भारतीय साहित्य में शक्ति की अभिव्यंजना- डा० भुवनेश्वर प्रसाद ‘गुरुमैताʼ
बिहार के सुपौल जिला के मूल निवासी डा. भुवनेश्वर प्रसाद ‘गुरुमैताʼ जी (जन्म– 14-01-1930 ई.) हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में भाषा एवं संस्कृति के विभाग के प्रोफेसर रहे। वर्तमान में वे 90 वर्ष की भी अवस्था में दिल्ली में अपने पौत्रों के साथ पूर्ण स्वस्थ रह रहे हैं। वे अखिल भारतीय साहित्य परिषद् के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, एवं सम्प्रति, केन्द्रीय कार्यकारिणी एवं न्यास सदस्य हैं। धर्मायण पत्रिका में उनके अनेक आलेख प्रकाशित हुए थे, उनमें से एक आलेख हम प्रस्तुत विशेषांक में पुनः प्रकाशित कर रहे हैं। संकटमोचन हनुमान जी से प्रार्थना है कि श्रद्धेय गुरुमैताजी दीर्घायु हों तथा स्वस्थ रहते हुए लेखन में उद्यत रहें।
- Gurumaita, Bhuvaneshvar Prasad. “bhaarateey saahity mein shakti kee abhivyanjana”, 2021, (Reprint) Dharmayan, Mahavir mandir, Patna, vol. 106, pp. 50-53.
- गुरुमैता, भुवनेश्वर प्रसाद, “भारतीय साहित्य में शक्ति की अभिव्यंजना”, (पुनर्मुद्रित) 2021, धर्मायण, महावीर मन्दिर पटना, अंक सं. 106, पृ. 50-53.
धर्मायण में पूर्वप्रकाशित आलेखों की सूची
- भारतीय अस्मिता और अखंडता का सारस्वत स्रोत पौराणिक साहित्य, अंक 37
- आज के सन्दर्भ में साहित्यकार का दायित्व, अंक 38
- राष्ट्रीय अस्मिता और साहित्य, अंक 43
- भारतीय संस्कृति के विकास में हरियाणा और सरस्वती का योगदान, अंक 47
- ʼʼश्री गुरु-पद-नख-मनिगन-जोतीʼʼ, अंक 53
- निराला-साहित्य की सांस्कृतिक पृष्ठभूमि, अंक, 55
- विश्वविख्यात विचारकों की दृष्टि में हिन्दुस्तान और हिन्दुत्व, अंक 62
- प्राचीन हिन्दू-वैज्ञानिक विचारों की वैश्विक श्रेष्ठता, अंक 63
- भारतीय साहित्य में शक्ति की अभिव्यंजना, अंक 67
- व्यावहारिक वेदान्त के प्रतिष्ठाताः स्वामी विवेकानन्द, अंक 83
- (Title Code- BIHHIN00719),
- धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय चेतना की पत्रिका,
- मूल्य : बीस रुपये
- प्रधान सम्पादक आचार्य किशोर कुणाल
- सम्पादक भवनाथ झा
- पत्राचार : महावीर मन्दिर, पटना रेलवे जंक्शन के सामने पटना- 800001, बिहार
- फोन: 0612-2223798
- मोबाइल: 9334468400
- E-mail: dharmayanhindi@gmail.com
- Web: www.mahavirmandirpatna.org/dharmayan/
महावीर मन्दिर प्रकाशन
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धर्मायण, अंक संख्या 114, परमहंस विष्णुपुरी विशेषांक