dharmayan vol.100 Surya-Upasana Ank
वर्तमान में कोविड-19 के कारण यह पत्रिका केवल ई-पत्रिका के रूप में प्रकाशित हो रही है।
अंक संख्या 100, हिन्दी धार्मिक पत्रिका “धर्मायण”
महावीर मंदिर की ओर से प्रकाशित धर्मायण पत्रिका का 100वाँ अंक कई अर्थों में विशेष है। इस अंक में सूर्य की उपासना एवं इसकी महत्ता पर विशेष सामग्री प्रकाशित है।
इस अंक में जो सबसे मुख्य बात है कि इसमें अंक 1-99 तक के अभी तक के प्रकाशित आलेखों की की सूची का समायोजन किया गया है। 1990 से आजतक लगभग 1500 आलेख प्रकाशित हुए है। उसकी सूची लेखक के नाम के क्रम से प्रकाशित है। आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री, डॉ. डी.आर ब्रह्मचारी, डॉ. जनार्दन यादव, आरसी प्रसाद सिंह, साहित्यवाचस्पति श्रीरंजन सूरिदेव आदि लगभग 200 लेखकों की रचनाओं का प्रकाशन धर्मायण के विभिन्न अंकों में अब तक किया गया है।
यह अंक 120 पृष्ठों का है, जबकि अन्य अंक 80 पृष्ठ होते हैं।
छठ पर्व का गणित-शास्त्रीय और खगोल शास्त्रीय अध्ययन, सूर्य-किरण से चिकित्सा, प्राचीन विश्व-सभ्यताओं में सूर्य की उपासना, हनुमानजी पर आचार्य किशोर कुणाल के विशेष आलेख इस अंक के प्रमुख आकर्षण हैं।
कोविड-19 के कारण इसे ई-पत्रिका के रूप में प्रकाशित किया जा रहा है।
- (Title Code- BIHHIN00719),
- धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका,
- मूल्य : पन्द्रह रुपये
- प्रधान सम्पादक- आचार्य किशोर कुणाल
- सम्पादक- भवनाथ झा
- पत्राचार : महावीर मन्दिर, पटना रेलवे जंक्शन के सामने पटना- 800001, बिहार
- फोन: 0612-2223798
- मोबाइल: 9334468400
- E-mail: dharmayanhindi@gmail.com
- Web: www.mahavirmandirpatna.org/dharmayan/
- पत्रिका में प्रकाशित विचार लेखक के हैं। इनसे सम्पादक की सहमति आवश्यक नहीं है। हम प्रबुद्ध रचनाकारों की अप्रकाशित, मौलिक एवं शोधपरक रचनाओं का स्वागत करते हैं। रचनाकारों से निवेदन है कि सन्दर्भ-संकेत अवश्य दें।
आलेख-सूची, धर्मायण, सूर्य-उपासना अंक, कार्तिक, वि.सं. 2077, दिनांक 01-30 नवम्बर तक
- सम्पादकीय- धर्मायण: शताङ्क तक की गौरवमयी यात्रा
- सूर्य-संस्कृति के विविध आयाम: अतीत से वर्तमान तक– श्री अम्बिकेश कुमार मिश्र
- सूर्य-मूतियों का स्वरूप- डॉ. सुशान्त कुमार
- मेवाड़ के सूर्य मंदिर: शिल्प और स्थापत्य– डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू’
- सूर्य-स्तोत्र (साम्ब-पुराण से संकलित)
- आदिदेव भगवान् सूर्य– डा. सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य
- छठ पर्व के कई रहस्य– श्री अरुण कुमार उपाध्याय
- हनूमन् यत्नमास्थाय दुःखक्षयकरो भव– किशोर कुणाल
- ऋग्वैदिक रोगघ्न उपनिषद्: सूर्य किरण-चिकित्सा का विज्ञान- डा. परेश सक्सेना
- “तृचभास्कर” में सूर्योपासना– श्री अंकुर जोषी
- सूर्यविज्ञान: मूल तन्त्र– श्री कमलेश पुण्यार्क
- सूर्याराधक कवि मयूर की कृति- ‘सूर्यशतकम्’– श्री महेश प्रसाद पाठक
- छठपर्व के लोकगीतों में भक्ति-भावना, डा. काशीनाथ मिश्र
- 1-99 तक के अंकों की आलेख-सूची
- मातृभूमि-वंदना, व्रतपर्व आदि स्थायी स्तम्भ
इस अंक पर अपनी प्रतिक्रिया यहाँ लिखें। धन्यवाद।
This is excellent activities of religious and cultural aspects required in Bihar. It works as the nutritional diet for the intellectuals.
Awaiting to see and forward to the others too.
Welcome.
अद्भुत विशेषांक की प्रतीक्षा।
अद्भुत
Aw, this was a really nice post. In idea I would like to put in writing like this additionally – taking time and actual effort to make a very good article… but what can I say… I procrastinate alot and by no means seem to get something done.