तन्त्रोपनिषदों में शक्ति की अवधारणा

108 उपनिषदों से अनेक उपनिषद्-ग्रन्थ वस्तुतः वैदिक परम्परा में न होकर आगम की परम्परा के अन्तर्गत आते हैं। इनमें तन्त्रागम के सिद्धान्त का वर्णन हुआ है। इन उपनिषदों में से कुछ वैष्णव-परम्परा के हैं तो अनेक शक्ति-तन्त्र से भी सम्बद्ध हैं। इन शक्ति-उपनिषदों में से कौलोपनिषद् सम्पूर्ण भारत के शक्ति-विमर्श की परम्परा को प्रतिपादित करती है। इसमें वर्णित शक्ति-विमर्श यहाँ प्रस्तुत किया गया है।
Citations:
- Jha, Bhavanath, “Tantropanishadon mein shakti kee avadhaarana” (Editorial), 2021, Dharmayan, Mahavir mandir, Patna, vol. 106, pp. 3-6.
- झा, भवनाथ, “तन्त्रोपनिषदों में शक्ति की अवधारणा” (सम्पादकीय), 2021, धर्मायण, महावीर मन्दिर पटना, अंक सं. 106, पृ. 3-6
- (Title Code- BIHHIN00719),
- धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका,
- मूल्य : पन्द्रह रुपये
- प्रधान सम्पादक आचार्य किशोर कुणाल
- सम्पादक भवनाथ झा
- पत्राचार : महावीर मन्दिर, पटना रेलवे जंक्शन के सामने पटना- 800001, बिहार
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महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक