सांस्कृतिक समन्वय के युगप्रतीक : श्रीराम – श्री महेश प्रसाद पाठक
मर्यादापुरुषोत्तम श्रीराम की कथा वाल्मीकि-रामायण सुदूर उत्तर से लेकर सुदूर दक्षिण पढा और क्षेत्रीय लिपियों में लिपिबद्ध कि गया है। यह इस बात का ठोस प्रमाण है कि श्रीराम बृहत्तर भारत की मर्यादा के प्रतीक रहे हैं। यह उनके जीवन की समन्वयात्मक क्रिया-कलापों का परिणाम है। लेखक ने यहाँ राम-कथा में समन्वय के सिद्धान्तों और प्रयोग का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया है।- सम्पादक
Full citation:
- Pathak, Mahesh Prasad (2021), “saanskrtik samanvay ke yug prateek- shreeraam”, Dharmayan, (Monthly periodical) Mahavir Mandir, Patna, pp. 51-58.
- पाठक, महेश प्रसाद (2021), “सांस्कृतिक समन्वय के युगप्रतीक- श्रीराम”, धर्मायण, (मासिक पत्रिका), महावीर मन्दिर, पटना, पृ. सं.- 51-58.
- (Title Code- BIHHIN00719),
- धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका,
- मूल्य : पन्द्रह रुपये
- प्रधान सम्पादक आचार्य किशोर कुणाल
- सम्पादक भवनाथ झा
- पत्राचार : महावीर मन्दिर, पटना रेलवे जंक्शन के सामने पटना- 800001, बिहार
- फोन: 0612-2223798
- मोबाइल: 9334468400
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महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक