धर्मायण अंक 109 फ्लिप बुक
सनातन धर्म में ब्रह्मा सृष्टि की रचना करनेवाले स्रष्टा माने गये हैं, वे ही विधाता, अर्थात् धारण और पोषण करनेवाले देवता माने गये हैं। ब्रह्मा का एक नाम है- द्रुघण, यानी वे इस संसार के वृक्ष को काटने वाले हैं, यानी संहारकर्ता भी हैं। जहाँ देवताओं का उल्लेख सामूहिक रूप से होता है, वहाँ– ब्रह्मादिदेव, कहा जाता है। ऐसे महत्त्वपूर्ण देव, ब्रह्मा, की उपासना नहीं होती है- ऐसा दुष्प्रचार वर्तमान में प्रचलित है। ब्रह्मा के विषय में अनेक गलत धारणाऐँ फैलायी गयी हैं। समेकित अध्ययन से ऐसा प्रतीत होता है कि ये दुष्प्रचार बहुत पुराने नहीं हैं। सम्भवतः विगत दो शतकों में ये फैलाये गये हों। हमें ब्रह्मा के अनेक मन्दिर मिले हैं, अनेक मन्दिरों में उनकी पूजा होती है। इस अंक में ब्रह्मा के सम्बन्ध में वैदिक तथा पौराणिक साहित्य से प्रामाणिक प्रसंगों को लेकर उनकी महत्ता सिद्ध की गयी है। पत्रिका में देश भर के स्थापित विद्वानों ने अपना आलेख देकर इस अंक का गौरव बढ़ाया है।
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक