8. दारु ब्रह्म- श्री महेश प्रसाद पाठक
भगवान् जगन्नाथ का विग्रह काष्ठ का है। ब्रह्मपुराण की कथा के अनुसार स्वयं भगवान् विष्णु ने तपस्यारत राजा इन्द्रद्युम्न को आदेश दिया था कि समुद्र के तट पर एक वृक्ष है, जो आधा जल में गिरा हुआ है, उसे काटकर उसके काष्ठ से मेरी प्रतिमा बनावें। राजा जब उस वृक्ष के काट रहे थे उसी समय दो ब्राह्मण के वेष में भगवान् स्वयं विश्वकर्मा को साथ लेकर पहुँचे और विश्वकर्मा ने विग्रह-निर्माण किया। अतः जगन्नाथ पुरी में भगवान् का विग्रह दारुमय है, जिसे ब्रह्ममय माना जाता है।
- पाठक, श्री महेश प्रसाद, “दारु ब्रह्म”, धर्मायण, अंक 108, आषाढ़, 2078 वि.सं., जून-जुलाई, 2021 ई., महावीर मन्दिर, पटना, पृ. 46-52.
- Pathak, Shri Mahesh Prasad, “Daru-Brahma”, (A paper in Hindi language), Dharmayan, Issue 108, Ashadh, 2078 Vs., June-July, 2021 AD, Mahavir Mandir, Patna, p. 46-52.
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक