सूर्य सिद्धान्त का काल तथा शुद्धता (भाग-2)- श्री अरुण कुमार उपाध्याय

भारतीय काल-गणना का स्पष्ट प्रतिपादन होने के बाद भी यूरोपियन विद्वानों ने इसे एक शिरे से नकार दिया और सारी गणना जूलियन तथा ग्रेगोरियन पंचांग के आधार पर anno Domini (AD) और Before Christ (BC) के आधार पर चलाया, जो आज BCE और CE के नाम से पर प्रचलित है। लेखक ने इस विस्तृत आलेख में सिद्ध किया है कि हमारी अपनी कालगणना पद्धति सूक्ष्म तथा स्पष्ट है। इस पद्धति को नष्ट करने के लिए ज्योतिष-शास्त्र को भी नकारने की प्रवृत्ति चल पड़ी।-सम्पादक
Full citation:
- Upadhyay, Arun Kumar (2021), “Surya siddhaant ka kaal tatha shuddhata, Part 2”, Dharmayan, (Monthly periodical) Mahavir Mandir, Patna, pp. 63-75.
- उपाध्याय, अरुण कुमार (2021), “सूर्य सिद्धान्त का काल तथा शुद्धता भाग-2”, धर्मायण, (मासिक पत्रिका), महावीर मन्दिर, पटना, पृ. सं.- 63-75.
- (Title Code- BIHHIN00719),
- धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका,
- मूल्य : पन्द्रह रुपये
- प्रधान सम्पादक आचार्य किशोर कुणाल
- सम्पादक भवनाथ झा
- पत्राचार : महावीर मन्दिर, पटना रेलवे जंक्शन के सामने पटना- 800001, बिहार
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महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक