8. बिहार में महर्षि विश्वामित्र के स्थल – श्री रवि संगम
भारत श्रुति-परम्परा यानी मौखिक परम्परा का राष्ट्र रहा है। यहाँ शरीर, स्थान और काल नश्वर हैं, पर अवधारणा और परम्परा अविनाशी है। अतः यदि हमें रामायण-काल के विश्वामित्र बिहार में मिलते हैं तो इसका सीधा तात्पर्य है कि ऋग्वेद के तीसरे मण्डल की परम्परा भी इसी भू-खण्ड से जुड़ी है और मन्त्रद्रष्टा ऋषियों में महर्षि विश्वामित्र, जो वर्तमान वैवस्वत मन्वन्तर में सप्तर्षि माने गये हैं, वे बिहार के हैं। बिहार में उनके स्थलों और स्थापित मूर्तियों का पर्यटन की दृष्टि से यहाँ विवेचन किया गया है।
रवि संगम, “बिहार में महर्षि विश्वामित्र के स्थल”, धर्मायण, अंक सं. 110, सप्तर्षि विशेषांक, महावीर मन्दिर पटना, भाद्रपद, 2078, (अगस्त-सितम्बर, 2021ई.), पटना, पृ. 60-67,77
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक