Dharmayan vol. 95 Ganga Ank
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- (Title Code- BIHHIN00719),
- धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका,
- मूल्य : बीस रुपये
- प्रधान सम्पादक आचार्य किशोर कुणाल
- सम्पादक भवनाथ झा
- पत्राचार : महावीर मन्दिर, पटना रेलवे जंक्शन के सामने पटना- 800001, बिहार
- फोन: 0612-2223798
- मोबाइल: 9334468400,
- E-mail: mahavirmandir@gmail.com
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- पत्रिका में प्रकाशित विचार लेखक के हैं। इनसे सम्पादक की सहमति आवश्यक नहीं है। हम प्रबुद्ध रचनाकारों की अप्रकाशित, मौलिक एवं शोधपरक रचनाओं का स्वागत करते हैं। रचनाकारों से निवेदन है कि सन्दर्भ-संकेत अवश्य दें।
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धर्मायण पत्रिका
महावीर मन्दिर के द्वारा प्रकाशित यह पत्रिका सनातन धर्म एवं भारतीय गौरवगाथा के प्रचार-प्रसार के लिए है। पत्रिका पढकर अपना विचार प्रेषित करें।
विषय-सूची, अंक संख्या 95, ज्येष्ठ, 2077 वि.सं. गंगा-विशेषांक
- गंगा-विषयक धर्मशास्त्रीय ग्रन्थ एवं बिहार के प्राचीन गंगातीर्थ (सम्पादकीय आलेख) –भवनाथ झा
- गंगा दशहरा: दस पापों से मुक्ति –प. मार्कण्डेय ‘शारदेय’
- श्रीशङ्कराचार्यविरचिता गङ्गापद्यपुष्पाञ्जलिः (पाण्डुलिपि से सम्पादित, सम्पादक भवनाथ झा)
- गङ्गा के विविध रूप- श्री अरुण कुमार उपाध्याय
- हिमालय से गंगासागर तक गंगा की यात्रा– श्री ओम प्रकाश सिन्हा
- गंगा की मूर्ति का पुरातात्त्विक विमर्श- डा. सुशान्त कुमार’
- गंगा की अविरलता में मिथिलेश रमेश्वरसिंह की भूमिका– श्री विजय देव झा
- ‘गंगाभरण’ के कवि की गंगा-भक्ति (पुस्तक अंश)– कृष्णबिहारी मिश्र की लेखनी से
- शम्बूक की निरपराधता– आचार्य किशोर कुणाल
- अध्यात्म-रामायण से राम-कथा –आचार्य सीताराम चतुर्वेदी की लेखनी से
- मन्दिर समाचार: कोरोना वायरस की त्रासदी में जनहित कार्य
- मातृभूमि-वंदना
- व्रतपर्व
- रामावत संगत से जुड़िए
‘धर्मायण’ का अगला अंक गुरु पूर्णिमा के मास में गुरु-तत्त्व पर केन्द्रित प्रस्तावित है। वैदिक एवं आगम की परम्परा में लौकिक एवं अलौकिक शिक्षा-ग्रहण के लिए अनेक प्रकार के गुरु की अवधारणा है। वेद एवं आगम की परम्परा में पार्थिव गुरु के लक्षण तथा उनकी योग्यता के विषय में पर्याप्त विवेचन हुआ है। भारत में पाश्चात्त्य शिक्षा के प्रभाव से इस गुरुतत्त्व का ह्रास हुआ है, जिसके कारण हमारी सनातन परम्परा विलुप्त होती जा रही है। पार्थिव-गुरु के अतिरिक्त दिव्य-गुरु के रूप में देवता भी दिव्यमन्त्रों का उपदेश करते हैं। मुक्तिकोपनिषद् में हनुमान् दिव्य गुरु हैं, जिन्होंने रामोपासना का उपदेश किया है। साथ ही, शास्त्रों में मानस-गुरु, स्वप्न-गुरु आदि की भी महत्ता प्रतिपादित की गयी है। गुरु-गीता, अगस्त्य-संहिता आदि ग्रन्थों में गुरु-तत्त्व का विवेचन हुआ है। सन्दर्भ के साथ शोधपरक आलेखों का प्रकाशन किया जायेगा। अपना टंकित अथवा हस्तलिखित आलेख हमारे ईमेल mahavirmandir@gmail.com पर अथवा whats App. सं- +91 9334468400 पर भेज सकते हैं। प्रकाशित आलेखों के लिए पत्रिका की ओर से पत्र-पुष्प की भी व्यवस्था है।
पाठकों से निवेदन
साथ ही, यह अंक आपको कैसा लगा, इसपर भी आपकी प्रतिक्रिया आमन्त्रित है, जिससे प्रेरणा लेकर हम पत्रिका को और उन्नत बना सकें। अपनी प्रतिक्रिया उपर्युक्त पते पर भेज सकते हैं। डाक से भेजने हेतु पता है- सम्पादक, धर्मायण, महावीर मन्दिर, पटना जंक्शन के निकट, पटना, 800001
अभी श्रीमान् किशोर कुणाल जी का आलेख आद्योपान्त पढा । उनका यह शोधपूर्ण निबन्ध नयनोन्मेषक तर्क से परिपूर्ण है । श्रीराम के सम्पूर्ण चरित्र का अवगाहन करते हुए शम्बूक वध का प्रसंग एक अवाँछनीय बाधक के रूप में सदैव चिन्तित करता था । मेरे विचार से सभी रामकथानुरागियों के लिए यह आलेख अत्यन्त उपादेय है । विशेषकर कथावाचकों को यह समुचित मार्गदर्शन देगा , ऐसी शुभेच्छा ।
परमपूजनीय श्रीकिशोरकुणाल जी,परमपूजनीयसदगुरुदेव डाँ.नारायण दत्तश्रीमालीजीके समकालीन सिद्ध योगी श्रीवास्तव जी माँ गंगा तट पटना अथवा माँ जगदम्बा स्थान करौटा मे यज्ञ कराना चाहते हैं आपकी सहयोग की अपेक्षा हेतु मैसेज भेज रहा हूँ!अजीत कुमार, बेनीपुर, करौटा,पटना, बिहार. मो.नं.9931863379,9693838672.