मैथिल महाकवि रूपनाथ उपाध्याय प्रणीत श्रीरामविजय महाकाव्य – डॉ. लक्ष्मीकान्त विमल
रामकथा तो वह भागीरथी है, जिसमें स्नान कर सभी लोग पवित्र होना चाहते हैं। इसी क्रम में मिथिला के महाकवि रूपनाथ उपाध्याय कृत श्रीरामविजय महाकाव्य समादरणीय है। रामाराज्याभिषेक तक की कथा को कुल नौ सर्गों में निबद्ध कर उन्होंने वहीं पर समाप्त कर दिया है। आगे सीता-निर्वासन आदि की कथा उन्होंने नहीं लिखी है। यह मिथिला में भी पण्डितों के बीच रामकथा के स्वरूप की परम्परा का संकेत करता है।-सम्पादक
Full citation:
- Vimal, Lakshmikant Dr. (2021), “maithil mahaakavi roopanaath upaadhyaay praneet shreeraamavijay mahaakaavy”, Dharmayan, (Monthly periodical) Mahavir Mandir, Patna, pp. 47-50.
- विमल, लक्ष्मीकान्त डॉ. (2021), “मैथिल महाकवि रूपनाथ उपाध्याय प्रणीत श्रीरामविजय महाकाव्य”, धर्मायण, (मासिक पत्रिका), महावीर मन्दिर, पटना, पृ. सं.- 47-50.
- (Title Code- BIHHIN00719),
- धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका,
- मूल्य : पन्द्रह रुपये
- प्रधान सम्पादक आचार्य किशोर कुणाल
- सम्पादक भवनाथ झा
- पत्राचार : महावीर मन्दिर, पटना रेलवे जंक्शन के सामने पटना- 800001, बिहार
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महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक