Tag: धर्मायण
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धर्मायण अंक संख्या 143 मन-विशेषांक
ज्येष्ठ, 2081 वि. सं. 24 मई-22 जून 2024 ई. श्री महावीर स्थान न्यास समिति के लिए महावीर मन्दिर, पटना- 800001 से ई-पत्रिका के रूप में https://mahavirmandirpatna.org/dharmayan/ पर निःशुल्क ... -
धर्मायण अंक संख्या 142 गृहस्थ-आश्रम-विशेषांक
गृहस्थ आश्रम की मर्यादा भारतीय परम्परा में बहुत अधिक है। इनमें से गृहस्थ चूँकि संसाधनों के उत्पादक होते हैं अतः इनकी महत्ता सर्वोपरि है। इसी आश्रम ... -
धर्मायण अंक संख्या 141 लक्ष्मण-चरित विशेषांक
लक्ष्मण जी को शेषनाग का अवतार माना जाता है। मन्दिरों में राम तथा सीताजी के साथ सदैव उनकी पूजा होती है। लक्ष्मण हर काम में सेवाभाव ... -
धर्मायण अंक संख्या 140 तीर्थयात्रा-विशेषांक
यात्रा चाहे वह किसी प्रकार की न हो व्यक्ति को सर्वथा नये परिवेश में जाना पड़ता है, जिसमें वह नये-नये लोगों से मिलता है, नयी नयी ... -
धर्मायण अंक संख्या 139 सन्त-साहित्य विशेषांक
सनातन धर्म में हर काल में लोक-कल्याण की भावना से समता का सिद्धान्त प्रस्तुत किया गया है। काल के प्रवाह में जब कोई वस्तु अप्रासंगिक हो ... -
धर्मायण अंक संख्या 138 लोक-संस्कृति अंक
लोक और वेद ये दो शब्द हम सहचर के रूप में व्यवहार करते हैं। वेद सम्पूर्ण शास्त्रीय ज्ञान का रूप है तो लोक लौकिक ज्ञान को ... -
धर्मायण अंक संख्या 137 विवाह-विशेषांक
हमें सनातन धर्म में वर्णित विवाह के स्वरूप को दुहराने की आवश्यकता है। सनातन धर्म कहता है कि विवाह एक पवित्र संस्कार है। एक लोटा जल, ... -
धर्मायण अंक संख्या 134 शाप-विमर्श विशेषांक
शाप का विवेचन करते हुए हमारे मन में अकसर यह भावना बन जाती है कि इस शाप में शाप देने वाले की गलती है और हम ... -
धर्मायण अंक संख्या 133 फलश्रुति विशेषांक
उपासना में फलश्रुति का महत्त्वपूर्ण स्थान है। यह मानव की प्रवृत्ति है कि “प्रयोजनमनुद्दिश्य मन्दोऽपि न प्रवर्तते” और वही प्रयोजन फल है और उसका कथन फलश्रुति। ...
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक