Tag: शक्ति-विमर्श
-
अद्भुत रामायण की रामकथा- आचार्य सीताराम चतुर्वेदी
यह महावीर मन्दिर, पटना का सौभाग्य रहा है कि देश के अप्रतिम विद्वान् आचार्य सीताराम चतुर्वेदी हमारे यहाँ अतिथिदेव के रूप में करीब ढाई वर्ष रहे ... -
भारतीय साहित्य में शक्ति की अभिव्यंजना- डा० भुवनेश्वर प्रसाद ‘गुरुमैताʼ
बिहार के सुपौल जिला के मूल निवासी डा. भुवनेश्वर प्रसाद ‘गुरुमैताʼ जी (जन्म– 14-01-1930 ई.) हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में भाषा एवं संस्कृति के विभाग के प्रोफेसर ... -
शक्तिपूजा : मातृशक्ति का भावात्मक आधार- कुमारी संगीता
हर प्रकार के साधनों से सम्पन्न होकर भी युद्धभूमि में रावण क्यों मारा गया, वह अपने परिवार के साथ क्यों विनष्ट हुआ? उसके पास सेना थी, ... -
महाशक्ति श्री श्री माँ- महामहोपाध्याय गोपीनाथ कविराज
म. म. गोपीनाथ कविराज (जन्म– 7 सितम्बर, 1884 एवं निधन– 12 जून, 1976ई.) भारतीय तन्त्र-साहित्य के प्रख्यात सम्पादक एवं अध्येता हुए। मूलतः बंगाल में उत्पन्न कविराज ... -
दुर्गा-सप्तशती में शक्ति का दार्शनिक स्वरूप- डा. लक्ष्मीकान्त विमल
दुर्गासप्तशती के प्रथम अध्याय में ब्रह्मकृत निद्रा देवी की स्तुति है। इस लघुकाय अंश में शक्ति का व्यापक वर्णन अद्वैत वेदान्त तथा विशिष्टाद्वैत, दोनों के सन्दर्भ ... -
मातृशक्ति का सम्पूर्ण रूप देवी सीता में समाहित -श्री राजीव नंदन मिश्र ‘नन्हेंʼ
ऋग्वेद का वागाम्भृणी सूक्त शक्ति-विमर्श का प्राचीनतम साक्ष्य है, जिसमें देवी कहती हैं कि मैं रुद्रों, वसुओं, आदित्यों और विश्वेदेवों की सहचारिणी हूँ। मैं रुद्र के ... -
भगवती-तत्त्व विमर्श- डा. सुदर्शन श्रीनिवास शाण्डिल्य
“जो श्रीकृष्ण, राम, शिव, गणेश, सूर्य की उपासना करते हैं वह इसी महाशक्ति की उपासना है। इसी प्रकार जो दुर्गा, लक्ष्मी, तारा, सरस्वती, विद्या, काली, षोडशी, ... -
शिव में समाविष्ट शक्ति- श्री जगन्नाथ करंजे
शिव एवं शक्ति अर्थात् ब्रह्म एवं उनकी शक्ति के समन्वय की गाथा सम्पूर्ण भारत में आसेतु-हिमाचल समान है। अतः यदि काश्मीर के अद्वैत शैव दर्शन में ... -
वॆङ्कट कवि की कृति ‘सुन्दरेश्वरजाये- श्री रवि ओझा
वॆङ्कट कवि की कृति ‘सुन्दरेश्वरजाये- श्री रवि ओझा यह सनातन धर्म की चरम विशेषता है कि दक्षिण एवं उत्तर भारत की परम्परा एक-दूसरे के साथ भावात्मक ... -
जनकभूमि की परिक्रमा- रवि संगम
जनकभूमि की परिक्रमा जगज्जननी जानकी के प्रति जन-सामान्य की आस्था को प्रकट करती है। यहाँ वर्तमान में प्रचलित जनकपुर परिक्रमा पथ का विवरण दिया गया है।
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
महावीर मन्दिर प्रकाशन
धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक