Arun Kumar Upadhyay
- जन्म-३०-८-१९५२, आरा (बिहार)
- १९६१ से विद्यालय में प्रवेश। तब तक घर पर शिक्षा।
- १९६१-६२-जमालपुर रेलवे माध्यमिक विद्यालय, कक्षा ६, ७। कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय से प्राचीन प्रथमा, मध्यमा-१, प्राइवेट छात्र रूप में।
- १९६३-६६-जनता उच्च विद्यालय तेनुअज, रोहतास जिला।
- १९६७-१९७३-पटना विज्ञान महाविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय, भौतिक विज्ञान में एमएससी।
सेवा
- १९७४-७६-भारतीय वन सेवा, विज्ञान में एमएससी (देहरादून), पंजाब में सहायक वनसंरक्ष॥
- १९८१-उत्कल विश्वविद्यालय से गणित में एमएससी (प्राइवेट छात्र)
- १९७६-२०१२-ओड़िशा में आईपीएस। कटक, भुवनेश्वर, कालाहाण्डी, कोरापुट, सम्बलपुर, राउरकेला में पदस्थापित।
- 1982-83-बिहार के मधेपुरा, कटिहार में आरक्षी अधीक्षक।
रिटायर होने के बाद भुवनेश्वर में स्थित। C/47, (near airport), Palaspalli, Bhubaneswar.
रचनायें-
पुस्तक-
- सिद्धान्त दर्पण का अनुवाद और गणितीय व्याख्या २ खण्ड, १८०० पृष्ठ
- सांख्य सिद्धान्त,
- पुरुष सूक्त,
- गायत्री पञ्चदशी,
- पञ्चाङ्ग परिचय (ओड़िया),
- दुर्गा सप्तशती में एकत्व (ओड़िया),
- ईशावास्योपनिषद्,
- पुराण का भूगोल और इतिहास,
- भारतीय कालगणना,
- Vedic View of Sri Jagannatha,
- Origin of Orissa Names,
- Odisha introduction (English & Hindi)
शोध पत्र-
प्रायः ९० शोध पत्र विभिन्न पत्रिकाओं, सेमिनार में प्रकाशित।
शक और संवत्सर, भारतीय काल गणना, वर्षा की भविष्यवाणी, ग्रहण गणना, वेद से लिपि का उद्भव तथा वर्गीकरण, तन्त्र और महाविद्या, भारतीय ज्योतिष में समन्वय, वैदिक विज्ञान का वर्गीकरण, वेद का अपौरुषेयत्व, वेद में लोकों की माप, होमिओपैथी का वैदिक आधार, अनन्ताः वै वेदाः, इद्रधनु और इसका फल, भोजपुरी के विषिष्ट वैदिक शब्द, मैथिली का वैदिक मूल, शब्द एवं संस्था, भारतीय वनवासियों का मूल, भारतीय इतिहास में विक्रमादित्य, आदि शङ्कराचार्य, भारतीय इतिहास में कन्नौज अधिपति जयचन्द्र, भारतवर्ष का नामकरण, समुद्र मन्थन, भारतीय इतिहास की धारणा और परम्परा, यज्ञ का अर्थ, हनुमान् तत्त्व, हिरण्यगर्भ, मेरु, पौराणिक भूगोल, असम की वैदिक परम्परा, भारत के पूर्वी भाग के तीर्थ, ब्रह्मा और सरस्वती, बार्हस्पत्य संवत्सर, बंजारा जाति का इतिहास, बिहार के प्राचीन नाम, बुद्धत्व, भारत के ४ राष्ट्रीय पर्व, प्राचीन जल प्रलय, भारतीय ज्योतिष और पञ्चाङ्ग, वैदिक सृष्टि विज्ञान, वेद का अपैरुषेयत्व, आदित्य और वराह, नरसिंह का काल तथा कार्य, जगन्नाथ के दैवी तथा मनुष्य अवतार, जगन्नाथ पूजा का इतिहास, व्यक्ति तथा विश्व का सम्बन्ध, ऋषि तत्त्व, गुरु तत्त्व, गणेश के अर्थ, ऋग्वेद शाखायें, आयुर्वेद परम्परा, सुश्रुत परम्परा, आदि।
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक