Dharmayan vol. 104 Sant Ravidas Ank
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सन्त रविदास रामानन्द स्वामी के साक्षात् शिष्य थे तथा वे गृहस्थ के जीवन में अपने गुरु के द्वारा बताये गये भक्तिमार्ग पर चलते रहे। उनके गुरु रामानन्दाचार्य ने जातिगत भेद-भाव से ऊपर उठकर सभी के लिए राममन्त्र का उपदेश देकर गार्हस्थ्य जीवन में भी भक्ति करने का पाठ पढ़ाया था। यह परम्परा रामावत के नाम से प्रसिद्ध हुई। सन्त रविदास इसी परम्परा के ध्वजवाहक बने।
- (Title Code- BIHHIN00719),
- धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका,
- मूल्य : पन्द्रह रुपये
- प्रधान सम्पादक आचार्य किशोर कुणाल
- सम्पादक भवनाथ झा
- पत्राचार : महावीर मन्दिर, पटना रेलवे जंक्शन के सामने पटना- 800001, बिहार
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धर्मायण, अंक संख्या 104, फाल्गुन मास, 2077 विक्रम संवत् के आलेखों की सूची
- स्वामी परमानन्द दास कृत “रविदास-पुराण” का सूचनात्मक परिचय – सम्पादकीय
- सन्त रविदास की मूल परम्परा का मौलिक सन्दर्भ – डा. ममता मिश्रा
- ऐसी भगति करै रैदासा –डा. सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य
- जातिभेद सठ मूढ बतावे –डा. काशीनाथ मिश्र
- सन्त रैदासजी – श्री महेश प्रसाद पाठक
- ‘भगवद्भक्तिमाहात्म्य’ में सन्त रविदासजी का चरित- –डा. लक्ष्मीकान्त विमल
- बेगम शहर रचै रैदासा –आचार्य किशोर कुणाल
- मानवधर्मी रैदास – डॉ. जंग बहादुर पाण्डेय
- सन्त रविदास का आदर्श– श्रीमती तारामणि पाण्डेय
- सन्त पीपाजी और उनके कालजयी उपदेश– डॉ. श्रीकृष्ण “जुगनू”
- सूर्य-सिद्धान्त का काल तथा शुद्धता– श्री अरुण कुमार उपाध्याय
- हनुमान् विरचित ‘हनुमन्नाटकʼ से रामकथा– आचार्य सीताराम चतुर्वेदी
- सन्त लालच दास कृत ‘हरिचरित्रʼ महाकाव्य– भवनाथ झा
- पुस्तक समीक्षा, मन्दिर समाचार आदि स्थायी-स्तम्भ
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक