धर्मायण के पूर्व संपादक पं. वंशदेव मिश्र का संक्षिप्त परिचय
[सन् 1999ई. में मिथिला के प्रसिद्ध विद्वान् प. कृष्णमाधव झा का जन्मशतवार्षिकी समारोह मनाया गया था। पं. झा ग्राम- बिट्ठो, सरिसब-पाही, मधुबनी के थे। यह कार्यक्रम 6 मार्च, 1999ई. को सरिसब पाही लक्ष्मीवती संस्कृत महाविद्यालय के प्रांगण में हुआ था। इस जन्मशतवार्षिक समारोह में कतिपय विद्वानों को सम्मानित किया गया था। धर्मायण के पूर्व सम्पादक पं. वंशदेव मिश्र ने मुंबई में पं. कृष्णमाधव झा से न्यायशास्त्र का अध्ययन किया था, अतः उन्हें भी सम्मानित किया गया था। इस सम्मान समारोह के लिए समिति के द्वारा सम्मान्य विद्वानों का परिचय प्रकाशित किया गया था। यह पुस्तिका समारोह समिति के सचिव डा. शशिनाथ झा द्वारा तैयार की गयी थी। इसमें 1. महामहिमोपाध्याय कृष्णमाधव झा, 2. प्रो. श्री अनन्तलाल ठक्कुर, 3. पण्डित खड्गनाथ मिश्र, 4. आचार्य शोभाकान्त जयदेव झा, 5. पं. श्री रतीश झा, 6. डॉ काशीनाथ मिश्र, 7. पं. श्री रामसेवक झा, 8. पं. श्री कीर्त्यानन्द झा, 9. डा. श्री नारायण मिश्र, 10. गोस्वामी श्री मनोहरलालजी, , 11. गोस्वानी श्री रमेश जी, 12. स्वामी श्री हरिप्रपन्न वेदान्ती, 13. पं. श्री वंशदेव मिश्र, 14. राघव प्रसाद चौधरी, 15. श्री नित्यानन्द झा- इतने विद्वानों का परिचय प्रकाशित है। इसी पुस्तिका में से पं. वंशदेव मिश्र का परिचय अविकल यहाँ दिया जा रहा है।]
नाम- प० वंशदेव मिश्र
पिता- स्व० प० यज्ञदत्त मिश्र, वैद्यरत्न
माता- स्व० पावकी देवी, गोरखपुर जिले के सुप्रसिद्ध वैयाकरण प० परमार्थीराम त्रिपाठी की पुत्री। नानाजी ग्राम सहगौरा के निवासी थे और अपनी पाठशाला चलाते थे। धर्मशास्त्र के भी जाने माने विद्वान थे।
जन्म तिथि– 1-3-1919
जन्मस्थान– ग्राम- पयासी, देवरया,
सम्प्रति- आवास पाणिनि परिसर, बुद्धमार्ग, पटना-1, (सन् 1999 ई. में वे इस स्थान पर रहते थे।)
शिक्षा- बी० ए० आनर्स (संस्कृत), एम० ए० (संस्कृत), साहित्याचार्य। एम. ए. में प्रथम स्थान, आचार्य प्रथम श्रेणी ‘संस्कृत प्रावीण्य’ पदक सहित।
विश्वविद्यालय—बी० ए० आनर्स, एम० ए०, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से क्रमशः 1942 तथा 1944 ई०, साहित्याचार्य क्वीन्स कॉलेज (अब सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय) से, ई० 1952 ।
प्राथमिक शिक्षा गाँव में हुई। कक्षा 3 से 8 तक मम्मौली राज रियासत के के० के० इंग्लिश स्कूल में पढ़ा। मैट्रिकुलेशन किंग जार्ज इंग्लिस स्कूल, देवरिया से हुआ और इण्टर मीडिएट ऐंग्लो बंगाली कॉलेज इलाहाबाद से। गृह शिक्षा उत्तम रही। संस्कृत, हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, गणित आदि का अध्यापन पिताजी और पितृव्यों ने भी किया। गाँव के अन्य आध्यापकों का भी आशीर्वाद प्राप्त रहा। ये श्रेष्ठजन थे स्व० अनिरुद्ध मिश्र, स्व. वासुदेव मिश्र और बाबू इन्द्रासन राय।
एक बार छात्र जीवन में अयोध्या में शास्त्रार्थ में भाग लिया तथा विजयी घोषित हुए।
काशी और मुम्बई के गुरुजन
काशी हिन्दू विश्वविद्यालय
- संस्कृत—स्व. बटुकनाथजी शर्मा, आचार्य बलदेव उपाध्याय, स्व. सीताराम जयराम जोशी, स्व. डॉ. वीरमणि उपाध्याय ।
- हिन्दी—स्व० रामचन्द्र शुक्ल, स्व. आचार्य केशव प्रसाद मिश्र, स्व. आचार्य विश्वनाथ प्रसाद, डॉ. जगन्नाथ शर्मा, स्व. पद्मनारायणाचार्य ।
- अंग्रेजी-स्व. डॉ. यू.सी. नाग, स्व. प्रो० जीवनशंकर याज्ञिक, स्व. प्रो. देसाई, स्व. डॉ. रामअवध द्विवेदी, डॉ. मेनन तथा वी. एन. कौल
क्वीन्स कॉलेज
साहित्य आचार्य मुकुन्दशास्त्री विस्ते, आचार्य बटुकनाथ शास्त्री खिस्ते न्याय आचार्य शिवदत्त मिश्र
बम्बई में
आचार्य कृष्ण माधव झा
लेखन की शिक्षा– स्व. प्रो० कैलासचन्द्र मिश्र, ऐंग्लो बंगाली कॉलेज, इलाहाबाद
संगीतशास्त्र का अध्ययन– मुम्बई में संगीताचार्य कुलकर्णीजी से
पारिवारिक परिवेश— कृषि तथा शिक्षा, ज्येष्ठ भ्राता- स्व. बटुक देव मिश्र 24 वर्ष की अवस्था में दिवंगत। कनिष्ठ भ्राता—डॉ. श्यामदेव मिश्र, अध्यक्ष, वनस्पति विज्ञान विभाग, हजारी मल सोमानी कॉलेज ऑफ आर्ट्स एण्ड साइन्स, मुंबई। भ्रातृज—प्रो. शंकर जी मिश्र, वरिष्ठ प्राध्यापक, बाबा राघवदास स्नातकोत्तर कृषि महाविद्यालय, देवरिया, उत्तर प्रदेश (ज्येष्ठ भ्राता के पुत्र) डा. दिनेश मिश्र, इली लिली कम्पनी, अमेरिका में वरिष्ठ शोधकर्ता । इसमें औषध निर्माण होता है और यह विश्व की पाँच प्रसिद्ध कम्पनियों में गिनी जाती है। (कनिष्ठ भ्राता के पुत्र) श्री राजेश मिश्र, कम्प्यूटर इंजीनियर, सीटल अमेरिका। (कनिष्ठ भ्राता के पुत्र) पुत्र–श्रीधर मिश्र, बी. एस-सी. (आनर्स) बम्बई विश्वविद्यालय, बी.ए. गोरखपुर विश्वविद्यालय, सम्प्रति बाल विश्व विद्यालय प्रह्लादघाट, वाराणसी में सेवारत, एकमात्र सन्तान, इसकी माँ सावित्री देवी 52 वर्ष पूर्व दिवंगत । जो पटना के प्रसिद्ध विद्वान् स्व. नन्द प्रसाद चतुर्वेदी की पुत्री थीं।
पत्रकार के रूप में सेवा कार्य– 1944 से 1947 तक दैनिक ‘आज’ वाराणसी से सम्बन्धित । इसी अवधि में ज्ञानमण्डल लिमिटेड कबीर चौरा द्वारा प्रकाशित बृहत्। हिन्दी शब्दकोश के सम्पादन में योगदान । दैनिक ‘संसार’ वाराणसी की सेवा 1948 से 1954 तक, मुख्य सम्पादक (1952-54)। समाचार सम्पादक, ‘नवभारत टाइम्स’ मुम्बई 1954 के । मध्य सितम्बर से 1972 के 17 नवम्बर तक
सम्प्रति— (1999ई.में) महावीर मन्दिर, पटना जं० से सम्बद्ध । पुस्तकीय सम्पादन तथा ‘धर्मायण’ पत्रिका’ की सेवा।
स्व. बाबूराव विष्णु पराड़कर, स्व. कमलापति त्रिपाठी, स्व. विद्या भास्करजी, स्व. श्रीकान्त ठाकुर विद्यालंकार, श्री अक्षय कुमार जैन, श्री हरिशंकर द्विवेदी और श्री महावीर अधिकारी के सन्निध्य में पत्रकारीय सेवार्पण। मूल प्रशिक्षण तथा सेवाव्रत के संस्कार काशी में। वहाँ पत्रकारिता का स्वरूप राष्ट्रीय सेवा का था, अर्थपक्ष गौण था। स्व. पराड़कर जी तथा त्रिपाठीजी प्रकाशस्तम्भ स्वरूप थे। उनकी क्रान्तिधर्मिता ने कितने ही व्रती तथा बलिदानी को भारत माता की गोद में ला बैठाये। पराड़कर जी के अग्रलेख ब्रिटेन की पार्लियामेण्ट तक में पढ़े गये थे। ‘आज’ के प्रकाशन पर प्रतिबन्ध भी लग गया था। इसका जवाब “रणभेरी’ द्वारा दिया गया था। पुलिस परास्त हो गयी। प्रकाशन का सुराग खोजती ही रह गयी। ‘गर तोप मुकाबिल है तो अखबार निकालो’ उक्ति चरितार्थ होती रही। पुलिस तलाशी लेकर निराश लौटती थी और पीछे से ‘रणभेरी’ का वितरण हो जाता था। समाचार पत्रीय सेवा में समयोचित लेखन, अग्रलेखों तथा इतर लेखों के रूप में बहुधा हुआ। संख्या सैकड़ों में होगी। पद्यात्मक कृति का विवरण अधोलिखित है:
लेखन : खण्ड काव्य हिन्दी में। जो पाण्डुलिपि रूप में हैं।
1. चन्द्र विजय। विषय : मानव का चन्द्रमा पर पहुंचना पर संस्कारों की दृष्टि से उदात्तता का अभाव।
2. लोकजीवन। विषय : दार्शनिक पृष्ठभूमि और समाज की स्थिति।
3. नेताजी सुभाषचन्द्र बोस
4. वाराणसी के तुलसी घाट स्थित श्रीराम मन्दिर तथा 1940-44 के छात्र जीवन और काशीविषयक अनुभव का वर्णन 329 छन्दों में, गोस्वामीजी का चित्रण भी जुड़ेगा। छन्द 100 के आसपास होंगे।
5. महाकवि मयूर भट्टके सूर्यशतक का हिन्दी पद्यानुवाद । बहुतेरी स्फुट रचनाएँ भी हैं। सूर्यशतक मुम्बई से प्रकाशित होने वाला है।
ये सारी रचनाएँ विश्रामकाल में स्वान्तः सुखाय प्रस्तुत हो गयीं। निदेशित विश्राम काल 22 वर्षों का रहा।
शिक्षण कार्य : ग्राम वास की अवधि में स्नातक स्तर के छात्रों का निःशुल्क अध्यापन।
अन्य कार्य : समाज की धार्मिक, सांस्कृतिक तथा चिकित्सकीय सेवा।
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक