कार्तिक, 2078 वि.सं. के अंक को प्रस्तावित विषय

धर्मायण का कार्तिक मास का विशेषांक महावीर हनुमान् पर केन्द्रित प्रस्तावित है।
यद्यपि वाल्मीकि-कृत रामायण तथा रामचरितमानस पर आधारित पर्याप्त विवेचन पूर्व में हो चुके हैं, फिर भी बहुत सारे पक्ष हैं जो प्रकाश में नहीं आये हैं।
पराशर-संहिता का हनुमदुपासना हिन्दी के पाठकों के लिए सर्वथा अछूता रहा है।
रामसम्बन्धी उपनिषद् ग्रन्थों में हनुमानजी गुरु के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उन्हें मुक्तिकोपनिषद् में रामोपासना में समर्थ गुरु माना गया है।
वे ज्ञान की विभिन्न शाखाओं के प्रवर्तक माने गये हैं जैसे गान्धर्ववेद मूल गुरु के रूप में हनुमान् को मानता है। आञ्जनेय-संहिता नामक एक स्वतन्त्र ग्रन्थ इस विषय पर कहा जाता है।
हनुमान-जयन्ती इसी कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को होती है। इस अवसर पर महावीर हनुमान् के चरणों में अर्पित यह अंक प्रस्तावित है।
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक