शिवरात्रि के दिन भगवान् शंकर को किस मंत्र से जल चढ़ायें

अथ महादेवस्य द्वादशनामस्तोत्रम्
ॐ प्रथमस्तु महादेवो द्वितीयस्तु महेश्वरः।
तृतीयः शङ्करो ज्ञेयश्चतुर्थो वृषभध्वजः॥
पञ्चमः कृत्तिवासाश्च षष्ठः कामाङ्गनाशनः।
सप्तमो देवदेवेशः श्रीकण्ठश्चाष्टमः स्मृतः॥
ईश्वरो नवमो ज्ञेयो दशमः पार्व्वतीपतिः।
रुद्र एकादशश्चैव द्बादशः शिव उच्यते॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसन्ध्यं यः पठेन्नरः।
कृतघ्नश्चैव गोघ्नश्च ब्रह्महा गुरुतल्पगः॥
स्त्रीबालघातकश्चैव सुरापो वृषलीपतिः।
मुच्यते सर्व्वपापेभ्यो रुद्रलोकं स गच्छति॥
इति शिवस्तोत्रम् सम्पूर्णम्
मन्त्र पढ़ने में हुई अशुद्धि के लिए क्षमा-याचना
यदक्षरपदभ्रष्टं मात्राहीनञ्च यद्भवेत्।
तत्सर्वं क्षम्यतां देव कस्य वै निश्चलं मनः।।
महाशिवरात्रि का क्या महत्त्व है? इसी दिन भगवान् शिव का प्रतीक शिवलिंग…
शिवरात्रि का माहात्म्य एवं पूजा-विधि पर विशेष
जल चढ़ाने का बाद फूल, अक्षत, चंदन, रोली एक साथ मिला लें तथा एक-एक बिल्वपत्र लेकर भगवान् शिव की आठ मूर्तियों की पूजा इन मन्त्रों से करें-
शिव की अष्टमूर्तियों की पूजा के मन्त्र
1. शर्वाय क्षितिमूर्तये नमः। 2. भवाय जलमूर्तये नमः।
3. रुद्राय अग्निमूर्तये नमः। 4. उग्राय वायुमूर्तये नमः।
5. भीमाय आकाशमूर्तये नमः। 6. पशुपतये यजमानमूर्तये नमः।
7. ईशानाय सूर्यमूर्तये नमः। 8. महादेवाय सोममूर्तये नमः। अंतमे क्षमा-प्रार्थना करें-
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कर-चरण-कृतं वाक्-कायजं कर्मजं वा श्रवण-नयनजं वा मानसं वापराधम्।
विदितमविदितं वा सर्वमेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो।।
हर हर महादेव हर हर।।
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक