अंक 111- 120
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धर्मायण, अंक संख्या 120, चातुर्मास्य-विशेषांक
धर्म का प्रधान उद्देश्य मानव जीवन को स्वस्थ एवं प्रसन्न रखते हुए शान्ति की दिशा में ले जाना है। अतः जीवन में धर्म एवं ... -
धर्मायण, अंक संख्या 119, व्रत-विधि-विशेषांक
विभिन्न धर्मशास्त्रीय ग्रन्थों में व्रतों लिए फलश्रुतियाँ बढ़-चढ़ कर मिलती हैं। इन फलश्रुतियों का इतना ही कार्य है कि ये लोगों को आकृष्ट कर ... -
धर्मायण, अंक संख्या 118, वैशाख-विशेषांक
पौराणिक कथाओं में भगवान् विष्णु के जिन 10 अवतारों की चर्चा हुई है, वे सभी इस पृथ्वी पर उत्कृष्ट कार्य करने वाले कहे गये ... -
धर्मायण, अंक संख्या 116 शिव-तत्त्व अंक
‘धर्मायणʼ का अगला फाल्गुन मास का अंक इस बार भगवान् शिव को समर्पित है। फाल्गुन मास में कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को शिवरात्रि महापर्व ... -
धर्मायण, अंक संख्या 115, सरस्वती-अंक
सनातन धर्म में विद्या की देवी के रूप में सरस्वती की पूजा प्राचीन काल से प्रचलित है। यद्यपि वैदिक वाङ्मय में जिस सरस्वती का ... -
धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक
पूर्वोत्तर भारत में मध्यकाल की दार्शनिक धारा के सिद्धान्त प्रतिपादक निबन्धकार परमहंस विष्णुपुरी भक्ति-दर्शन के गौरवमय पुरुष हैं। इन्होंने श्रीमद्भागवत से श्लोकों का संकलन ... -
धर्मायण, अंक संख्या 113, हनुमान अंक, 2
यह अंक “सकल अमंगल-मूल निकंदन” यानी सभी विघ्न-बाधाओं की जड़ को ही उखाड़ फेंकने वाले महावीर हनुमानजी को अर्पित है। हनुमानजी के देवत्व स्वरूप ... -
धर्मायण, अंक संख्या 112, कार्तिक 2078 वि.सं., हनुमद्-विशेषांक, भाग 1
यह अंक “सकल अमंगल-मूल निकंदन” यानी सभी विघ्न-बाधाओं की जड़ को ही उखाड़ फेंकने वाले महावीर हनुमानजी को अर्पित है। हनुमानजी के देवत्व स्वरूप ... -
लेखकों से निवेदन, शोधपरक आलेख आमन्त्रित, लेखकों को दी जाती है सम्मान-राशि।
‘धर्मायण’ के अगले अंक, (अंक संख्या 118, वैशाख, सं. 2079) के लिए प्रस्ताव की पृष्ठभूमि- “लोक-देवताओं के रूप में परशुराम, नरसिंह, कूर्म एवं बुद्ध ... -
धर्मायण अंक संख्या 111, आश्विन, 2078 का अंक free pdf magazine
यह अंक विषयों की विविधता से भरा हुआ है। इसमें भारत की शक्ति-उपासना, कृष्ण-उपासना, गणेश-उपासना, पितृ-उपासना, लक्ष्मी-उपासना तथा लोकदेवताओं की उपासना से सम्बन्धित प्रामाणिक ...
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक