श्रीपरशुरामकथामृत- गिरिधर दास
‘अवतारकथामृतʼ नामक यह महाकाव्य भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के पिता गोपालचन्द्र की कृति है। उनके गुरु गिरिधर दास थे। गुरु के प्रति अपनी भक्ति प्रदर्शित करने के लिए उन्होंने अपने सभी ग्रन्थों की रचना गिरिधर दास के नाम से की है। यह महाकाव्य नवलकिशोर प्रेस लखनउ से दो खण्डों में प्रकाशित हुआ था। इसके प्रथम खण्ड में दशावतार के रूप में भगवान् परशुराम के अवतार की सम्पूर्ण कथा छन्दोबद्ध है। इस अंश की पुष्पिका के अनुसार संवत् 1896, अग्रहण कृष्ण प्रतिपदा, गुरुवार के दिन इस अंश का लेखन पूर्ण हुआ था। तदनुसार यह 1840ई. के अक्टूबर में रचित अंश है।
- Gopal Chandra alias Giridhar Das. “Śrīparaśurāmakathāmr̥ta”, 2021, (Reprint) Dharmayan, Mahavir mandir, Patna, vol. 106, pp. 60-67.
- गोपालचन्द्र उर्फ गिरिधर दास, “श्रीपरशुरामकथामृत”, (पुनर्मुद्रित) 2021, धर्मायण, महावीर मन्दिर पटना, अंक सं. 106, पृ. 60-67.
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक