Tag: धर्मायण
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आलेख संख्या- 10. “शरत्-पूर्णिमा- कोजागरा एवं कौमुदी महोत्सव” लेखक श्रीमती रंजू मिश्र
आश्विन मास की पूर्णिमा महत्त्वपूर्ण है। एक अन्य लेख में हम पढ़ चुके हैं कि इस रात्रि की चन्द्रिका अमृतमयी मानी गयी है, अतः मगध क्षेत्र ... -
आलेख संख्या- 9. “सामवेदीय कौथुमशाखा का परिचय” लेखक डा. सुन्दरनारायण झा
सामवेद भारतीय संगीत शास्त्र की परम्परा है, यह गान है जो विलुप्त होता जा रहा है। सम्पूर्ण उत्तर भारत में यदि लोग वेदाध्ययन करते भी हैं ... -
आलेख संख्या- 8. “‘श्रीमद्भगवद्गीता’ में प्रयुक्त कृष्ण के नाम पर्यायों का शैलीगत अध्ययन” लेखक डॉ. विजय विनीत
श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान् कृष्ण के अनेक नाम आये हैं। इन नामों के यथास्थान प्रयोग का भी अपना विशिष्ट तात्पर्य है। -
आलेख संख्या- 7. “आरोग्य धाम-अश्विनी कुमार” लेखक श्री महेश प्रसाद पाठक
आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि को अश्विनी नक्षत्र होता है। अश्विनी नक्षत्र में दो तारे होते हैं, वे अमृतमय माने गये हैं। इन्हें अश्विनीकुमारों की संज्ञा ... -
आलेख संख्या- 6. “गणपति अथर्वशीर्ष में गणेश-मन्त्रोद्धार विचार” लेखक- श्री अंकुर पंकजकुमार जोषी
भगवान् गणेश के मन्त्र को लेकर आज एक फैशन चल पड़ा है- गं गणपतये नमः। जबकि यह शास्त्र से प्रमाणित नहीं है। गणपति अथर्वशीर्ष में जो ... -
आलेख संख्या- 5. “कृष्ण-जन्माष्टमी के अवसर पर भगवान कृष्ण के साथ दुर्गा की पूजा”- लेखक श्री गिरिजानन्द सिंह
कृष्णजन्म के ही काल में यशोदा के गर्भ से योगमाया भगवती का आविर्भाव हुआ था, जिसका संकेत दुर्गासप्तशती में भी है– नन्दगोपगृहे जाता यशोदागर्भसम्भवा। ततस्तौ नाशयिष्यामि ... -
आलेख संख्या- 4. “श्रीकृष्ण बाललीला अवस्था विमर्श” लेखक- शत्रुघ्नश्रीनिवासाचार्य पण्डित शम्भुनाथ शास्त्री ‘वेदान्ती’
आनन्दकन्द भगवान् श्रीकृष्ण की लीला यमुना के तट पर गोप-गोपियों के बीच हुई थी, जिसे लेकर अनेक भ्रान्तियाँ काव्यों, चित्रों तथा कथाओं के माध्यम से फैलाये ... -
आलेख संख्या- 3. “यत् पिण्डे तद् ब्रह्माण्डे” लेखक डा. ललित मोहन जोशी
आश्विन मास का सम्पूर्ण कृष्णपक्ष पितृपक्ष कहलाता है। इसमें विशेष रूप से अपने मृत पूर्वजों के प्रति तर्पण, पार्वण आदि के द्वारा श्रद्धाञ्जलि व्यक्त करते हैं। ... -
आलेख संख्या- 2. “ऋषियों के द्वारा निर्दिष्ट धर्म के स्रोत” लेखक श्री राधा किशोर झा
सनातन परम्परा में धर्म अच्छी तरह परिभाषित है। वैदिक साहित्य, महाभारत, रामायण, पौराणिक साहित्य सब में धर्म पर विशद चर्चा है और जब हम सबको एकत्र ... -
धर्मायण अंक संख्या 111, आश्विन, 2078 का अंक free pdf magazine
यह अंक विषयों की विविधता से भरा हुआ है। इसमें भारत की शक्ति-उपासना, कृष्ण-उपासना, गणेश-उपासना, पितृ-उपासना, लक्ष्मी-उपासना तथा लोकदेवताओं की उपासना से सम्बन्धित प्रामाणिक सामग्री संकलित ...
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक