5. लोक शिक्षक– सप्तर्षि- श्री महेश प्रसाद पाठक

निरुक्तकार यास्क ने ऋषि की परिभाषा दी है- ऋषिः दर्शनात्। जिन्होंने हमारी ज्ञान परम्परा वेद, वेदाङ्ग, स्मृति आदि का दर्शन किया, वे ऋषि कहलाये। इन्होंने हमारे कल्याण के लिए प्रत्येक विषयों का अवलोकन किया अतः ज्ञान के क्षेत्र की गणना से वे सात प्रकार के हुए। उन्होंने हमें कृषिशास्त्र दिया, विमान-शास्त्र दिया, चारों प्रकार के पुरुषार्थों के लिए शास्त्रों की विशेष परम्परा चलायी। इन ऋषियों में भी सात सप्तर्षि कहलाये। सप्तर्षि पर एक परिचयात्मक आलेख यहाँ प्रस्तुत है।
पाठक, महेश प्रसाद, “लोक शिक्षक– सप्तर्षि”, धर्मायण, अक सं. 110, सप्तर्षि विशेषांक, महावीर मन्दिर पटना, भाद्रपद, 2078, (अगस्त-सितम्बर, 2021ई.), पटना, पृ. 30-34.
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक