श्रीराम का पट्टाभिषेक (उत्तर भारतीय कर्मकाण्ड की दृष्टि से विवेचन)- पं. मार्कण्डेय शारदेय

यूरोपीयन विद्वानों ने आर्य-संस्कृति और द्राविड़-संस्कृति का भेद-भाव फैलाकर उत्तर एवं दक्षिण भारत को अलग दिखाने का भरपूर प्रयास किया। लेकिन सच्चाई है कि सनातन धर्म के परिप्रेक्ष्य में हम आसेतु-हिमाचल एक हैं। इसका एक महत्त्वपूर्ण उदाहरण है- श्रीरामपट्टाभिषेक की विधि। पूर्व अंक में डा. ममता मिश्र दाश के सम्पादन में मूलपाठ पहली बार सम्पादित होकर प्रकाशित किया गया। यह दक्षिण भारत का प्रसिद्ध कर्मकाण्ड है, लेकिन इस विधि की तुलना जब उत्तर भारत की कर्मकाण्ड-परम्परा से की जाती है तो पाते हैं कि दोनों परम्पराएँ अपने मूल रूप में एक ही है। अब हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं कि हमारा सनातन धर्म आसेतु-हिमालय एक है।
- Sharadeya, Markaneya, “shreeraam ka pattaabhishek (uttar bhaarateey karmakaand kee drshti se vivechan)”, 2021, Dharmayan, Mahavir mandir, Patna, vol. 106, pp. 39-41.
- शारदेय, मार्कण्डेय, “श्रीराम का पट्टाभिषेक (उत्तर भारतीय कर्मकाण्ड की दृष्टि से विवेचन)”, 2021, धर्मायण, महावीर मन्दिर पटना, अंक सं. 106, पृ. 39-41.
- (Title Code- BIHHIN00719),
- धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका,
- मूल्य : बीस रुपये
- प्रधान सम्पादक आचार्य किशोर कुणाल
- सम्पादक भवनाथ झा
- पत्राचार : महावीर मन्दिर, पटना रेलवे जंक्शन के सामने पटना- 800001, बिहार
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महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक