डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू
डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू’ : उपलब्धिमूलक जीवनवृत्त
(एक शिक्षक की भारत-विद्या के क्षेत्र में विशेष उपलब्धियाँ)
मूल नाम
श्रीकृष्णकान्त चौहान
जन्म –
राजस्थान के चित्तौडग़ढ़ जिले के आकोला ग्राम में 2 अक्टूबर 1964 ई.
शिक्षा –
अधिस्नातक (प्राचीन भारतीय इतिहास, हिंदी एवं अंग्रेेजी), सम्पूर्ण शिक्षा स्वयंपाठी स्तर पर।
पी-एच.डी.-
मेवाड़ प्रदेश का हीड़ लोकसाहित्य (लोकदेवता धर्मराज देवनारायण-बगड़ावत के गेय लोक इतिहास पक्षों पर प्रसिद्ध लेखक प्रो. डॉ. नरेन्द्र भानावत के निर्देशन में विवेचनात्मक अध्ययन, राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर 1993 ई.)
अन्य –
पत्रकारिता में स्नातकोत्तर डिप्लोमा एवं शिक्षा स्नातक (सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय, उदयपुर 1994 ई.)
सेवा –
सामान्य शिक्षक : राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, गाँव लकापा, तहसील सलूम्बर, जिला उदयपुर।
अन्य उपलब्धियाँ और प्राप्त महत्त्वपूर्ण सम्मान —
- राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर से 1982 में नवोदित प्रतिभा प्रोत्साहन पुरस्कार से सम्मानित।
- दिनकर साहित्य परिषद, फतहनगर (उदयपुर) द्वारा दिनकर साहित्य सम्मान, 1986 ई.
- साहित्य मंडल नाथद्वारा से 1999 ई. में हिंदी साहित्य सेवी सम्मान।
- मैराथन ऑफ मेवाड़, ग्राम पंचायत दीवेर (राजसमन्द) की ओर से प्रशस्तिका, 2005 ई.
- मीरा स्मृति मंच, चित्तौड़गढ़ से 2007 ई. में सम्मान।
- महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल फाउंडेशन, सिटी पैलेस उदयपुर का राज्य स्तरीय महाराणा कुम्भा अवार्ड, 2008 ई.।
- सलिला साहित्य मंच, सलूम्बर-उदयपुर से सितंबर, 2010 ई. में विशिष्ट साहित्यकार सम्मान।
- राजस्थान पुरातत्व विभाग के आहाड़ संग्रहालय के स्वर्ण जयंती वर्ष, 2014 ई. में श्रेष्ठï पत्र वाचन पर सम्मान।
- आकाशवाणी और दूरदर्शन से कहानी-काव्यपाठ, वार्ता, रूपकों, साक्षात्कार का 1983 से समय-समय पर प्रसारण।
- नेशनल ऑपन बोर्ड ऑफ स्कूल, दिल्ली में लोककला पाठ्यक्रम निर्माण समिति में सदस्य, 2011 ई.।
- राज्यपाल महोदय की ओर से पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, उदयपुर की उच्च स्तरीय समिति में सदस्य, 2011 ई.।
- राजस्थान राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान की पाठ्यक्रम समिति में पाठ्यपुस्तकों का लेखन 1996 से।
- सुन्दर विचार संस्थान द्वारा स्थापित संत सुन्दरदास राष्ट्रीय साहित्यश्री सम्मान, भीलवाड़ा, 2013 ई.।
- राजस्थानी साहित्य भाषा एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर की पुरस्कार निर्णायक समिति में सदस्य, 2013 ई.
- राजस्थान संस्कृत अकादमी, जयपुर की ओर से पं. जगन्नाथ सम्राट ज्योतिष सम्मान, 2013 ई.।
- राजस्थान के महामहिम राज्यपाल महोदय द्वारा श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान, जयपुर, 2013 ई.।
- पुरस्कृत शिक्षक परिषद, जयपुर और उदयपुर से विशिष्ट शिक्षक सम्मान, 2013 ई.।
- राजस्थान शिक्षक संघ, उदयपुर और निम्बार्क शिक्षक महाविद्यालय, उदयपुर से सम्मान, 2013 ई.।
- अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा, पुष्करराज की ओर से विशिष्ट साहित्यकार सम्मान, 2013 ई.।
- त्रिसुगंधि साहित्य, कला एवं संस्कृति परिषद, जालोर से महाकवि माघ सम्मान, 2013 ई.।
- राष्ट्रिय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली से 1,00,000 रुपए का संस्कृत सेवाव्रती सम्मान, 2014 ई.।
- महामहिम राष्ट्रपति महोदय द्वारा मानव संसाधन मंत्रालय (भारत सरकार देय) राष्टï्रीय शिक्षक सम्मान, 2014 ई.।
- विज्ञान समिति, उदयपुर से विशिष्ट सेवा पुरस्कार, 2014 ई.।
- साकेत साहित्य संस्थान, मनोहर मेधा मिलन संस्थान द्वारा मनोहर मेवाड़ संस्कृत सम्मान, 2014 ई.।
- गीतांजलि मेडिकल कॉलेज की ओर से सेवा सम्मान, 2015 ई.।
- वराहमिहिर संस्थान, कायथा (मध्य प्रदेश) की ओर से राष्ट्रीय वराहमिहिर सम्मान, 2016 ई.।
- दैनिक भास्कर (समाचार पत्र, उदयपुर संस्करण) की ओर से शिक्षक पुरस्कार, 2016 ई.।
- लायन्स क्लब, उदयपुर से उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान, 2016 ई.।
- प्रतिकल्पा सांस्कृतिक मंच, उज्जैन (मध्य प्रदेश) की ओर से व्यास सम्मान, 2016 ई.।
- अभिनव कला परिषद, भोपाल की ओर से अभिनव शब्द शिल्पी सम्मान, 2018 ई.।
- पंजाब विश्वविद्यालय, पटियाला और बीएन विश्वविद्यालय, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में महाराणा प्रतापकालीन साहित्य के सम्पादन पर महामहीम राज्यपाल महोदय के हाथों विशिष्टï सम्मान, 2018 ई.।
- सकल दिगम्बर जैन समाज, दमोह (मध्य प्रदेश) की ओर से विशिष्ट समाज सेवा सम्मान, 2019 ई.।
- राजस्थान श्रमजीवी पत्रकार संघ, उदयपुर की ओर से जर्नलिज्म गैलेक्सी अवार्ड, 2020 ई.।
- शान्तिकुंज हरिद्वार की उदयपुर शाखा द्वारा संस्कृति पुरोधा सम्मान, 2020 ई.।
- लाल बहादुर शास्त्री संस्कृत विद्यापीठ, नई दिल्ली में मन्दिर के शिखर विधान पर विशेष व्याख्यान पर सम्मानित, 2020 ई.।
- इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय कला केन्द्र, नई दिल्ली द्वारा उपवेदों पर वेबीनार में मुख्य वक्ता, 2020 ई.
- राजस्थान पर्यटन विकास निगम, उदयपुर की सूचना पत्रक प्रकाशन समिति में सदस्य मनोनीत, 2020 ई.।
- हिन्दुस्तानी एकेडमी, इलाहाबाद द्वारा स्थापित गुरु गोरक्षनाथ राष्ट्रीय सम्मान के अन्तर्गत आदिकालीन साहित्य में योगदान पर 5, 00, 000 (पाँच लाख रुपए) का सम्मान घोषित, 2021 ई.।
स्थायी महत्त्व के महत्त्वपूर्ण कार्य —
विगत 100 सालों के इतिहास में भारत में सर्वाधिक ज्योतिष, तकनीकी, वास्तु-शिल्प और अन्य कलामूल के ग्रन्थों का सम्पादन, अनुवाद और प्रकाशन कर यह सिद्ध किया है कि प्राचीन काल में तकनीक, रसायन, खनिज, ज्योतिर्विज्ञान, शिल्प और स्थापत्य कला को सर्वोच्च महत्व मिला और इस संबंध में संपादित, रचित संस्कृत ग्रन्थ आज भी सर्वथा प्रासंगिक हैं।
उत्तर भारत सहित दक्षिण भारत के राजाओं यथा- राजराजा चोल, देवनारायण, धाराधिप महाराजा भोजराज, वातापी के शासक भूलोकमल्ल सोमेश्वर, अणहिलवाड़ पट्टन के राजा कुमारपाल चालुक्य, मेवाड़ के महाराणा कुम्भा, महाराणा रायमल तथा महाराणा प्रताप आदि के काल के दकार्गल, ज्योतिष, वास्तु-शिल्प-स्थापत्य, मूर्तिकला, काष्ठ-कला, संगीत, चित्रकला, वृक्षायुर्वेद, सस्य विज्ञान, वृष्टि-विज्ञान और राजनीति विषयाधारित ग्रन्थों का मूल पाण्डुलिपियों के आधार पर सम्पादन और प्रकाशन का अभूतपूर्व कार्य कर राष्ट्र के निर्माण और विकास में संस्कृत साहित्य के अति महत्वपूर्ण अवदान को प्रतिपादित किया है। इऩ्होंने संस्कृत को केवल काव्य अथवा दर्शन की भाषा होने की अपेक्षा तकनीकी विषयों की अभिव्यक्ति की प्रधान भाषा होने का लोक सुलभ सम्मान दिलाने का प्रयास किया है। संस्कृत के अनेक अल्पज्ञात, अलभ्य ग्रन्थों का पाठ देश-विदेश के संग्रहों से खोजकर उनका संपादन और अनुवाद किया है।
यह संकल्प है कि 2020 ई. तक भारतीय विज्ञान, कला-तकनीकी-वास्तु और ज्योतिर्विज्ञान आधारित उपलब्ध मूलभूत ग्रन्थों का प्रकाशन हो जाए। अब तक 100 ग्रन्थ प्रकाशित हुए जिनकी लगभग पृष्ठों संख्या 32,000 हैं।
विचार यह है कि भारतीय कब तक नालन्दा जैसे प्राचीन विश्व विद्यालयों के ग्रन्थ भण्डारों के फूंक दिए जाने पर आहत होते रहेंगे, क्यों न वहाँ पर विद्यमान रहे और पठन-पाठन में काम आने वाले विषयों पर आधारित ग्रन्थों का पुनर्निर्माण हो और सम्पादन सहित सानुवाद प्रकाशन हो।
इस संकल्प के तहत अब तक प्रकाशित सभी ग्रन्थ बेहद चर्चित और देश-विदेश में पहुंच चुके हैं। जर्मन विद्वान ज्यूएल वोज्तिल्ला और फिलेक्स ओट्टर द्वारा कुछ कृतियों पर शोध कार्य संपादित। मि. एलेक्सिस सोरनिन द्वारा तैयार वेब सूचना ‘बिब्लियोग्राफी ऑन वास्तुशास्त्र लिटरेचर में 1834 से लेकर 2009 ई. तक की सूची में एतद्विषयक सर्वाधिक ग्रन्थों के सम्पादन का श्रेय डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनू को दिया गया है। जम्मू, तिरुपति, बड़ौदा, वल्लभविद्यानगर, आनंद, लखनऊ, इलाहाबाद, ग्वालियर, उज्जैन, उदयपुर, वाराणसी आदि के विश्वविद्यालयों में कई कृतियों पर शोध प्रबंध एवं लघु शोध प्रबंधों का प्रणयन हुआ है। मराठी, कन्नड़ आदि में कुछ ग्रन्थों का अनुवाद हुआ है। कई सम्पादित ग्रन्थ गुरुकुलों व विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रमों में लागू। उज्जैन के महाकाल वैदिक गुरुकुल में मनुष्यालय चन्द्रिका ग्रन्थ का पठन-पाठन नियमित चल रहा है।
शोधपत्रों की प्रस्तुति और लेखन-प्रकाशन —
ज्योतिष, इतिहास-पुरातत्त्व, शिल्प, कला, स्थापत्य-स्मारक, शिक्षा, धर्म व संस्कृति जैसे विषयों के अध्ययन-अध्यापन, अनुसंधान और लेखन में गहरी रुचि होने से एतद् विषयक स्थलों का यथासंभव भ्रमण किया है। इन्हीं विषयों पर वर्ष 1977 से अद्यावधि 6000 से अधिक आलेखों का देश के प्रतिष्ठित पत्रों-पत्रिकाओं में सचित्र प्रकाशन हुआ है।
देशी-विदेशी शिल्पियों, कला अध्येताओं, संगीतकारों, चित्रकारों, लब्धप्रतिष्ठ सन्तों, धर्मगुरुओं, साहित्यकारों, राजनेताओं और समाज सुधारकों के भावात्मक साक्षात्कारों का संग्रह और प्रकाशन हुआ है। शताधिक प्रशस्तियों, अभिलेखों, सुरह लेखों, ताम्रपत्रों, पट्टों, पाण्डुलिपियों, लिपियों का अध्ययन और मूलपाठ का अक्षरान्तर, प्रकाशन और अनुवाद।
कई राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों, सेमिनारों, वेबीनारों में भारत-विद्या के नाना पक्षों पर व्याख्यान और शताधिक शोधपत्रों का पठन किया है।
वर्तमान में नियमित रूप से स्वर सरिता (मासिक, जयपुर), धर्मायण (पटना), विकल्प (मासिक, बीकानेर), आदिज्ञान (मुम्बई), कला समय (भोपाल), अर्णव (अर्द्धवार्षिक, वाराणसी), वैचारिकी (द्वैमासिक, कोलकाता), मीरायन (द्वैमासिक, चित्तौडग़ढ़) आदि पत्रिकाओं में नियमित लेखन। मध्य प्रदेश के आदिवासी लोक कला एवं बोली विकास अकादमी व मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद, भोपाल के लिए समय-समय पर विविध विषयों पर मोनोग्राफ का लेखन।
सोनी टीवी के चर्चित ‘विघ्रहर्ता गणेश मेगा धारावाहिक में ‘भक्तिमती मीराबाई उप धारावाहिक में शोध सलाहाकार के रूप में निष्काम सेवाएँ।
अति विशिष्ट कार्य
महाराणा प्रताप (1572-97 ई.) की आज्ञा से लिखित तीन ग्रंथों मुहूर्तमाला, विश्ववल्लभ-वृक्षायुर्वेद एवं राज्याभिषेकपद्धति का रचना के लगभग 425 साल बाद पहली बार महाराणा प्रताप का दरबारी पण्डित चक्रपाणि मिश्र और उसका साहित्य कृति में संपादन, विस्तृत भूमिका व अनुवाद सहित महाराणा प्रताप स्मारक समिति, उदयपुर से 2003 में प्रकाशन हुआ।
‘राज्याभिषेक पद्धति : एक अध्ययन विषयक शोध प्रबन्ध पर सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय से एक शोधार्थी को पीएच. डी की उपाधि प्राप्त।
चक्रपाणि मिश्र कृत चौथे ग्रन्थ ‘व्यवहारादर्श के पाठ की खोज और सम्पादन तथा अनुवाद किया जो प्रकाशनाधीन है। महाराणा कुम्भाकालीन (1433-68 ई.) सूत्रधार मण्डन विरचित ज्योतिष और वास्तुकला के राजवल्लभ वास्तुशास्त्रम्, देवतामूर्तिप्रकरणम्-रूपमण्डनम्, आयतत्त्वम्, वास्तुसार मण्डनम्, प्रासाद मण्डनम्, वास्तु मण्डनम् और महाराणा रायमल कालीन सूत्रधार नाथा कृत वास्तुमञ्जरी और सूत्रधार गोविन्दकृत कलानिधि और वास्तु उद्धारधोरणी ग्रन्थों का मूल पाण्डुलिपियों के आधार पर संपादन, अनुवाद और प्रकाशन करवाया। महाराणा कुम्भा कालीन एकलिंग माहात्म्य एवं महाराणा रायमल कालीन एकलिंगपुराण का सानुवाद सम्पादन और प्रकाशन।
धाराधिप महाराजा भोजकृत राजमार्तण्ड ज्योतिष-ग्रंथ का प्रथम बार पाण्डुलिपि के आधार पर सम्पादन और अनुवाद कर प्रकाशन करवाया। भोजकृत 8 हजार श्लोकों में लिखित विशाल वास्तु कला ग्रन्थ समरांगण सूत्रधार का पहली बार सम्पूर्ण आलोचना पाठ संपादन सहित सचित्र अनुवाद और प्रकाशन करवाया।
भुवनदेव कृत मन्दिर स्थापत्य और मूर्तिकला के मूलभूत ग्रन्थ अपराजितपृच्छा का पहली बार सानुवाद सम्पादन कर प्रकाशन। शिवलिंग और मन्दिर स्थापत्य पर आधारित 8वीं सदी के वैराचनकृत प्रतिष्ठालक्षणसार समुच्चय शैवागम सम्मत ग्रन्थ का अनुवाद किया जो प्रकाशनाधीन है। नारायण नम्बूदिरीपाद कृत देवालय चन्द्रिका के लुप्तपाठ की खोज और सानुवाद प्रकाशन हुआ है।
भारतीय गणितज्ञ श्रीपतिभट्ट प्रणीत ज्योतिषरत्नमाला (999 ई. में आचार्य लल्ल के रत्नकोश नामक संहिता ग्रंथ के आधार पर रचित मुहूर्त विषयक प्रथम ग्रंथ) का रचनाकाल के लगभग एक हजार वर्ष बाद संपादन, पाठान्तर सहित सभी बीसों प्रकरणों का पूर्वसूरियों के रूप में रत्नकोश, बृहत्संहिता, वशिष्ठïसंहिता, यवनजातक, विष्णुधर्मोत्तर, नारदसंहिता के उद्धरणों के साथ अनुवाद तथा विस्तृत भूमिका का लेखन कर प्रकाशन करवाया।
इस प्रकार भारतीय कला की अप्रतिम थाती कहे जाने वाले वृहदतम वास्तुग्रन्थों मयमतम्, अपराजितपृच्छा, समराङ्गïणसूत्रधार और मानसोल्लास आदि का सम्पूर्ण पुनर्सम्पादन सहित अनुवाद। इनमें से मानसोल्लास के एक भाग का शिल्पशास्त्रे आयुर्वेद के नाम से प्रकाशन, शेष पाँच भाग 2021 ई. में प्रकाशित। 16वीं सदी में हुए श्रीकुमार कृत शिल्परत्नम् ग्रन्थ का सम्पूर्णत: सम्पादन करते हुए चार भागों में सानुवाद चौखम्बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी से प्रकाशन करवाया।
देश भर के लगभग 100 लेखकों, विद्वानों की पुस्तकों के लिए भूमिका और कवर-फ्लैप लेखन किया। यूनेस्को द्वारा मान्य विशिष्ट पुस्तक प्राचीन भारतीय लिपिमाला (गौरीशंकर हीराचन्द ओझा कृत) ग्रन्थ का 1918 ई. के बाद नवीनतम खोजों के आधार पर अति विस्तृत भूमिका लिखकर पुन: प्रकाशन करवाया। वर्ष 1884 ई. में प्रकाशित 4000 पृष्ठों के चार खण्डों वाले ऐतिहासिक ग्रन्थ वीर विनोद (कविराजा श्यामलदास कृत) के लिए विस्तृत भूमिका लेखन का कार्य।
अबुल फजल कृत आईन ए अकबरी के 4 भागों (लगभग 2300 पृष्ठ) का श्रीशिव मृदुल से हिन्दी अनुवाद करवाकर भूमिका लेखन। मुल्ला अब्दुल कादिर बदायूनी कृत मुन्तखब उत तवारीख के 3 भाग (लगभग 1500 पृष्ठ) का श्री मुन्नालाल डाकोत से अनुवाद करवाया और विस्तृत शोधपूर्ण भूमिका लिखी। अमीर खुसरो कृत खज़ाइन-उल-फुतूह (तारीख ए अलाई) का श्री डाकोत से अनुवाद करवाया और शोध पूर्ण भूमिका लिखी। इसी प्रकार एफ. ई. पार्जीटर लिखित एंशियण्ट इण्डियन हिस्टोरिकल ट्रेडिशन का अनुवाद भी श्री डाकोत से करवाया।
विदेश यात्राएँ –
बृहत्तर भारत के अन्तर्गत भारतीय मन्दिर संस्कृति के केन्द्र कम्बोडिया की 2017 ई. में यात्रा और सिमरिप के अंगकोरवाट एवं अन्य मन्दिरों का अध्ययन-अध्यापन। सुदूर देवालय स्थापत्य के वैभवपूर्ण विकास एवं धार्मिक आदान-प्रदान के विषय में गंभीर अध्ययन।
विश्वकोषात्मक पुराणों पर कार्य
उपपुराणों और स्थलपुराणों के रूप में स्वीकार्य विष्णु धर्मोत्तर पुराण, महाविश्वकर्म पुराण, एकलिंग पुराण, शिव धर्म पुराण, शिव धर्मोत्तर पुराण का पहली बार सम्पादन और अनुवाद तथा विस्तृत भूमिका सहित प्रकाशन।
चौखम्बा संस्कृत सीरिज आफिस, वाराणसी के लिए महापुराणों यथा— गरुडपुराण, ब्रह्मïपुराण, बृहन्नारदीयपुराण, शिवपुराण, कल्किपुराण आदि की विस्तृत भूमिकाओं का लेखन और सम्यक् पाठ निर्धारण में सहायता प्रदान की। अयोध्या शोध संस्थान, अयोध्या की महत्वपूर्ण परियोजना श्रीराम चरित का विश्वकोष हेतु राजस्थान के रामकथा कोश का दायित्व।
इतना कार्य देश में अब तक किसी संस्था के स्तर पर भी नहीं हुआ है। संस्कृत साहित्य की कोई उपाधि न होकर भी देवभाषा के ग्रन्थों पर मौलिक रूप से सम्पादन और अधिकृत अनुवाद कार्य किया है। यही नहीं, वास्तु जैसे विषय के गौरव को लौटाते हुए अनेक विश्व विद्यालयों, महाविद्यालयों में पठन-पाठन के लिए प्रोफेसरों के पदों का सृजन और पाठ्यक्रम निर्माण का अवसर सुलभ करवाया है।
लिखित और सानुवाद सम्पादित ग्रन्थ –
(प्रकाशित ग्रंथ लगभग 175, वॉल्यूम 75)
- कला की कालकथा (राजस्थान की कला के नाना पहलुओं का आञ्चलिक सन्दर्भ में अध्ययन, उमेश प्रकाशन, 100 लुकरगंज, इलाहाबाद, 2005 ई.)
- भारतीय लोकमाध्यम (पारम्परिक मीडिया का सिंहावलोकन, राजस्थान हिन्दी ग्रन्थ अकादमी, जयपुर, सहलेखक डॉ. महेंद्र भानावत, 2002 ई.)
- चित्रलक्षणम् (रचनाकाल 3री सदी, नग्रजित् कृत प्रतिमाशिल्प व चित्र विषयक ग्रन्थ, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, मैदागिन, बनारस, 2006 ई.)
- राजवल्लभवास्तुशास्त्रम् (रचनाकाल 15वीं सदी, सूत्रधार मण्डन कृत, अनुवाद एवं 210 पृष्ठों की भूमिका, परिमल पब्लिकेशंस, 27/26 शक्तिनगर, दिल्ली, 2005 ई.)
- देवतामूर्तिप्रकरणम् एवं रूपमण्डनम् (रचनाकाल 15वीं सदी, सूत्रधार मण्डन कृत मूर्तिशास्त्र, न्यू भारतीय बुक कॉरपोरेशन, 5824 न्यू चन्द्रावल, जवाहरनगर, दिल्ली, 2003 ई.)
- वास्तुसारमण्डनम् एवं आयतत्त्वम् (रचनाकाल 15वीं सदी, सूत्रधार मण्डन कृत वास्तु एवं आयादि गणित ग्रन्थ, न्यू भारतीय बुक कॉरपोरेशन, दिल्ली, 2006 ई.)
- वास्तुमण्डनम् (रचनाकाल 15वीं सदी, सूत्रधार मण्डन कृत वास्तुविद्या विषयक ग्रन्थ, चौखम्बा सुरभारती प्रकाशन, गोपाल मंदिर लेन, वाराणसी, 2008 ई.)
- प्रासादमण्डनम् (रचनाकाल 15वीं सदी, सूत्रधार मण्डन कृत, देवालय निर्माण विषयक ग्रन्थ, आलोचना पाठ सहित प्रकाशन, परिमल पब्लिकेशंस, दिल्ली, 2006 ई.)
- वास्तुमञ्जरी (रचनाकाल 15वीं सदी, सूत्रधार नाथा कृत, गृह, प्रासाद एवं मूर्तिकला पर ग्रन्थ, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, बनारस, 2006 ई.)
- शिल्पदीपक (रचनाकाल 18वीं सदी, सूत्रधार गङ्गाधर कृत वास्तु विद्या विषयक ग्रन्थ, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, बनारस, 2005 ई.)
- विश्ववल्लभ-वृक्षायुर्वेद (रचनाकाल 16वीं सदी, चक्रपाणि मिश्र कृत वृक्ष विज्ञान एवं जलाशय निर्माण विधान, न्यू भारतीय बुक कॉरपोरेशन, दिल्ली, 2006 ई.)
- वास्तु एवं शिलाचयन (गृहोपयोगी पत्थरों के चयन के लिए निर्देश, न्यू भारतीय बुक कॉरपोरेशन, दिल्ली, 2006 ई.)
- महाराणा प्रताप का दरबारी पं. चक्रपाणि मिश्र और उसका साहित्य (रचनाकाल 16वीं सदी, 1. राज्याभिषेकपद्धति, 2. विश्ववल्लभ एवं 3. मुहूर्तमाला का पाठ, अनुवाद, महाराणा प्रताप स्मारक समिति, उदयपुर, 2003ई.)
- ज्योतिषरत्नमाला (रचनाकाल 10वीं सदी, ज्योतिष और वास्तु विद्या के मुहूर्त पर ग्रन्थ, श्रीपतिभट्टï विरचित, परिमल पब्लिकेशंस, दिल्ली, 2004 ई.)
- गार्गीयसंहिता-मयूरचित्रकम् (रचनाकाल लगभग 3री सदी, लिपिकाल 17वीं सदी, भारतीय वृष्टि- विचार, बाजारभाव विषयक लक्षण ग्रन्थ, परिमल पब्लिकेशंस, दिल्ली, 2006 ई., वृष्टि-विज्ञानम् के नाम से पुनर्प्रकाशन, 2015 ई.)
- वृक्षायुर्वेद (रचनाकाल 10वीं सदी, सुरपालमुनि कृत, मूलपाठ एवं भारतीय पर्यावरण प्रेम का इतिहास, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, बनारस, 2004 ई.)
- शिल्पशास्त्रम् (रचनाकाल 10वीं सदी, विश्वकर्माकृत, बउरी महाराणा प्रणीत उडिय़ा वास्तु ग्रन्थ, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, बनारस, 2006 ई.)
- मुहूर्तदीपक (रचनाकाल 17वीं सदी, महादेव दैवज्ञ कृत मुहूर्त ग्रन्थ, वास्तु पर भी संक्षिप्त जानकारी, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, बनारस, 2006 ई.)
- मनुष्यालयचन्द्रिका (रचनाकाल 16वीं सदी, नीलकण्ठ मूसत कृत वास्तु ग्रन्थ, आलोचना पाठ एवं अनुवाद, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, बनारस, 2006 ई.)
- वास्तुविद्या (रचनाकाल 16वीं सदी, अज्ञातकत्र्तृक कृत वास्तु ग्रन्थ, संस्कृत टीका, सम्पूर्णत: हिन्दी अनुवाद, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, वाराणसी, 2007 ई.)
- मुहूर्तकल्पद्रुम (रचनाकाल 17वीं सदी, दैवज्ञ वि_ïल दीक्षित कृत मुहूर्त पर विस्तृत ग्रन्थ, चौखम्बा सुरभारती प्रकाशन, वाराणसी, 2008 ई.)
- कलानिधि (रचनाकाल 15वीं सदी, सूत्रधार गोविन्द कृत, वास्तु, देवालयों के शिखर विधान, निर्देश ग्रन्थ, परिमल पब्लिकेशंस, दिल्ली, 2006 ई.)
- देवालयचन्द्रिका (रचनाकाल 15वीं सदी, नीलकण्ठ मूसत कृत देवालय-वास्तु विषयक द्राविड़ ग्रन्थ, परिमल पब्लिकेशंस, दिल्ली, 2016 ई.)
- मन्दिर श्रीअम्बामाता उदयपुर (उदयपुर के अम्बामाता मंदिर पर परिचयात्मक ग्रंथ, महाराणा मेवाड़ हिस्टोरिकल पब्लिकेशंस, उदयपुर, 2003 ई.)
- भलाभाई-बुराभाई (मेवाड़ प्रदेश की लोककथाओं का प्रतिनिधि बालोपयोगी संग्रह, अंकुर प्रकाशन, उदयपुर से प्रकाशित, 1996 ई., द्वितीय संस्करण 2007 ई.)
- मुहूर्ततत्त्वम् (15वीं सदी, ज्योतिर्विदाग्रगण्य श्रीकेशवदैवज्ञ विरचित, हिन्दी टीका सहित, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, बनारस, 2007 ई.)
- मयमतम् – 2 भाग (सम्पादन काल 11वीं सदी, मयमुनि कृत, द्राविड़ वास्तु एवं शिल्प ग्रन्थ, अनुवाद एवं विस्तृत भूमिका; इसी में 1. मयशास्त्रम्, 2. मयदीपिका एवं 3. मयसंग्रह के पाठों का भी सम्पादन, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, बनारस, 2007 ई., द्वितीय संस्करण 20013 ई.)
- श्रीमद्योगगीता (परमहंस स्वामी ब्रह्मानन्द कृत, योगादि दर्शनाधारित 19वीं सदी का ग्रन्थ, आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली, 2007 ई.)
- कलाविलास (कवि क्षेमेन्द्र कृत, कला विषयक 11वीं सदी के संस्कृत काव्य ग्रन्थ का अनुवाद, आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली, 2007 ई.)
- विवेकविलास (संत जिनदत्त सूरि कृत, ज्योतिष, वास्तु, विष चिकित्सा विषयक 13वीं सदी का ग्रन्थ, आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली, 2007 ई.)
- ज्योतिषवृत्तशतकम् (महेश्वरोपाध्याय कृत 11वीं सदी का मुहूर्त विषयक ग्रन्थ, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, बनारस, 2011 ई.)
- वास्तु उद्धारधोरणी (16वीं सदी, सूत्रधार गोविन्द कृत, देश का प्रथम वास्तु व लिंगार्चा उद्धार ग्रन्थ, चौखम्बा संस्कृत सीरीज आफिस, बनारस 2008 ई.)
- शिल्पशास्त्रे आयुर्वेद: (12वीं सदी, भूलोकमल्ल चालुक्य नृपति सोमेश्वर द्वारा विरचित मानसोल्लासोक्त आयुर्वेद भाग, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, बनारस, 2008 ई., सह अनुवादक – प्रो. भँवर शर्मा)
- प्रमाणमञ्जरी (रचनाकाल 11वीं सदी, भोजराज के दरबारी मल्ल कृत, काष्ठ-कला विषयक शिल्प ग्रन्थ, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, बनारस, 2008 ई.)
- राजमार्तण्ड: (11वीं सदी, भोजराजकृत 1462 श्लोकों में ज्योतिष व धर्मशास्त्र पर भारत का पहला निबन्ध ग्रन्थ, परिशिष्ट में भोजकृत करणग्रन्थ ‘राजमृगाङ्कम्, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, वाराणसी, 2011 ई., सहानुवादक-प्रो. भँवर शर्मा)
- उपरिवत्
- विश्वकर्मवास्तुशास्त्रम् (रचनाकाल 15वीं सदी, अज्ञातकत्र्तृक कृत, संस्कृत टीका सहित, द्राविड़ वास्तु एवं शिल्प ग्रन्थ, परिमल पब्लिकेशंस, दिल्ली, 2010 ई.)
- समराङ्गण सूत्रधार – 2 भाग (रचनाकाल 11वीं सदी, धारा नरेश भोजराजकृत, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस, वाराणसी, 2011 ई., सह अनुवादक- प्रो. भँवर शर्मा)
- मेवाड़ का प्रारम्भिक इतिहास (आरम्भ से 13वीं सदी तक, अंकुर प्रकाशन, उदयपुर 2010 ई., द्वितीय संस्करण, आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली, 2016 ई.)
- महाराणा प्रताप का युग (महाराणा प्रतापयुगीन भारत का समाज और संस्कृति, आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली, 2010 ई., द्वितीय संस्करण 2016 ई.)
- श्रीमद् एकलिङ्ग-पुराणम् (महाराणा रायमल कालीन मेदपाटीय स्थल पुराण ग्रन्थ, 15वीं सदी, आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली, 2011 ई.)
- मेवाड़ की ऐतिहासिक कहानियां (डॉ. मोतीलाल मेनारिया की कृति का पुनर्संपादन और प्रकाशन, आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली, 2011 ई.)
- बृहत्संहिता (587 ई. में वराहमिहिर कृत, सन् 1865 में प्रो. हेंद्रिक कॅर्न द्वारा संपादित ग्रंथ का पुनर्संपादन और चिदम्बरम् कृत अंग्रेजी अनुवाद, दो भागों में परिमल पब्लिकेशंस, दिल्ली, 2013 ई.)
- अपराजितपृच्छा- 2 भाग (11वीं सदी, भुवनदेवाचार्य विरचित सचित्र, बृहद् वास्तु-शिल्पग्रन्थ, परिमल पब्लिकेशंस, दिल्ली, 2011 ई.)
- कालीशाबरतन्त्रम् (16वीं सदी, काली शाबर मन्त्र पर आधारित स्वल्पग्रन्थ, नवशक्ति प्रकाशन, वाराणसी, 2010 ई.)
- वास्तुरत्नावली (17वीं सदी, पण्डित जीवराज दैवज्ञ कृत स्वल्प वास्तु विषयक पाठ्यपुस्तक, चौखम्बा ऑरियण्टालिया, दिल्ली, 2010 ई.)
- सूर्यसिद्धान्त-2 भाग (मयोक्त सूर्यसिद्धांत की संस्कृत टीका एवं महावीरप्रसाद श्रीवास्तवकृत विज्ञान भाष्य, आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली, 2016 ई.)
- राजस्थान के प्राचीन अभिलेख (राजस्थान के अन्तर्गत मेवाड़ के आरंभिक और मध्यकालीन शिलालेखों का अनुवाद, राजस्थानी ग्रंथागार, जोधपुर, 2013 ई.)
- राजस्थान की हीड़ गाथा और लोकदेवता देवनारायण (मेवाड़ की हीड़ गाथाओं का सांस्कृतिक-सामाजिक अध्ययन, शोध प्रबंध, आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली, 2016 ई.)
- रिश्ते में औरत (हिंदी कहानी संग्रह, सुभद्रा पब्लिकेशंस एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स, दिल्ली, 2013 ई.)
- लिछमी पण म्हारी लिछमण कार (राजस्थानी कविता संग्रह, बोधि प्रकाशन, जयपुर, 2013 ई.)
- आत्रेय तिलक (प्रतिमा मान लक्षण, आत्रेय मुनि भाषित, परिमल पब्लिकेशंस, दिल्ली, 2013 ई.)
- सकलाधिकार (अगस्त्य मुनि विरचित, प्रतिमा निर्माण विषयक ग्रन्थ, परिमल पब्लिकेशंस, दिल्ली, 2015 ई.)
- काश्यपीयकृषिपद्धति: (रचनाकाल 12वीं सदी, काश्यप मुनि कृत काश्यपीयकृषिसूक्ति:, मूल एवं हिन्दी अनुवाद, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफिस वाराणसी, 2011 ई.)
- शिवधर्मपुराण (8वीं सदी की कृति, अनुवाद सहयोगी प्रो. भंवर शर्मा, चौखम्बा संस्कृत सीरिज ऑफिस, वाराणसी, 2014 ई.)
- श्रीमहाविश्वकर्मपुराण : (संस्कृत उपपुराण, सहयोगी कोल्लोजु कान्ताचार्य, परिमल पब्लिकेशंस, दिल्ली, 2015 ई., परिशिष्टï में शिल्पसार का प्रकाशन)
- देवालयचन्द्रिका (14वीं सदी, नारायण नम्बूदिरीकृत, परिमल पब्लिकेशंस, दिल्ली, 2016 ई.)
- एकलिंगमाहात्म्य (महाराणा कुम्भाकृत, परिमल पब्लिकेशंस, दिल्ली, 2016 ई.)
- भारतीय संस्कृति और जल (आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली, 2016 ई.)
- शिवधर्मोत्तरपुराण (8वीं सदी, सहयोगी प्रो. भंवर शर्मा, चौखम्बा संस्कृत सीरिज ऑफिस, वाराणसी, 2016 ई.)
- बृहज्जातक (वराहमिहिर कृत, अंग्रेजी अनुवाद, परिमल पब्लिकेशंस, दिल्ली, 2013 ई.)
- शिल्परत्नम्- 4 भाग (श्रीकुमारकृत 16वीं सदी की कृति के दोनों भागों का विषयवार चार खण्डों में सम्पादन और अनुवाद, चौखंबा सुरभारती, वाराणसी, 2016 ई.)
- प्राकृत एण्ड संस्कृत इंस्क्रिप्शंस (पीटर पीटर्सन कृत ग्रन्थ का पुनर्सम्पादन, आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली, 2015 ई.)
- राजस्थान की ऐतिहासिक प्रशस्तियां और ताम्रपत्र (राजस्थानी ग्रन्थागार, जोधपुर, 2017 ई.)
- भारतीय ऐतिहासिक प्रशस्तियां और अभिलेख (आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली 2019 ई.)
- शिलोत्कीर्ण राजप्रशस्ति महाकाव्यम् (रणछोड़भट्ट कृत मेवाड़ के इतिहास की कृति, आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली 2018 ई.)
- काश्यपशिल्पम् अथवा अंशुमद्भेदागम (काश्यप मुनि कृत सौरशिल्पागम, परिमल पब्लिकेशंस, दिल्ली, 2018 ई.)
- गान्धर्ववेद (संगीत पर पुरातन महत्व के लेखों का संग्रह), आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली, 2018 ई.)
- राग, रंग, शृंगार (भारतीय कला विषयक लेखों का संग्रह, आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली, 2018 ई.)
- संगीत पारिजात (पंडित अहोबल कृत संगीतशास्त्र, चौखम्बा संस्कृत सीरिज आफिस, बनारस, 2018 ई.)
- सस्यवेद : (पुरातन कृषिशास्त्र, चौखम्बा संस्कृत सीरिज आफिस, बनारस, 2018 ई.)
- वास्तुप्रदीप: (प्राचीन वास्तुशास्त्र, वासुदेव दैवज्ञ कृत, चौखम्बा संस्कृत सीरिज आफिस, बनारस, 2018 ई.)
- सुखानन्द वास्तुशास्त्रम् (वास्तुशास्त्र, पंडित सुखानंद कृत, चौखम्बा संस्कृत सीरिज आफिस, बनारस, 2020 ई.)
- डंक-भड्डली वर्षाज्ञानम् (डंक भाषित, चौखम्बा संस्कृत सीरिज आफिस, बनारस, 2018 ई.)
- गाँव-गाँव गोरख, नगर-नगर नाथ (मौलिक कृति, आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली, 2019 ई.)
- नाट्यशास्त्रम् (भरत मुनिकृत, 2 अध्याय, विद्यार्थी उपयोगीकृति, चौखम्बा संस्कृत सीरिज आफिस, बनारस, 2019 ई.)
- पञ्चसिद्धान्तिका (वराहमिहिर, अंग्रेजी अनुवाद : थिबो, परिमल पब्लिकेशंस, दिल्ली, 2019 ई.)
- मानसोल्लास (राजशास्त्र, भूलोकमल्ल सोमेश्वरकृत, 5 भाग, चौखम्बा संस्कृत सीरिज आफिस, बनारस, 2020-21 ई.)
- विष्णुधर्मोत्तरीय चित्रसूत्रम् (कृष्ण द्वैपायन व्यास कृत, चौखम्बा संस्कृत सीरिज आफिस, बनारस, 2020 ई.)
- विश्रुतकुमारचरितम् (दण्डीकृत दशकुमारचरितम् से विद्यार्थियोपयोगी संस्करण)
- मल्लपुराण एवं व्यायाम विद्या (अज्ञात कर्तृक, चौखम्बा संस्कृत सीरिज आफिस, बनारस, 2021 ई.)
- गुल्म-वृक्षायुर्वेद एवं आहारवेद (चाणक्यस्मृत: पराशरप्रोक्त:)
- बार्हस्पत्य कृषिशास्त्रम् (बृहस्पति प्रोक्त: इन्द्र-वज्र संवादमय)
- कृषि कामधेनु (दैवज्ञकामधेनु से उद्धृत)
- बृहत्कृषिपराशर (हली पराशरकृत, संस्कृत टीका सहित)
सम्पादित / भूमिका लेखन : इतिहास आदि के स्रोत ग्रन्थ
- आईन-ए-अकबरी (अबुल फजल, चार भाग, अनुवादक : श्री शिव मृदुल, आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली, 2020 ई.)
- मुन्तखब-उत-तवारीख (मुल्ला अब्दुल कादिर बदायूंनी, तीन भाग, अनुवादक : एम. एल. डाकोत, आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली, 2020 ई.)
- तारीख-ए-अलाई या खजाइन-उल-फुतूह (अमीर खुसरो कृत, अनुवादक श्री. एम. एल. डाकोत, आर्यावर्त संस्कृति संस्थान, दिल्ली, 2021)
- वास्तुविद्या (संग्रहग्रन्थ, डॉ. जाह्नवी स. महाडीक, डॉ. नरेन उमरीकर, डॉ. वैभव देशमुख, मराठी कृति, परिमल प्रकाशन, 2020 ई.)
2020-21 ई. में प्रकाशनाधीन (सव्याख्या अनुवाद एवं संपादन)
- वास्तुसारसंग्रह (सूत्रधार ईश्वर कृत, 16वीं सदी, चौखम्बा संस्कृत सीरीज ऑफीस, बनारस)
- वास्तुयुक्ति (वास्तु आदि तकनीकों पर ग्रन्थ, महाराज भोजराज कृत 14वीं सदी)
- कामराजरतिसार (महाराणा कुम्भा कृत, कामशास्त्रीय ग्रन्थ, 15वीं सदी)
- स्तम्भराज (महाराणा कुम्भा कृत, स्तम्भ निर्माण कलाधारित ग्रन्थ, 15वीं सदी)
- मानसारम्- 2 भाग (रचनाकाल 11वीं सदी, मानमुनि कृत द्राविड़ वास्तुग्रंथ, चौखम्बा संस्कृत सीरिज आफिस, बनारस)
- वास्तुसार प्रकरणम् (रचनाकाल 13वीं सदी, ठक्करफेरू चन्द्रागञ्जकृत प्राकृत के वत्थुसारपयरण ग्रन्थ का अनुवाद एवं भूमिका)
- ज्ञानप्रकाशदीपार्णव (13वीं सदी, विश्वकर्माकृत वास्तु एवं शिल्पग्रन्थ का संपादन एवं हिन्दी अनुवाद)
- प्रतिष्ठालक्षण सार समुच्चय (वैरोचन कृत 8वीं सदी)
- समाससंहिता (वराहमिहिर कृत लुप्त ग्रन्थ का पाठोद्धार तथा संस्कृत टीका सहित हिन्दी अनुवाद)
- जयसिंहगुणवर्णनम् (रणछोड़भट्ट विरचित जयप्रशस्ति, महाराणा अमरसिंह राज्याभिषेक काव्य सहित)
स्थायी पता –
डॉ. श्रीकृष्ण जुगनू
विश्वाधारम्, 40, राजश्री कॉलोनी, विनायकनगर, बोहरा गणेश, उदयपुर-313001 (राजस्थान)
मोबाइल : 09928072766, 09672872766
ई-मेल – skjugnu@gmail.com
लेखन एवं उपलब्धियाँ निरन्तर जारी>>>
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक