धर्मायण पत्रिका के लिए यह गौरव का विषय है कि आचार्य सीताराम चतुर्वेदी इस पत्रिका के आरम्भ में सम्पादन कार्य से भी जुडे रहे. उऩ्होंने अपना बहुमूल्य दिशा-निर्देश देकर इस पत्रिका के स्वरूप को निर्धारित किया. आज भी हम उनकी रचनाओं से इस पत्रिका को संबल देते रहते हैं. https://mahavirmandirpatna.org/dharmayan/sitarama-chaturvedi/

डा. (प्रो.) शशिनाथ झा। संस्कृत व्याकरण के मौलिक विद्वान् हैं। भाषा-सम्मान से सम्मानित डा. झा मिथिला की सारस्वत परम्परा के प्रख्यात सम्पादक पाण्डुलिपिशास्त्री हैं। डा. झा के आलेख धर्मायण के लिए गौरव की वस्तु है। https://mahavirmandirpatna.org/dharmayan/dr-shashinth-jha/

श्री अरुण कुमार उपाध्याय भारतीय परम्परा के चिन्तक रहे हैं। वैदिक साहित्य तथा ज्योतिष शास्त्र इनके शोध आलेखों का प्रमुख रहा है। इन्होंने अपने विशिष्ट लेखों के माध्यम से भारतीय ज्ञान-परम्परा को स्थापित करने का महनीय कार्य किया है। https://mahavirmandirpatna.org/dharmayan/arun-kumar-upadhyay/

बिहार के प्रख्यात चिकित्सक तथा पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डा. एस.एन.पी.सिन्हा एक विशिष्ट चिन्तक रहे हैं। धर्मायण पत्रिका में उनके अनेक आलेख प्रकाशित हो चुके हैं
https://mahavirmandirpatna.org/dharmayan/dr-s-n-p-sinha/

डा. रामभरोस कापडि “भ्रमर” नेपाल में मुखर पत्रकार, साहित्यकार तथा सामाजिक चिन्तक हैं। इनके अनेक रचनाएँ मैथिली, हिन्दी तथा नेपाली में प्रकाशित हैं। नेपाल प्रज्ञा प्रतिष्ठान के सदस्य भी रह चुके हैं। इनके आलेख को प्रकाशित कर हम गौरवान्वित हैं। https://mahavirmandirpatna.org/dharmayan/ram-bharos-kapari-bhramar/

डा. सुशान्त कुमार। सुशान्त भास्कर के नाम से विख्यात हैं। भारतीय प्राचीन इतिहास तथा पुरातत्त्व के विद्वान्, शोधार्थी तथा अध्येता हैं। मिथिला के पुरातत्त्व में मूर्तिविज्ञान पर इनका महत्त्वपूर्ण कार्य है। https://mahavirmandirpatna.org/dharmayan/dr-sushant-kumar/

डा. काशीनाथ मिश्र। अंगरेजी के अध्यापक हैं। मुख्यधारा के प्रवल समर्थक तथा भारतीय संस्कारों की रक्षा के लिए कटिबद्ध व्यक्ति धर्मायण के परिवार में जुड़े हैं। इनका अभिनन्दन!!
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डा. जितेन्द्रकुमार सिंह संजय जी ने इतिहास, कला एवं संस्कृति से जुडे तथ्यों पर अनेक ग्रन्थों की रचना की हैं। https://mahavirmandirpatna.org/dharmayan/dr-jitendra-kumar-singh-sanjay/

श्री विष्णु प्रभाकर जी संस्कृत के अध्येता हैं। हमारे साथ हैं। इन्हें बधाई और शुभकामनाएँ
https://mahavirmandirpatna.org/dharmayan/shri-vishnu-prabhakar/

डा. सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य नव्यन्याय एवं व्याकरण के पारम्परिक विद्वान् हैं। इस परिवार में इनका अभिनन्दन
https://mahavirmandirpatna.org/dharmayan/dr-sudarshan-shrinivash-shandilya/

धर्मायण पत्रिका के लेखकों के परिवार में श्री उदयशंकर शर्मा कविजी का अभिनन्दन। मूलतः गीतकार के रूप में विख्यात कविजी मगध क्षेत्र की लोक-संस्कृति के ज्ञाता हैं। मगही अकादमी के पूर्व अध्यक्ष के रूप में अनेक मौलिक कार्य करनेवाले कविजी का इस परिवार में स्वागत है।
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इनके अतिरिक्त भी अनेक प्रख्यात लेखक धर्मायण से जुडे हैं तथा जुड़ रहे हैं। उनके व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व पर सामग्री संकलन का प्रयत्न किया जा रहा है। शीघ्र ही हम इस सूची में अपने कुछ अन्य विशिष्ट लेखकों के सम्बन्ध में सामग्री उपलब्ध करा सकेंगे।