शोध आलेख
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परशुराम के द्वारा सहस्रार्जुन का वध- लल्लू लाल कृत ‘प्रेम सागरʼ से उद्धृत
जनभाषा के माध्यम के भागवत पर आधारित श्रीकृष्णकथा की कथा लालच दास कृत हरिचरित्र, मनबोध कृत कृष्णजन्म आदि प्राचीन शैली के काव्यों के द्वारा ... -
श्रीपरशुरामकथामृत- गिरिधर दास
‘अवतारकथामृतʼ नामक यह महाकाव्य भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के पिता गोपालचन्द्र की कृति है। उनके गुरु गिरिधर दास थे। गुरु के प्रति अपनी भक्ति प्रदर्शित करने ... -
अद्भुत रामायण की रामकथा- आचार्य सीताराम चतुर्वेदी
यह महावीर मन्दिर, पटना का सौभाग्य रहा है कि देश के अप्रतिम विद्वान् आचार्य सीताराम चतुर्वेदी हमारे यहाँ अतिथिदेव के रूप में करीब ढाई ... -
भारतीय साहित्य में शक्ति की अभिव्यंजना- डा० भुवनेश्वर प्रसाद ‘गुरुमैताʼ
बिहार के सुपौल जिला के मूल निवासी डा. भुवनेश्वर प्रसाद ‘गुरुमैताʼ जी (जन्म– 14-01-1930 ई.) हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में भाषा एवं संस्कृति के विभाग ... -
शक्तिपूजा : मातृशक्ति का भावात्मक आधार- कुमारी संगीता
हर प्रकार के साधनों से सम्पन्न होकर भी युद्धभूमि में रावण क्यों मारा गया, वह अपने परिवार के साथ क्यों विनष्ट हुआ? उसके पास ... -
महाशक्ति श्री श्री माँ- महामहोपाध्याय गोपीनाथ कविराज
म. म. गोपीनाथ कविराज (जन्म– 7 सितम्बर, 1884 एवं निधन– 12 जून, 1976ई.) भारतीय तन्त्र-साहित्य के प्रख्यात सम्पादक एवं अध्येता हुए। मूलतः बंगाल में ... -
श्रीराम का पट्टाभिषेक (उत्तर भारतीय कर्मकाण्ड की दृष्टि से विवेचन)- पं. मार्कण्डेय शारदेय
यूरोपीयन विद्वानों ने आर्य-संस्कृति और द्राविड़-संस्कृति का भेद-भाव फैलाकर उत्तर एवं दक्षिण भारत को अलग दिखाने का भरपूर प्रयास किया। लेकिन सच्चाई है कि ... -
दुर्गा-सप्तशती में शक्ति का दार्शनिक स्वरूप- डा. लक्ष्मीकान्त विमल
दुर्गासप्तशती के प्रथम अध्याय में ब्रह्मकृत निद्रा देवी की स्तुति है। इस लघुकाय अंश में शक्ति का व्यापक वर्णन अद्वैत वेदान्त तथा विशिष्टाद्वैत, दोनों ... -
मातृशक्ति का सम्पूर्ण रूप देवी सीता में समाहित -श्री राजीव नंदन मिश्र ‘नन्हेंʼ
ऋग्वेद का वागाम्भृणी सूक्त शक्ति-विमर्श का प्राचीनतम साक्ष्य है, जिसमें देवी कहती हैं कि मैं रुद्रों, वसुओं, आदित्यों और विश्वेदेवों की सहचारिणी हूँ। मैं ... -
भगवती-तत्त्व विमर्श- डा. सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य
“जो श्रीकृष्ण, राम, शिव, गणेश, सूर्य की उपासना करते हैं वह इसी महाशक्ति की उपासना है। इसी प्रकार जो दुर्गा, लक्ष्मी, तारा, सरस्वती, विद्या, ...
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक