पुरातात्त्विक स्रोतों में राम और शिव की उपासना का समन्वय -डॉ. सुशान्त कुमार
उपासना के क्षेत्र में हम सर्वधर्मसमन्वयवाद के पुजारी रहे हैं। वैष्णव, शैव, शाक्त, गाणपत्य, सौर, आग्नेय ये सभी शाखाएँ हमें एक-दूसरी मान्यताओं का आदर करना सिखाती है। व्यापक रूप में सनातन परम्परा समभाव एवं समन्वय का संदेश देती है। मध्यकाल में स्वामी रामानन्द ने इस भावना को रामावत-परम्परा के द्वारा अधिक मुखर किया। फलतः उनके बाद हर क्षेत्र में हमें विशिष्ट एकात्मकता दिखाई देती है। रामानन्द कृत शिवराम-स्तोत्र की वाणी का केन्द्रीय भाव पुरातात्त्विक साक्ष्य के साथ यहाँ प्रस्तुत है।-सम्पादक
Full citation:
- Sushant Kumar, Dr. (2021), “puraataattvik srot mein raam aur shiv kee upaasana ka samanvay”, Dharmayan, (Monthly periodical) Mahavir Mandir, Patna, pp. 38-41.
- सुशान्त कुमार डॉ. (2021), “पुरातात्त्विक स्रोतों में राम और शिव की उपासना का समन्वय”, धर्मायण, (मासिक पत्रिका), महावीर मन्दिर, पटना, पृ. सं.- 38-41.
- (Title Code- BIHHIN00719),
- धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका,
- मूल्य : पन्द्रह रुपये
- प्रधान सम्पादक आचार्य किशोर कुणाल
- सम्पादक भवनाथ झा
- पत्राचार : महावीर मन्दिर, पटना रेलवे जंक्शन के सामने पटना- 800001, बिहार
- फोन: 0612-2223798
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महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक