शोध आलेख
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पुस्तक समीक्षा- ‘भारतीय संस्कृति और गकार के प्रतीक।’ लेखक- डा. बिन्देश्वरी प्रसाद ठाकुर ‘विमल’
पुस्तक समीक्षा- ‘भारतीय संस्कृति और गकार के प्रतीक।’ लेखक- डा. बिन्देश्वरी प्रसाद ठाकुर ‘विमल’ प्रकाशक- सर्वभाषा ट्रस्ट, नई दिल्ली, जे.-49, स्ट्रीट सं. 38, राजापुरी ... -
भाई-बहन के अटूट सम्बन्ध का पर्व है भैया दूज
इस प्रकार मगध की सांस्कृतिक, परम्परा में यम-द्वितीया में यह पूजन लोकगीतों तथा लोक कथाओं के रूप में लगभग सर्वत्र कुछ कुछ बदले हुए ... -
धर्मायण के सभी अंकों में प्रकाशित आलेखों की सूची- खोज करें
धर्मायण के अंक संख्या 1 से 120 तक के सभी आलेखों की सूची दी गयी है। आलेख के सामने लेखक का नाम तथा अंक ... -
दक्षिण बिहार के कुछ प्रसिद्ध विष्णु मंदिर-श्री रवि संगम
बिहार पर्यटन की दृष्टि से विविधताओं से भरा हुआ है। यहाँ बौद्ध, जैन, सिख, सूफी, तथा सनातन धर्म की भी विभिन्न शाखाओं के प्राचीन ... -
आलेख संख्या- 12. “कालिदासकृत रघुवंशकी रामायण-कथा- रामकथा” लेखक आचार्य सीताराम चतुर्वेदी भाग 2
देश के अप्रतिम विद्वान् आचार्य सीताराम चतुर्वेदी हमारे यहाँ अतिथिदेव के रूप में करीब ढाई वर्ष रहे और हमारे आग्रह पर उन्होंने समग्र वाल्मीकि ... -
आलेख संख्या- 11. “जीमूतवाहन की आराधना का लोकपर्व जितिया” लेखक श्रीमती रंजू मिश्र
आश्विन मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को विद्याधरों के राजा जीमूतवाहन की उपासना की जाती है। ये जीमूतवाहन बोधिसत्त्व के रूप माने गये ... -
आलेख संख्या- 10. “शरत्-पूर्णिमा- कोजागरा एवं कौमुदी महोत्सव” लेखक श्रीमती रंजू मिश्र
आश्विन मास की पूर्णिमा महत्त्वपूर्ण है। एक अन्य लेख में हम पढ़ चुके हैं कि इस रात्रि की चन्द्रिका अमृतमयी मानी गयी है, अतः ... -
आलेख संख्या- 9. “सामवेदीय कौथुमशाखा का परिचय” लेखक डा. सुन्दरनारायण झा
सामवेद भारतीय संगीत शास्त्र की परम्परा है, यह गान है जो विलुप्त होता जा रहा है। सम्पूर्ण उत्तर भारत में यदि लोग वेदाध्ययन करते ... -
आलेख संख्या- 8. “‘श्रीमद्भगवद्गीता’ में प्रयुक्त कृष्ण के नाम पर्यायों का शैलीगत अध्ययन” लेखक डॉ. विजय विनीत
श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान् कृष्ण के अनेक नाम आये हैं। इन नामों के यथास्थान प्रयोग का भी अपना विशिष्ट तात्पर्य है। -
आलेख संख्या- 7. “आरोग्य धाम-अश्विनी कुमार” लेखक श्री महेश प्रसाद पाठक
आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को अश्विनी नक्षत्र होता है। अश्विनी नक्षत्र में दो तारे होते हैं, वे अमृतमय माने गये हैं। इन्हें अश्विनीकुमारों ...
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक