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धर्मायण अंक 109 फ्लिप बुक
समेकित अध्ययन से ऐसा प्रतीत होता है कि ये दुष्प्रचार बहुत पुराने नहीं हैं। सम्भवतः विगत दो शतकों में ये फैलाये गये हों। हमें ... -
Dharmayan vol. 109 Brahma Ank
सनातन धर्म में ब्रह्मा सृष्टि की रचना करनेवाले स्रष्टा माने गये हैं, वे ही विधाता, अर्थात् धारण और पोषण करनेवाले देवता माने गये हैं। ... -
13. श्रीपरशुरामकथामृत का आलोचनात्मक विश्लेषण- डॉ. जंग बहादुर पाण्डेय
धर्मायण की अंक संख्या 106, वैशाख मास के अंक में भगवान् परशुराम-जयन्ती के उपलक्ष्य पर भारतेंदु हरिश्चन्द के पिता गोपालचन्द की विशाल हिन्दी रचना ... -
12. श्रीमद्भागवतीय रामायण-कथा की रामकथा- आचार्य सीताराम चतुर्वेदी
यह हमारा सौभाग्य रहा है कि देश के अप्रतिम विद्वान् आचार्य सीताराम चतुर्वेदी हमारे यहाँ अतिथिदेव के रूप में करीब ढाई वर्ष रहे और ... -
11. जगदीश मेवाड़ के- डा. श्रीकृष्ण ‘जुगनूʼ
मन्दिर स्थापत्य में राजस्थान का महत्त्व रहा है। यहाँ विशेष रूप से मुगल काल में अनेक मन्दिरों का निर्माण हुआ है। मेबाड़ के राजाओं ... -
10. बोधगया जगन्नाथ मंदिर- श्री रवि संगम
बोधगया का जगन्नाथ मन्दिर लगभग 1780 ई. के आसपास का बना हुआ है। बुकानन ने 1811-12 ई. में इसे तत्कालीन सेवैत के पिता के ... -
9. पालगंज का जगन्नाथ मन्दिर- श्री रामकिंकर उपाध्याय
पुरी धाम में अवस्थित भगवान् जगन्नाथ का मन्दिर एक मन्दिर ही नहीं, बल्कि एक सम्प्रदाय के रूप में उभर कर दिखाई देता है। यही ... -
8. दारु ब्रह्म- श्री महेश प्रसाद पाठक
भगवान् जगन्नाथ का विग्रह काष्ठ का है। ब्रह्मपुराण की कथा के अनुसार स्वयं भगवान् विष्णु ने तपस्यारत राजा इन्द्रद्युम्न को आदेश दिया था ... -
6.भगवान् जगन्नाथ के तीनों रथों के अंगों के नाम- डा. ममता मिश्र ‘दाशʼ
यहाँ भगवान् जगन्नाथ, बलभद्र एवं सुभद्रा के तीनों रथों के अंग-प्रत्यंगों के प्रामाणिक नाम दिये गये हैं। -
5.श्रीजगन्नाथ और भक्तकवि सालबेग- डा. ममता मिश्र ‘दाशʼ
भगवान् जगन्नाथ असंख्य जनसमुदाय की आस्था के केन्द्र रहे हैं। न केवल हिन्दू बल्कि मुसलमानों ने भी इनके प्रति अपनी भक्ति-भावना प्रकट की है। ...
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक