूप— | अंक 87 | ||
क्षमा कुमारी | संस्कृत नाट्यकला और भास | अंक 87 | ||
जयनन्दन पाण्डेय | महाराज परीक्षित् का अनशन व्रत— | अंक 87 | ||
भवनाथ झा | सम्पादकीय आलेख- ऋग्वेद में श्राद्धकर्म की श्रेष्ठता हिन्दी अनुवाद | अंक 87 | ||
भवनाथ झा | रुचिकृत पितृ-स्तुति हिन्दी अनुवाद | अंक 87 | ||
भारतेन्दु हरिश्चन्द द्वारा अनूदित | पुरुषोत्तममास माहात्म्य — | अंक 87 | ||
मगनदेव नारायण सिंह | इंसान की निःस्वार्थ सेवा ही सच्चा धर्म— | अंक 87 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | दान करे कल्याण | अंक 87 | ||
युगल किशोर प्रसाद | अलौकिक अनुभूतियाँ— | अंक 87 | ||
राकेश चन्द्र मिश्र ‘विराट’ | युगल छवि गीत— | अंक 87 | ||
राजनाथ झा | ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि से गठिया रोग— | अंक 87 | ||
सुरेश चन्द्र मिश्र | अब लौं नसानीं, अब ना नसैहौं— | अंक 87 | ||
अशोक मिश्र | सरस्वती वंदना | अंक 88 | ||
आलोक कुमार | राष्ट्रीय अस्मिता और हिन्दी | अंक 88 | ||
ओम प्रकाश सिन्हा | पाटलिपुत्र की ऐतिहासिक विरासत | अंक 88 | ||
किरण कुमारी शर्मा | ‘पूषा’ रूप में सूर्य | अंक 88 | ||
चन्द्रशेखर द्विवेदी भारद्वाज | पं. रामावतार शर्मा के मारुतिशतकम् के हनुमान् | अंक 88 | ||
छाया कुमारी | पटना में छठ-पर्व का एक वृत्तान्त फेनी पार्क्स | अंक 88 | ||
भवनाथ झा | रामचरितमानस के प्रथम सम्पादन की विशेषता (सम्पादकीय आलेख) | अंक 88 | ||
भवनाथ झा | साहेब रामदास के रामभक्ति-विषयक पाँच पद | अंक 88 | ||
मगनदेव नारायण सिंह | भगवानगंज (मसौढ़ी) का द्रोण स्तूप | अंक 88 | ||
मोना बाला | प्राचीन काल में यज्ञ का महत्त्व | अंक 88 | ||
युगल किशोर प्रसाद | रामानुजाचार्य का भक्ति के विकास में योगदान | अंक 88 | ||
राजनाथ झा | भारतीय ज्योतिष की दृष्टि से नेत्ररोग-विमर्श | अंक 88 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | भारतीय दर्शन में मुक्ति की अवधारणा | अंक 88 | ||
सम्पादक-मण्डल | मन्दिर समाचार परिक्रमा | अंक 88 | ||
सुरेश चन्द्र मिश्र | अब लौं नसानीं, अब ना नसैहौं | अंक 88 | ||
अशोक कुमार मिश्र | यज्ञ का आधार है मन्त्र-शक्ति | अंक 89 | ||
आशुतोष मिश्र | तुलसी के मानवतावाद की प्रासंगिकता | अंक 89 | ||
उमाशंकर सिंह | अष्टावक्र गीता – (हिंदी पद्यानुवाद) | अंक 89 | ||
उषा रानी | कलियुग का काल | अंक 89 | ||
ओम प्रकाश सिन्हा | पाटलिपुत्र की ऐतिहासिक विरासत | अंक 89 | ||
भवनाथ झा | हनुमज्जागरणस्तुतिः (स्वरचित संस्कृत स्तोत्र) (सम्पादकीय) | अंक 89 | ||
मगनदेव नारायण सिंह | कोशी किनारे के लोकगीत | अंक 89 | ||
राजनाथ झा | गण्डमूल दोष: भ्रान्ति एवं वास्तविकता | अंक 89 | ||
लक्ष्मीकान्त मुकुल | बक्सर में गंगा: अतीत से वर्तमान तक | अंक 89 | ||
शशिनाथ झा | पाण्डवगीता सम्पादन | अंक 89 | ||
सम्पादक-मण्डल | श्रवण कुमार पुरस्कार योजना | अंक 89 | ||
सविता मिश्रा ‘मागधी’ | आदि शंकराचार्य | अंक 89 | ||
सुरेश चन्द्र मिश्र | अब लौं नसानीं अब ना नसैहौं | अंक 89 | ||
अवधेश मिश्र | क्या, बस यही ज्ञान है? | अंक 90 | ||
उषा रानी | मुरली | अंक 90 | ||
कुमार गंगानन्द सिंह | धन की अधिष्ठात्री देवी: गोमाता | अंक 90 | ||
गणेश शंकर पाण्डेय | साधना | अंक 90 | ||
घनश्याम दास ‘हंस’ | एक संत की जीवन-यात्रा | अंक 90 | ||
बाबू रामदीन सिंह | श्री भक्तवर शंकर दासजी का जीवन चरित्र (बिहार दर्पण से पुनर्मुद्रित) | अंक 90 | ||
भवनाथ झा | हनुमान-चालीसा की एक पाण्डुलिपि का विवेचन (सम्पादकीय आलेख) | अंक 90 | ||
भवनाथ झा | संस्कृत सीखें | अंक 90 | ||
भवनाथ झा | आवासीय कर्मकाण्ड प्रशिक्षण कार्यशाला | अंक 90 | ||
युगल किशोर प्रसाद | शिक्षा का प्राचीन भारतीय स्वरूप | अंक 90 | ||
राजनाथ झा | कृषि विज्ञान में ज्योतिषशास्त्र की भूमिका | अंक 90 | ||
सम्पादक | पञ्चगव्य बनाने की शास्त्रीय विधि | अंक 90 | ||
सुरेशचन्द्र मिश्र | अब लौं नसानीं अब ना नसैहौं, भाग- 4 | अंक 90 | ||
सुरेशचन्द्र मिश्र | ईश्वरानुभूति | अंक 90 | ||
उमाशंकर सिंह | योगिराज श्री श्यामाचरण लाहिड़ी | अंक 91 | ||
उमाशंकर सिंह (हिन्दी पद्यानुवाद) | अष्टावक्रगीता (द्वितीय प्रकरण) | अंक 91 | ||
उषा रानी | कलियुग का काल | अंक 91 | ||
ओम प्रकाश सिन्हा | जल ही जीवन है | अंक 91 | ||
जयनन्दन पाण्डेय | गंगा-शान्तनु का मिलन और ‘‘भीष्म’’ की उत्पत्ति | अंक 91 | ||
ब्रह्मचारी सुरेन्द्र कुमार (अनुवादक) | कुनालोपाख्यानम् | अंक 91 | ||
भवनाथ झा | पटना का वर्णन: रॉल्फ़ फिच की लेखनी से | अंक 91 | ||
मोना बाला | रामायणकालीन अयोध्या नगरी | अंक 91 | ||
युगल किशोर प्रसाद | पंचमुखी भगवान सदाशिव | अंक 91 | ||
राजनाथ झा | वास्तु-विज्ञान-विमर्श | अंक 91 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | प्राग्वचन | अंक 91 | ||
सुरेशचन्द्र मिश्र | अब लौं नसानी अब ना नसैहौं | अंक 91 | ||
सुरेशचन्द्र मिश्र | ईश्वरानुभूति | अंक 91 | ||
किशोर कुणाल | बलि विमर्श | अंक 92 | ||
भवनाथ झा | हनुमान चालीसा (प्राचीन पाण्डुलिपि से) (सम्पादकीय आलेख) | अंक 92 | ||
भवनाथ झा | संक्षिप्त रामकथा | अंक 92 | ||
भोला झा | गौतम बुद्ध पर ज्योतिष विज्ञान का प्रभाव- | अंक 92 | ||
मगनदेव नारायण सिंह | मिथिला के संत: लक्ष्मीनाथ गोस्वामी | अंक 92 | ||
मोना बाला | प्राचीन नगर पालिबोथरा | अंक 92 | ||
राजनीति झा | धर्म क्या है? | अंक 92 | ||
रामयत्न सिन्हा | दक्षिण बिहार के प्राचीन एवं प्रमुख सूर्यमन्दिरों का परिचय | अंक 92 | ||
सम्पादक-मण्डल | “सभा विलास” (1829 ई-) से संकलित भक्तिपद | अंक 92 | ||
सम्पादक-मण्डल | संक्षिप्त व्रत-परिचय | अंक 92 | ||
सम्पादक-मण्डल | महावीर कैंसर संस्थान की उपलब्धि | अंक 92 | ||
किशोर कुणाल | वालि-वध की वैधता | अंक 93 | ||
घनश्याम दास ‘हंस’ | पंचकोसी परिक्रमा यात्रा – | अंक 93 | ||
भवनाथ झा | मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम (सम्पादकीय आलेख) | अंक 93 | ||
भवनाथ झा | रामनवमी निर्णय | अंक 93 | ||
भवनाथ झा | रामजन्म वर्णन, सन्त सूरजदास कृत रामजन्म काव्य से | अंक 93 | ||
भवनाथ झा | बालरामस्तव- श्रीसनत्कुमारतन्त्रोक्त, हिन्दी अनुवाद सहित | अंक 93 | ||
भवनाथ झा | चैत्र मास में श्रीराम के दोलोत्सव का विधान (आनन्दवन कृत रामार्चनचन्द्रिका के आधार पर) | अंक 93 | ||
भवनाथ झा | अयोध्या सर्वकामदा (आचार्य किशोर कुणाल की पुस्तक Ayodhya: Beyond Adduced Evidence के प्रथम अध्याय के आधार पर हिन्दी में) | अंक 93 | ||
भवनाथ झा | अगस्त्य-संहिता के अनुसार रामनवमी पूजा | अंक 93 | ||
शशिनाथ झा | दीक्षाग्रहण की आवश्यकता – | अंक 93 | ||
सम्पादक | मन्दिर समाचार | अंक 93 | ||
सम्पादक | चैत्र मास के व्रतपर्व | अंक 93 | ||
सम्पादक | मातृभूमि-वंदना | अंक 93 | ||
सम्पादक | महावीर मन्दिर, पटना की जनोपयोगी योजनाएँ | अंक 93 | ||
सम्पादक | रामावत संगत से जुड़िए | अंक 93 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | अध्यात्म-रामायण से राम-कथा - | अंक 93 | ||
किशोर कुणाल | सीता निर्वासन का विमर्श | अंक 94 | ||
जहूरबख्श ‘हिन्दी कोविद | सीताजी का बचपन (पुस्तक-अंश) | अंक 94 | ||
भवनाथ झा | आर्ष-साहित्य में जानकी-स्तोत्र का स्वरूप (सम्पादकीय आलेख) | अंक 94 | ||
भवनाथ झा | श्रीजानकी के जन्मदिवस का धर्मशास्त्रीय निर्णय | अंक 94 | ||
भवनाथ झा | जानकीप्रातमंगलम् (पाण्डुलिपि से सम्पादन,) | अंक 94 | ||
राजनीति झा | विद्या और विवेक में अन्तर | अंक 94 | ||
रामभरोस कापड़ि भ्रमर’ | जगज्जननी जानकी में रमता जनकपुर धाम | अंक 94 | ||
शंकरदेव झा | युगप्रवर्त्तक महापुरुष अभिनव जयदेव विद्यापति | अंक 94 | ||
शशिनाथ झा | विद्यापति के गीत में सीता-राम का प्रसंग | अंक 94 | ||
सम्पादक | मन्दिर समाचार | अंक 94 | ||
सम्पादक | रामावत संगत से जुड़िए | अंक 94 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | अध्यात्म-रामायण से राम-कथा (पुस्तक-अंश) | अंक 94 | ||
सुशान्त कुमार | राम एवं सीता की मूर्ति का विमर्श | अंक 94 | ||
अरुण कुमार उपाध्याय | गङ्गा के विविध रूप | अंक 95 | ||
ओम प्रकाश सिन्हा | हिमालय से गंगासागर तक गंगा की यात्रा | अंक 95 | ||
किशोर कुणाल | शम्बूक की निरपराधता | अंक 95 | ||
कृष्णबिहारी मिश्र | ‘गंगाभरण’ के कवि की गंगा-भक्ति (पुस्तक अंश) | अंक 95 | ||
भवनाथ झा | गंगा-विषयक धर्मशास्त्रीय ग्रन्थ एवं बिहार के प्राचीन गंगातीर्थ (सम्पादकीय आलेख) | अंक 95 | ||
भवनाथ झा | श्रीशङ्कराचार्यविरचिता गङ्गापद्यपुष्पाञ्जलिः (पाण्डुलिपि से सम्पादित, | अंक 95 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | गंगा दशहरा: दस पापों से मुक्ति | अंक 95 | ||
विजय देव झा | गंगा की अविरलता में मिथिलेश रमेश्वरसिंह की भूमिका | अंक 95 | ||
सम्पादक | मन्दिर समाचार: कोरोना वायरस की त्रासदी में जनहित कार्य | अंक 95 | ||
सम्पादक | रामावत संगत से जुड़िए | अंक 95 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | अध्यात्म-रामायण से राम-कथा | अंक 95 | ||
सुशान्त कुमार | गंगा की मूर्ति का पुरातात्त्विक विमर्श- | अंक 95 | ||
अंकुर पंकजकुमार जोषी | परमगुरु अर्थात् ईश्वर से दीक्षा का विधान | अंक 96 | ||
अरुण कुमार उपाध्याय | वैदिक गुरु-तत्त्व | अंक 96 | ||
किशोर कुणाल | रामावत संगत: दिव्य गुरु हनुमानजी से दीक्षा का विधान | अंक 96 | ||
जितेन्द्रकुमार सिंह ‘संजय’ | हिन्दी-वाङ्मय में नदीश्वरी गंगा | अंक 96 | ||
पं. शशिनाथ झा | गुरुकृपा से ही सच्चा ज्ञान | अंक 96 | ||
भवनाथ झा | गुरु का स्वरूप-विवेचन (सम्पादकीय) | अंक 96 | ||
भवनाथ झा | गुरुपटलम् (पाण्डुलिपि से सम्पादन) | अंक 96 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | महिमा गुरु की | अंक 96 | ||
रामविलास चौधरी | गंगा और भारत | अंक 96 | ||
विष्णु प्रभाकर | गुरुतत्त्व: बोध | अंक 96 | ||
श्रीकांत सिंह | तुलसीदास की गुरु-विषयक अवधारणा | अंक 96 | ||
सम्पादक | मन्दिर समाचार | अंक 96 | ||
सम्पादक | मातृभूमि-वंदना | अंक 96 | ||
सम्पादक | व्रतपर्व | अंक 96 | ||
सम्पादक | रामावत संगत से जुड़ें | अंक 96 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | राम-कथा | अंक 96 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | ‘शिष्यस्तेऽहम्’: गीता के परमगुरु श्रीकृष्ण | अंक 96 | ||
अभिषेक राय | वैशाली में ‘सावनी-घरी’ लोकपर्व | अंक 97 | ||
अरुण कुमार उपाध्याय | शिवतत्त्व-मीमांसा | अंक 97 | ||
उदय शंकर शर्मा | मगध की संस्कृति में नागपंचमी | अंक 97 | ||
एस. एन. पी. सिन्हा | विश्वकवि तुलसीदास का लोक-समन्वय और जीवन-दृष्टि | अंक 97 | ||
काशीनाथ मिश्र | भारतीय गुरु-शिष्य-परम्परा पर पाश्चात्य संस्कृति का आघात | अंक 97 | ||
किशोर कुणाल | शूर्पणखा प्रकरण का यथार्थ | अंक 97 | ||
जगन्नाथ करंजे | बारह महीनों में विशेष है श्रावण मास | अंक 97 | ||
भवनाथ झा | गुरु का स्वरूप-विवेचन (सम्पादकीय) | अंक 97 | ||
भवनाथ झा | गुरुपटलम् (पाण्डुलिपि से सम्पादन) | अंक 97 | ||
भवनाथ झा | नाग-पूजन की परम्परा एवं प्रवृत्ति (सम्पादकीय आलेख) | अंक 97 | ||
रंजू मिश्रा | मिथिला में नाग-पूजा का लोकविधान | अंक 97 | ||
वीरेन्द्र झा | देश-विदेश में सर्प-पूजा | अंक 97 | ||
शशिनाथ झा | गुरुकृपा से ही सच्चा ज्ञान | अंक 97 | ||
शशिनाथ झा | विषहरापूजा | अंक 97 | ||
श्रीकृष्ण जुगनू | नागः देवत्व की अवधारणा और पूजा-परम्परा | अंक 97 | ||
संकलित | ‘नरपतिजयचर्या’ की एक पाण्डुलिपि में नागचक्रों का अंकन | अंक 97 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | अध्यात्म-रामायण से राम-कथा | अंक 97 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | शेषत्व-समीक्षा | अंक 97 | ||
अरुण कुमार उपाध्याय | शिवतत्त्व | अंक 98 | ||
काशीनाथ मिश्र | बिहार के लोकगीतों में श्रीकृष्ण-भक्तिधारा | अंक 98 | ||
किशोर कुणाल | पूर्वोत्तर भारत की कृष्ण-भक्ति धारा में सामाजिक समरसता के सिद्धान्त | अंक 98 | ||
गंगा पीताम्बर शर्मा ‘श्यामहृदय’ | श्रीकृष्ण-क्रान्ति | अंक 98 | ||
धीरेन्द्र झा | पूर्णावतार भगवान् श्रीकृष्ण (भारतीय सांस्कृतिक आध्यात्मिकता) | अंक 98 | ||
परेश सक्सेना | व्रज-क्षेत्र की कृष्णाष्टमी | अंक 98 | ||
भवनाथ झा | रासेश्वर से योगेश्वर तक की व्यापकता | अंक 98 | ||
रामकिंकर उपाध्याय | श्रीकृष्णस्तुतिः (संस्कृत स्तोत्र) | अंक 98 | ||
रामकिंकर उपाध्याय | कृष्णाष्टमी की एक विशिष्ट परम्परा | अंक 98 | ||
लल्लू लाल कृत | श्रीकृष्णजन्म की कथा, ‘प्रेमसागर’ (1774 ई.)से | अंक 98 | ||
श्रीभागवतानन्द गुरु | श्रीकृष्ण की गोलोक-सहचारिणी राधा | अंक 98 | ||
सम्पादक | मातृभूमि वन्दना | अंक 98 | ||
सम्पादक | व्रतपर्व, भाद्रपद, 2077 वि.सं. | अंक 98 | ||
सम्पादक | रामावत संगत से जुड़िये | अंक 98 | ||
सम्पादक | महावीर मन्दिर में श्रीकृष्णाष्टमी का आयोजन | अंक 98 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | अध्यात्म-रामायण से राम-कथा | अंक 98 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | भाद्रपद में कृष्णावतरण का रहस्य | अंक 98 | ||
अरुण कुमार उपाध्याय | वाल्मीकि-रामायण: वर्ष-गणना का रहस्य – | अंक 99 | ||
काशीनाथ मिश्र | वाल्मीकि-रामायण: अयोध्याकाण्ड की प्राचीन पाण्डुलिपियाँ | अंक 99 | ||
किशोर कुणाल | रामो विग्रहवान् धर्मः | अंक 99 | ||
धीरेन्द्र झा | मर्यादा पुरुषोत्तम परब्रह्म श्रीराम | अंक 99 | ||
भवनाथ झा | वाल्मीकि-रामायण के विविध पाठ एवं उनका प्रकाशन | अंक 99 | ||
भवनाथ झा | पश्चिम बंगाल में वाल्मीकि-रामायण से उत्कीर्ण चित्रों के शीर्षक-अभिलेख | अंक 99 | ||
रामाधार शर्मा | वाल्मीकि-रामायण: कुछ ज्यौतिषीय प्रसंग – | अंक 99 | ||
शशिनाथ झा | वाल्मीकि-रामायण: पूर्वोत्तर पाठ की विशेषता | अंक 99 | ||
श्रीरंजन सूरिदेव | आदिकवि वाल्मीकि के इतिहास में विविधता – | अंक 99 | ||
संकलित | वाल्मीकि-रामायण से स्वस्तिवाचन (स्तोत्र) | अंक 99 | ||
संकलित | महावीर हनुमान् की उद्घोषणा (स्तोत्र) | अंक 99 | ||
संकलित | वाल्मीकि-रामायण: ब्रह्मकृता श्रीरामस्तुतिः (स्तोत्र) | अंक 99 | ||
संकलित | आदित्यहृदय-स्तोत्र (स्तोत्र) | अंक 99 | ||
सम्पादक | मन्दिर समाचार, मातृभूमि-वंदना, व्रत-पर्व, रामावत संगत से जुड़िए आदि। | अंक 99 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | राम-कथा – | अंक 99 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | श्रीराम : “रमयत्येव स गुणैः” | अंक 99 | ||
सुशान्त कुमार | वाल्मीकि-रामायण: नेपाल से प्राप्त प्राचीनतम प्रतिलिपि | अंक 99 | ||
परेश सक्सेना | ऋग्वैदिक रोगघ्न उपनिषद्: सूर्य किरण-चिकित्सा का विज्ञान- | अंक 100 | ||
अंकुर पंकजकुमार जोषी | “तृचभास्कर” में सूर्योपासना– | अंक 100 | ||
कमलेश पुण्यार्क | सूर्यविज्ञान: मूल तन्त्र– | अंक 100 | ||
किशोर कुणाल | हनूमन् यत्नमास्थाय दुःखक्षयकरो भव– | अंक 100 | ||
काशीनाथ मिश्र | छठपर्व के लोकगीतों में भक्ति-भावना, | अंक 100 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | आदिदेव भगवान् सूर्य– | अंक 100 | ||
सुशान्त कुमार | सूर्य-मूतियों का स्वरूप- | अंक 100 | ||
श्रीकृष्ण जुगनू’ | मेवाड़ के सूर्य मंदिर: शिल्प और स्थापत्य– | अंक 100 | ||
भवनाथ झा | सम्पादकीय- धर्मायण: शताङ्क तक की गौरवमयी यात्रा | अंक 100 | ||
श्री अम्बिकेश कुमार मिश्र | सूर्य-संस्कृति के विविध आयाम: अतीत से वर्तमान तक– | अंक 100 | ||
श्री अरुण कुमार उपाध्याय | छठ पर्व के कई रहस्य– | अंक 100 | ||
श्री महेश प्रसाद पाठक | सूर्याराधक कवि मयूर की कृति- ‘सूर्यशतकम्’– | अंक 100 | ||
सम्पादक | सूर्य-स्तोत्र (साम्ब-पुराण से संकलित) | अंक 100 | ||
सम्पादक | 1-99 तक के अंकों की आलेख-सूची | अंक 100 | ||
सम्पादक | मातृभूमि-वंदना, व्रतपर्व आदि स्थायी स्तम्भ | अंक 100 | ||
किशोर कुणाल | “गीता सुगीता कर्तव्या”— | अंक 101 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | अध्यात्म-रामायण से रामकथा— | अंक 101 | ||
काशीनाथ मिश्र | पाञ्चरात्र-साहित्य का विस्तार— | अंक 101 | ||
जितेन्द्रकुमार सिंह ‘संजय’ | विष्णु की शास्त्रीय-मूर्ति का स्वरूप— | अंक 101 | ||
धनञ्जय कुमार झा | भागवतागम की विषयवस्तु— | अंक 101 | ||
भवनाथ झा | सम्पादकीय | अंक 101 | ||
महेश प्रसाद पाठक | पाञ्चरात्र-साहित्य में वैष्णव-भक्ति— | अंक 101 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | वैखानस सम्प्रदाय: एक दृष्टि— | अंक 101 | ||
लक्ष्मी कान्त विमल | उपासना पद्धति में पाञ्चरात्र-सिद्धान्त— | अंक 101 | ||
श्री अरुण कुमार उपाध्याय | वैदिक विष्णु के स्वरूपों का विमर्श— | अंक 101 | ||
श्रीकृष्ण “जुगनू” | प्राचीनतम वैष्णव-स्थापत्य— | अंक 101 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | आदि शंकराचार्य कृत ‘विष्णुषट्पदीस्तोत्रʼ में दार्शनिक सिद्धान्त— | अंक 101 | ||
सुशान्त कुमार | दक्षिण एवं उत्तर की मूर्ति-कलाओं का समन्वय— | अंक 101 | ||
अम्बिकेश कुमार मिश्र | विष्णु : व्यापक वैश्विक स्वरूप – | अंक 102 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | अध्यात्म-रामायण से रामकथा – | अंक 102 | ||
कुमुद सिंह | पौष मास का एक लोक-विधान ‘पुसैठʼ - | अंक 102 | ||
परेश सक्सेना | खरमास- एक ऐतिहासिक और वैज्ञानिक विवेचन – | अंक 102 | ||
भवनाथ झा | सम्पादकीय | अंक 102 | ||
राजनीति झा | विद्या और विवेक में अन्तर – | अंक 102 | ||
राधा किशोर झा | सनातन धर्म में गृहस्थ आश्रम एवं पति-पत्नी के आदर्श | अंक 102 | ||
रामाधार शर्मा | खरमास : एक सिंहावलोकन – | अंक 102 | ||
लक्ष्मी कान्त विमल | ‘कृत्यरत्नाकरʼ के आलोक में पौषमास – | अंक 102 | ||
श्रीकृष्ण “जुगनू” | पौष : फसल के लिए पुष्ययात्रा का अवसर और वर्षफल का दर्शक – | अंक 102 | ||
भवनाथ झा | पौष में सौभाग्य के लिए ‘तिलदाहीʼ व्रत का विधान– संकलित | अंक 102 | ||
भवनाथ झा | पौष मास की विशेष पूजा- कूर्मद्वादशी -संकलित | अंक 102 | ||
भवनाथ झा | पौष मास की एकादशी का माहात्म्य– संकलित | अंक 102 | ||
भवनाथ झा | पुस्तक समीक्षा- डा. रामविलास चौधरी कृत जलन्धरवधमहाकाव्यम् | अंक 102 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | पौष मास की पुष्यता – | अंक 102 | ||
किशोर कुणाल | हे महामानव! नमन– | अंक 103 | ||
अम्बिकेश कुमार मिश्र | ‘आचार्य’ परम्परा अथवा ‘दास’ परम्परा– | अंक 103 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | महाभारतीय रामायण-कथा- | अंक 103 | ||
जितेन्द्रकुमार सिंह ‘संजय’ | भक्ति-आन्दोलन का सामाजिक पक्ष एवं स्वामी रामानन्द– | अंक 103 | ||
परेश सक्सेना | हिन्दू धर्म रक्षक श्रीरामानन्दाचार्य का ऐतिहासिक मूल्यांकन– | अंक 103 | ||
भवनाथ झा | सम्पादकीय- रामरक्षास्तोत्र की कुछ प्राचीन पाण्डुलिपियाँ | अंक 103 | ||
भवनाथ झा | सन्त लालच दास कृत ‘हरिचरित्र’ महाकाव्य के अप्रकाशित अंश का क्रमशः प्रकाशन– | अंक 103 | ||
भवनाथ झा | पुस्तक समीक्षा- रामकहानी, ले.- पं. माकण्डेय शारदेय | अंक 103 | ||
महेश प्रसाद पाठक | श्रीरामानन्दाचार्यजी- एक दृष्टि- | अंक 103 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | माघ मास की दुर्गापूजा का विधान- | अंक 103 | ||
रंजू मिश्रा | तुसारी पूजन का लोक-विधान– | अंक 103 | ||
शिल्पी कुमारी | तुसारी-पूजा का लोक-विधान- | अंक 103 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | विशिष्टाद्वैत के सन्दर्भ में रामानंद-परम्परा– | अंक 103 | ||
अरुण कुमार उपाध्याय | सूर्य-सिद्धान्त का काल तथा शुद्धता– | अंक 104 | ||
किशोर कुणाल | बेगम शहर रचै रैदासा – | अंक 104 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | हनुमान् विरचित ‘हनुमन्नाटकʼ से रामकथा– | अंक 104 | ||
काशीनाथ मिश्र | जातिभेद सठ मूढ बतावे – | अंक 104 | ||
जंग बहादुर पाण्डेय | मानवधर्मी रैदास – | अंक 104 | ||
भवनाथ झा | स्वामी परमानन्द दास कृत “रविदास-पुराण” का सूचनात्मक परिचय – सम्पादकीय | अंक 104 | ||
भवनाथ झा | सन्त लालच दास कृत ‘हरिचरित्रʼ महाकाव्य– | अंक 104 | ||
ममता मिश्रा | सन्त रविदास की मूल परम्परा का मौलिक सन्दर्भ – | अंक 104 | ||
महेश प्रसाद पाठक | सन्त रैदासजी – | अंक 104 | ||
लक्ष्मीकान्त विमल | भगवद्भक्तिमाहात्म्य’ में सन्त रविदासजी का चरित- - | अंक 104 | ||
श्रीकृष्ण “जुगनू” | सन्त पीपाजी और उनके कालजयी उपदेश– | अंक 104 | ||
श्रीमती तारामणि पाण्डेय | सन्त रविदास का आदर्श– | अंक 104 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | ऐसी भगति करै रैदासा – | अंक 104 | ||
अंकुर पंकजकुमार जोषी | श्रीरामनामलेखन की विधि | अंक 105 | ||
अरुण कुमार उपाध्याय | सूर्य सिद्धान्त का काल तथा शुद्धता | अंक 105 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | हनुमन्नाटक की रामकथा | अंक 105 | ||
काशीनाथ मिश्र | श्रवण कुमार के वास्तविक नाम की खोज- यज्ञदत्त-वध | अंक 105 | ||
भवनाथ झा | सन्त जानकी दास की कृति “रामजनम बधाई”- (पाण्डुलिपि से सम्पादन | अंक 105 | ||
ममता मिश्र ‘दाशʼ | श्रीरामपट्टाभिषेकविधि, (प्रथम बार पाण्डुलिपि से सम्पादित) | अंक 105 | ||
महेश प्रसाद पाठक | सांस्कृतिक समन्वय के युगप्रतीक- श्रीराम | अंक 105 | ||
लक्ष्मीकान्त विमल | मैथिल महाकवि रूपनाथ उपाध्याय प्रणीत श्रीरामविजय महाकाव्य | अंक 105 | ||
वसन्तकुमार म. भट्ट | रामायण की रचना के साथ जुड़े रामकथा के पूर्व-संकेत | अंक 105 | ||
श्रीकृष्ण ‘जुगनूʼ | वैष्णव चिह्नों की परम्परा और सन्त पीपाजी | अंक 105 | ||
सुशान्त कुमार | पुरातात्त्विक स्रोत में राम और शिव की उपासना का समन्वय | अंक 105 | ||
काशीनाथ मिश्र | रामायण के प्रसिद्ध पात्र श्रवण कुमार के वास्तविक नाम की | अंक 105 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | अद्भुत रामायण की रामकथा | अंक 106 | ||
कुमारी संगीता | शक्तिपूजा : मातृशक्ति का भावात्मक आधार (पुनर्मुद्रित) | अंक 106 | ||
गिरिधरदास | श्रीपरशुरामकथामृत | अंक 106 | ||
जगन्नाथ करंजे | शिव में समाविष्ट शक्ति | अंक 106 | ||
भवनाथ झा | तन्त्रोपनिषदों में शक्ति की अवधारणा (सम्पादकीय आलेख) | अंक 106 | ||
भुवनेश्वर प्रसाद गुरुमैता | भारतीय साहित्य में शक्ति की अभिव्यंजना (पुनर्मुद्रित) | अंक 106 | ||
महामहोपाध्याय गोपीनाथ कविराज | महाशक्ति श्री श्री माँ | अंक 106 | ||
महेश प्रसाद पाठक | अद्भुत-रामायण में मातृशक्ति सीताजी का अद्भुत स्वरुप- | अंक 106 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | श्रीराम का पट्टाभिषेक (उत्तर भारतीय कर्मकाण्ड की दृष्टि से विवेचन) | अंक 106 | ||
रवि ओझा | वॆङ्कट कवि की कृति ‘सुन्दरेश्वरजायेʼ | अंक 106 | ||
रवि संगम | जनकभूमि की परिक्रमा | अंक 106 | ||
राजीव नंदन मिश्र ‘नन्हेंʼ | मातृशक्ति का सम्पूर्ण रूप देवी सीता में समाहित | अंक 106 | ||
लक्ष्मीकान्त विमल | दुर्गा-सप्तशती में शक्ति का दार्शनिक स्वरूप | अंक 106 | ||
लल्लू लाल कृत ‘प्रेम सागरʼ से उद्धृत | परशुराम के द्वारा सहस्रार्जुन का वध | अंक 106 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | भगवती-तत्त्व विमर्श | अंक 106 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | ‘वाशिष्ठरामायणʼ की रामकथा | अंक 107 | ||
काशीनाथ मिश्र | नालन्दा विश्वविद्यालय की दिनचर्या में जल-विमर्श | अंक 107 | ||
कीर्ति शर्मा | ज्योतिष में भूगर्भीय जल का ज्ञान | अंक 107 | ||
गजानन मिश्र | गंगाजल का वैज्ञानिक विश्लेषण (बिहार के संदर्भ में समस्याएँ एवं समाधान) - | अंक 107 | ||
दामोदर पाठक | सुरसरि संताप (कविता) | अंक 107 | ||
धीरेन्द्र झा | वैदिक साहित्य में जल-विमर्श | अंक 107 | ||
भवनाथ झा | सनातन धर्म में जल तथा जलाशय का संरक्षण सम्पादकीय आलेख | अंक 107 | ||
महेश प्रसाद पाठक | जीवनदायिनी दिव्य सम्पदा-जल | अंक 107 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | जलदेवता वरुण | अंक 107 | ||
रवि संगम | बिहार के कुछ जलप्रपात एवं प्राकृतिक जलाशय | अंक 107 | ||
राजीव नंदन मिश्र ‘नन्हेंʼ | नदियों, जलस्रोतों के संरक्षण की आवश्यकता | अंक 107 | ||
लक्ष्मीकान्त विमल | म. म. मधुसूदन ओझा प्रणीत ‘अम्भोवादʼ में जलतत्त्व की समीक्षा | अंक 107 | ||
ललित मोहन जोशी | उत्तराखण्ड के सन्दर्भ में गंगा का भौगोलिक एवं धार्मिक दिग्दर्शन | अंक 107 | ||
शशिनाथ झा | प्राचीन काल में जलप्राप्ति के साधन | अंक 107 | ||
श्रीकृष्ण ‘जुगनूʼ | भारत की हर भाषा में जल ज्ञान | अंक 107 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | जलतत्त्व का दार्शनिक विमर्श | अंक 107 | ||
अम्बिकेश कुमार मिश्र | यूरोपीयन दस्तावेजों में भगवान् जगन्नाथ मन्दिर एवं रथयात्रा | अंक 108 | ||
अरुण कुमार उपाध्याय | भगवान् जगन्नाथ की अवधारणा का वैदिक-सूत्र | अंक 108 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | श्रीमद्भागवतीय रामायण-कथा की रामकथा | अंक 108 | ||
कीर्ति शर्मा | पुराणों में जगन्नाथ तत्त्व | अंक 108 | ||
जंग बहादुर पाण्डेय | श्रीपरशुरामकथामृत का आलोचनात्मक विश्लेषण | अंक 108 | ||
भवनाथ झा | चतुर्भुज दास कृत जगज्जीवनचरितम् (पाण्डुलिपि से प्रथम बार सम्पादन) | अंक 108 | ||
ममता मिश्र ‘दाशʼ | श्रीजगन्नाथ और भक्तकवि सालबेग | अंक 108 | ||
ममता मिश्र ‘दाशʼ | भगवान् जगन्नाथ के तीनों रथों के अंगों के नाम | अंक 108 | ||
महेश प्रसाद पाठक | दारु ब्रह्म | अंक 108 | ||
रवि संगम | बोधगया जगन्नाथ मन्दिर | अंक 108 | ||
रामकिंकर उपाध्याय | पालगंज का जगन्नाथ मन्दिर | अंक 108 | ||
श्रीकृष्ण ‘जुगनूʼ | जगदीश मेवाड़ के | अंक 108 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | जगन्नाथ-लीला का दार्शनिक विमर्श | अंक 108 | ||
श्रीकृष्ण ‘जुगनूʼ | ब्रह्मा, ब्राह्मपर्व और प्रतिमा स्वरूप | अंक 109 | ||
अरुण कुमार उपाध्याय | ब्रह्म और ब्रह्मा | अंक 109 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | विभिन्न पुराणों में उल्लिखित रामकथा | अंक 109 | ||
भवनाथ झा | ॐ प्रजापतये स्वाहा (सम्पादकीय आलेख | अंक 109 | ||
महेश प्रसाद पाठक | ब्रह्म-सभा | अंक 109 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | ब्रह्मा तिष्ठति दक्षिणे | अंक 109 | ||
रवि संगम | बिहार में ब्रह्माजी का मन्दिर, ब्रह्मयोनि पर्वत | अंक 109 | ||
ललित मोहन जोशी | सृष्टि के निर्माता ब्रह्मा | अंक 109 | ||
श्री विजयदेव झा | झारखण्ड के जगन्नाथ स्वामी | अंक 109 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | ब्रह्मस्वरूप वरदान विमर्श | अंक 109 | ||
सुशान्त कुमार | ब्रह्मा की मूर्तियों का ऐतिहासिक विवेचन | अंक 109 | ||
धीरेन्द्र झा | म०म० मधुसूदन ओझा द्वारा प्रतिपादित ब्रह्मतत्त्व-विमर्श | अंक 110 | ||
श्रीकृष्ण “जुगनू” | ऋषि : कृषि और ज्ञान विज्ञान के प्रवर्तक | अंक 110 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | “महर्षयः सप्त पूर्वे” | अंक 110 | ||
अरुण कुमार उपाध्याय | ऋषि-तत्त्व | अंक 110 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | कालिदासकृत रघुवंशकी रामायण-कथा | अंक 110 | ||
ममता मिश्र ‘दाशʼ | ‘सप्तर्षिसम्मतस्मृति’ : एक अवलोकन | अंक 110 | ||
महेश प्रसाद पाठक | लोक-शिक्षक– सप्तर्षि | अंक 110 | ||
रवि संगम | बिहार में महर्षि विश्वामित्र के स्थल | अंक 110 | ||
रामाधार शर्मा | ऋषि, सप्तर्षि एवं उनके स्वरूप | अंक 110 | ||
ललित मोहन जोशी | ऋषि परम्परा में सप्तर्षि | अंक 110 | ||
भवनाथ झा | आश्विन मास : इतिहास तथा पुराणों के सन्दर्भ में | अंक 111 | ||
श्राधा किशोर झा | ऋषियों के द्वारा निर्दिष्ट धर्म के स्रोत | अंक 111 | ||
ललित मोहन जोशी | यत् पिण्डे तद् ब्रह्माण्डे | अंक 111 | ||
पुनीता कुमारी श्रीवास्तव | कविता कुसुम | अंक 111 | ||
घनश्याम दास ‘हंस’ | कविता कुसुम | अंक 111 | ||
शत्रुघ्नश्रीनिवासाचार्य पण्डित शम्भुनाथ शास्त्री ‘वेदान्ती’ | श्रीकृष्ण बाललीला अवस्था विमर्श | अंक 111 | ||
गिरिजानन्द सिंह | कृष्ण-जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान कृष्ण के साथ दुर्गा की पूजा | अंक 111 | ||
अंकुर पंकजकुमार जोषी | गणपति अथर्वशीर्ष में गणेश-मंत्रोद्धार विचार | अंक 111 | ||
महेश प्रसाद पाठक | आरोग्य धाम-अश्विनी कुमार | अंक 111 | ||
विजय विनीत | श्रीमद्भगवद्गीता’ में प्रयुक्त कृष्ण के नाम पर्यायों का शैलीगत अध्ययन | अंक 111 | ||
सुन्दरनारायण झा | सामवेदीय कौथुमशाखा का परिचय | अंक 111 | ||
रंजू मिश्रा | शरत्-पूर्णिमा- कोजागरा एवं कौमुदी महोत्सव | अंक 111 | ||
रंजू मिश्रा | जीमूतवाहन की आराधना का लोकपर्व जितिया | अंक 111 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | कालिदासकृत रघुवंशकी रामायण-कथा- रामकथा | अंक 111 | ||
शत्रुघ्नश्रीनिवासाचार्य प. शम्भुनाथ शास्त्री ‘वेदान्ती’ | गुरुओं के गुरु श्रीहनुमान | अंक 112 | ||
ममता मिश्र ‘दाशʼ | पराशर-संहिता और सुदर्शन-संहिता में श्रीहनुमान् पूजा की अवतारणा | अंक 112 | ||
श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ | श्रीहनुमान के मन्दिर और विग्रह : कतिपय नवज्ञात सन्दर्भ | अंक 112 | ||
घनश्याम दास ‘हंस’ | कविता-कुसुम | अंक 112 | ||
रामकिशोर झा ‘विभाकर’ | संगीत-विद्या के परम गुरु हनुमान् | अंक 112 | ||
रवि ओझा | वेङ्कटकवि की संस्कृत-कृतियों में आञ्जनेय हनुमान् | अंक 112 | ||
महेश प्रसाद पाठक | जन-जन के उपास्य देव हनुमान् | अंक 112 | ||
अरुण कुमार उपाध्याय | आगमों में हनुमान्-तत्त्व | अंक 112 | ||
विजय विनीत | ‘सुन्दरकाण्ड’ में हनुमान का अर्थतात्त्विक अध्ययन | अंक 112 | ||
नागेन्द्र कुमार शर्मा | ‘श्रीरामचरितमानस’ में हनुमानजी के उपदेशात्मक वचन | अंक 112 | ||
शत्रुघ्नश्रीनिवासाचार्य प. शम्भुनाथ शास्त्री ‘वेदान्ती’ | श्रीकृष्ण बाललीला अवस्था विमर्श | अंक 112 | ||
लक्ष्मीकान्त मुकुल | सामाजिक सौहार्द की पताका : महावीरी झंडा | अंक 112 | ||
राजीव नन्दन मिश्र ‘नन्हें’ | धरोहर– पारम्परिक छठ-गीत, संकलनकर्ता | अंक 112 | ||
अरुण कुमार उपाध्याय (समीक्षक) | पुस्तक समीक्षा “नदीश्वरी गंगा”, लेखिका- पद्मिनी श्वेता सिंह | अंक 112 | ||
किशोर कुणाल | स्वामी बालानन्द जी और महावीर मन्दिर, पटना | अंक 112 | ||
वसन्तकुमार म. भट्ट | वाल्मीकि, कालिदास एवं तुलसीदास की कलम से हनुमान् जी का समुद्रोल्लङ्घन | अंक 113 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | हनुमत्-तत्त्व विमर्श | अंक 113 | ||
ललित मोहन जोशी | लोक-स्तुति के रूप में शाबर मंत्रों की समीक्षा | अंक 113 | ||
शत्रुघ्नश्रीनिवासाचार्यः प. शम्भुनाथ शास्त्री ‘वेदान्ती’ | हनुमत् कृत श्रीमद्भगवद्गीता-पैशाचभाष्य : भ्रान्ति निवारण | अंक 113 | ||
लक्ष्मीकान्त विमल | आञ्जनेयचरित महाकाव्य | अंक 113 | ||
सुन्दरनारायण झा | महावीर का वैदिक एवं पौराणिक निरूपण | अंक 113 | ||
विजय विनीत | ‘राम की शक्ति-पूजा’ में हनुमान की स्वामिभक्ति-विषयक प्रोक्ति-स्तरीय समांतरता | अंक 113 | ||
राजेन्द्र राज | कबीर और तुलसी –एक ही परब्रह्म के उपासक | अंक 113 | ||
कमलेश पुण्यार्क | श्रीहनुमान-ज्योतिष सरल-सुगम प्रयोग | अंक 113 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | आनन्द-रामायण-कथा | अंक 113 | ||
शम्भुनाथ शास्त्री ‘वेदान्ती’ | श्रीकृष्ण बाललीला अवस्था विमर्श-शत्रुघ्नश्रीनिवासाचार्यः | अंक 113 | ||
रवि संगम | दक्षिण बिहार के कुछ प्रसिद्ध विष्णु मंदिर | अंक 113 | ||
भवनाथ झा | बिहार के भक्तिवादी दार्शनिक सन्त परमहंस विष्णुपुरी | अंक 114 | ||
काशीनाथ मिश्र (अनु.) | परमहंस विष्णुपुरी : व्यक्तित्व एवं काल (मूल : आचार्य रमानाथ झा) | अंक 114 | ||
शंकरदेव झा | एक सांसारिक भाषाकवि : परमहंस विष्णुपुरी | अंक 114 | ||
ममता मिश्र ‘दाशʼ | ‘भक्तिरत्नावली’ के बंगला अनुवादक : लौडिय कृष्णदास | अंक 114 | ||
नारदोपाध्याय | भक्तिरत्नावली’ के असमी अनुवादक : महापुरुष माधवदेव | अंक 114 | ||
सुन्दरनारायण झा | ‘भगवद्भक्तिमाहात्म्यम्’ में वर्णित विष्णुशर्मा चरित | अंक 114 | ||
विजय कुमार झा | परमहंस विष्णुपुरी और उनके स्थानीय स्मारक | अंक 114 | ||
लक्ष्मीकान्त विमल | ‘भक्तिरत्नावली’ के आलोक में मानव-जीवन में नवधा भक्ति | अंक 114 | ||
राधा किशोर झा | सनातन धर्म क्या है? | अंक 114 | ||
तेज प्रकाश पूर्णानन्द व्यास | ‘आनन्द-रामायण’ में उद्धृत रामसेतु विवेचन की प्रासंगिकता | अंक 114 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | आनन्द-रामायण-कथा | अंक 114 | ||
भवनाथ झा | सरस्वती श्रुतिमहती महीयताम् | अंक 115 | ||
श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ | भगवती सरस्वती : नदी से प्रतिमारूप में प्रतिष्ठा | अंक 115 | ||
लक्ष्मीकान्त विमल | संस्कृत काव्यों में सरस्वती का स्वरूप | अंक 115 | ||
विजय विनीत | वर दे, वीणावादिनि वर दे | अंक 115 | ||
महेश प्रसाद पाठक | सरस्वती का सप्त सारस्वत रूप | अंक 115 | ||
पुनीता कुमारी श्रीवास्तव | मकर संक्रांति एवं वसंत पंचमी | अंक 115 | ||
संकलित | सरस्वती पूजा-विधि | अंक 115 | ||
शत्रुघ्नश्रीनिवासाचार्य पं. शम्भुनाथ शास्त्री वेदान्ती | भक्ति की चरम अवस्था शरणागति का विवेचन | अंक 115 | ||
रवि संगम | बिहार की नदियों से जुड़े सीता-तीर्थ-स्थल | अंक 115 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | आनन्द-रामायण-कथा | अंक 115 | ||
हर्षवर्द्धन | श्रीवैद्यनाथं तमहं नमामि | अंक 116 | ||
प्रकाश चरण प्रसाद | मुखलिंगों का शास्त्रीय विवेचन एवं मण्डलेश्वरस्वामी शिव का महत्त्व | अंक 116 | ||
शत्रुघ्नश्रीनिवासाचार्य पं. शम्भुनाथ शास्त्री वेदान्ती | काश्मीरीय शैव दर्शन में शिव की दास्य-भक्ति | अंक 116 | ||
जगन्नाथ करंजे | दक्षिण भारत में शिव उपासना | अंक 116 | ||
महेश प्रसाद पाठक | लीलाधारी शिव के विभिन्न अवतार | अंक 116 | ||
सुशान्त कुमार | सद्योजात एवं पार्वती की प्रतिमा | अंक 116 | ||
रवि संगम | बिहार के अतिप्राचीन चौमुखी शिवलिंग | अंक 116 | ||
विजय विनीत | मानस में शिव का अर्थतात्त्विक अध्ययन | अंक 116 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | आनन्द-रामायण-कथा | अंक 116 | ||
भवनाथ झा | अवधी काव्य ‘भरत-विलाप’ का एक विवेचन (सम्पादकीय) | अंक 117 | ||
शम्भुनाथ शास्त्री | भरत-चरित का आध्यात्मिक पक्ष | अंक 117 | ||
श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ | विष्णुधर्मोत्तरपुराण में श्रीभरत चरित | अंक 117 | ||
अनुभूति चौहान | भरतजी का बारहमासा | अंक 117 | ||
ममता मिश्र ‘दाशʼ | वेंकटार्य कृत ‘भरतज्यैष्ठ्यनिर्णय’ ग्रन्थ–परिचय (लक्ष्मण बड़े भाई थे या भरत?) | अंक 117 | ||
मोना बाला | त्याग के प्रतीक महात्मा भरत | अंक 117 | ||
रामविलास चौधरी | भास के नाटकों में भरत चरित | अंक 117 | ||
महेश प्रसाद पाठक | युगावतार श्रीराम के श्रीचरणचिह्न की व्यापकता | अंक 117 | ||
जानकीवल्लभ शास्त्री | भरत की सौगन्ध (कविता) | अंक 117 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | अध्यात्म रामायण में भरत का दिव्य चरित | अंक 117 | ||
संकलित | अथ श्रीमदानन्दरामायणान्तर्गत श्रीभरतकवच | अंक 117 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | आनन्द-रामायण-कथा | अंक 117 | ||
रवि संगम | बिहार : सीता-तीर्थ स्थल | अंक 117 | ||
भवनाथ झा | जन-जन पूजित देव हमारे (सम्पादकीय) | अंक 118 | ||
श्री महेश प्रसाद पाठक | वैशाख-मास में भगवान् के अवतार | अंक 118 | ||
काशीनाथ मिश्र | जनजातियों में पूजित भगवान् परशुराम | अंक 118 | ||
अरुण कुमार उपाध्याय | परशुराम की कीर्त्ति का विशाल आयाम | अंक 118 | ||
शम्भुनाथ शास्त्री वेदान्ती | वैदिक एवं लौकिक वाङ्मय में भगवान् नरसिंह | अंक 118 | ||
(संकलित) | बिहार का नृसिंह-देश | अंक 118 | ||
ललित मोहन जोशी | नृसिंह- उत्तराखण्ड के लोकदेवता | अंक 118 | ||
नवीन कुमार मिश्र एवं डा. रामप्यारे मिश्र | खपरियावाँ का नृसिंह मन्दिर एवं उसके संस्थापक दामोदर मिश्र | अंक 118 | ||
दामोदर पाठक | नृसिंह अवतार : हिरण्यकशिपु उद्धार (कविता) | अंक 118 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | सर्वजनसुलभ शाबर-मन्त्रों में नरसिंह | अंक 118 | ||
रंजू मिश्रा | लोकदेवता नरसिंह के कुलगीत | अंक 118 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | आनन्द-रामायण-कथा | अंक 118 | ||
जयदेव मिश्र | शास्त्राचार्य विन्ध्येश्वरी प्रसाद शास्त्री | अंक 118 | ||
रवि संगम | बिहार : सीता तीर्थ-स्थल ( भाग – 3 ) | अंक 118 | ||
भवनाथ झा | म.म. रुद्रधर कृत व्रत-पद्धति में व्रत-विधान (सम्पादकीय) | अंक 119 | ||
गोविन्द झा | कुछ धार्मिक शब्द और उनके आशय | अंक 119 | ||
परेश सक्सेना | व्रत की ऐतिहासिक और वैज्ञानिक मीमांसा | अंक 119 | ||
राधा किशोर झा | प्राचीन भारत का आर्य-व्रत | अंक 119 | ||
शशिनाथ झा | व्रत में प्रतिनिधि | अंक 119 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | व्रत का दार्शनिक पक्ष- गीता के आलोक में | अंक 119 | ||
महेश प्रसाद पाठक | एकादशी व्रत- एक संक्षिप्त चर्चा | अंक 119 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | एकादशी व्रत : एक अनुशीलन | अंक 119 | ||
महेश प्रसाद पाठक | देवभूमि हिमालय के तपस्वियों का आहार | अंक 119 | ||
संकलित | 19वीं शती की कृति रीतिरत्नाकर में पर्व-त्योहारों का विवरण | अंक 119 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | आनन्द-रामायण-कथा | अंक 119 | ||
पुनीता कुमारी श्रीवास्तव | वट-सावित्री व्रत-पूजा एवं लोकगीत | अंक 119 | ||
घनश्याम दास ‘हंस’ | करुणावतार स्वामी रामानन्द (कविता) | अंक 119 | ||
मोना बाला | महाभारत में वर्णित श्रीहनुमान के उपदेश | अंक 119 | ||
भवनाथ झा | वर्षाकाल के चार मास (सम्पादकीय) | अंक 120 | ||
महेश प्रसाद पाठक | सनातन धर्म के आलोक में चातुर्मास्य | अंक 120 | ||
राधा किशोर झा | सनातन धर्म में नानात्व बनाम एकत्व | अंक 120 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | अध्यात्म रामायण में वर्णित चातुर्मास्य का कालक्षेप | अंक 120 | ||
बिपिन कुमार झा एवं डा. दीपिका दीक्षित | जैनधर्मदर्शन के आलोक में वर्षायोग | अंक 120 | ||
प्राणशङ्कर मजुमदार | बौद्धश्रमण परम्परा में ‘चातुमासʼ पालन : एक विहंगम दृष्टि | अंक 120 | ||
रवि संगम | गौतम बुद्ध का बिहार में वर्षावास-स्थल- | अंक 120 | ||
पुनीता कुमारी श्रीवास्तव | सनातन परम्परा में चातुर्मास्य का पहला दिन- हरिशयन एकादशी- | अंक 120 | ||
श्रीकृष्ण जुगनू | क्रान्तदर्शी कवियों का चातुर्मास्य | अंक 120 | ||
भवनाथ झा | ‘जगन्नाथाष्टकम्ʼ का एक विशिष्ट पाठ | अंक 120 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | आनन्द-रामायण-कथा | अंक 120 | ||
संकलित | 19वीं शती की कृति ‘रीतिरत्नाकरʼ में पर्व-त्योहारों का विवरण | अंक 120 | ||
भवनाथ झा | रक्षे मा चल मा चल (सम्पादकीय आलेख) | अंक 121 | ||
सुन्दरनारायण झा | रक्षाबन्धन के अथर्ववेदीय सन्दर्भ- | अंक 121 | ||
अरुण कुमार उपाध्याय | रक्षाबन्धन के विविध वैदिक पक्ष- | अंक 121 | ||
टी. एस. षण्मुख शिवाचार्य एवं दीपा दुराइस्वामी | श्रावणी उपाकर्म | अंक 121 | ||
ममता मिश्र ‘दाशʼ | श्रीजगन्नाथ और श्रावणोत्सव | अंक 121 | ||
शैरिल शर्मा | “माई आज राखी बँधावत कुंजन में दोऊ” | अंक 121 | ||
महेश प्रसाद पाठक | सौहार्द का प्रतीक- रक्षाबन्धन | अंक 121 | ||
संकलित | रक्षाबन्धन की मूल कथा (पुराण से संकलित) | अंक 121 | ||
श्रीकृष्ण जुगनू, पुनीता कुमारी श्रीवास्तव, शिवानी शर्मा, सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य। | रक्षाबन्धन : विविध लोक-परम्पराएँ- | अंक 121 | ||
कवीन्द्र नारायण श्रीवास्तव | शाश्वती गीता | अंक 121 | ||
काशीनाथ मिश्र (अनु.) | जब कर्णावती ने हुमायूँ को राखी भेजी (मूल-जेम्स टॉड,) | अंक 121 | ||
काशीनाथ मिश्र (अनु.) | राखी (कविता- मूल- मिस एम्मा रॉबर्ट्स) | अंक 121 | ||
संकलित | राखी की ऐतिहासिक कहानियाँ (संकलित) | अंक 121 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | आनन्द-रामायण-कथा | अंक 121 | ||
राधा किशोर झा | स्वाध्याय सबसे बड़ा धर्म | अंक 121 | ||
संकलित | 19वीं शती की कृति ‘रीतिरत्नाकरʼ में पर्व-त्योहारों का विवरण | अंक 121 | ||
भवनाथ झा | भारतीय संस्कृति में कुश (सम्पादकीय लेख) | अंक 122 | ||
सुन्दरनारायण झा | कुश, दर्भ एवं बर्हि के वैदिक विश्लेषण | अंक 122 | ||
अरुण कुमार उपाध्याय | कुश और दर्भ में भेद तथा आध्यात्मिक पक्ष | अंक 122 | ||
विनोद कुमार जोशी | आयुर्वेद में कुश एक औषध द्रव्य | अंक 122 | ||
प्राणशङ्कर मजुमदार | पालि बौद्ध-साहित्य कुस का उल्लेख.. | अंक 122 | ||
पौलमी राय | अभिज्ञान-शाकुन्तलम् में कुश के प्रसंग | अंक 122 | ||
कवीन्द्र नारायण श्रीवास्तव | रामचरितमानस में कुश के विविध वर्णन | अंक 122 | ||
अंकुर सिंह | कविता-कुसुम | अंक 122 | ||
अरविन्द मानव | मगध की संस्कृति और कुश- | अंक 122 | ||
महेश प्रसाद पाठक | दिव्य यज्ञीय तृण-कुश | अंक 122 | ||
श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ | कुश के विविध आयाम | अंक 122 | ||
भवनाथ झा (कर्मकाण्डी पण्डित) | पितृकर्म में व्यवहृत कुश के उपकरण | अंक 122 | ||
पुनीता कुमारी श्रीवास्तव | कुशोत्पाटिनी अमावस्या | अंक 122 | ||
दिनकर कुमार | असमिया समाज में नयी शुरुआत— राखी बंधन | अंक 122 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | आनन्द-रामायण-कथा | अंक 122 | ||
संकलित | वीं शती की कृति ‘रीतिरत्नाकर’ में पर्व-त्योहारों का विवरण | अंक 122 | ||
भवनाथ झा | ब्राह्मं मुहूर्तं विज्ञेयम् (सम्पादकीय) | अंक 123 | ||
विनोद कुमार जोशी | स्वस्थ जीवन और ब्राह्म-मुहूर्त | अंक 123 | ||
महेश प्रसाद पाठक | ब्राह्मे मुहूर्ते बुध्येत | अंक 123 | ||
धनञ्जय कुमार झा | ब्राह्म मुहूर्त : सबके लिए अमृत-काल | अंक 123 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | भारतीय समय-गणना एवं उषाकाल– | अंक 123 | ||
श्रीपाद दामोदर सातवलेकर | सन्ध्याका अनुष्ठान | अंक 123 | ||
अंकुर पंकजकुमार जोषी | तान्त्रिक सन्ध्या विधान | अंक 123 | ||
भवनाथ झा | मेघराज प्रधान (1660ई.) विरचित भाषा अनन्त व्रत कथा (पाण्डुलिपि से सम्पादन) | अंक 123 | ||
अरविन्द मानव (अनुवादक) | उषा-स्तुति (वैदिक)– अनुवाद | अंक 123 | ||
राजेन्द्र राज | हिंदी के कवियों का ब्राह्म–मुहूर्त | अंक 123 | ||
शैरिल शर्मा | मंगल हरि मंगला | अंक 123 | ||
रंजू मिश्रा | सुहावनी भोर | अंक 123 | ||
पुनीता कुमारी श्रीवास्तव | जीवित्पुत्रिका व्रत | अंक 123 | ||
अंकुर सिंह एवम् ... | हरदासीपुर– दक्षिणेश्वरी महाकाली | अंक 123 | ||
भवनाथ झा | कुमारी–पूजन विधि | अंक 123 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | विविध रामायणों में रामकथा की विशेषताएँ | अंक 123 | ||
संकलित | 19वीं शती की कृति ‘रीतिरत्नाकर’ में पर्व–त्योहारों का विवरण | अंक 123 | ||
भवनाथ झा | पुस्तक समीक्षा– “सांस्कृतिक तत्त्वबोध” | अंक 123 | ||
भवनाथ झा | यमः संयमनात् (सम्पादकीय) | अंक 124 | ||
महेश प्रसाद पाठक | मृत्युदेव की मनोहारिता | अंक 124 | ||
श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ | यम प्रतिमा के लक्षण और सूक्ष्म विवेचन | अंक 124 | ||
विनोद कुमार जोशी | यमदंष्ट्रा काल से सावधान! | अंक 124 | ||
अरुण कुमार उपाध्याय | वेद-पुराण में यम के अर्थ | अंक 124 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | ‘प्रेत’ शब्द का विमर्श तथा ‘यमगीता’ | अंक 124 | ||
कवीन्द्र नारायण श्रीवास्तव | आत्मतत्त्व के उपदेशक यमराज | अंक 124 | ||
राजेन्द्र राज | नचिकेता और यमराज के संवाद का आत्म-दर्शन | अंक 124 | ||
गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’ | प्रभात फेरी की शुरुआत कैसे हुई | अंक 124 | ||
आरती मिश्रा ‘मानव’ | मगध क्षेत्र में यम द्वितीया- भैया दूज | अंक 124 | ||
रंजू मिश्रा | लोकाचार में शास्त्रीयता- यमद्वितीया के सन्दर्भ में | अंक 124 | ||
पुनीता कुमारी श्रीवास्तव | चित्रगुप्त पूजा एवं भैया दूज | अंक 124 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | ‘अनर्घराघव’ की रामायण-कथा- | अंक 124 | ||
संकलित | 19वीं शती की कृति ‘रीतिरत्नाकर’ में पर्वों का परिचय | अंक 124 | ||
भवनाथ झा | पुस्तक समीक्षा- ‘प्रवचन’ ले. मार्कण्डेय शारदेय | अंक 124 | ||
भवनाथ झा | “मासानां मार्गशीर्षोऽहम्” ( सम्पादकीय) | अंक 125 | ||
महेश प्रसाद पाठक | हितकारी हेमन्त ऋतु | अंक 125 | ||
मयंक मुरारी | शीत और कुहासों से लिपटा अगहन मास | अंक 125 | ||
तनमय कुमार मुखर्जी | अगहन मास में बंगाल की लोक-परम्पराएँ | अंक 125 | ||
अरविन्द मानव | हेमन्त की मागधी महिमा | अंक 125 | ||
महेश शर्मा ‘अनुराग’ | राजाधिराज महाकाल की सवारी | अंक 125 | ||
विनोद कुमार जोशी | सोमगुण प्रधान हेमन्त ऋतु | अंक 125 | ||
राजेन्द्र राज | भारत की धरा पर हेमन्त का नृत्य | अंक 125 | ||
कुमार गंगानन्द सिंह | “हिन्दू धर्म और उसकी भित्ति” | अंक 125 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | ‘भट्टिकाव्य’ की रामायण-कथा | अंक 125 | ||
रंजू मिश्रा | पक्षियों के संसार में मानवीय भावनाओं का लोक-पर्व : सामा-चकेबा | अंक 125 | ||
संकलित | 19वीं शती की कृति ‘रीतिरत्नाकर’ में पर्व-त्योहारों का विवरण | अंक 125 | ||
अंकुर सिंह | बाल मन पर पड़ते बुरे प्रभाव | अंक 125 | ||
भवनाथ झा | पुस्तक समीक्षा- ' भारतीय संकृति और गकार के प्रतीक', ले. डा. बिन्देश्वरी प्रसाद ठाकुर ‘विमल’ | अंक 125 | ||
भवनाथ झा | आगम की लोकोन्मुखी परम्परा (सम्पादकीय) | अंक 126 | ||
जनार्दन यादव | आगम और निगम | अंक 126 | ||
श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ | आगमों में देवालय निर्माण का रचनात्मक स्वरूप | अंक 126 | ||
ममता मिश्र ‘दाशʼ | उत्कलीय संस्कृति में लक्ष्मीपूजा | अंक 126 | ||
महेश प्रसाद पाठक | वैष्णवागमों में सूर्य- | अंक 126 | ||
स्वामी करपात्रीजी महाराज | निगम और आगम | अंक 126 | ||
पार्थ सारथि शील | लोक और अध्यात्म में तन्त्रसाधना | अंक 126 | ||
राजेन्द्र राज | कलि-काल में प्राणियों के लिए आगम ही हितकारी | अंक 126 | ||
अजय शुक्ला | भारतीय ज्ञान परम्परा में आध्यात्मिक अनुसन्धान | अंक 126 | ||
निग्रहाचार्य श्रीभागवतानन्द गुरु | शाक्तागमों की तीन पद्धतियाँ | अंक 126 | ||
गोवर्धन दास बिन्नाणी ‘राजा बाबू’ | त्रिदेवों के अंश भगवान दत्तात्रेय | अंक 126 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | ‘महावीर चरित’ की रामायण-कथा | अंक 126 | ||
संकलित | 19वीं शती की कृति ‘रीतिरत्नाकर’ में एक बोध कथा | अंक 126 | ||
श्री प्राणशंकर मजुमदार (समीक्षक) | पुस्तक समीक्षा-'ईश्वर-विमर्श', ले. श्री महेश प्रसाद पाठक | अंक 126 | ||
भवनाथ झा | नवोपलब्ध ग्रन्थ ‘वायुवाद’ का परिचय- सम्पादकीय | अंक 127 | ||
विनोद कुमार जोशी | आयुर्वेद में वायु का विभु, लौकिक एवं शरीरस्थ स्वरूप | अंक 127 | ||
अंकुर पंकजकुमार जोषी | प्राणवायु और उसका प्रभाव | अंक 127 | ||
मयंक मुरारी | परमात्मा की प्राणशक्ति को प्रणाम | अंक 127 | ||
मञ्जरी बिनोद अग्रवाल | व्यावहारिक योग में वायु-साधना | अंक 127 | ||
सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | वैशेषिक दर्शन के अनुसार वायुतत्त्व | अंक 127 | ||
गयाचरण त्रिपाठी | वायु देवता का उद्भव और विकास (पुस्तकांश) | अंक 127 | ||
महेश प्रसाद पाठक | वायुदेव एवं वायुपुत्र हनुमानजी | अंक 127 | ||
शम्भुनाथ शास्त्री ‘वेदान्ती’ | वायुदेव के तृतीय अवतार आनन्दतीर्थ मध्वाचार्य | अंक 127 | ||
राजेन्द्र राज | वायुतत्त्व और हमारा असंतुलित हो रहा पर्यावरण | अंक 127 | ||
पुनीता कुमारी श्रीवास्तव | वायु, पर्यावरण की सुरक्षा और साहित्य | अंक 127 | ||
विजय विनीत | कवियों की दृष्टि में वायु : सन्दर्भ ‘जुही की कली’ | अंक 127 | ||
महेश शर्मा ‘अनुराग’ | गायत्री-साधना से विभिन्न उपासना परम्परा का उदय | अंक 127 | ||
सीताराम चतुर्वेदी | ‘उत्तररामचरित’ की रामायण-कथा | अंक 127 | ||
‘रीतिरत्नाकर’ से संकलित | अवध क्षेत्र में 19वीं शती की विवाह-विधि- | अंक 127 | ||
भवनाथ झा | पुस्तक समीक्षा- ‘व्याख्या’, ले.- मार्कण्डेय शारदेय | अंक 127 | ||
भवनाथ झा | भारतीय संवत्सरों का चक्रव्यूह (सम्पादकीय) | अंक 128 | ||
मयंक मुरारी | सृष्टि और प्रलय के वर्तुल में संवत्सर | अंक 128 | ||
विनोद कुमार जोशी | आयुर्वेद में आदित्यायन आधारित संवत्सर काल | अंक 128 | ||
गोविन्द झा | राष्ट्रीय पंचांग जिसे हम भूल गये | अंक 128 | ||
महेश प्रसाद पाठक | संवत्सर का काल-गणना में योगदान | अंक 128 | ||
गुंजन अग्रवाल | विश्व इतिहास का प्रारम्भिक कालक्रम- जेम्स उशर की कपोल-कल्पना | अंक 128 | ||
आचार्य चन्द्रकिशोर पाराशर | भारतीय कालगणना एवं नवसंवत्सरोत्सव- | अंक 128 | ||
श्री महेश शर्मा ‘अनुराग’ | नवसंवत्सर और प्रजापति ब्रह्मा | अंक 128 | ||
डा. ममता मिश्र ‘दाशʼ | उत्कलीय परम्परा में मातृकाओं में संवत्सर का प्रयोग | अंक 128 | ||
श्री अरुण कुमार उपाध्याय | भारतीय कैलेण्डर और पञ्चाङ्ग | अंक 128 | ||
मार्कण्डेय शारदेय | कर्मकाण्ड में संकल्प के सन्दर्भ में संवत्सर | अंक 128 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | जैनियोंके पद्मपुराण में रामायण-कथा | अंक 128 | ||
संकलित | अवध क्षेत्र में 19वीं शती की विवाह-विधि | अंक 128 | ||
भवनाथ झा | पुस्तक समीक्षा- सुन्दरकाण्ड पं. सदल मिश्र संम्पादित | अंक 128 | ||
भवनाथ झा | रामचरितमानस की दुर्व्याख्याएँ सम्पादकीय | अंक 129 | ||
श्री महेश प्रसाद पाठक | ‘मानस’ में समन्वयवाद | अंक 129 | ||
राधानंद सिंह | “पूजिअ बिप्र सील गुन हीना” : एक विमर्श | अंक 129 | ||
जितेन्द्रकुमार सिंह ‘संजय’ | “सकल ताड़ना के अधिकारी” : एक विमर्श | अंक 129 | ||
नरेन्द्रकुमार मेहता | सबके राम एक हैं | अंक 129 | ||
श्यामसुन्दर घोष | मॉरिशस में रामायण | अंक 129 | ||
भवनाथ झा | बनारस की रामलीला का वृत्तान्त (अंगरेजी से अनूदित) | अंक 129 | ||
अंकुर नागपाल | ‘हनुमद्-दीक्षा’ : प्रसिद्ध हनुमान-चालीसा अनुष्ठान | अंक 129 | ||
विजेन्द्र कुमार राय | ‘रामचरितमानस’ से शिक्षा | अंक 129 | ||
राजेन्द्र राज | ‘रामचरितमानस’ की सामाजिक व राष्ट्रीय सर्वव्यापकता | अंक 129 | ||
रंजू मिश्रा | नवजीवन और वसन्त- ऋतूनां कुसुमाकरः | अंक 129 | ||
सीताराम चतुर्वेदी | बौद्ध साहित्य में रामकथा | अंक 129 | ||
रीतिरत्नाकर से | अवध क्षेत्र में19वीं शती की विवाह-विधि | अंक 129 | ||
भवनाथ झा | रामलीला : लोकसंग्रह की महत्त्वपूर्ण विधा (सम्पादकीय) | अंक 130 | ||
श्रीकृष्ण जुगनू | नाट्य-परम्परा और रामलीला | अंक 130 | ||
ममता मिश्र ‘दाशʼ | उत्कलीय परम्परा में रामलीला | अंक 130 | ||
महेश प्रसाद पाठक | श्रीरामलीला का वैश्विक स्वरूप | अंक 130 | ||
सन्त सरयू दास | रामलीला का विधि-विधान | अंक 130 | ||
नागेन्द्र कुमार शर्मा | प्रेमचंद कृत ‘रामलीला’ और ‘राम-चर्चा’ | अंक 130 | ||
रंजू मिश्रा | गाँव की स्मृतिशेष रामलीला | अंक 130 | ||
विनोद बब्बर | रामभक्ति को जीवन्त करती रामलीलाएँ | अंक 130 | ||
कवीन्द्र नारायण श्रीवास्तव | ‘मानस’ में मानव जीवन की सार्थकता | अंक 130 | ||
सीताराम चतुर्वेदी | रामकथा की घटनाओं की तिथियाँ | अंक 130 | ||
रीतिरत्नाकर से संकलित | 19वीं शती की विवाह-विधि | अंक 130 | ||
सम्पादकीय आलेख | वनस्पतयः शान्तिः | अंक 131 | ||
विद्यावाचस्पति महेश प्रसाद पाठक | वनस्पतियों में दैविक दिव्यता | अंक 131 | ||
डा. ममता मिश्र ‘दाश’ | उत्कलीय परम्परा में वृक्षपूजा | अंक 131 | ||
श्रीमती शारदा नरेन्द्र मेहता | वनस्पति और हमारे लोकपर्व | अंक 131 | ||
डा. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ | पर्यावरण पर भारतीय चिंतन और वृक्षपूजन | अंक 131 | ||
डा. राजेन्द्र राज | वृक्ष एवं हिन्दी साहित्य के कतिपय सन्दर्भ | अंक 131 | ||
डा.अजय शुक्ला | निसर्ग के सानिध्य में | अंक 131 | ||
श्री दिनकर कुमार | ‘भास्कराब्द’ के प्रवर्तक कामरूप के कुमार भास्कर वर्मन | अंक 131 | ||
स्वामी गोविन्दानन्द सरस्वती | श्रीहनुमज्जन्मभूमिविमर्श | अंक 131 | ||
श्री रवि संगम | भारत के प्रसिद्ध वटवृक्षस्थल | अंक 131 | ||
डा. विनोद बब्बर | लङ्केश रावण में भी बसे थे प्रभु श्रीराम (भेंटवार्ता) | अंक 131 | ||
श्री घनश्याम दास ‘हंस’, | कविताएँ | अंक 131 | ||
डा.कवीन्द्र नारायण श्रीवास्तव | कविताएँ | अंक 131 | ||
श्री गौरीशंकर वैश्य विनम्र | कविताएँ | अंक 131 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | रामचरितमानस की रामकथा | अंक 131 | ||
(रीतिरत्नाकर से संकलित) | 19वीं शती की विवाहविधि | अंक 131 | ||
सम्पादकीय | योग : इष्टदेव के साथ मिलन का शास्त्र | अंक 132 | ||
श्री राधा किशोर झा | योग की सनातन बहुमुखी धारा | अंक 132 | ||
विद्यावाचस्पति महेश प्रसाद पाठक | औपनिषदिक योग | अंक 132 | ||
डा. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ | पुराण की परम्परा में योग | अंक 132 | ||
डा. टी. एस. षण्मुख शिवाचार्य | शैवआगमों में योग के सिद्धान्त एवं व्यावहारिक पक्ष | अंक 132 | ||
डा. ममता मिश्र ‘दाशʼ | श्री जगन्नाथ क्षेत्र और यहाँ के अखाड़े | अंक 132 | ||
पं. मार्कण्डेय शारदेय | योग की अवधारणा | अंक 132 | ||
श्री महेश शर्मा ‘अनुराग’ | योग के आद्य प्रवर्तक भगवान् हिरण्यगर्भ ब्रह्मा | अंक 132 | ||
डा. अजय शुक्ला | योग से जीवन का उत्कर्ष | अंक 132 | ||
श्रीमती प्रीति सिन्हा | जीवन का प्रकाश पुंज ‘योग’ | अंक 132 | ||
डा. राजेन्द्र राज | योग में गुरुशिष्य परम्परा और जन सहभागिता | अंक 132 | ||
श्री रवि संगम | योगसाधना की तैयारी | अंक 132 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | रामचरितमानस की रामकथा | अंक 132 | ||
सम्पादकीय | कर्म एवं ज्ञान के फल का समन्वय | अंक 133 | ||
विद्यावाचस्पति महेश प्रसाद पाठक | मीमांसादर्शन में अर्थवाद | अंक 133 | ||
डा. दयाशंकर शास्त्री | लौंगाक्षिभास्कर द्वारा प्रतिपादित अर्थवाद | अंक 133 | ||
डा. ममता मिश्र ‘दाशʼ | संस्कृत साहित्य में स्तोत्र : एक परिशीलन | अंक 133 | ||
श्री महेश शर्मा ‘अनुराग’ | फलश्रुति से ईश्वर की ओर अग्रसर होता मानव | अंक 133 | ||
पं. मार्कण्डेय शारदेय | देवी माहात्म्य के परिप्रेक्ष्य में फलश्रुति | अंक 133 | ||
डा. सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | फलश्रुति : प्रवृत्ति एवं निवृत्ति धर्म के सन्दर्भ में | अंक 133 | ||
श्रीमती रंजू मिश्रा | फलश्रुति की व्यापक भूमिका | अंक 133 | ||
डा. राजेन्द्र राज | फलश्रुति और कर्मवाद का सिद्धान्त | अंक 133 | ||
डा. दीपा दुराइस्वामी | मन्दिरअर्चा में ध्यान की भूमिका (शोधआलेख) | अंक 133 | ||
डॉ. नरेन्द्रकुमार मेहता | असमिया रामायण से दशरथजी का विवाह प्रसंग | अंक 133 | ||
श्री राहुल सिंह गौतम | नायरजाति की अक्षुण्ण सामाजिक प्रथाएँ | अंक 133 | ||
आचार्य सीताराम चतुर्वेदी | रामचरितमानस की रामकथा | अंक 133 | ||
सम्पादकीय | शापादपि वरादपि | अंक 134 | ||
डा. ममता मिश्र ‘दाशʼ | महाभारत वनपर्व में पर्यालोचित शापप्रकरण | अंक 134 | ||
विद्यावाचस्पति महेश प्रसाद पाठक | महाभारत में शाप प्रकरण | अंक 134 | ||
निग्रहाचार्य श्रीभागवतानंद गुरु | शाप के सिद्धान्त | अंक 134 | ||
श्रीकांत सिंह | ‘मानस’ में वर्णित शाप तथा उनकी दिशाएँ (पूर्वप्रकाशित अंक 80) | अंक 134 | ||
डा.कवीन्द्र नारायण श्रीवास्तव | वरदान होते गए ‘मानस’ के शाप | अंक 134 | ||
डा. जनार्दन यादव | पौराणिक शाप कथाएँ : भारतीय मिथक | अंक 134 | ||
पं. शम्भुनाथ शास्त्री ‘वेदान्ती’ | श्रीमद्भागवत के द्वितीय खण्ड में शापप्रसंग | अंक 134 | ||
श्री महेश शर्मा ‘अनुराग’ | जब ब्रह्मा भी शापग्रस्त हुए | अंक 134 | ||
डा. सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | जब विष्णु भी हुए शापग्रस्त | अंक 134 | ||
डा.शारदा मेहता | सनातन धर्म में अधिक मास का माहात्म्य | अंक 134 | ||
अंकुर नागपाल | ब्रह्माण्डपुराणोक्त श्रीनृसिंहकवच (हिन्दी अनुवाद सहित) | अंक 134 | ||
सम्पादकीय | आब्रह्मस्तम्बपर्यन्तम्... | अंक 135 | ||
आचार्य किशोर कुणाल | चार दिनों के प्रस्तावित श्राद्ध की सैद्धान्तिक पृष्ठभूमि | अंक 135 | ||
श्री राधा किशोर झा | श्राद्ध की वैदिक अवधारणा एवं उसका विकास | अंक 135 | ||
डा. सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य | त्रिभिः पुत्रस्य पुत्रता | अंक 135 | ||
डा. ममता मिश्र ‘दाशʼ | अंकपल्लवी (अंक के माध्यम से शब्दों की सूचना) | अंक 135 | ||
डा. कैलाश कुमार मिश्र | भारतीय जनजातियों में पितर की अवधारणा | अंक 135 | ||
डा. श्रीकृष्ण “जुगनू” | पूर्वजों की पूजा और प्रतिष्ठा चिह्न | अंक 135 | ||
डा. काशीनाथ मिश्र | वैश्विक स्तर पर मृत्यु के पश्चात् श्राद्ध की अवधारणा | अंक 135 | ||
विद्यावाचस्पति महेश प्रसाद पाठक | तीर्थरूप पितृभक्ति | अंक 135 | ||
श्री संजय गोस्वामी | प्राचीन भारतीय ग्रन्थों में विज्ञान | अंक 135 |