वैष्णव चिह्नों की परम्परा और सन्त पीपाजी -डॉ. श्रीकृष्ण ‘जुगनूʼ
वैष्णवों की परम्परा में छह चिह्नों को शीर पर घारण करना आवश्यक माना गया है- सुदर्शन चक्र, पाञ्चजन्य, धनुष, गदा, खड्ग, शंख-चक्र एवं पद्म। इन चिह्नों को शरीर के किस अंग में अंकित करना चाहिए, इस विषय पर स्वामी रामानन्द के शिष्य सन्त पीपाजी ने बहुत कुछ लिखा है। परम्परागत शास्त्रीय ग्रन्थों में भी इस पर विस्तार से वर्णन आया है। लेखक ने इन चिह्नों के अंकन पर शास्त्र तथा परम्परा में प्रचलित मतों का विवेचन यहाँ किया है। -सम्पादक
Full citation:
- Jugnu, Dr. Shrikrishna (2021), “vaishnav chihnon kee parampara aur sant peepaajee”, Dharmayan, (Monthly periodical) Mahavir Mandir, Patna, pp. 30-37.
- जुगनू, श्रीकृष्ण डॉ. (2021), “वैष्णव चिह्नों की परम्परा और सन्त पीपाजी”, धर्मायण, (मासिक पत्रिका), महावीर मन्दिर, पटना, पृ. सं.- 30-37.
- (Title Code- BIHHIN00719),
- धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका,
- मूल्य : पन्द्रह रुपये
- प्रधान सम्पादक आचार्य किशोर कुणाल
- सम्पादक भवनाथ झा
- पत्राचार : महावीर मन्दिर, पटना रेलवे जंक्शन के सामने पटना- 800001, बिहार
- फोन: 0612-2223798
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महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक