शोध आलेख
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पुरातात्त्विक स्रोतों में राम और शिव की उपासना का समन्वय -डॉ. सुशान्त कुमार
उपासना के क्षेत्र में हम सर्वधर्मसमन्वयवाद के पुजारी रहे हैं। वैष्णव, शैव, शाक्त, गाणपत्य, सौर, आग्नेय ये सभी शाखाएँ हमें एक-दूसरी मान्यताओं का आदर ... -
वैष्णव चिह्नों की परम्परा और सन्त पीपाजी -डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनूʼ
वैष्णवों की परम्परा में छह चिह्नों को शरीर पर धारण करना आवश्यक माना गया है- सुदर्शन चक्र, पाञ्चजन्य, धनुष, गदा, खड्ग, शंख-चक्र एवं पद्म। ... -
रामायण की रचना के साथ जुड़े रामकथा के पूर्व-संकेत -प्रोफे. डॉ. वसन्तकुमार म. भट्ट
रामकथा की ऐतिहासिकता पर अनेक विदेशी विद्वानों ने प्रश्नचिह्न उठाकर हमारी भारतीय परम्परा को अर्वाचीन सिद्ध करने का प्रयत्न किया है। इनमें सबसे मुखर ... -
श्रीरामपट्टाभिषेकविधि, (प्रथम बार पाण्डुलिपि से सम्पादित) -डॉ. ममता मिश्र दाश
दक्षिण भारत के आळवार सन्तों की परम्परा में भी ससीत-राम-लक्ष्मण की पूजा-परम्परा मुखर रही है। कर्मकाण्ड के सन्दर्भ में वहाँ एक विशेष प्रकार के ... -
सन्त जानकी दास की कृति “रामजनम बधाई”- (पाण्डुलिपि से सम्पादन)-भवनाथ झा
यह पद संग्रह जानकी दास की कृति के रूप में पाण्डुलिपि में Indianmanuscript.com पर “रामजन्म बधाई” के नाम से उपलब्ध हुआ है। इसमें कुल ... -
शोधपरक लेखों में संदर्भ (Reference) देने की पद्धति
आलेख के लिए आवश्यक है कि मूल आलेख में Superscript में संख्या देकर Footnote नियमानुसार लिखा जाना चहिए। सन्दर्भ रहने पर ही आलेख विश्वसनीय ... -
Sarasvati in Vedic Mythology
अनेक इतिहासकारों ने लिखा है कि वैदिक साहित्य में सरस्वती का उल्लेख केवल नदी के रूप में है, ज्ञान की देवी के रूप में ... -
महावीर मन्दिर प्रकाशन
Mahavir Mandir, Publication, Magazine, “Dharmayan” A Hindi research magazine on Indian metaphysics, culture and rich heritage has been published for 20 years. Its 90 ... -
वाल्मीकि-रामायण में श्रीराम के गुणों का वर्णन
वाल्मीकि रामायण के आरम्भ में ही महर्षि वाल्मीकि के प्रश्नों के उत्तर देते हुए नारद भगवान् श्रीराम के गुणों का विस्तृत वर्णन करते है।
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक