मकर संक्रान्ति, 2021 ई.

2021 ई. में मकर संक्रान्ति कब होगी?
दिनांक 14 जनवरी, 2021 ई. को मकर संक्रान्ति है।
मकर संक्रान्ति को तिला संक्रान्ति भी कहते हैं।
मकर-संक्रांति के दिन से सूर्य उत्तरायण होते हैं। मकर से लेकर छह संक्रांति मकर, कुम्भ, मीन, मेष, वृष, मिथुन तक उत्तरायण सूर्य कहा जाता है। आगे कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु ये दक्षिणायन होते हैं।
लगभग एक महीने तक सूर्योदय एक राशि में होता है। इस प्रकार जिस राशि पर सूर्य का उदय होता है, उस राशि का सूर्य उतने महीने तक माना जाता है।

- धर्मायण, अंक संख्या 127, वायु-विशेषांकव्यवहार में भी हम देखते हैं कि कुछ संकेंड के लिए यदि प्राणी को प्राण-वायु मिलना बंद हो जाये तो उसकी मृत्यु हो जाती है। इससे जीवन धारण में वायु महत्त्व स्पष्ट है। प्रकृति में भी वायु संधारण करता है, वह वाहक का कार्य करता है।
- धर्मायण के सभी विशेषांकमहावीर मन्दिर की पत्रिका धर्मायण का प्रकाशन इस वित्तीय वर्ष में मासिक पत्रिका के रूप में जारी रहा। विगत वित्तीय वर्ष से ही यह मासिक पत्रिका हो गयी है। इसके सम्पादक पं. भवनाथ झा सभी अंक विशेषांक के रूप में सम्पादन कर रहे हैं, जिनसे देश के विभिन्न क्षेत्रों के विषय-विशेषज्ञ इस पत्रिका के प्रति आकृष्ट हुए हैं तथा पत्रिका के पाठकों की संख्या बढ़ रही है। सभी अंक डिजिटल प्रकाशित होते हैं, जो महावीर मन्दिर के वेबसाइट पर निःशुल्क उपलब्ध हैं। ऑनलाइन होने कारण जिसके कारण वितरण की भी समस्या नहीं होती है। इस वित्तीय वर्ष में अंक सं. 105 से 116 तक रामनवमी अंक, शक्तिविमर्श अंक, जलविमर्श अंक, भगवान जगन्नाथ अंक, ब्रह्मा विशेषांक, सप्तर्षि अंक, आश्विन अंक, हनुमान अंक (1), हनुमान अंक (2), विष्णुपुरी अंक, सरस्वती अंक, शिवतत्त्व अंक- ये 12 विशेषांक प्रकाशित हुए हैं।
- धर्मायण, अंक संख्या 126, आगम विशेषांकआगम की कुल छह शाखाओं वैष्णव, गाणपत्य, सौर, शाक्त, शैव एवं आग्नेय में यद्यपि सूर्य से सम्बन्धित सौर शाखा का पृथक् है। इस शाखा से सम्बन्धित ग्रन्थ साम्ब-पुराण हमें मिलते हैं
- पुस्तक समीक्षा- ‘भारतीय संस्कृति और गकार के प्रतीक।’ लेखक- डा. बिन्देश्वरी प्रसाद ठाकुर ‘विमल’पुस्तक समीक्षा- ‘भारतीय संस्कृति और गकार के प्रतीक।’ लेखक- डा. बिन्देश्वरी प्रसाद ठाकुर ‘विमल’ प्रकाशक- सर्वभाषा ट्रस्ट, नई दिल्ली, जे.-49, स्ट्रीट सं. 38, राजापुरी मेन रोड, नई दिल्ली। प्रकाशन वर्ष– 2022ई. ISBN- 978-93-93605-21-4. मूल्य- 1499 रुपये। पृष्ठ संख्या- 664. आकार- डिमाई। आवरण- हार्डबाउंड।
- धर्मायण, अंक संख्या 125, अगहन मास अंकभारतवर्ष की विशेषता है कि यहाँ सभी ऋतुएँ समय से निश्चित अवधि के लिए होती हैं अतः सबका विशिष्ट महत्त्व धार्मिक एवं सांस्कृतिक दृष्टि से है। यहाँ इस हेमन्त ऋतु का महत्त्व व्यापक रूप में प्रतिपादित किया गया है।
मकर संक्रान्ति के दिन से उत्तरायण सूर्य होते है। देवताओं के दिन का आरम्भ इसी दिन से माना जाता है। इस प्रकार, हर दिन जो महत्त्व प्रातःकाल का होता है, वही महत्त्व पूरे वर्ष में इस दिन का होता है।
मकर संक्रान्ति के दिन हमें प्रातः स्नान कर तिल, चावल, चूड़ा, दही, तिलकुट, भूरा, तिलबा आदि खाना चाहिए और दूसरे को भी खिलाना चाहिए। गृहस्थ-धर्म के अनुसार विना दूसरे को खिलाये इस दिन स्वयं नहीं खायें।
अतिथि-सत्कार गृहस्थों का परम धर्म है। यह मनुष्य-यज्ञ कहलाता है। इससे जो पुण्य मिलता है वह कभी नष्ट नहीं होता।

गृहस्थों का परम धर्म है- दान करना। बुद्धचरित में कहा गया है- जो अपने धन से जरूरतमंद लोगों सहायता नहीं करता, जो अपने बल से दूसरे की रक्षा नहीं करता उसके धन और बल व्यर्थ हैं।
मकर-संक्रान्ति सनातन धर्म का महान् पर्व है। इसे हम सभी साथ-साथ मनायें। हमें इस पर्व के बहाने सामाजिक भेद-भाव से ऊपर उठकर एक होना चाहिए।
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