Dharmayan vol. 96
धर्मायण, अंक संख्या 96, आषाढ़, 2077 वि.सं. गुरुतत्त्व-विशेषांक
- (Title Code- BIHHIN00719),
- धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका,
- मूल्य : बीस रुपये
- प्रधान सम्पादक आचार्य किशोर कुणाल
- सम्पादक भवनाथ झा
- पत्राचार : महावीर मन्दिर, पटना रेलवे जंक्शन के सामने पटना- 800001, बिहार
- फोन: 0612-2223798
- मोबाइल: 9334468400,
- E-mail: mahavirmandir@gmail.com
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- पत्रिका में प्रकाशित विचार लेखक के हैं। इनसे सम्पादक की सहमति आवश्यक नहीं है। हम प्रबुद्ध रचनाकारों की अप्रकाशित, मौलिक एवं शोधपरक रचनाओं का स्वागत करते हैं। रचनाकारों से निवेदन है कि सन्दर्भ-संकेत अवश्य दें।
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विषय-सूची, अंक संख्या 96, आषाढ़, 2077 वि.सं. गुरुतत्त्व-विशेषांक
- गुरु का स्वरूप-विवेचन (सम्पादकीय), भवनाथ झा
- गुरुपटलम् (पाण्डुलिपि से सम्पादन), भवनाथ झा
- गुरुकृपा से ही सच्चा ज्ञान- पं. शशिनाथ झा
- रामावत संगत: दिव्य गुरु हनुमानजी से दीक्षा का विधान- आचार्य किशोर कुणाल
- ‘शिष्यस्तेऽहम्’: गीता के परमगुरु श्रीकृष्ण –डा. सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य
- परमगुरु अर्थात् ईश्वर से दीक्षा का विधान – श्री अंकुर पंकजकुमार जोषी
- महिमा गुरु की -पं. मार्कण्डेय शारदेय
- वैदिक गुरु-तत्त्व –श्री अरुण कुमार उपाध्याय
- तुलसीदास की गुरु-विषयक अवधारणा -डॉ श्रीकांत सिंह
- गुरुतत्त्व: बोध –श्री विष्णु प्रभाकर
- राम-कथा –आचार्य सीताराम चतुर्वेदी की लेखनी से
- गंगा और भारत -डा. (प्रो.) रामविलास चौधरी
- हिन्दी-वाङ्मय में नदीश्वरी गंगा – डॉ. जितेन्द्रकुमार सिंह ‘संजय’
- मन्दिर समाचार,
- मातृभूमि-वंदना,
- व्रतपर्व
- रामावत संगत से जुड़ें
लेखकों से निवेदन
‘धर्मायण’ का अगला अंक नाग-पूजन विशेषांक के रूप में प्रस्तावित है। श्रावण मास में भगवान् शिव का मास समझा जाता है। इसी मास में गंगा के दोनों तटों पर बिहार एवं बंगाल में भगवान् शिव के आभूषण के रूप में नाग-पूजन की परम्परा प्रचलित है। मौना-पंचमी, नागपंचमी, मधुश्रावणी आदि पर्व प्रमुखता से मनाये जाते हैं। महावीर हनुमानजी से सम्बद्ध घरी-पर्व भी इसी मास में लोक-पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस अंक में परम्परा का लौकिक एवं शास्त्रीय स्वरूप पर विवेचन किया जायेगा। सन्दर्भ के साथ शोधपरक आलेखों का प्रकाशन किया जायेगा। अपना टंकित अथवा हस्तलिखित आलेख हमारे ईमेल mahavirmandir@gmail.com पर अथवा whats App. सं- +91 9334468400 पर भेज सकते हैं। प्रकाशित आलेखों के लिए पत्रिका की ओर से पत्र-पुष्प की भी व्यवस्था है।
पाठकों से निवेदन
साथ ही, यह अंक आपको कैसा लगा, इसपर भी आपकी प्रतिक्रिया आमन्त्रित है, जिससे प्रेरणा लेकर हम पत्रिका को और उन्नत बना सकें। अपनी प्रतिक्रिया उपर्युक्त पते पर भेज सकते हैं। डाक से भेजने हेतु पता है- सम्पादक, धर्मायण, महावीर मन्दिर, पटना जंक्शन के निकट, पटना, 800001
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक