आलेख संख्या- 2. “ऋषियों के द्वारा निर्दिष्ट धर्म के स्रोत” लेखक श्री राधा किशोर झा
महावीर मन्दिर पटना के द्वारा प्रकाशित धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका ‘धर्मायण’ का आश्विन मास का अंक।
अंक संख्या 111। आश्विन, 2078 विक्रम संवत्। 21 सितम्बर से 20 अक्टूबर 2021ई. तक
प्रधान सम्पादक- आचार्य किशोर कुणाल। सम्पादक- पंडित भवनाथ झा।
महावीर मन्दिर के द्वारा वर्तमान में पत्रिका का केवल ऑनलाइन डिजटल संस्करण ई-बुक के रूप में निःशुल्क प्रकाशित किया जा रहा है।
प्रस्तुत अंक विषयों की विविधता से भरा हुआ है। इसमें भारत की शक्ति-उपासना, कृष्ण-उपासना, गणेश-उपासना, पितृ-उपासना, लक्ष्मी-उपासना तथा लोकदेवताओं की उपासना से सम्बन्धित प्रामाणिक सामग्री संकलित किये गये हैं। साथ ही, विशिष्ट आलेख के रूप में धर्म के स्रोतों पर विवेचन किया गया है।
आलेख संख्या- 2. “ऋषियों के द्वारा निर्दिष्ट धर्म के स्रोत” लेखक श्री राधा किशोर झा
सनातन परम्परा में धर्म अच्छी तरह परिभाषित है। वैदिक साहित्य, महाभारत, रामायण, पौराणिक साहित्य सब में धर्म पर विशद चर्चा है और जब हम सबको एकत्र कर देखते हैं हैं तो हर जगह एक ही बात लिखी हुई है, जिसका निचोड़ है- प्राणिमात्र का कल्याण, सर्वत्र समता की भावना का प्रचार। हमें धर्म की प्राप्ति कैसे होगी, इसके क्या स्रोत हैं, क्या करने से हमें धर्म होगा और क्या करने से अधर्म, इस पर सनातन पर में कोई मतभेद नहीं है। धर्म के तीन रूप- सामान्य, विशेष तथा परम धर्म को समझाते हुए यह आलेख प्रस्तुत है।
झा, राधा किशोर, “ऋषियों के द्वारा निर्दिष्ट धर्म के स्रोत”, धर्मायण, अक सं. 111, आश्विन अंक, महावीर मन्दिर पटना, आश्विन, 2078, (सितम्बर-अक्टूबर 2021ई.), पटना, पृ. 8-18
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक