Tag: Dharmayana
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लेखकों से निवेदन, शोधपरक आलेख आमन्त्रित, लेखकों को दी जाती है सम्मान-राशि।
‘धर्मायण’ के अगले अंक, (अंक संख्या 118, वैशाख, सं. 2079) के लिए प्रस्ताव की पृष्ठभूमि- “लोक-देवताओं के रूप में परशुराम, नरसिंह, कूर्म एवं बुद्ध की उपासना” -
डा. सुन्दरनारायण झा
सहाचार्य वेदविभाग, (अ.प्रा.) श्रीलालबहादुरशास्त्रीराष्ट्रियसंस्कृतविश्वविद्यालयः, बी-4, कुतुबसांस्थानिकक्षेत्रम्, नवदेहली-16 -
डॉ० विजय विनीत
अवकाशप्राप्त अध्यापक, हिन्दी विभाग, जनता महाविद्यालय सूर्यगढ़ा (लखीसराय), 1980 से लगातार हिन्दी-अध्यापन एवं लेखन के प्रति समर्पित तथा भाषावादी अध्ययन के प्रति प्रतिबद्ध रहे हैं। -
शत्रुघ्नश्रीनिवासाचार्य पंडित शम्भुनाथ शास्त्री ‘वेदान्ती’
शत्रुघ्नश्रीनिवासाचार्य पंडित शंम्भुनाथ शास्त्री ‘वेदान्ती’ भगवद्भक्ति तथा भगवत्-तत्त्व-चिन्तन में लीन पण्डित शम्भुनाथ शास्त्री न केवल अपने प्रवचन से भगवान् की गाथाओं का प्रचार करते, बल्कि लेखन... -
श्री गिरिजानन्द सिंह
1. मैथिली कथा 'परंपरा', 'पूजाक पोथी', 'हमरा बिसरब जुनि' एवं Banaili, Roots to Raj हिंदी रूपांतर "बनैली मूल से राज तक" के लेखक श्री गिरिजानन्द सिंह इतिहास ... -
आलेख संख्या- 12. “कालिदासकृत रघुवंशकी रामायण-कथा- रामकथा” लेखक आचार्य सीताराम चतुर्वेदी भाग 2
देश के अप्रतिम विद्वान् आचार्य सीताराम चतुर्वेदी हमारे यहाँ अतिथिदेव के रूप में करीब ढाई वर्ष रहे और हमारे आग्रह पर उन्होंने समग्र वाल्मीकि रामायण का ... -
आलेख संख्या- 11. “जीमूतवाहन की आराधना का लोकपर्व जितिया” लेखक श्रीमती रंजू मिश्र
आश्विन मास के कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि को विद्याधरों के राजा जीमूतवाहन की उपासना की जाती है। ये जीमूतवाहन बोधिसत्त्व के रूप माने गये हैं, जिन्होंने ... -
आलेख संख्या- 10. “शरत्-पूर्णिमा- कोजागरा एवं कौमुदी महोत्सव” लेखक श्रीमती रंजू मिश्र
आश्विन मास की पूर्णिमा महत्त्वपूर्ण है। एक अन्य लेख में हम पढ़ चुके हैं कि इस रात्रि की चन्द्रिका अमृतमयी मानी गयी है, अतः मगध क्षेत्र ... -
आलेख संख्या- 9. “सामवेदीय कौथुमशाखा का परिचय” लेखक डा. सुन्दरनारायण झा
सामवेद भारतीय संगीत शास्त्र की परम्परा है, यह गान है जो विलुप्त होता जा रहा है। सम्पूर्ण उत्तर भारत में यदि लोग वेदाध्ययन करते भी हैं ... -
आलेख संख्या- 8. “‘श्रीमद्भगवद्गीता’ में प्रयुक्त कृष्ण के नाम पर्यायों का शैलीगत अध्ययन” लेखक डॉ. विजय विनीत
श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान् कृष्ण के अनेक नाम आये हैं। इन नामों के यथास्थान प्रयोग का भी अपना विशिष्ट तात्पर्य है।
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक