धर्मायण के 101वाँ अंक, वैष्णव-उपासना अंक का लोकार्पण
विश्वस्य वृत्तान्तः- धर्मायण पत्रिकायाः वैष्णवोपासना विशेषाङ्कः लोकार्पितः
पाटलिपुत्रस्थितस्य प्रसिद्धस्य महावीर मन्दिरस्य धार्मिकी, सांस्कृतिकी, राष्ट्रीय-चेतनायाश्च हिन्दीभाषात्मिका मासिकी पत्रिका सम्प्रति कोविड-19 इत्यस्य मरके केवलम् ऑनलाइन माध्यमेन प्रकाशिता भवति। अद्य अस्याः शोधात्मकपत्रिकायाः वैष्णवोपासना विशेषाङ्कस्य लोकार्पणम् ऑनलाइन माध्यमेन संजातम्। अस्मिन् वर्षे सर्वे अंकाः विशेषाङ्करूपेण एवं प्रकाशिताः सञ्जाताः- यथा गङ्गा-विशेषाङ्कः, नागपूजा-विशेषाङ्कः, गुरु-विशेषाङ्क, वाल्मीकि-रामायण-विशेषाङ्कः, सूर्योपासना-विशेषाङ्क आदयः। 1990तमात् ख्रीष्टाब्दात् प्रारब्धायां अस्यां पत्रिकायां भारतीया उदात्त-चिन्तनपरम्परा, सामाजिक-समरसतायाश्च सिद्धान्तः, गौरवमयी परम्परा च प्रकाशिता भवति। दरभंगास्थितस्य संस्कृतविश्वविद्यालयस्य पूर्वकुलपतिद्वयोः डा. काशीनाथमिश्र-किशोरकुणालमहोदययोः, साहित्यवाचस्पतेः श्रीरंजन सूरिदेव महोदयस्य च सम्पादने प्रवृता इयं मासिकी पत्रिका अद्यावधि बिहारप्रान्ते भारतीयज्ञानपरम्परायाः प्रकाशिका वर्तते। सम्प्रति पं. भवनाथ झा महोदयः अस्याः सम्पादकः, आचार्य किशोर कुणाल महोदयश्च प्रधान सम्पादकत्वेनालंकरोति।
अस्मिन् वैष्णवोपासना-विशेषाङ्के वैदिक साहित्य विष्णोः माहात्म्यं, पुनश्च आगम-साहित्येषु पाञ्चरात्र-वैखानस-भागवतागमेषु विष्णोरुपासना, सिद्धान्ताः, मूर्तिनिर्माणविवरणप्रभृतिविषयाः अत्र सङ्कलिताः सन्ति। डा. अरुण कुमार उपाध्यायः अत्र वैदिक साहित्ये विष्णोः पदक्रमाणां विवेचनम् प्रस्तौति। डा. सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य महोदयेन च आदिशङ्कराचार्यकृतस्य विष्णुषट्पदीस्तोत्रस्य दार्शनिकं विवेचनं प्रस्तुतम्। डा. काशीनाथमिश्रमहोदयश्च पाञ्चरात्र-साहित्यानां विवरणम् प्रस्तौति। डा. सुशान्त कुमारेण मिथिलाप्रान्तस्थितानां विष्णुमूर्तीनां विवेचनक्रमे तत्र दक्षिणभारतीयशैल्याः प्रभावः उद्घाटितः। “गीता सुगीता कर्तव्या” इति आलेखे आचार्य किशोरकुणालमहोदयेन श्रीमद्भागवतगीतायाः साम्यसिद्धान्तः स्फुटीकृतः। 80 पृष्ठात्मिकायामस्यां पत्रिकायां 12 शोधालेखाः सन्दर्भसङ्केतैः संवलिताः संकलिताः वर्तन्ते। इयं पत्रिका https://mahavirmandirpatna.org/dharmayan/dharmayan-vol-101-vaishnava-upasana-ank/ इति जालपृष्ठे निःशुल्करूपेण पठितुं शक्यते, डाउनलोड इति कृत्वा च वितरणं कर्तुं शक्यते।
प्रभात खबर, दि. 01 दिसम्बर, 2020, धर्मायण पत्रिकाके 101वें अंक का विमोचन
पटना. महावीर मंदिर की पत्रिका धर्मायण का 101वां अंक दिसंबर 2020 के लिए इ-पत्रिका के रूप में सोमवार को प्रकाशित हुआ. इसके प्रधान संपादक आचार्य किशोर कुणाल हैं और संपादक पंडित भवनाथ झा हैं. वर्तमान में कोविड-19 के कारण इस पत्रिका का केवल इ-संस्करण ही प्रकाशित किया जा रहा है. यह वैष्णव उपासना अंक के रूप में विशेषांक है. यह अंक महावीर मंदिर के इस वेबसाइट https://mahavirmandirpatna.org/dharmayan/dharmayan-vol-101-vaishnava-upasana-ank/ पर निःशुल्क पढ़ा जा सकता है. साथ ही इसे डाउनलोड कर वितरित भी किया जा सकता है.
दैनिक भास्कर, दि. 01 दिसम्बर, 2020, धर्मायण का 101वां अंक, वैष्णव उपासना अंक का हुआ लोकार्पण
पटना. महावीर मंदिर की ओर से सोमवार को धर्मायण पत्रिका के 101वां अगहन वैष्णव उपासना अंक का लोकार्पण हुआ। ई-पत्रिका के रूप में प्रकाशित हुआ। इसके प्रधान संपादक आचार्य किशोर कुणाल हैं तथा संपादक पं. भवनाथ झा हैं। वर्तमान में कोविड-19 के कारण इस पत्रिका का केवल ई-संस्करण ही प्रकाशित किया जा रहा है। यह वैष्णव-उपासना अंक के रूप में विशेषांक है। इस अंक में आचार्य किशोर कुणाल ने गीता के महत्त्व पर प्रकाश डाला है। डॉ. अरुण कुमार उपाध्याय का शोध आलेख वैदिक विष्णु के स्वरूपों का विमर्श वैदिक साहित्य में विष्णु के स्वरूप एवं उनके माहात्म्य पर प्रकाश डालता है। राजस्थान के लेखक डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू ने देश के प्राचीनतम नारायण-वाटिका शिलालेख पर प्रकाश डाला है। बिहार में पाई गई विष्णुमूर्तियों के सिद्धांत एवं स्वरूप पर डॉ. सुशांत कुमार का आलेख प्रस्तुत किया है। इस अंक में संदर्भ-संकेत के साथ कुल 12 शोध आलेख हैं।
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक