Dharmayan vol. 103 Ramanandacharya Ank
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स्वामी रामानन्दाचार्य विशेषांक
स्वामी रामानन्दाचार्य समद्रष्टा धर्माचार्य, दूरद्रष्टा दार्शनिक और युगप्रवर्तक महापुरुष थे। उनका व्यक्तित्व बहुत विराट् था। वे उस विशाल वट-वृक्ष की तरह थे, जिससे बहुविध शाखाएँ प्रस्फुटित होती हैं और जिसकी शीतल छाया में अंसख्य पथिक विश्राम पाते हैं। स्वामीजी के विराट् व्यक्तित्व से एक ओर जहाँ सगुण भक्ति की भागीरथी निःसृत हुई, वहींदूसरी ओर निर्गुण ब्रह्म का शंखनाद भी सुनाई पड़ा; एक ओर जहाँ शास्त्रों में आस्था को अक्षुण्ण रखा गया, वहीं दूसरी ओर समाज के प्रत्येक वर्ग को भक्ति के क्षेत्र में समान स्थान देकर उन्हें साथ ले चलने का आह्वान हुआ। “जात-पाँत पूछ नहीं कोई; हरि को भजै सौ हरि को होई” का जादू इस देश में ऐसा चला कि भक्ति के क्षेत्र में क्रान्ति हो गयी और हर प्रबुद्ध सन्त की जिह्वा पर यह मन्त्र उच्चरित होने लगा। (आचार्य किशोर कुणाल की पुस्तक “स्वामी रामानन्दाचार्य एवं उनका वैष्णव-मताब्ज-भास्कर” से)
- (Title Code- BIHHIN00719),
- धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका,
- मूल्य : पन्द्रह रुपये
- प्रधान सम्पादक आचार्य किशोर कुणाल
- सम्पादक भवनाथ झा
- पत्राचार : महावीर मन्दिर, पटना रेलवे जंक्शन के सामने पटना- 800001, बिहार
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आलेख-सूची, अंक संख्या 103, स्वामी रामानन्दाचार्य विशेषांक
- सम्पादकीय- रामरक्षास्तोत्र की कुछ प्राचीन पाण्डुलिपियाँ
- हिन्दू धर्म रक्षक श्रीरामानन्दाचार्य का ऐतिहासिक मूल्यांकन– डॉ. परेश सक्सेना
- भक्ति-आन्दोलन का सामाजिक पक्ष एवं स्वामी रामानन्द– डॉ. जितेन्द्रकुमार सिंह ‘संजय’
- ‘आचार्य’ परम्परा अथवा ‘दास’ परम्परा– श्री अम्बिकेश कुमार मिश्र
- हे महामानव! नमन– किशोर कुणाल
- श्रीरामानन्दाचार्यजी- एक दृष्टि- श्री महेश प्रसाद पाठक
- विशिष्टाद्वैत के सन्दर्भ में रामानंद-परम्परा– डा. सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य
- माघ मास की दुर्गापूजा का विधान- पं. मार्कण्डेय शारदेय
- तुसारी पूजन का लोक-विधान– श्रीमती रंजू मिश्रा
- तुसारी-पूजा का लोक-विधान- सुश्री शिल्पी कुमारी
- महाभारतीय रामायण-कथा- आचार्य सीताराम चतुर्वेदी
- सन्त लालच दास कृत ‘हरिचरित्र’ महाकाव्य के अप्रकाशित अंश का क्रमशः प्रकाशन– भवनाथ झा
- पुस्तक समीक्षा- रामकहानी, ले.- पं. माकण्डेय शारदेय
- महावीर मन्दिर समाचार
- समता मन्त्र (ऋग्वेदः सूक्त १०.१९१)
- व्रत-पर्व, माघ, 2077 वि. सं.(29 जनवरी से 27 फऱवरी, 2021ई.)
- रामावत संगत से जुड़ें
बहुत अच्छा