Dharmayan Article Index- 61-90
अंक 61
- (सम्पादकीय आलेख) मन एव मनुष्यामां कारणं बन्धमोक्षयोः — पं. मार्कण्डेय शारदेय
- हर हर महादेव— आचार्य सीताराम चतुर्वेदी
- लोकप्रचलित सत्यनारायण-कथा : आधारान्वेषण— आचार्य किशोर कुणाल
- गोपी-तत्त्व-मीमांसा— कैलाश त्रिपाठी
- मनु की दृष्टि में नारी —विद्यावाचस्पति डा. श्रीरंजन सूरिदेव
- धर्म और श्रीराम—दामोदर दत्त मिश्र ‘प्रसून’ ।
- ऋषि-संस्कृति और कृषि-संस्कृति —प्रो. रामाश्रय प्रसाद सिंह
- सत्य की अवधारणा—आचार्य सारंगधर
- हिन्दू धर्मः महात्मा गांधी के विचार-दर्शन — डा. एस.एन.पी. सिन्हा
- विश्वधर्म के प्रवर्तकः सर्वपल्ली राधाकृष्णन— रामधारी सिंह ‘दिनकर’
- धर्म और धर्म-परिवर्तन —डा. रामजी सिंह
- योगवासिष्ठ और मुसलमान — प्रताप कुमार मिश्र
- बुद्धचरित और यशोधरा— डी. आर. ब्रह्मचारी
- बालविवाह : न धर्मसम्मत, न विधिसम्मत— कृष्णानन्द
- लोकसाहित्य के विविध आयाम —डा. वीरेन्द्र कुमार वसु
- भारतीय स्वातन्त्र्य-समर की अप्रतिम वीरांगना : दुर्गा भाभी — परमानन्द दोषी
- पाठकीय प्रतिक्रिया
- व्रत-त्योहार
अंक 62
- (सम्पादकीय आलेख) दान्तो भक्तवशोऽस्मि भोः — पं. मार्कण्डेय शारदेय
- हर हर महादेव—आचार्य सीताराम चतुर्वेदी
- आदिशंकराचार्य-कृत दशावतार-स्तोत्र
- आदिपुरुष मनु महाराज और मनुस्मृति का रचयिता सुमति भार्गव—आचार्य किशोर कुणाल
- सूरसाहित्य में द्वन्द्व समास— डा० युगेश्वर
- पाटलिपुत्र के राधावल्लभ-सम्प्रदाय की आचार्य-परम्परा— विद्यावाचस्पति डा० श्रीरंजन सूरिदेव
- वैराग्यरागरसिको भव भक्तिनिष्ठ —प्रो० रामाश्रय प्रसाद सिंह
- सिद्धि माता— जयकान्त मिश्र
- राष्ट्रहितैषिणी वीरांगनाः माता कैकेयी— महेश प्रसाद पाठक
- धर्म में समन्वय की भावना — डा० एस०एन०पी० सिन्हा
- बन्धन-दायक है आसुरी सम्पत्ति — गोपालजी
- विश्वविख्यात विचारकों की दृष्टि में हिन्दुस्तान और हिन्दुत्व—डा० भुवनेश्वर प्रसाद गुरुमैता
- सद्धर्म, स्वातन्त्र्य, स्वदेश-सेवा— माखनलाल चतुर्वेदी
- संस्कारों के लौकिक एवं पारलौकिक महत्त्व—डा० रामविलास चौधरी
- कबीर साहब की संवेदनशीलता — आचार्य सूर्यदत्त शास्त्री ‘रक्ताभ’
- हिन्दीसेवी विदेशी सन्त डा० कामिल बुल्के— परमानन्द दोषी
- भ्रूण-पंचाशिका— भवनाथ झा
- गोचर में सिंहराशिगत बृहस्पति का प्रभाव — आचार्य राजनाथ झा
- यशःशेष परमहंस रामचन्द्रदासजी
- पाठकीय प्रतिक्रिया
- व्रत-त्योहार
अंक 63
- (सम्पादकीय आलेख) देवदत्तो यथा कश्चित्पुत्राद्याह्वाननामतः— पं. मार्कण्डेय शारदेय
- हर हर महादेव—आचार्य सीताराम चतुर्वेदी
- गोस्वामी तुलसीदास—आचार्य किशोर कुणाल
- ज्ञानगंज : गुप्त योगशिक्षा केन्द्र— डा० श्रीरंजन सूरिदेव
- असमय के सखा— प्रो० रामाश्रय प्रसाद सिंह
- गीतासार : एक दृष्टि —डा० विद्यानन्द उपाध्याय
- श्रीविद्योपासना— दामोदर दत्त मिश्र ‘प्रसून’
- देहाभिमान का मिट जाना ही मुक्ति है—डा० भुलन सिंह
- ईश्वरगीताः एक अनुशीलन — डा० राजेन्द्र झा
- या देवी सर्वभूतेषु मातृ-रूपेण संस्थिता—डा एस० एन० पी० सिन्हा
- मृत्युकी अवधारणा—आचार्य सारंगधर
- वनस्पतियों से मानवकल्याण— डा० रामविलास चौधरी
- आहार-शुद्धि से ब्रह्मानन्द की प्राप्ति गोपालजी
- भ्रूण-पंचाशिका— भवनाथ झा
- सूर के उपालम्भ— डी० आर० ब्रह्मचारी
- प्राचीन हिन्दू-वैज्ञानिक विचारों की वैश्विक श्रेष्ठता—डा० भुवनेश्वर प्रसाद गुरुमैता
- राष्ट्रीय चेतना के अग्रदूत : स्वामी विवेकानन्द— डा० श्यामानन्दलाल दास
- पाठकीय प्रतिक्रिया
- व्रत-त्योहार
अंक 64-65
- (सम्पादकीय आलेख) भवानी-शंकरौ वंदे श्रद्धाविस्वासरूपिणौ— पं. मार्कण्डेय शारदेय
- हर हर महादेव— आचार्य सीताराम चतुर्वेदी
- अवतार में अवतार— डा० युगेश्वर
- सा विद्याया विमुक्तये मूलभाव —डा० श्रीरंजन सूरिदेव
- श्रवणकुमार का उपाख्यान — आचार्य किशोर कुणाल
- सरस्वती-कृपा से ही साहित्य-सृजन सम्भव—कृष्णानन्द
- शारदा-शतनाम उपनिषदों में प्रतिपादित आत्मा एवं ब्रह्म —डा० रामविलास चौधरी
- धरती, संस्कृति और भाषाःराष्ट्रीयता की पहचान के तीन तत्त्व—प्रो० रामाश्रय प्रसाद सिंह
- परम शान्ति का मूल मन्त्र :”…सर्वभूतहिते रताः” — डा० एस०एन०पी० सिन्हा
- यशोदा के भाग्य — रामभवन सिंह
- वेदों में पशुबलि का विधान नहीं— कमलेश नन्दिनी
- मानस में मानवीय दृष्टियाँ —कैलाश त्रिपाठी
- हिन्दी के प्रचार-प्रसार में धर्म-संवाहकों का योगदान—डा० तारकेश्वर नाथ सिन्हा
- कविवर रहीम की भक्तिभावना— डी० आर० ब्रह्मचारी
- भ्रूण-पंचाशिका— भवनाथ झा
- पाठकीय प्रतिक्रिया
- व्रत-त्योहार
अंक 66
- (सम्पादकीय आलेख) आचारहीनं न पुनन्ति वेदाः — पं. मार्कण्डेय शारदेय
- हर हर महादेव—आचार्य सीताराम चतुर्वेदी
- तत्सुख-सुखिता— डा० युगेश्वर
- वल्लभाचार्य का पुष्टिमार्ग — विद्यावाचस्पति डा० श्रीरंजन सूरिदेव
- आर्यजीवन-धारा के दो सुदृढ़ किनारे—प्रो० रामाश्रय प्रसाद सिंह
- भरत और भरद्वाज के आख्यान—आचार्य किशोर कुणाल
- भगवान् बुद्ध और उनके सन्देश —डा० एस० एन० पी० सिन्हा
- परमाक्षर ‘एवं’ —जयकान्त मिश्र
- कवि तुलसी के भक्तिपरक विचार—डा० कृष्णानन्द प्रसाद ‘अभिलाषी’
- सुखस्य मूलं धर्मः — डा० रामविलास चौधरी
- पन्थ और सम्प्रदाय : धर्म के निकट या दूर—डा० विनोद कुमार सिन्हा
- ‘पार्वती-मंगल’ की रचना का कालनिर्धारण— भवनाथ झा
- श्री रामानन्द का व्यक्तित्व एवं कृतित्व — डा० कैलाशनाथ द्विवेदी
- वैदिक संस्कृति : भारत की शाश्वत राष्ट्रीयता— ब्रजनन्दन प्रसाद सिंह
- पुरुषोत्तममास-विधान— भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
- पाठकीय प्रतिक्रिया
- व्रत-त्योहार
अंक 67
- (सम्पादकीय आलेख) परिपालय देवि विश्वम् — पं. मार्कण्डेय शारदेय
- जैन धर्म के प्रवर्तक : भगवान् आदिनाथ ऋषभदेव— डा० एस० एन० पी० सिन्हा
- मारिशस में रामायण— डा० श्यामसुन्दर घोष
- विजयादशमी का पावन पर्व : प्रतीकार्थ के साथ —प्रो० रामाश्रय प्रसाद सिंह
- ब्राह्मण एवं श्रमण परम्परा का समन्वय—आचार्य किशोर कुणाल
- आदिकवि वाल्मीकि के इतिवृत्त में विविधता —साहित्यवाचस्पति डा० श्रीरंजन सूरिदेव
- श्रीनारायण स्तुति— अरविन्द मानव
- कठोपनिषद् में नचिकेता के तीन वर— डा० रामविलास चौधरी
- हर हर महादेव— आचार्य सीताराम चतुर्वेदी
- दलितों के संन्यासी-स्वामी सहजानन्द सरस्वती— परमानन्द दोषी
- भारतीय साहित्य में शक्ति की अभिव्यंजना— डा० भुवनेश्वर प्रसाद गुरुमैता
- ठसक छोरि रसखान—डी० आर० ब्रह्मचारी
- सुनु सुत तोहि उरिन मैं नाहीं— डा० कामाख्या चरण मिश्र
- मन के जीतें जीत— डा० भुलन सिंह
- कबीर की रामोपासना—ब्रजनन्दन प्रसाद सिंह
- प्राक्-स्वतन्त्रतायुगीन हिन्दी नाटकों की राष्ट्रीय चेतना— डा० तारकेश्वर नाथ सिन्हा
- बौधायनकृत दुर्गार्चन-पद्धति
- भक्तिहि ज्ञानहि नहीं कछु भेदा—गोपालजी
- पाठकीय प्रतिक्रिया
- छठ पर्व पर विशेष उपयोगी मन्त्र
- व्रत-त्योहार
अंक 68
- (सम्पादकीय आलेख) वाग् वै सरस्वती — भवनाथ झा
- आर्य-संस्कृति और बिहार— विद्यावाचस्पति डा० श्रीरंजन सूरिदेव
- इन्द्रभूति गौतम गणधर— जगदीश पाण्डेय ‘गौतम’
- प्रसाद के नाटकों में राष्ट्रीय चेतना— डा० तारकेश्वर नाथ सिन्हा
- आत्मनो मोक्षार्थं जगद्धिताय च— डा० एस० एन० पी० सिन्हा
- सर्वोपरि धर्म : सेवा— डी० आर० ब्रह्मचारी
- कालपुरुष की योजना —डा० श्यामसुन्दर घोष
- गोस्वामी तुलसीदास अविवाहित थे— ब्रजनन्दन प्रसाद सिंह
- क्रान्तिकारी बाला प्रीतिलता वद्देदार— परमानन्द दोषी
- असुर-संहार की कारणभूत सीता— डॉ शिववंश पाण्डेय
- प्लवगपुंगव हनुमान्— जयकान्त मिश्र
- वियोगिनी वैदेही और ऊर्दू कविता में सीता— डा० प्रणव देव
- उपनिषदों की सुगन्धि है गीता— गोपालजी
- गीता का भक्ति-योग— कैलाश त्रिपाठी
- माया— वासुदेव पाण्डेय
- व्रत-त्योहार
- अन्य स्थायी स्तम्भ
अंक 69
- (सम्पादकीय आलेख) न ब्रूयात् सत्यमप्रियम् — भवनाथ झा
- भारतीय अध्यात्म-चिन्तन और सर्वधर्म समभाव— डा. एस. एन. पी. सिन्हा
- परमार्थदर्शनम् : सप्तम भारतीय दर्शन— साहित्यवाचस्पति डॉ. श्रीरंजन सूरिदेव
- मैथिली साहित्य में राम-भक्ति-काव्य— डा० तीर्थ नाथ मिश्र
- श्री अरविन्द : सावित्री एवं प्रकृति— प्रो० श्री कान्त प्रसून
- प्रकृति, विकृति एवं पर्यावरण— प्रो० रामविलास चौधरी
- आग्रह के विग्रह— डा० शिवदत्त शर्मा चतुर्वेदी
- जगन्नाथस्वामी नयनपथगामी भवतु मे— आचार्य किशोर कुणाल
- जगन्नाथ-स्तुति (स्कन्दपुराण से)
- भारतीय कालगणना एवं नवसंवत्सरोत्सव —आचार्य चन्द्रकिशोर पाराशर
- सामवेद ज्ञान का भण्डार है— कमलेश नन्दिनी
- माँ सीता की शाश्वत यात्राः सीतामढ़ी से सीतामढ़ी तक— डा. विनोद कुमार सिन्हा
- हिन्दू जीवन-शैली की वर्णमाला— डा० रामजी सिंह
- नारायण कवच : अनुवाद— अरविन्द मानव
- हर हर महादेव — स्व. आचार्य सीताराम चतुर्वेदी
- व्रत त्योहार
अंक 70
- (सम्पादकीय आलेख) पौराणिक सन्दर्भ में दीपावली — भवनाथ झा
- रामकाव्य की वर्त्तमान धारा— विद्यावाचपति डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव
- श्री अरविन्द और वेदान्त— प्रो० श्री कान्त प्रसून
- धर्म और साधनः सिद्धि— डा० रामजी सिंह
- श्रुतवती भक्ति का वैशिष्ट्य— प्रो० रामाश्रय प्रसाद सिंह
- चण्डीस्तोत्रम् पृथ्वीधराचार्यविरचितम्
- श्रीदुर्गासप्तशती की भूमिका— डॉ. शिवदत्त शर्मा चतुर्वेदी
- हमारे जीवन-मूल्य— डी० आर० ब्रह्मचारी
- वाल्मीकीय रामायण में वर्णित आदर्श राजा के लक्षण — डा. शिववंश पाण्डेय
- सांस्कृतिक और राष्ट्रीय चेतना के संवाहक वीर सावरकर— जगदीश झा
- अबहिं मातु मैं जाऊँ लवाई— डॉ० कामाख्या चरण सिंह
- डॉ० राजेन्द्र प्रसाद और उनकी अंतिम इच्छा ‘कृष्णार्पणमस्तु’ —डॉ० एस० एन० पी० सिन्हा
- रामतापिन्युपनिषद् में श्रीराम का दार्शनिक स्वरूप
- व्रत-परिचय
- मालाबन्ध
- पुराण में वृक्षारोपण की महिमा
- विद्यापति के भोलेनाथ— प० भवनाथ झा
अंक 71
- (सम्पादकीय आलेख) ब्रह्म और माया— भवनाथ झा
- रामचरितमानस‘ का शिव-सती प्रकरण— डॉ. श्रीकांत सिंह
- भगवान् बुद्ध के सप्त अपरिहानिया धम्मा — डा. एस. एन. पी. सिन्हा
- सांस्कृतिक चेतना से अनुस्यूत गया धाम— डॉ. तारकेश्वर नाथ सिन्हा
- सांस्कृतिक कवयित्री महादेवी की रहस्यानुभूति— डॉ विनोद कुमार सिन्हा
- परनिन्दा सम अघ न गरीसा— प्रो. रामविलास चौधरी
- श्री अरविन्द और श्रीशंकर— प्रो. श्रीकान्त प्रसून
- युगचेता तुलसी— श्रीकान्त व्यास
- तुलसीदास का देश-काल— डी. आर. ब्रह्मचारी
- दिनकरजी की प्रथम काव्यकृति का नाम— डा. श्यामसुन्दर घोष
- हिन्दी के प्रचार प्रसार में धर्म संवाहकों का योगदान— डा. तारकेश्वर नाथ सिन्हा
- श्री ओझा का वैदिक चिन्तन— डा. शिवदत्त शर्मा चतुर्वेदी
- तपस्वी भक्तो वा भवति परतन्त्रः परचरः— डा. नवीन चन्द्र झा
- संस्कृत संभाषण का सरल स्वरूप— आचार्य सारंगधर
- रामनवमी-व्रत निर्णय
- आया शुभ त्योहार देश में होली का— डा० नज़ीर मुहम्मद
- सर्वस्व (कविता) — श्री अरविन्द मानव
- गङ्गादशहरा-स्तोत्र
- बुद्धावतार-स्तुति
- व्रत-त्योहार
अंक 72
- (सम्पादकीय आलेख) त्र्यम्बकं यजामहे — भवनाथ झा
- दक्षिण पूर्व एशिया की संस्कृति पर रामायण का प्रभाव— डा० विद्यानन्द उपाध्याय
- तीर्थंकर महावीर की जन्मभूमि : वैशाली— साहित्यवाचस्पति डॉ० श्रीरंजन सूरिदेव
- एक प्रच्छन्न भक्त का पुण्य स्मरण— प. गोविन्द झा
- भारत : जायसी के मनोदर्पण में — डी० आर० ब्रह्मचारी
- सबका मालिक एक— डॉ. एस.एन.पी. सिन्हा
- पौराणिक शाप कथाएँ : भारतीय मिथक— डॉ. जनार्दन यादव
- रामकथा के ऋषि : नारद— डॉ० शिववंश पाण्डेय
- रामचरितमानस में धर्म की अवधारणा— डॉ. हरे कृष्ण तिवारी
- तुलसीदास की गुरु-विषयक अवधारणा— डॉ० श्रीकांत सिंह
- तुलसीदास की रचनाओं में मात्रिक समन्वय— आचार्य चन्द्र किशोर पाराशर
- हिन्दी की स्वच्छन्दप्रियता— आचार्य सारंगधर
- प्राचीन से अर्वाचीन तकः साहित्य की दृष्टि में ‘नारी’— डॉ. विनोद कुमार सिन्हा
- श्री अरविन्द में वेदान्त-सी सृष्टि— प्रो० श्रीकान्त प्रसून
- इक्ष्वाकु और निमि की वंशावली— वासुदेव पाण्डेय
अंक 73
- (सम्पादकीय आलेख) संस्कृत में बहुवचन का प्रयोग — भवनाथ झा
- पौराणिक शापकथाएँ: भारतीय मिथक —डॉ० जनार्दन यादव
- रामचरितमानस में सगुणतथा निर्गुण के सन्धिस्थल— डॉ. विनोद कुमार सिन्हा
- विवाह संस्कार— डॉ. राजेन्द्र झा
- श्रीरामचरितमानस में श्रीराम की शरीर-कान्ति— प्रो० रामाश्रय प्रसाद सिंह
- डाक टिकटों में भारतीय संस्कृति आचार्य —चन्द्र किशोर पाराशर
- तुलसी की अप्रस्तुत-योजना— डी० आर० ब्रह्मचारी
- सिंहासनबत्तीसी : कथाशिल्प का निहितार्थ —डॉ० श्यामसुन्दर घोष
- चक्रेश्वरी त्रिपुरसुन्दरी— श्रीरंजन सूरिदेव
- संतन में रैदास संत हैं—डा० एस.एन.पी. सिन्हा
- तिथियों का प्राचीन वर्णन—आचार्य राजनाथ झा
- श्रीकृष्ण-क्रान्ति— गंगा पीताम्बर शर्मा ‘श्यामहृदय’
- वेणुगीत— अरविन्द मानव
- शुक्लयजुर्वेदीय मुक्तिकोपनिषद्— आचार्य सीताराम चतुर्वेदी
- शांति और आनंद— श्रीकान्त व्यास
अंक 74
- हिन्दी प्रभाग
- (सम्पादकीय आलेख) मुण्डेश्वरी भवानी : साहित्यिक एवं सांस्कृतिक पृष्ठभूमि— भवनाथ झा
- मुण्डेश्वरी भवानी : देश का प्राचीनतम मन्दिर— आचार्य किशोर कुणाल
- मुण्डेश्वरी शिलालेख शिलालेख का अनुवाद
- मन्दिर का अवशिष्ट भाग एवं पुनर्निर्माण की भित्ति-योजना का प्रारूप मुण्डेश्वरी भवानी मन्दिर— डा. प्रकाश चरण प्रकाश
- श्री मुण्डेश्वरी मन्दिर-अतीत और वर्तमान— दिवाकर पाठक
- प्राचीनतम शक्तिपीठ मुण्डेश्वरी— चक्रवर्ती श्री रामाधीन चतुर्वेदी
- अंग्रेजी प्रभाग
- Mundeshwari Inscription of Udayasena— Dr. R. D. Banarji
- The Mundeshwari Inscription of the Time of Udayasen:The Year 30.— N. G. Majumadar.
- Temple of Mundeshwari in Sahabad — Krishna chandra Panigrahi
- Mundeshwari —P. C. Ray choudhary
- Extract From District Gazetteer Sahabad
- Extract From Antiquarian Remains in Bihar
- A Note On Mundeshwari Temple
- चित्र-संग्रह
- मूर्तियों के चित्र
- लघु प्रस्तर-लेखों की नेत्र-प्रति
अंक 75
- (सम्पादकीय आलेख) बिहार की गौरवमयी वैष्णव-धारा— भवनाथ झा
- बिहार में रामायण-परिपथ का निर्धारण— आचार्य किशोर कुणाल
- कुछ धार्मिक शब्द और उनके आशय— प. गोविन्द झा
- श्रीकृष्णभक्त सूर की साधना — युगल किशोर प्रसाद
- बोधकथा रामचरितमानस में लोक-विश्वास— श्रीकान्त सिंह
- तारा-तत्त्व-विमर्श— डा.तारानन्द वियोगी
- कार्यक्रम समीक्षा— राष्ट्रीय संगोष्ठी ‘मुण्डेश्वरी शिलालेख : काल एवं विषयवस्तु’
- कृष्ण-चरितात्मक प्रबन्ध एवं तुलसी-साहित्य— डा. रामतवक्या शर्मा
- चातक तुलसीदास— डा. एस.एन.पी. सिन्हा
- Mundeshwari Edict of 108 A.D. — Acharya Kishore Kunal
अंक 76
- (सम्पादकीय आलेख) लोकरत्न ज्योतिर्विद् डाक— भवनाथ झा
- पुराणों में रामविषयक सन्दर्भ —डॉ. शिववंश पाण्डेय
- राम, रामायण और राम-सेतु की पुरातनता—डॉ. तपेश्वर नाथ
- मर्यादापुरुषोत्तम राम की ऐतिहासिकता— आचार्य किशोर कुणाल
- भजन और श्रीमद्भागवत महापुराण— डॉ. सीताराम झा ‘श्याम’
- राजा बलि की दानशीलता— डॉ. जयनन्दन पाण्डेय
- भक्त कवि नरोत्तम दास— युगल किशोर प्रसाद
- संस्कृत-साहित्य में बाल-हितैषणा के तत्त्व— साहित्यवाचस्पति डॉ. श्रीरंजन सूरिदेव
- सत्य साईं— डॉ. एस.एन.पी. सिन्हा
- श्री पार्वती गीता : एक अनुशीलन— डॉ. राजेन्द्र झा
- कीट्स-काव्य और कामायनी— डॉ. अशोक कुमार ‘अंशुमाली’
- मैथिली भक्ति लोकगीतों में जीवन-दर्शन— डी. आर. ब्रह्मचारी
- वाणी एवं चरित्र—प्रो. रामाश्रय प्रसाद सिंह
अंक 77
- (सम्पादकीय आलेख) मण्डन मिश्र का व्यक्तित्व— भवनाथ झा
- सांस्कृतिक समन्वयाचार्य : आदि शंकराचार्य— डा. एस.एन.पी. सिन्हा
- आदिकाव्य की प्रकृति का विभावगत वर्णन— डा. श्याम सुन्दर पाण्डेय
- महाकवि कालिदास का शिव-प्रेम— डॉ. सत्या दयाल
- ‘वेतालपचीसी’ का गूढार्थ-व्यंजक शिल्प— डॉ. श्यामसुन्दर घोज़
- ‘पृथ्वीराज-रासो’ में देवोपासना एवं भक्ति के बीज—युगल किशोर प्रसाद
- श्रीकृष्णक्रान्ति (ललित-निबन्ध) — गंगापीताम्बर शर्मा ‘श्यामहृदय’
- लोक-जीवन में रसे-बसे राम —डॉ. श्रीकांत सिंह
- वेदों में वैज्ञानिक शिल्प— डॉ. धीरेन्द्र झा
- विज्ञान एवं भक्ति का संगम— डॉ. जटाधारी
- कर्म का अध्यात्म और अध्यात्म का कर्म— डी. आर. ब्रह्मचारी
- जीवन का अन्तिम सोपान— कैलाश त्रिपाठी
- कुण्डलिनी : पिण्ड से ब्रह्म तक —प्रो. श्रीकान्त प्रसून
- मिथिला की वैष्णव धारा— डा. किशोरनाथ झा
- रिपोर्ताज : दाहा नदी, पाण्डेय परसवनी एवं लक्ष्मण कुण्ड
अंक 78
- (सम्पादकीय आलेख) सोमवती अमावस्या व्रत विधान—भवनाथ झा
- राष्ट्रीय पंचांग, जिसे हम भूल गये— पं. गोविन्द झा
- बुद्ध-युग की वैशाली— डॉ. श्रीरंजन सूरिदेव
- बिहार के सिद्ध साहित्यकार— डॉ. श्रीकांत सिंह
- बिहार संस्कृति : मानव संस्कृति— डॉ० जटाधारी
- ब्रह्मतत्त्व एवं प्राण—प्रो. श्रीकान्त प्रसून
- समकालीन हिन्दी कविता में लोक-चेतना— डॉ. शिववंश पाण्डेय
- घोड़सेमर का ऐतिहासिक महत्त्व— श्री सीताराम पाण्डेय
- वैदिक सर्वात्मवाद की व्यापकता— श्री युगल किशोर प्रसाद
- रामायण में पर्वत-वर्णन—डा० श्याम सुन्दर पाण्डेय
- शाश्वत सत्य का स्वरूप—डा. एस.एन.पी. सिन्हा
- मुण्डेश्वरी चालीसा— श्री घनश्याम दास ‘हंस’
अंक 79
- (सम्पादकीय आलेख) हरिहर-क्षेत्र-माहात्म्य— पं. भवनाथ झा
- वाल्मीकि रामायण के अनुसार समुद्र-मन्थन की कथा— आचार्य किशोर कुणाल
- समुद्र मन्थन की कथा संकलन— पं. भवनाथ झा
- ‘सूरसागर’ का समुद्र-मन्थन-प्रसंग
- The Churning of the Ocean ( Extracted from the Mahabharata). Trans. by R.T.H. Griffith
- कुम्भपर्व का शास्त्रीय स्वरूप हिन्दी अनुवाद एवं प्रस्तुति— पं. भवनाथ झा
- सिमरिया में कुम्भ/अर्द्धकुम्भ के प्रश्न पर श्री चिदात्मन् स्वामी का पक्ष
- माननीय पटना उच्च न्यायालय द्वारा गठित समिति की सिमरिया में अर्द्ध-कुम्भ विषयक संस्तुति
- पर्व-निर्णय ग्रन्थ के भूमिका लेखक श्री नगेन्द्र कुमार शर्मा के द्वारा भूमिका में कुम्भपर्वनिर्णय निबन्ध का अंग्रेजी में प्रस्तुत संक्षिप्त विवेचन
- सिमरिया में कार्तिक कल्पवास की मोक्षदायिनी परम्परा को बाधित न करें – आचार्य किशोर कुणाल
- श्रीमद्भगवद्गीता की प्रासंगिकता— डॉ. सीताराम झा ‘श्याम’
- (पुस्तक-समीक्षा) अगस्त्य-संहिता का समीक्षात्मक विवरण— प्रो. रामविलास चौधरी
अंक 80
- (सम्पादकीय आलेख) दान की गयी भूमि के अपहरण का पाप—भवनाथ झा
- दानमानविमर्श— डॉ. कृष्णानन्द झा
- कौमुदी-महोत्सव की परम्परा और पाटलिपुत्र— डॉ. श्रीरंजन सूरिदेव
- वैदिक साहित्य में त्रयी-एक विश्लेषण— प्रो० रामविलास चौधरी
- जीवन का दर्शन : आरसी एवं टेनिसन की दृष्टि में— प्रो० अशोक कुमार अंशुमाली’
- श्रीकृष्ण-क्रान्ति— पं. गंगा पीताम्बर शर्मा
- संत सूरजदास-कृत रामजन्म‘ काव्य-कृत्ति’ — श्री युगल किशोर प्रसाद
- ‘रामायण’ में ‘सुन्दरकाण्ड’ का महत्त्व— डॉ. शिववंश पाण्डेय
- ‘मानस’ में वर्णित शाप तथा उनकी दिशाएँ— डॉ. श्रीकांत सिंह
- रामचरितमानस में नगर-वर्णन— डॉ. राजेश्वर प्रसाद
- ‘मानस’ का पुष्पवाटिका- प्रसंग— डॉ. गनौरी महतो
- हस्ती मिटती नहीं हमारी— डॉ. एस.एन.पी. सिन्हा
- कर्म एवं ज्ञान के बीच सम्बन्ध — भवनाथ झा
अंक 81
- (सम्पादकीय आलेख) जानकी-स्तवराज— भवनाथ झा
- मण्डन मिश्र का निवास— डॉ० शशिनाथ झा
- परिक्रमा/प्रदक्षिणा— सुरेशचन्द्र मिश्र
- मन्दिर समाचार परिक्रमा
- विराट् रामायण मन्दिर के मॉडल का अनावरण
- महावीर मन्दिर में लोकसभा स्पीकर माननीया मीरा कुमार का कार्यक्रम
- भगवान् बुद्ध का चरित अब अधूरा नहीं रहा
- रामावत संगत
- सीताराम विवाहोत्सव का द्विदिवसीय कार्यक्रम आयोजित
- गीता-जयन्ती का समारोह
- सन्त पलटू दास और उनका दर्शन— गोपाल
- भारतीय श्रीरामचरितमानस में जग-दर्शन— डा. राजेश्वर नारायण सिन्हा
अंक 82
- लक्ष्मीहृदयस्तोत्रम्— अनुवादक भवनाथ झा
- श्रीनारायणहृदयस्तोत्र— मूलमात्र
- रघुवंश में दिव्यानुभूतियों की एक झलक— पं. सुरेशचन्द्र मिश्र
- त्याग के प्रतीक- महात्मा भरत — डा. मोना बाला
- समानोत्थानवादी संत कवि कबीर— श्री गौरीशंकर मिश्र
- स्वस्थ जीवन शैली अपनायें और नीरोग रहें — डा. जितेन्द्र कुमार सिंह
- महाकाव्य-चिन्तनः आलोचक एवं रचनाकार के विचार — डा. पण्डित विनय कुमार
- भारत में सौर उपासना की प्राचीनता — श्री पवन कुमार
- सूर्य के विभिन्न प्रकार की मूर्तियों का उल्लेख — भवनाथ झा
- विस्मयकारी है स्वप्नों का संसार— श्रीमती सपना
अंक 83
- (सम्पादकीय आलेख) शारदा-तिलक में रामोपासना का स्वरूप— पं. भवनाथ झा
- मगध-क्षेत्र में सूर्य-उपासना की प्राचीनता— पं. सुरेशचन्द्र मिश्र
- बिहार के पर्यटन विकास में हिन्दू-विरासत की भूमिका— आचार्य किशोर कुणाल
- जयशंकर प्रसाद की कामायनी के श्रद्धा-मनु एवं प्राकृतिक सौन्दर्य का वर्णन— प्रो०(डॉ०)अशोक कुमार ‘अंशुमाली’
- ‘विनय-पत्रिका’ की हरि-शंकरी— डॉ. (प्रो.) राजेश्वर नारायण सिन्हा
- राजर्षि अम्बरीष एवं दुर्वासा की कथा— डॉ. जयनन्दन पाण्डेय
- “तुलसी-साहित्य पर संस्कृत के अनार्ष प्रबन्धों की छाया” एक दृष्टि— डा. आलोक कुमार
- सामाजिक सद्भाव का दृष्टान्त : सिमरी का महावीरी झण्डा— डा. लक्ष्मीकान्त मुकुल
- व्यावहारिक वेदान्त के प्रतिष्ठाताः स्वामी विवेकानन्द— डा० भुवनेश्वर प्रसाद गुरुमैता
- ‘रामलला नहछू’ का काव्य-सौन्दर्य— श्री युगल किशोर प्रसाद
- धर्म, संस्कृति, सम्प्रदाय और लोक-जीवन— डा. विनय कुमार सिंह
- मन्दिर समाचार परिक्रमा
अंक 84
- (सम्पादकीय आलेख) श्रीराममानस-पूजा— भवनाथ झा
- नववर्षोत्सवविमर्शः— पं. कृष्णानन्द झा
- महर्षि पाणिनि और उनका अष्टाध्यायी— डा. (प्रो.) शिवचन्द प्रसाद
- हिमालय से गंगासागर तक गंगा की यात्रा— श्री ओम प्रकाश सिन्हा
- गुरु दसमेस— श्री मगन देव नारायण सिंह
- कठोपनिषद् में प्रतिपादित दान एवं अतिथि सत्कार का महत्त्व— पं. गिरिजानन्दन पाण्डेय
- उपासना— पं. सुरेशचन्द्र मिश्र
- आपदर्थे धनं रक्षेत्— श्री सर्वेशचन्द्र मिश्र
- अथ माँ शबरी स्तुति— साधु घनश्याम दास ‘हंस’जी
- अन्य-स्तम्भ
- मन्दिर समाचार-परिक्रमा
- महावीर आरोग्य संस्थान के बढ़ते कदम
अंक 85
- (सम्पादकीय आलेख) श्रीराम-स्तुति (सात्वत-तन्त्र से) — भवनाथ झा
- हनुमत्-स्तुति— सुरेश चन्द्र मिश्र
- देवी-पूजन में सर्वोत्तम नैवेद्य का विवेचन— भवनाथ झा
- वैष्णव सन्त तुलसीदास की अन्तर्यात्रा— डॉ. राजेश्वर नारायण सिन्हा
- रामायणकालीन-राजव्यवस्था— डा० मोना बाला
- तुलसी का युगबोध एवं सामाजिक आदर्श — श्री राकेश चन्द्र मिश्र ‘विराट’
- लोकदेवता महात्मा गणिनाथ एवं योगेश्वर गोविन्दजी— श्री गोपाल भारतीय
- मूर्ख के लक्षण— प्रो. रामविलास चौधरी
- रुद्राक्ष के धार्मिक अनुप्रयोग— डा. मगनदेव नारायण सिंह
- गर्भस्थ परीक्षित पर भगवान् श्रीकृष्ण की कृपा— डा. जयनन्दन पाण्डेय
- अद्भुत है हमारा शरीर— डा. नीरज कुमार मिश्र
- ज्योतिष की दृष्टि में मानसिक रोग एवं अस्थमा रोग— डा. राजनाथ झा
- अन्य स्थायी स्तम्भ
- योग की परिभाषा
- बोध-कथाएँ
- संस्कृत-पाठ
- मन्दिर समाचार-परिक्रमा
- महावीर मन्दिर में विभिन्न पूजन मदों में निर्धारित शुल्क
अंक 86
- (सम्पादकीय आलेख) धर्म का शून्य स्तर— भवनाथ झा
- शास्त्राध्ययन-परम्परा का संरक्षण— आचार्य किशोर कुणाल
- हिन्दी के प्रचार-प्रसार में धर्मसंवाहक सन्तों की भूमिका— डा. श्रीरंजन सूरिदेव
- ऋक्-संहिता में सूर्य— डा. किरण कुमारी
- वैष्णव-सन्त तुलसीदास की अन्तर्यात्रा (गतांक से आगे) — डा. राजेश्वर नारायण सिन्हा
- शिवताण्डव स्तोत्र (हिन्दी पद्यानुवाद) — अनु. गोपाल भारतीय
- चरैवेति— प्रो. चन्द्रशेखर द्विवेदी ‘भारद्वाज’
- श्रीगुप्तधाम की यात्रा— श्री घनश्याम दास ‘हंस’
- राजा परीक्षित् को शृङ्गी ऋषि का शाप— डा. जय नन्दन पाण्डेय
- हिन्दी धार्मिक फिल्मों का स्वर्णिम अतीत— श्री ओम प्रकाश सिन्हा
- भारतीय वाङ्मय में माँ का स्वरूप— श्री युगल किशोर प्रसाद
- ज्योतिष की दृष्टि से कैंसर का विश्लेषण— डा. राजनाथ झा
- अन्य स्थायी स्तम्भ-
- प्रवचन
- देवस्तुति
- मन्दिर समाचार-परिक्रमा
- संस्कृत-शिक्षा आदि
अंक 87
- (सम्पादकीय आलेख) ऋग्वेद में श्राद्धकर्म की श्रेष्ठता हिन्दी अनुवाद— भवनाथ झा
- रुचिकृत पितृ-स्तुति हिन्दी अनुवाद— भवनाथ झा
- अब लौं नसानीं, अब ना नसैहौं— श्री सुरेश चन्द्र मिश्र
- दान करे कल्याण— पं. मार्कण्डेय शारदेय
- संस्कृत नाट्यकला और भास— डॉ. क्षमा कुमारी
- विष्णुपद मन्दिर का दर्शन और पूर्वजों का भाव-तर्पण— डा. एस. एन. पी. सिन्हा
- ऋग्वेद में सविता का स्वरूप— डॉ. किरण कुमारी शर्मा
- इंसान की निःस्वार्थ सेवा ही सच्चा धर्म— श्री मगन देव नारायण सिंह
- अलौकिक अनुभूतियाँ— श्री युगल किशोर प्रसाद
- महाराज परीक्षित् का अनशन व्रत— डा. जयनन्दन पाण्डेय
- युगल छवि गीत— डा. राकेश चन्द्र मिश्र ‘विराट्’
- पुरुषोत्तममास माहात्म्य — भारतेन्दु हरिश्चन्द द्वारा अनूदित
- राष्ट्रीय अस्मिता और हिन्दी— प्रो. (डॉ.) आलोक कुमार
- ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि से गठिया रोग— आचार्य राजनाथ झा
- एवं अन्य स्थायी स्तम्भ
अंक 88
- सरस्वती वंदना— डा. अशोक मिश्र
- (सम्पादकीय आलेख) रामचरितमानस के प्रथम सम्पादन की विशेषता — पं. भवनाथ झा
- भारतीय दर्शन में मुक्ति की अवधारणा— साहित्यवाचस्पति डा. श्रीरंजन सूरिदेव
- अब लौं नसानीं, अब ना नसैहौं — श्री सुरेश चन्द्र मिश्र
- भगवानगंज (मसौढ़ी) का द्रोण स्तूप— श्री मगन देव नारायण सिंह
- साहेब रामदास के रामभक्ति-विषयक पाँच पद— पं. भवनाथ झा
- पं. रामावतार शर्मा के मारुतिशतकम् के हनुमान् — प्रो. चन्द्रशेखर द्विवेदी भारद्वाज
- पटना में छठ-पर्व का एक वृत्तान्त फेनी पार्क्स— अनु. डॉ. छाया कुमारी
- पाटलिपुत्र की ऐतिहासिक विरासत— श्री ओम प्रकाश सिन्हा
- रामानुजाचार्य का भक्ति के विकास में योगदान — श्री युगल किशोर प्रसाद
- राष्ट्रीय अस्मिता और हिन्दी — श्री आलोक कुमार
- ‘पूषा’ रूप में सूर्य— डा. किरण कुमारी शर्मा
- प्राचीन काल में यज्ञ का महत्त्व— डा. मोना बाला
- भारतीय ज्योतिष की दृष्टि से नेत्ररोग-विमर्श— आचार्य राजनाथ झा
- मन्दिर समाचार परिक्रमा
- अन्य स्थायी स्तम्भ
अंक 89
- (सम्पादकीय) हनुमज्जागरणस्तुतिः— भवनाथ झा
- अब लौं नसानीं अब ना नसैहौं — सुरेश चन्द्र मिश्र
- पाण्डवगीता — (सम्पादक) शशिनाथ झा
- बक्सर में गंगा: अतीत से वर्तमान तक— लक्ष्मीकान्त मुकुल
- कोशी किनारे के लोकगीत— मगनदेव नारायण सिंह
- अष्टावक्र गीता – (हिंदी पद्यानुवाद)— उमाशंकर सिंह
- यज्ञ का आधार है मन्त्र-शक्ति— अशोक कुमार मिश्र
- पाटलिपुत्र की ऐतिहासिक विरासत— ओम प्रकाश सिन्हा
- तुलसी के मानवतावाद की प्रासंगिकता— आशुतोष मिश्र
- आदि शंकराचार्य— सविता मिश्रा ‘मागधी’
- कलियुग का काल— उषा रानी
- गण्डमूल दोष: भ्रान्ति एवं वास्तविकता— राजनाथ झा
- श्रवण कुमार पुरस्कार योजना
अंक 90
- (सम्पादकीय आलेख) हनुमान-चालीसा की एक पाण्डुलिपि का विवेचन—भवनाथ झा
- धन की अधिष्ठात्री देवी: गोमाता— स्व. कुमार गंगानन्द सिंह
- श्री भक्तवर शंकर दासजी का जीवन चरित्र— स्व. बाबू रामदीन सिंह
- शिक्षा का प्राचीन भारतीय स्वरूप— युगल किशोर प्रसाद
- अब लौं नसानीं अब ना नसैहौं, भाग- 4 — पं. सुरेशचन्द्र मिश्र
- मुरली— डॉ. उषा रानी
- क्या, बस यही ज्ञान है? — अवधेश मिश्र
- एक संत की जीवन-यात्रा— घनश्याम दास हंस
- साधना— डॉ. गणेश शंकर पाण्डेय
- कृषि विज्ञान में ज्योतिषशास्त्र की भूमिका— ज्योतिषाचार्य डॉ. राजनाथ झा
- पञ्चगव्य बनाने की शास्त्रीय विधि
- ईश्वरानुभूति — पं. सुरेशचन्द्र मिश्र
- संस्कृत सीखें—भवनाथ झा
- आवासीय कर्मकाण्ड प्रशिक्षण कार्यशाला— भवनाथ झा
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक